गुप्तचर कमल का कारनामा
गजनी का सुल्तान- ओमप्रकाश शर्मा
भारत भूमि हमेशा ऐश्वर्यशाली रही है, वह चाहे धन-धान्य के रूप में हो या वीरों के रूप में। इस पावन धरा पर धन भी है तो वीर भी जन्म लेते हैं।
जहां अच्छाई होती है वहां बुराई भी आ जाती है।भारतभूमि की अपार सम्पदा पर विदेश शासकों की हमेशा से कुदृष्टि रही है। भारत पर सर्वाधिक आक्रमण पश्चिम से होते। जिनमें गजनी के शासकों द्वारा भारत पर किये गये क्रुर आक्रमण भी हैं।
ओमप्रकाश शर्मा जी द्वारा लिखित उपन्यास 'गजनी का सुलतान' और इसका द्वितीय भाग 'तूफान फिर आया' भारतीय वीरों की वीरता और महमूद गजनी की क्रूरता का चित्रण करते हैं।
महमूद गजनवी की क्रूरता का चित्रण करते हुए लेखक ने लिखा है। यह प्रलयवान आँधी जिस दिशा की ओर रुख करती गांव राख हो जाते, नगरों के वैभव नष्ट हो जाते। जो मनुष्य उस आँधी की भेंट चढ़ते उनकी लाशें गिद्धों का भोजन बनती, जो इस आंधी की लपेट में आ जाते वे दूर काकेशश तक जाकर गुलामों ले बाजार में बिकते, और जो दुर्भाग्यशाली यह दोनों गति न पाकर किसी प्रकार भाग निकलते वो निराश्रित होकर चाकरी करते, भीख माँगते और युवा स्त्रियाँ भूख न सह पाने के कारण वेश्याएं बन जाती। (पृष्ठ-03)
महमूद गजनवी ने भारत पर लगभग 17 बार आक्रमण किया था। वह भारत की अपार संपदा लूट कर ले गया। यह कहानी गजनवी के सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण से कुछ पूर्व की है।
जब महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण और सोमनाथ मंदिर की लूट का विचार बनाया तो कुछ भारतीय राजा उसका साथ देने को तैयार हो गये। ऐसे ही एक राजा का राजदूत गजनी में जाकर महमूद गजनवी से मिला।
अब लगभग तय हो गया की गजनवी का भारत पर और वह भी सौराष्ट्र पर आक्रमण होगा तो राजपुताना, सिन्ध यहाँ तक की सौराष्ट्र तक के राजा इस विशाल आँधी से चिंतित रहते थे।(पृष्ठ-03)
वहीं दूसरी तरफ सुरक्षा का भार भीमदेव के जिम्मे था। इस प्रलयकारी आँधी के झोंके राजपूताने और उसके विशाल रेगिस्तान को स्पर्श करके सौराष्ट्र की और न बढें संयोग से इसका दायित्व सौंपा था पाटणपति भीमदेव को। अनहिलवाड़ पाटण की गद्दी पर अब भीमदेव विराजते थे। (पृष्ठ...)
अनहिलवाड का श्रेष्ठ गुप्तचर कमल गजनी सत्य का पता लगाने जाता है। उपन्यास का अधिकांश भाग कमल के गजनी प्रवास पर ही आधारित है।
लेखक महोदय ने कमल के गजनी आवागमन और प्रवास का जो चित्र उकेरा है वह जीवंत लगता है।
इस कथा के साथ -साथ गजनी में साहित्यकार फिरदौसी का भी अच्छा वर्णन मिलता है। उपन्यास में फिरदौस और महमूद का जो वर्णन है वह एक सत्य घटना है।
उपन्यास मुख्यतः कमल पर आधारित है जो अपने बुद्धिबल पर क्रूर सुल्तान के राज्य गजनी में रहकर किस तरह अपने गुप्तचर दायित्व का निर्वाह करता है। एक-एक शब्द और घटना का जिस तरह से उपन्यास में वर्णन किया गया है वह एक काल्पनिक कथा न होकर एक ऐतिहासिक रचना नजर आती है।
मेरी दृष्टि में जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी की यह एक अनमोल रचना है। जो कल्पना और सत्य के मिश्रित एक यादगार रचना है।
प्रस्तुत उपन्यास ओमप्रकाश शर्मा जी द्वारा लिखा गया एक अदभुत उपन्यास है। लोकप्रिय साहित्य के पाठक के लिए एक दुर्लभ मोती की तरह है।
उपन्यास- गजनी का सुल्तान
लेखक- ओमप्रकाश शर्मा जनप्रिय लेखक
प्रकाशक- पुष्पी पॉकेट बुक्स, इलाहाबाद
गजनी का सुल्तान- ओमप्रकाश शर्मा
भारत भूमि हमेशा ऐश्वर्यशाली रही है, वह चाहे धन-धान्य के रूप में हो या वीरों के रूप में। इस पावन धरा पर धन भी है तो वीर भी जन्म लेते हैं।
जहां अच्छाई होती है वहां बुराई भी आ जाती है।भारतभूमि की अपार सम्पदा पर विदेश शासकों की हमेशा से कुदृष्टि रही है। भारत पर सर्वाधिक आक्रमण पश्चिम से होते। जिनमें गजनी के शासकों द्वारा भारत पर किये गये क्रुर आक्रमण भी हैं।
ओमप्रकाश शर्मा जी द्वारा लिखित उपन्यास 'गजनी का सुलतान' और इसका द्वितीय भाग 'तूफान फिर आया' भारतीय वीरों की वीरता और महमूद गजनी की क्रूरता का चित्रण करते हैं।
महमूद गजनवी की क्रूरता का चित्रण करते हुए लेखक ने लिखा है। यह प्रलयवान आँधी जिस दिशा की ओर रुख करती गांव राख हो जाते, नगरों के वैभव नष्ट हो जाते। जो मनुष्य उस आँधी की भेंट चढ़ते उनकी लाशें गिद्धों का भोजन बनती, जो इस आंधी की लपेट में आ जाते वे दूर काकेशश तक जाकर गुलामों ले बाजार में बिकते, और जो दुर्भाग्यशाली यह दोनों गति न पाकर किसी प्रकार भाग निकलते वो निराश्रित होकर चाकरी करते, भीख माँगते और युवा स्त्रियाँ भूख न सह पाने के कारण वेश्याएं बन जाती। (पृष्ठ-03)
महमूद गजनवी ने भारत पर लगभग 17 बार आक्रमण किया था। वह भारत की अपार संपदा लूट कर ले गया। यह कहानी गजनवी के सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण से कुछ पूर्व की है।
जब महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण और सोमनाथ मंदिर की लूट का विचार बनाया तो कुछ भारतीय राजा उसका साथ देने को तैयार हो गये। ऐसे ही एक राजा का राजदूत गजनी में जाकर महमूद गजनवी से मिला।
अब लगभग तय हो गया की गजनवी का भारत पर और वह भी सौराष्ट्र पर आक्रमण होगा तो राजपुताना, सिन्ध यहाँ तक की सौराष्ट्र तक के राजा इस विशाल आँधी से चिंतित रहते थे।(पृष्ठ-03)
वहीं दूसरी तरफ सुरक्षा का भार भीमदेव के जिम्मे था। इस प्रलयकारी आँधी के झोंके राजपूताने और उसके विशाल रेगिस्तान को स्पर्श करके सौराष्ट्र की और न बढें संयोग से इसका दायित्व सौंपा था पाटणपति भीमदेव को। अनहिलवाड़ पाटण की गद्दी पर अब भीमदेव विराजते थे। (पृष्ठ...)
अनहिलवाड का श्रेष्ठ गुप्तचर कमल गजनी सत्य का पता लगाने जाता है। उपन्यास का अधिकांश भाग कमल के गजनी प्रवास पर ही आधारित है।
लेखक महोदय ने कमल के गजनी आवागमन और प्रवास का जो चित्र उकेरा है वह जीवंत लगता है।
इस कथा के साथ -साथ गजनी में साहित्यकार फिरदौसी का भी अच्छा वर्णन मिलता है। उपन्यास में फिरदौस और महमूद का जो वर्णन है वह एक सत्य घटना है।
उपन्यास मुख्यतः कमल पर आधारित है जो अपने बुद्धिबल पर क्रूर सुल्तान के राज्य गजनी में रहकर किस तरह अपने गुप्तचर दायित्व का निर्वाह करता है। एक-एक शब्द और घटना का जिस तरह से उपन्यास में वर्णन किया गया है वह एक काल्पनिक कथा न होकर एक ऐतिहासिक रचना नजर आती है।
मेरी दृष्टि में जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी की यह एक अनमोल रचना है। जो कल्पना और सत्य के मिश्रित एक यादगार रचना है।
प्रस्तुत उपन्यास ओमप्रकाश शर्मा जी द्वारा लिखा गया एक अदभुत उपन्यास है। लोकप्रिय साहित्य के पाठक के लिए एक दुर्लभ मोती की तरह है।
गजनी का सुल्तान- ओमप्रकाश शर्मा www.svnlibrary.blogspot.in |
लेखक- ओमप्रकाश शर्मा जनप्रिय लेखक
प्रकाशक- पुष्पी पॉकेट बुक्स, इलाहाबाद
रोचक। ऐसे न जाने कितने मोती समय की रेत तले दफन हो गये हैं। उम्मीद है कभी ये मिलेंगे और हम इनका रसवादन कर पाएंगे। वैसे मैं भी आजकल ओमप्रकाश शर्मा जी का उपन्यास रहस्यमई पढ़ रहा हूँ। जल्द ही उसके विषय में अपने विचार प्रस्तुत करूँगा।
ReplyDeleteविकास भाई वजह समय कहो या लेखकों की गलती। पर बहुत से उपन्यास आज अनुपलब्ध हैं।
Deleteइनको सामने लाने की पहल होनी चाहिए।
Bhut shandaar
ReplyDeleteReview k lye
Dhanyewad
ब्लॉग पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए धन्यवाद।
Deleteबहुत शानदार समीक्षा. जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी का ये उपन्यास मैंने नहीं पढ़ा है. शीघ्र ही ढूंढ कर पढ़ता हूँ. जनप्रिय जी के ऐतिहासिक उपन्यास भी बेजोड़ होते हैं.
ReplyDeleteमिलती नहीं है यही परेशानी है
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