शूर्पणखा- डाॅ. अशोक शर्मा, उपन्यास
भारतीय जनमानस में दो महाग्रंथ अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। एक रामायण और द्वितीय महाभारत। सदियों पूर्व लिखे गये ये ग्रंथ आज भी प्रासंगिक है,ब्लकि वर्तमान समम में समस्याओं को देखते हुये इनका महत्व और भी बढ जाता है।
इन दोनों ग्रंथों असंख्य टीका और इनके पात्रों को लेकर असंख्य रचनाएँ रची गयी हैं। बस फर्क इतना है कि हर लेखन का उसमें अपना दृष्टिकोण शामिल हो जाता है। नया लेखन -नया दृष्टिकोण।
डाॅक्टर अशोक शर्मा जी ने रामायण के खल पात्र राक्षेन्द्र रावण की बहन शूपर्णखा का आधार बना 'शूर्पणखा- एक लड़की अलग सी' शीर्षक से रचना की है।
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शूर्पणखा के साथ उसकी एक और पारिवारिक बहन कुम्भनसी भी है और यही दोनों रावण के विनाश के लिए रास्ता बनाती हैं।
स्त्री के साथ अक्सर अत्याचार होते हैं और वह भाग्य लिखा का मान कर चुप हो जाती हैं। लेकिन यहाँ शूर्पणखा और कुम्भनसी चुप नहीं होती, वे तो अपने ऊपर हुये अत्याचार के लिए अत्याचारी को उसका दण्ड देने की इच्छुक हैं। वे स्पष्ट रूप से रावण को गलत मानती हैं। और अपने साथ हुये अत्याचार का बदला रावण से लेती हैं।