किस राह चला विकास...
अपराधी विकास- वेदप्रकाश शर्मा, प्रथम भाग
"आप ये भी जानते हैं, वो भी जानते हैं! क्या है जो आप नहीं जानते? अगर यह सच है गुरु, तो धिक्कार है तुम पर ! तुम्हारा खून सफेद हो गया है अंकल, तुम्हें गुरु कहते हुए मुझे शर्म आती है। तुम मेरे गुरु नहीं हो सकते। सुना था अंकल, तुम भारत के लिए एक हीरो हो, लेकिन आज पता लगा कि तुम तो कायर हो, बुजदिल हो। जिसका दिल मेरे देश को इतने भयानक जाल में देखते हुए भी क्रांति न कर दे, वह मेरा गुरु नहीं हो सकता अंकल ! आप खुदगर्ज, कायर और बुजदिल हैं..." विकास ने चीखते हुए कहा, "और कान खोलकर सुन लो, अपने देश को बचाने के लिए मैं अपराधी भी बन सकता हूं। सिर्फ अपराधी बनकर ही अमेरिका से मैं बदला ले सकता हूं। मैं अब अपराधी बनूंगा, गुरु, सिंगही दादा से भी खतरनाक अपराधी..."
वेदप्रकाश शर्मा जी ने अपने लेखन के आरम्भिक काल में 'विजय-विकास' शृंखला के एक्शन-जासूसी उपन्यास लिखे थे, जो पाठकों को अत्यंत पसंद भी थे। इनमें से ज्यादातर उपन्यास अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम पर आधारित होते थे और उनमें जासूस वर्ग के एक्शन कारनामों को दिखाया जाता था। हालांकि तार्किक स्तर पर पाठकों को उपन्यास का कथानक कमजोर प्रतीत हो सकता है लेकिन रोमांच के मामले में नहीं ।प्रस्तुत उपन्यास चार भागों में विभाजित है। प्रथम भाग 'अपराधी विकास', द्वितीय भाग 'मंगल सम्राट विकास', तृतीय भाग 'विनासदूत विकास', चतुर्थ और अंतिम भाग है 'विकास की वापसी'। इन चार उपन्यासों की इस रोचक शृंखला में हम बात करते हैं प्रथम उपन्यास 'अपराधी विकास' की।
जैसा की ऊपर आपने पढा, विकास कह रहा है-"..मैं अब अपराधी बनूंगा, गुरु, सिंगही दादा से भी खतरनाक अपराधी..."
आखिर क्या कारण था, विकास जैसा देशभक्त युवा अपराधी बनना चाहता है और वह भी अंतरराष्ट्रीय और ब्रह्माण्ड के अपराधियों जैसा।
वेदप्रकाश शर्मा जी द्वारा लिखित उपन्यास 'अपराधी विकास' इसी घटनाक्रम पर आधारित है।
अब बात करते हैं 'अपराधी विकास' उपन्यास के कथानक की। इस उपन्यास का आरम्भ B.I.D. College की एक पिकनिक पार्टी से होता है। पार्टी में अधिकांश विद्यार्थी नशे का सेवन करते हैं।
चरस, गांजे, अफीम, हशीश, भंग, शराब इत्यादि मादक पदार्थों की गंध ने वहां के वातावरण को रंगीन बना दिया था। हिप्पी बनने का भयानक रोग उन्हें लग चुका था। एल.एस.डी. पर तो ऐसे झपटते, जैसे चूहे पर बिल्ली। इन्हीं मादक पदार्थों में वे दिल की शांति खोज रहे थे। इन्हीं खोजों में जैसे राम और कृष्ण घुसकर बैठ गए थे। सब कुछ इन्हीं में था।
वाह री भारतीय सभ्यता और संस्कृति ! (पृष्ठ-06)
इसी पार्टी के नशे से दो ही व्यक्ति बचे रहते हैं। एक काॅलेज छात्रसंघ का अध्यक्ष बिशन मल्होत्रा और दूसरा विकास।
लंबा-तगड़ा, गोरा-चिट्टा अठारह वर्षीय विकास अपनी पर्सनैलिटी के कारण बाईस-तेईस की आयु से किसी भी प्रकार कम नहीं लगता था। अब किसी का भी दिल उसे किशोर कहने के लिए नहीं ठुकता था। वह युवक हो चुका था लेकिन उसके गोरे-चिट्टे, गोल और लाल मुखड़े पर अब भी किशोरों जैसी मासूमियत थी। भोला-सा विकास बड़ा प्यारा लगता। अर्द्ध-घुंघराले बाल उसके चेहरे पर खूब फबते थे।
रघुनाथ और रैना का वह लड़का भारत के लिए एक हीरा था।
विकास भी काॅलेज की तरफ से पार्टी में अवश्य था पर वह नशे से दूर था।
यहाँ विकास को यह पता चलता है की विद्यार्थी वर्ग को नशे में झोंकने वाला छात्रसंघ अध्यक्ष बिशन मल्होत्रा है। यही नहीं उसे यह भी पता चलता है इस सब के पीछे अमेरिका का हाथ है और अमेरिका की खूफिया सीक्रेट सर्विस के सदस्य भारत के हर डिपार्टमेंट में घुस चुके हैं और वह भारत को हर संभव क्षति पहुंचाना चाहते हैं।
विकास शीघ्र ही इस विषय पर विजय से मिलता है। भारतीय सीक्रेट सर्विस के वीर एजेंट विजय।
विजय विकास को समझता है की यह सब उसे पता है और इस से निपटना इतना आसान नहीं है। लेकिन विकास तो ठहरा जिद्दी लड़का। और वह विजय को कहता है वह अमरीका का बर्बाद कर देगा। विजय के बहुत समझाने पर भी विकास अपनी जिद्द से नहीं टलता।
विकास विजय को स्पष्ट कहता है-
"...और कान खोलकर सुन लो, अपने देश को बचाने के लिए मैं अपराधी भी बन सकता हूं। सिर्फ अपराधी बनकर ही अमेरिका से मैं बदला ले सकता हूं। मैं अब अपराधी बनूंगा, गुरु, सिंगही दादा से भी खतरनाक अपराधी..."अपने उद्देश्य को सफल बनाने के लिए विकास घर से निकल पड़ता है और भारत में मौजूद दुश्मनों को मारना आरम्भ कर देता है। विकास जनता के सामने अब एक अपराधी बन चुका था और जनता नहीं चाहती थी कि ऐसा अपराधी खुला घूमे...
-"भाइयो, क्या ये सरासर गुंडागर्दी नहीं है? वो कुत्ता विकास सुपर रघुनाथ का लड़का है तो क्या हमारी मां-बहनों पर हाथ डालेगा? क्या हमारी मां-बहनें इस गुंडागर्दी के शासन में सुरक्षित रह सकती है? अगर यही बदमाशी चलती रही तो कभी नहीं रख सकतीं! पूजा हमारे एक साथी की बहन थी। हमारे साथी की बहन हमारी बहन होती है। पूजा मेरी बहन थी। पूजा हम सबकी बहन थी। हम सब इस अपमान का बदला लेकर ही रहेंगे। हमारी सबसे पहली मांग यही है कि पुलिस जल्द-से-जल्द उस कुत्ते विकास को पकड़कर हमारे हवाले कर दे। दूसरी मांग यह है कि हमारी पूजा को उसी तरह पवित्र हमारे सामने लाया जाए जैसी कि वो है। जब तक उस कुत्ते विकास को हमारे हवाले नहीं किया जाएगा और पुलिस हमारी बहन पूजा को न खोज निकालेगी तो हम इस सरकार की ईंट से ईंट बजा देंगे। दोस्तो! वह सुपर रघुनाथ का लड़का है। अगर वो सुपर है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसका लड़का हमारी मां-बहन की अस्मत पर हाथ डालेगा या हमारे साथियों की हत्या करेगा। हमारी तीसरी मांग यह है कि सुपर रघुनाथ को उनके पद से वंचित कर दिया जाए।"
इधर यह सब चलता रहता और उधर विकास धनुष्टकार और पूजा को साथ लेकर अंतरराष्ट्रीय अपराधियों से जा मिलता है। जिसमें अलफांसे, प्रिंसेज जैक्शन और टुम्बकटू शामिल थे।
विकास उनके सामने भी अमेरिका से बदला लेने और स्वयं के अपराधी बनने की बात रखता है। विकास के इस निर्णय से सब चकित रह जाते हैं।
दूसरी तरफ अमेरिका भी खामोश रहने वाला नहीं था। वह भी विकास की हत्या के लिए अपने श्रेष्ठ जासूस माइक स्पेलन को भारत भेजता है। हालांकि पूर्व में 'प्रयंकारी विकास' और 'मैकाबर सीरीज' में साथ-साथ काम करने के कारण विकास और माइक दोस्त बन चुके थे। पर यहाँ परिस्थिति एक दूसरे के विरुद्ध थी। दोनों के किए अपना देश प्रिय था, अपना कर्तव्य प्रथम था।
अब एक तरफ विकास निकला है अमेरिका को तबाह करने और दूसरी तरफ है माइक, जो विकास की हत्या करना चाहता है।
एक तरफ है विकास जो अपराधी बनना चाहता है और दूसरी तरफ है विजय, जो उसे रोकना चाहता है।
इस संघर्ष में कौन सफल होगा, यह उपन्यास पढने पर ही पता चलेगा।
विकास का जो चरित्र है उसमें लड़कियों की भूमिका नगण्य है। यहाँ एक पात्र है पूजा, जिसे विकास अपने साथ रखता है।
पृष्ठों के हिसाब से उपन्यास लगभग 122 पृष्ठ का है। यह वेदप्रकाश शर्मा का आरम्भिक दौर का उपन्यास है, तब उपन्यास पृष्ठ इतने ही होते थे। इसलिए प्रस्तुत उपन्यास को चार भागों में विभाजित करना पड़ा।
कथा की दृष्टि से अभी तक उपन्यास सामान्य ही है। हालांकि अभी इसके तीन भाग पढने बाकी हैं।
इस उपन्यास के आरम्भ में बी.आई.डी. काॅलेज का जिक्र है। वहाँ से एक अनुमान लगता है कि विकास इसी काॅलेज का विद्यार्थी है, हालांकि पूर्णतः स्पष्ट कहीं नहीं है।
वेदप्रकाश शर्मा जी के कुछ और उपन्यास भी हैं जिसमें उन्होंने अमेरिकी संस्था CIA का वर्णन किया है। जैसे सी.आई.ए. का आतंक।
वेदप्रकाश शर्मा द्वारा लिखित 'अपराधी विकास' एक एक्शन प्रधान उपन्यास है। जिसमें विकास अमेरिका को तबाह करने के लिए अपराधी बनना चाहता है।
उपन्यास- अपराधी विकास
लेखक- वेदप्रकाश शर्मा
प्रकाशक- राजा पॉकेट बुक्स, दिल्ली
पृष्ठ- 122
द्वितीय भाग- मंगल सम्राट विकास
वेदप्रकाश शर्मा जी के अन्य उपन्यासों की समीक्षा
दहकते शहर ।। आग के बेटे ।। केशव पण्डित ।। नसीब मेरा दुश्मन ।। मैकाबर सीरीज ।। खूनी छलावा
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