Tuesday, 30 November 2021

480. फिल्म स्टार- रतनपिया

लड़कियों का कातिल 
फिल्म स्टार- रतन‌पिया
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य के विशाल समुद्र में पाठक जितना गहरा जाता है उसे उतने ही मोती मिलते हैं। ऐसे-ऐसे मोती जिनकी चमक तो बहुत है लेकिन वक्त की गर्द में धुंधले हो गये हैं। ऐसा ही एक मोती  है -रतनपिया
रतनपिया एक वास्तविक नाम है या छद्म लेखन यह तो स्पष्ट नहीं है पर यह उपन्यास सितम्बर1966 में प्रकाशित हुआ था। वहीं प्रथम छद्म लेखक कहे जाने वाले कर्नल रंजीत का प्रथम उपन्यास 'हत्या का रहस्य' 1967 में प्रकाशित हुआ था। 
    एक समय था जब इलाहाबाद लोकप्रिय उपन्यास साहित्य का केन्द्र हुआ करता था, वहाँ से असंख्य मासिक पत्रिकाएं प्रकाशित होती थी जिनमें उपन्यास छपते थे।
   इलाहाबाद का  एक प्रकाशन संस्थान था 'फ्रेण्डस एण्ड कम्पनी' जो 'जासूसी आँख' मासिक पत्रिका प्रकाशित करता था। उस पत्रिका में सितम्बर 1966 में रतनपिया का उपन्यास 'फिल्म स्टार' प्रकाशित हुआ था।

479. डबल रोल- सुरेन्द्र मोहन पाठक

डबल रोल- सुरेन्द्र मोहन‌ पाठक
सुनील सीरीज- 19 
डबल रोल- सुरेन्द्र मोहन‌ पाठक
शम्भुदयाल एक दुस्साहस लुटेरा था, जिसने अपने साथियों के साथ मिलकर ना सिर्फ दिन-दहाड़े बैंक लूट डाला था, बल्कि तीन सिपाहियों को भी गोली से उड़ा डाला था। (Kindle से)
     मैंने इन दिनों सतत सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के सुनील सीरीज के कुछ उपन्यास पढे हैं। सुनील सीरीज के इन आरम्भिक उपन्यासों का सफर रोचक रहा है। कुछ उपन्यासों की कथा बहुत अच्छी लगी तो कुछ उपन्यास सामान्य स्तर के भी निकले। इन अच्छे और सामान्य उपन्यासों का विवरण समीक्षा के माध्यम से यहाँ प्रस्तुत करने का एक अल्प प्रयास भी किया है, हालांकि सभी पाठको का पढने और मनन का तरीका अलग-अलग होता है।
  सुनील सीरीज के ये उपन्यास मुझे कैसे लगे वह मेरा दृष्टिकोण है, आपका अलग हो सकता है।
अब चर्चा सुनील सीरीज के 19 वे उपन्यास 'डबल रोल' की। 

Sunday, 28 November 2021

478. काला मोती- सुरेन्द्र मोहन‌ पाठक

सुनील का तृतीय अंतरराष्ट्रीय अभियान
काला मोती- सुरेन्द्र मोहन पाठक, 1968
सुनील सीरीज- 18
सेंट्रल पार्क में पायी गयी एक अचेत युवती जैसी एक मामूली खबर को सुनील ने सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए अखबार में छपवा दिया था लेकिन वो‌ नहीं जानता था कि ऐसा करके उसने एक युवती को कई पार्टियों के आकर्षण का केन्द्र बना दिया था।
अब हर पार्टी का केवल एक ही‌ मकसद था- युवती का खात्मा या उस पर कब्जा। 

  - कौन थी वह युवती?
-   वह से सेंट्रल पार्क में अचेत अवस्था में कैसे पायी गयी?
-  कुछ लोग उस का खात्मा क्यों करना चाहते थे?
- आखिर क्या रहस्य था उस युवती में?

सुरेन्द्र मोहन पाठक जी द्वारा रचित एक रहस्य कथा है 'काला मोती'। जिसे पढें और जानें उक्त प्रश्नों के उत्तर। 
     पठन की दृष्टि से 'किंडल' एक उपयोगी प्लेटफार्म है। किंडल के अथाह सागर म बहुत से मोती हैं। उन मोतियों में से मैंने सुरेन्द्र मोहन पाठक द्वारा लिखित 'काला मोती' चुना। 

Saturday, 27 November 2021

477. हत्या की रात- सुरेन्द्र मोहन पाठक

झेरी झील के किनारे हत्या
हत्या की रात- सुरेन्द्र मोहन पाठक, 1967
सुनील सीरीज- 16

महेश कुमार एक बड़े उद्योगपति का ऐय्याश और बिगडैल बेटा था। शहर से दूर स्थापित अपने एक काटेज में लड़कियों को बुलाना और उनके साथ अपनी मनमानी करना महेश कुमार का पसंदीदा शगल था। फिर एक रात महेश कुमार की गोली से बिंधी लाश उसी के काटेज में पाई गयी और अब पुलिस का मानना था कि ऐसी ही किसी लड़की ने जिस पर उसकी पेश नहीं चली थी उसकी ईह-लीला समाप्त कर डाली थी।  
हत्या की रात- पाठक, सुनील 16, svnlibrary
नमस्कार पाठक मित्रो,
    आज हम चर्चा करने जा रहे हैं सुरेन्द्र मोहन पाठज द्वारा लिखित सुनील सीरीज के सोलहवें उपन्यास 'हत्या की रात' की।
जैसा की शीर्षक से विदित होता है यह एक हत्या पर आधारित कथा है और वह हत्या होती है एक रात को।
किसकी हत्या?
किसने की हत्या ?
क्यों की हत्या?

  इन प्रश्नों का उत्तर उपन्यास पढ कर ही जाना जा सकता है। हां, उपन्यास रोचक है। कहानी अच्छी है। 

Friday, 26 November 2021

476. खतरनाक ब्लैकमेलर- सुरेन्द्र मोहन‌ पाठक

प्रेम,  ब्लैकमेल और हत्या की कहानी
खतरनाक ब्लैकमेलर- सुरेन्द्र मोहन पाठक
सुनील सीरीज-14   

इन दिनों किंडल पर कुछ उपन्यास पढे जा रहे हैं। इसी क्रम में सुरेन्द्र मोहन पाठक जी का उपन्यास 'खतरनाक ब्लैकमेलर' भी पढा। यह सुनील सीरीज का चौदहवां उपन्यास है और सुनील का यह तीसरा ऐसा कारनामा है जिसमें ब्लैकमेल पर आधारित है। यह भी दिलचस्प है की इन चौदह उपन्यासों में से तीन ब्लैकमेल पर आधारित हैं और उनमें से दो की कहानी एक जैसे ही है।
    अब कुछ चर्चा उपन्यास कर कथानक पर।
राजनगर टेक्सटाइल मिल का मालिक - रत्न प्रकाश - एक सेल्ज कॉन्फ्रेंस के सिलसिले में विशालगढ गया और जब वहां से लौटा तो उसके साथ एक अनिद्य सुन्दरी थी जिसका परिचय उसने अपनी पत्नी के रूप में दिया । और अब उसकी सैक्रेटरी नीला का दावा था कि रत्न प्रकाश ने न केवल नीला को धोखा दिया था बल्कि वो खुद भी किसी धोखे का शिकार हो गया था। 

  अब सच क्या है झूठ क्या है यह तो खैर सुनील की खोजबीन और उपन्यास का समापन ही बतायेगा।
  ब्लैकमेलर शैतान होता है जिसे एक बार खून‌ पीने की आदत लग जाती है वह उस से छूटती नहीं है। यह भी एक ऐसे ही ब्लैकमेलर की कहानी है।
 

  रत्नप्रकाश की सेक्रेटरी नीला सुनील चक्रवर्ती से मदद मांगने जाती है।

“मैं चाहती हूं कि तुम सन्तोष के पंजे से रत्न प्रकाश को छुड़ाने में मेरी सहायता करो।” - नीला भर्राये स्वर में बोली - “सुनील, यह बात सुनने में बुरी लगती है लेकिन यह हकीकत है कि मैं अब भी रत्न प्रकाश से मुहब्बत करती हूंँ।  मैं उसकी हितचिन्तक हूं । रत्न प्रकाश न जाने किस दबाव में आकर सन्तोष के हाथों का खिलौना बना हुआ है। अगर शीघ्र ही कुछ किया नहीं गया तो वह औरत उसे बरबाद कर देगी । मैं चाहती हूं तुम किसी प्रकार सन्तोष के पिछले जीवन के बखिए उधेड़ डालो। तुम यह पता लगाओ कि सन्तोष का रत्न प्रकाश पर क्या दबाव है और क्यों उसने आनन-फानन सन्तोष से शादी की।
   नीला चाहती है कि सुनील इस सत्यता का पता लगाये की रत्नप्रकाश ने संतोष से शादी क्यों की? कहीं वह किसी ब्लैकमेलिंग का शिकार तो नहीं बन गया? 

475. चाँद पर हंगामा- परशुराम शर्मा

जेम्स बॉण्ड का कारनामा
चाँद पर हंगामा- परशुराम शर्मा
हिंदी जासूसी उपन्यास साहित्य में परशुराम शर्मा जी एक प्रतिष्ठित नाम हैं। परशुराम शर्मा जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। लेखन, संगीत के साथ अभिनय में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं। परशुराम शर्मा जी के विषय में यह भी कहा जाता है जब अधिकांश उपन्यासकार लेखक अपने स्थापित पात्रों या शृंखला से बाहर ही नहीं निकल पा रहे थे उस समय परशुराम शर्मा जी ने थ्रिलर उपन्यास लिखकर अपनी एक विशिष्ट पहचान स्थापित की थी। 
   लेकिन कभी-कभी स्थापित लेखक को भी वक्त के साथ या प्रकाशक के आग्रह/ दबाव के चलते कुछ ऐसे उपन्यास लिखने पड़ जाते हैं जो उनकी लेखनी से अलग होते हैं। ऐसा ही एक उपन्यास है 'चाँद पर हंगामा'। यह जेम्स बॉण्ड सीरीज का उपन्यास है।

Monday, 22 November 2021

474. Red Circle Society- सुरेन्द्र मोहन पाठक

वह सोसाइटी ही खराब थी
Red Circle Society- सुरेन्द्र मोहन पाठक
सुनील सीरीज- 12
         रात के अंधेरे में सहायता तलाशता वो आगंतुक सुनील के फ्लैट में जैसे आसमान से टपका था । सुनील नहीं जानता था कि वो एक अजनबी की सहायता करने के चक्कर में एक ऐसी बड़ी और संगठित संस्था से दुश्मनी मोल ले चुका था जिसके अस्तित्व तक को कोई स्वीकार करने को तैयार नहीं था । संस्था के सदस्य राजनगर के सभ्य समाज के अभिन्न अंग थे और वे सब अब सुनील की जान के पीछे हाथ धो कर पड़े थे। 
    Red Circle Society सुनील सीरीज का 12 वां उपन्यास है जो सन् 1966 में प्रकाशित हुआ था।

Wednesday, 17 November 2021

473. ब्लू स्टार- प्रवीण कुमार झा

पंजाब और 1984 का आतंकवाद
ब्लू स्टार- प्रवीण झा

   
धर्म और योद्धाओं के राज्य पंजाब की भारतीय इतिहास में एक विशिष्ट पहचान है। सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि साधन सम्पन्नता और व्यापारिक दृष्टि से भी पंजाब अग्रणी राज्य है।
   लेकिन एक ऐसा भी समय आया जब हँसते-खेलते पंजाब को मानों किसी की नजर लग गयी हो। जिंदा पंजाबी लोग आतंक के साये में सहमें-सहमें से रह‌ने लगे। सूर्य अस्त और पंजाबी मस्त वाली कहावत का अर्थ ही बदल गया। अब तो सूर्य अस्त होते ही लोग अपने घरों में सहमें से दुबक जाते थे।
     इस का सिर्फ एक ही कारण था - कथित संत जरनैल सिंह भिण्डरावाला।
- संत भिंडरावाले को कांग्रेस का बनाया भस्मासुर कहा जाता रहा है।
- कांग्रेस की मीडिया टीम ने भिंडरावाले को सिखों का नायक बना दिया।
   प्रवीण झा तथ्यों के साथ लेखन के लिए जाने जाते हैं। इनकी रचनाएँ चाहे आकार में छोटी होती हैं पर जानकारी से परिपूर्ण होती है। ऐसी ही रचना है 'ब्लू स्टार' जो 1984 में पंजाब फैले आतंकवाद - राजनीति को अनावरण करती है। लेकिन किसी एक पक्ष का आंकलन न कर मात्र तथ्यों को सामने रखता है।
    अब बात करते हैं पुस्तक 'ब्लू स्टार' की। यह रचना तात्कालिक घटनाक्रम‌ को तथ्यों के साथ प्रस्तुत करती है।
   सन् 70 के दशक में केन्द्र में कांग्रेस का शासन था।श्रीमती इन्द्रा गाँधी प्रधानमंत्री थी। वहीं पंजाब में अकाली दल का प्रभाव था।  
      अकाली दल पर तीन लोगों का वर्चस्व था— मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, संत हरचंद सिंह लोंगोवाल और गुरचरण सिंह तोहरा। लेकिन, इन्हें तोड़ना कठिन था। ज्ञानी जैल सिंह और संजय गांधी ने योजना बनायी कि एक नया सिख नेता खड़ा करना होगा, जो इन तीनों पर भारी पड़े।

Friday, 12 November 2021

472. दास्तान ए पाकिस्तान- प्रवीण कुमार झा

जब डंडे की मार पड़ी, तब जाकर मुल्क रास्ते पर आया
दास्तान - ए- पाकिस्तान- प्रवीण कुमार झा

    पाकिस्तान के इतिहास पर लिखी गयी प्रस्तुत रचना आपको बहुत से नये तथ्यों से अवगत कराती है। यह बहुत ही रोचक ढंग से लिखी गयी पुस्तक है। जो सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं अन्य देशों की यात्रा भी करवाती है। 
     पाकिस्तान का इतिहास अक्सर विभाजन के इर्द-गिर्द भटक कर रह जाता है। जबकि यह एक देश के बनने की शुरुआत ही थी। 1947 के बाद पाकिस्तान का सफ़र कैसा रहा? किन-किन मील के पत्थरों से गुजरा? उन रास्तों में क्या-क्या मुश्किलें आयी? भारत में पढ़ाए जा रहे इतिहास, और पाकिस्तान में पढ़ाए जा रहे इतिहास में जो स्वाभाविक अंतर है, उस से अलग एक तीसरा बिंदु भी ढूँढा जा सकता है। वह बिंदु, जहाँ से शायद वह चीजें भी नज़र आए, जो इन दोनों देशों के रिश्तों के सामने धुंधली पड़ जाती है।
         यूँ तो मेरी इतिहास पढने में रूचि कम ही है। वैसे भी इतिहास को नीरस विषय कहा जाता है। अगर बात हो पाकिस्तान के इतिहास की तो, हम क्यों पढें? हम से तो अपने देश का भी इतिहास नहीं पढा जाता। 

Monday, 8 November 2021

471. रक्त तृष्णा- चन्द्रप्रकाश पाण्डेय

दरवाजे पर खड़ी है डायन
रक्ततृष्णा- चन्द्रप्रकाश पाण्डेय

    अगर हम कहें की चन्द्रप्रकाश पाण्डेय ने लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में हाॅरर साहित्य को एक नया आयाम दिया है, सार्थक और तर्क संगत कहानियों के साथ इस साहित्य को स्थापित किया है तो यह कोई अतिशयोक्तिपूर्ण कथन नहीं है।
  चन्द्रप्रकाश पाण्डेय जी ने परम्परागत चली आ रही डरावनी कहानियों को जो नया रुप दिया है, उसमें कथा भी है और तर्क भी है। और वह कथा और तर्क पाठको को प्रभावित करने में सक्षम भी हैं।
    हाॅरर उपन्यासों की श्रेणी पारलौकिक में चन्द्रप्रकाश पाण्डेय जी वर्तमान में एक सक्षम और सशक्त हस्ताक्षर बन कर उभरे हैं।
   मैंने इनके अधिकांश उपन्यास पढे हैं जो मुझे बहुत रूचिकर लगे, इस से पूर्व मैं हाॅरर उपन्यास न के बराबर ही पढता था।
     अब बात करते हैं इनके उपन्यास 'रक्ततृष्णा' की। जिसका शाब्दिक अर्थ है- रक्त पीने की इच्छा। 
‘यदि आप वाकई मजबूत कलेजे वाले इंसान हैं तो ही डायन के अस्तित्व को परखने की कोशिश कीजियेगा क्योंकि अगर एक बार आपने उसकी कायनात को छेड़ दिया तो आपकी जिंदगी साधारण नहीं रह जायेगी। उसके वजूद को करीब से देखने की आपको कीमत चुकानी होगी।’ 

शिकारी का शिकार- वेदप्रकाश काम्बोज

गिलबर्ट सीरीज का प्रथम उपन्यास शिकारी का शिकार- वेदप्रकाश काम्बोज ब्लैक ब्वॉय विजय की आवाज पहचान कर बोला-"ओह सर आप, कहिए शिकार का क्या...