Sunday, 14 July 2024

मंगल सम्राट विकास - वेदप्रकाश शर्मा

क्या बन सका विकास मंगल सम्राट?
मंगल सम्राट विकास- वेदप्रकाश शर्मा (द्वितीय भाग)

नमस्ते पाठक मित्रो,
हमने वेदप्रकाश शर्मा जी द्वारा लिखित 'अपराधी विकास' में पढा की अमेरिका से बदला लेने के लिए विकास अपराधी बन जाता है और विश्व के अपराधियों से मदद की गुहार लगाता है।
   विकास की मदद के लिए मर्डरलैण्ड से प्रिंसेज जैक्सन, अंतरराष्ट्रीय अपराधी अलफांसे और चन्द्रमा का भगोड़ा अपराधी टुम्बकटू पहुंचते हैं।
यहां विकास, पूजा और धनुषटंकार से मिलकर चर्चा करते हैं।
यहां एक विषय यह भी उठता है कि ब्रह्माण्ड का अपराधी सिंहंगी क्यों नहीं पहुंचा।
यहाँ सभी विकास को समझाते हैं पर जिद्दी विकास किसी की भी बात नहीं सुनता। उसका एक ही उद्देश्य था अपराधी बनकर अमेरिका को खत्म करना।
एक तो अमेरिका को खत्म करना आसान काम नहीं था, दूसरा स्वयं प्रिंसेज जैक्शन भी अमेरिकन थी। वह भी अमेरिका की तबाही नहीं देखना चाहती थी।
इसलिए प्रिसेंज जैक्सन ने बात को घूमाकर सिंगही‌ की तरफ कर दिया ।
प्रिसेंज का कहना था अगर सिंगही हमारी मदद करे तो हमें सफलता अवश्य मिलेगी।
पर सिंगही है कहां?
"क्योंकि आदरणीय सिंगही धरती पर नहीं हैं।"
"इसका मतलब उसकी छुट्टी हो गई ?" -
"नहीं...।" प्रिंसेज जैक्सन ने जवाब दिया - "बल्कि
असलियत यह है कि आजकल सिंगही महोदय मंगल ग्रह पर हैं, मंगल ग्रह पर उन्हें एक ऐसा स्थान मिल गया है जहां आबादी है और मंगल ग्रह के विषय में यहां अधिक कहना व्यर्थ होगा, लेकिन मैं सिर्फ इतना कह रही हूं कि आजकल आदरणीय सिंगही मंगलग्रह के सम्राट हैं।...।"
   तो यह काफिला भारत से जा पहुंचता है मर्डरलैण्ड और वहां से एक विशेष यान द्वारा चन्द्रमा की तरफ रवाने होते हैं।
  वहीं जब विजय को यह खबर मिलती है तो वह भी चन्द्रमा पर जाने की तैयाई करता है।
भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक सुभ्रांत ने एक विशेष यान बनाया था जो चन्द्रमा तक जा सकता है। इस यान में विजय, सहयोगी अशरफ, वैज्ञानिक सुभ्रांत और उसके तीन सहयोगी चन्द्रमा की तरफ रवाना होते हैं।
   लेकिन चन्द्रमा तक पहुंचना इतना आसान नहीं था। दोनों टीमें ही रास्ते से वापस पलट जाती हैं और अपने यान का एक हिस्से भी उन्हें खत्म कर‌ना पड़ता है।
चलते -चलते यह भी बता दें भारतीय वैज्ञानिक सुभ्रांत (पूर्ण उपन्यास नाम) द्वारा निर्मित यान की ही नकल प्रिंसेज जैक्सन ने की थी पर बस फर्क इतना था कि प्रिंसजे मैक्स के यान की रफ्तार सुभ्रांत के यान से दोगुनी थी। जहाँ विजय -सुभ्रांत आदि को चन्द्रमा पर पहुंचने में दो महिने लगने थे वहीं विकास - प्रिंसेज जैक्शन आदि को मात्र एक महिना।
  जब दोनों यान रास्ते से वापसी पलट आते हैं तो दोनों की आपस में मुलाकात होती है और दोनों यान मिलकर एक बन जाते हैं।
लेकिन यहाँ विकास चालाकी खेल जाता है वह टुम्बकटू और धनुषटंकार के साथ यान के एक हिस्से को अलग कर चन्द्रमा की यात्रा आरम्भ कर देता है।
चन्द्रमा की दुनिया में बनी अजीब है।‌ यहाँ के मूल निवासी ऊपर पैर और नीचे सिर कर के चलते हैं। (लेखक ने कल्पना ही अजीब की है।) उनके सिर पर बाल नहीं होते और मात्र एक आंख होती है।
  मित्रों यह आलेख पढकर आपको उपन्यास की कहानी का अंदाज हो गया होगा और आप सोच रहे होंगे‌ की सारी कहानी तो यह लिख दी, अब उपन्यास में क्या रह गया।
सोचो जरा, उपन्यास का नाम है 'मंगल सम्राट विकास' और वर्तमान में मंगल के वास्तविक राजा को खत्म कर वहां का क्रू्र शासक है बना है 'सम्राट सिंगही'।
- क्या सिंगही आसानी से विकास को सम्राट बनने दे देगा?
- क्या वह विकास का अमेरिका अभियान में सहायक बनेगा?
आदि महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर उपन्यास पढने‌ पर ही‌ मिलेंगे। इसलिए आप निश्चिंत होकर इस आलेख का आनंद लीजिये।
यहां विकास , टुम्बकटू और धनुषटंकार तीनों ही मंगल ग्रह पर अज्ञात और उल्टे लोगों की कैद में फंस जाते हैं।
  अब मंगलग्रह की कुछ और बातें कर लेते हैं।
सिंगही स्वयं एक खतरनाक अपराधी है जो मूलतः चीन का है। लेकिन सिंगही का एक ही उद्देश्य है विश्व सम्राट बनना और इसके लिए वह निरंतर प्रयासरत रहता है। यहाँ भी एक खतरनाक वैज्ञानिक तुंगलामा (मैकाबर सीरीज का मुख्य अपराधी) की सहायता से नये प्रयोग करता है।
  मंगलग्रह पर एक और विशेष पात्र है जाम्बू।
जाम्बू मंगलग्रह के सम्राट का भाई है, जो सिंगही को सम्राट पद से हटाकर पुनः स्थानीय जनता का शासन चाहता है। इसका दल क्रांतिकारी कहलाता है। हालांकि बहुत से मंगलवासी सिंगही के अधीन कार्य करते हैं।
देखा जाये तो उपन्यास के अंत में कई तरह की परिस्थितियाँ बनती हैं।
- सिंगही का विकास को सम्राट बनाना या न बनाना।
- विकास -जैक्शन समूह का संघर्ष ।
- जाम्बू और साथियों का सिंगही से संघर्ष ।
वेदप्रकाश शर्मा जी की एक विशेषता रही है वह अपने उपन्यासों में पौराणिक पात्रों के उदहारण विशेष रूप अए देते हैं।
जैसे की प्रस्तुत उपन्यास में 'हेम्बारा' को हनुमान जी के प्रसंग से स्पष्टता किया है।
बहुत से उपन्यासों में जानवरों का रोचक वर्णन पढने को मिलता है। प्रस्तुत उपन्यास में भी 'हेम्बारा' नामक एक मंगलग्रह के जानवर का वर्णन है, जो काफी रोचक है।
"जी हां। यहां उस जानवर को 'हेम्बोरा' कहते हैं। उसका शरीर तो आपने देखा ही है कि कितना बड़ा है। यहां का वह जानवर बेहद खतरनाक है। वह अपने मुंह से आग उगलता है। वह चार-चार, पांच-पांच वर्ष तक एक ही स्थान पर पड़ा रहता है। किंतु जब खड़ा होता है तो समझ लो कयामत आती है। अपने आसपास के इलाके में वह प्रलय मचा देता है। इतना शक्तिशाली है कि तुम्हारा यान उसके जिस्म पर उतर गया और वह हिला तक नहीं। इसके विषय में जब यहां के लोगों से पहली बार सुना तो अपने प्राचीन ग्रंथ महाभारत की वह घटना याद आई थी जिसमें भीम एक पुष्प लेने आता है और बीच में हनुमानजी इस प्रकार की एक चट्टान के रूप में मिलते हैं। वास्तव में हेम्बोरा भी हनुमानजी की ही भांति शक्तिशाली
है। तुमने देखा होगा कि उन चट्टानों में से पानी रिस रहा था।

दरअसल वह पानी नहीं बल्कि हेम्बोरा का पसीना था। उसके जिस्म में क्योंकि बहुत गर्मी है इसलिए बेहद पसीना निकलता है। तुम्हारी जानकारी हेतु बता दूं कि वह पसीना जहरीला है। उसे पीते ही आदमी का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। चट्टानों के रूप में उसकी हड्डियां थीं। जहां तुम उतरे थे, वह हेम्बोरा के पेट वाला स्थान था, जिधर तुम जा रहे थे, उधर हेम्बोरा का मुख था। अगर तुम बीच में ही हीरे पर न उतर जाते और मुंह की तरफ जाते तो वह भंयकर
आग से तुम्हें भस्म कर देता। खैर, छोड़ो, उसके विषय में तुम्हें बाद में विस्तृत जानकारी दूंगा - इस समय हमारे लिए सबसे बड़ा मसला है सिंगही।"

वेदप्रकाश शर्मा जी की भाषा की बात करें तो उनके लेखन में अक्सर ग्रामीण शब्द झलकते हैं। कुछ बातें हम खड़ी बोली हिंदी में स्पष्ट नहीं कर पाते, वहाँ हमें स्पष्टीकरण हेतु आंचलिक/ ग्रामीण शब्दावली का प्रयोग करना पड़ता है।
जैसे वेदप्रकाश जी के उपन्यास में दरवाजे हुते शब्द प्रयुक्त होता है- दरवाजा उढका हुआ था।
यहां भी 'चिंगल', काबले आदि शब्द हमें पढने को मिलते हैं।
उदाहरण- "आप लोग नाइंटी डिग्री के कोण पर घूमिए, उसके बाद एक सौ अस्सी डिग्री का कोण बनाते हुए सर्जिबेण्टा के सुराखों में अपने काबले डालिए।"
अगर आप विजय-विकास के एक्शन -रोमांच उपन्यास पसंद करते हैं तो यह आपको अवश्य पसंद आयेगा।
उपन्यास चार भागों में विभक्त है।
उपन्यास-   मंगल सम्राट विकास (द्वितीय भाग)
लेखक-     वेदप्रकाश शर्मा
प्रथम भाग- अपराधी विकास
तृतीय भाग- विनाशदूत विकास


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