छोटी छोटी पर रोचक कहानियाँ
बाकी की बात- नंदिनी कुमार, कहानी संग्रह
नन्दिनी कुमार का कहानी संग्रह 'बाकी की बात' पढा, यह एक रोचक कहानियों का दिलचस्प संग्रह है। आकार में चाहे ये कहानियाँ छोटी क्यों न हो लेकिन इनका प्रभाव खूब है। कहीं हास्य है तो कहीं रूदन, कहीं प्रेम है तो कहीं आक्रोश, ये सब इन कहानियों में पढने को मिलेगा।
इस संग्रह की प्रथम कहानी है 'शर्मा जी' यह कहानी में हास्य रस होने के साथ-साथ स्त्री स्वतंत्रता की बात भी शामिल है। “शर्मा जी, शादी के एक साल बाद तो हम बाहर निकले हैं, चलो न कहीं घूम आएँ।” मिसेज शर्मा बिस्तर पर लेटती हुईं अपने पति से बोलीं।
यह कहानी यह यात्रा के दौरान घटित जुछ घटनाओं पर आधारित है।
हास्यरस और मार्मिकता लिए एक और कहानी है 'दावत' शीर्षक से। - "लकड़ियों की ज़रूरत मरे हुए से ज़्यादा ज़िंदा लोगों को होती है।”
जिम्मेदारी से भागते और औरत ले शरीर की चाह रखने चाले लोगों को बेनकाब करती एक सार्थक रचना है- चंदा।
“साराह मेरी भी बेटी है, तुम शायद भूल रही हो।” “इस बात से मैंने कभी मना नहीं किया।”
“लेकिन तुम एक ज़िम्मेदार माँ नहीं हो, न दो साल पहले थी, न अब हो।”
कहने को ये शब्द बहुत सरल हैं लेकिन एक औरत ही समझ सकती है दर्द को। वह औरत जो अपने बच्चों का पालन पोषण भी करती है और पुरुष वर्ग उसे धिक्कार देता है।