प्रेम, ब्लैकमेल और हत्या की कहानी
खतरनाक ब्लैकमेलर- सुरेन्द्र मोहन पाठक
सुनील सीरीज-14
इन दिनों किंडल पर कुछ उपन्यास पढे जा रहे हैं। इसी क्रम में सुरेन्द्र मोहन पाठक जी का उपन्यास 'खतरनाक ब्लैकमेलर' भी पढा। यह सुनील सीरीज का चौदहवां उपन्यास है और सुनील का यह तीसरा ऐसा कारनामा है जिसमें ब्लैकमेल पर आधारित है। यह भी दिलचस्प है की इन चौदह उपन्यासों में से तीन ब्लैकमेल पर आधारित हैं और उनमें से दो की कहानी एक जैसे ही है।
अब कुछ चर्चा उपन्यास कर कथानक पर।
राजनगर टेक्सटाइल मिल का मालिक - रत्न प्रकाश - एक सेल्ज कॉन्फ्रेंस के सिलसिले में विशालगढ गया और जब वहां से लौटा तो उसके साथ एक अनिद्य सुन्दरी थी जिसका परिचय उसने अपनी पत्नी के रूप में दिया । और अब उसकी सैक्रेटरी नीला का दावा था कि रत्न प्रकाश ने न केवल नीला को धोखा दिया था बल्कि वो खुद भी किसी धोखे का शिकार हो गया था।
अब सच क्या है झूठ क्या है यह तो खैर सुनील की खोजबीन और उपन्यास का समापन ही बतायेगा।
ब्लैकमेलर शैतान होता है जिसे एक बार खून पीने की आदत लग जाती है वह उस से छूटती नहीं है। यह भी एक ऐसे ही ब्लैकमेलर की कहानी है। रत्नप्रकाश की सेक्रेटरी नीला सुनील चक्रवर्ती से मदद मांगने जाती है।
“मैं चाहती हूं कि तुम सन्तोष के पंजे से रत्न प्रकाश को छुड़ाने में मेरी सहायता करो।” - नीला भर्राये स्वर में बोली - “सुनील, यह बात सुनने में बुरी लगती है लेकिन यह हकीकत है कि मैं अब भी रत्न प्रकाश से मुहब्बत करती हूंँ। मैं उसकी हितचिन्तक हूं । रत्न प्रकाश न जाने किस दबाव में आकर सन्तोष के हाथों का खिलौना बना हुआ है। अगर शीघ्र ही कुछ किया नहीं गया तो वह औरत उसे बरबाद कर देगी । मैं चाहती हूं तुम किसी प्रकार सन्तोष के पिछले जीवन के बखिए उधेड़ डालो। तुम यह पता लगाओ कि सन्तोष का रत्न प्रकाश पर क्या दबाव है और क्यों उसने आनन-फानन सन्तोष से शादी की।
नीला चाहती है कि सुनील इस सत्यता का पता लगाये की रत्नप्रकाश ने संतोष से शादी क्यों की? कहीं वह किसी ब्लैकमेलिंग का शिकार तो नहीं बन गया?