एक कॉमिक उपन्यास
बुल्लेलाल - एक जिंदा कार- अमरेज अर्शिक
फतांसी साहित्य में लेखक के कहानी कहने को सामग्री बहुत होती है। वह किसी भी राह से कुछ भी कह सकता है। Flydreams Publication फतांसी लेखन में नये-नये लेखकों और कहानियों को सामने ला रहा है। मैंने इन दिनों फतांसी साहित्य में जो रचनाएँ पढी हैं इनमें से प्रस्तुत रचना मुझे सर्वाधिक अच्छी लगी। एक समय की बात है, एक ज़िंदा कार थी 'बुल्लेलाल', जिसकी सारी दुनिया ही दुश्मन थी और एक था दोस्त 'रेहान', जो बुल्लेलाल को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक देता है। बुल्लेलाल को न तो डीज़ल-पेट्रोल की ज़रूरत थी और न ही ड्राइवर की। बाहर से दिखने में बिल्कुल किसी आम कार सरीखी पर शायद खुद में जादू की पुड़िया।
दोस्तों के लिए जान देने और दुश्मनों की जान लेने वाली बुल्लेलाल की चमत्कारी कहानी।दोस्तों के लिए जान की बाज़ी लगाते-लगाते कब बुल्लेलाल की जान मुश्किल में पड़ गयी, पता भी न लगा। पर अब बहुत देर हो गयी थी और रेहान के सामने एक ज़िम्मेदारी आ खड़ी हुई थी, इस ज़िंदा कार को दुश्मन के हाथों में जाने से बचाने की। आखिर क्या था इस ज़िंदा कार बुल्लेलाल का राज़, कोई विज्ञान या चमत्कार। कौन है उसके दुश्मन? क्या रेहान बचा पायेगा उस जिंदा कार को?
तो यह कहानी है 'बुल्लेलाल एक जिंदा कार की' जिसके लेखक हैं अमरेज अर्शिक। यह एक फतांसी कथा है। एक कार, एक अदभुत जीव और एक लड़के की। कहानी में कुछ खल पात्र हैं जो कार और जीव के पीछे हैं वहीं रेहान जैसे पात्र सत्य के पक्षधर बुराई के सामने अडिग खड़े हैं।
एक बड़ा-सा स्टेडियम, जहाँ कई लोगों की भीड़ थी। लोगों के हल्ला-हुज्जत की आवाजें पूरे आसमान में गूँज रही थीं।
दरअसल यहाँ सालाना कार रेस की प्रतियोगिता हो रही थी।......बोमिराम इस खेल का मास्टर माइंड था, जो किसी भी कीमत पर इस खेल में किसी बाहरी खिलाड़ी को जीतने नहीं देता था। चाहे फिर इसके लिए किसी की जान ही क्यों न लेनी पड़े।
सालों से कार रेस का विनर बोमिराम का बेटा जग्गू होता आया था। इस खेल में भाग लेने वाले 75 प्रतिशत इन्हीं के आदमी होते थे। जिनका काम ही होता था, बाहरी खिलाड़ियों को किसी तरह से खेल को जीतने से रोकना।
रेहान भी एक दक्ष कार ड्राइवर था, जिसने एक विशेष कार के माध्यम से जग्गू को हरा दिया था। और यह बात बोमिराम के लिए मान-सम्मान की बात थी। वह रेहान की जान का दुश्मन बन बैठा।
वहीं - चीन की एक स्पेशल टीम की गाड़ी तेज़ रफ्तार के साथ उस जंगल की तरफ जाने लगी। उस टीम का बॉस गुमेंडा अपनी टीम का नेतृत्व कर रहा था।
गुमेंडा अपनी टीम के साथ उस जगह पर पहुँचा जहाँ उसे उस अनोखे जीव के छिपे होने की खबर मिली थी। उन लोगों ने झाड़ी को चारों तरफ से ऐसे घेर लिया कि किसी मच्छर तक का भी बच निकलना मुश्किल था।
एक अद्भुत जीव जो एलियम एनिमल था। एक दुर्योग से पृथ्वी पर भटक गया। चीन ने गुमेडा को उस जीव की तलाश थी।
उपन्यास का ज्यादातर भाग प्रत्यक्ष रूप से कार पर ही आधारित है। कार के कारनामें लोगों और पाठकों को
एक जीव, एक अद्भुत कार और रेहान की इस कहानी में दोस्ती (बबलू) है, प्रेम (सिफा) है और दुश्मन (बोमिराम, गुमेड़ा) भी है।
मेरे विचार से हिंदी में इस तरह का उपन्यास पहले नहीं लिखा गया। अगर यह अपनी तरह का प्रथम उपन्यास है तो मैं इसे 'प्रथम कॉमिक उपन्यास' कहना चाहूंगा। क्योंकि कहानी एक काॅमिक्स की तरह है, उसी तरह के रोचक खल पात्र हैं। हिंदी में ऐसे प्रयोगशील बाल फतांसी उपन्यास मेरे विचार से न के बराबर ही हैं। लेखक और प्रकाशन का हार्दिक धन्यवाद जो उन्होंने एक प्रयोगशील उपन्यास पाठकों को दिया।
कार के कुछ रोचक दृश्य
- कार बिल्डिंग की दीवारों पर चढ़ते हुए छत के ऊपर आ गई। फिर ऊँची बिल्डिंग की छत से हवा में छलाँग लगाती हुई रेस के स्टार्टिंग पॉइंट की तरफ आने लगी।
- रेहान की कार उसके घायल शरीर को लेकर अस्पताल के अन्दर प्रवेश करने लगी। चपरासी भी कार को इस तरह से आते हुए देखकर दंग रह गया। अस्पताल में मौजूद जिन-जिन लोगों की नज़र कार पर जाती, उनकी आँखें भी फटी-की-फटी रह जातीं। बिना ड्राइवर और अपने बोनट पर घायल बॉडी को लेकर आती कार को देखकर लोग घबराते हुए रास्ता छोड़ रहे थे।
हालांकि उपन्यास में एक-दो नाम मात्र की गलतियाँ हैं, लेकिन वह कथा को ज्यादा प्रभावित नहीं करती। उपन्यास का अंत थोड़ा नाटकीय प्रतीत होता है। वहीं उपन्यास न किशोरावस्था तक के बच्चों के लिए है तो प्रेम कथा से बचना चाहिए था।
उपन्यास- बुल्लेलाल - एक जिंदा कार
लेखक - अमरेज अर्शिक
प्रकाशक- Flydreams Publication
श्रेणी- फतांसी
बुल्लेलाल - एक जिंदा कार- अमरेज अर्शिक
फतांसी साहित्य में लेखक के कहानी कहने को सामग्री बहुत होती है। वह किसी भी राह से कुछ भी कह सकता है। Flydreams Publication फतांसी लेखन में नये-नये लेखकों और कहानियों को सामने ला रहा है। मैंने इन दिनों फतांसी साहित्य में जो रचनाएँ पढी हैं इनमें से प्रस्तुत रचना मुझे सर्वाधिक अच्छी लगी। एक समय की बात है, एक ज़िंदा कार थी 'बुल्लेलाल', जिसकी सारी दुनिया ही दुश्मन थी और एक था दोस्त 'रेहान', जो बुल्लेलाल को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक देता है। बुल्लेलाल को न तो डीज़ल-पेट्रोल की ज़रूरत थी और न ही ड्राइवर की। बाहर से दिखने में बिल्कुल किसी आम कार सरीखी पर शायद खुद में जादू की पुड़िया।
दोस्तों के लिए जान देने और दुश्मनों की जान लेने वाली बुल्लेलाल की चमत्कारी कहानी।दोस्तों के लिए जान की बाज़ी लगाते-लगाते कब बुल्लेलाल की जान मुश्किल में पड़ गयी, पता भी न लगा। पर अब बहुत देर हो गयी थी और रेहान के सामने एक ज़िम्मेदारी आ खड़ी हुई थी, इस ज़िंदा कार को दुश्मन के हाथों में जाने से बचाने की। आखिर क्या था इस ज़िंदा कार बुल्लेलाल का राज़, कोई विज्ञान या चमत्कार। कौन है उसके दुश्मन? क्या रेहान बचा पायेगा उस जिंदा कार को?
तो यह कहानी है 'बुल्लेलाल एक जिंदा कार की' जिसके लेखक हैं अमरेज अर्शिक। यह एक फतांसी कथा है। एक कार, एक अदभुत जीव और एक लड़के की। कहानी में कुछ खल पात्र हैं जो कार और जीव के पीछे हैं वहीं रेहान जैसे पात्र सत्य के पक्षधर बुराई के सामने अडिग खड़े हैं।
एक बड़ा-सा स्टेडियम, जहाँ कई लोगों की भीड़ थी। लोगों के हल्ला-हुज्जत की आवाजें पूरे आसमान में गूँज रही थीं।
दरअसल यहाँ सालाना कार रेस की प्रतियोगिता हो रही थी।......बोमिराम इस खेल का मास्टर माइंड था, जो किसी भी कीमत पर इस खेल में किसी बाहरी खिलाड़ी को जीतने नहीं देता था। चाहे फिर इसके लिए किसी की जान ही क्यों न लेनी पड़े।
सालों से कार रेस का विनर बोमिराम का बेटा जग्गू होता आया था। इस खेल में भाग लेने वाले 75 प्रतिशत इन्हीं के आदमी होते थे। जिनका काम ही होता था, बाहरी खिलाड़ियों को किसी तरह से खेल को जीतने से रोकना।
रेहान भी एक दक्ष कार ड्राइवर था, जिसने एक विशेष कार के माध्यम से जग्गू को हरा दिया था। और यह बात बोमिराम के लिए मान-सम्मान की बात थी। वह रेहान की जान का दुश्मन बन बैठा।
वहीं - चीन की एक स्पेशल टीम की गाड़ी तेज़ रफ्तार के साथ उस जंगल की तरफ जाने लगी। उस टीम का बॉस गुमेंडा अपनी टीम का नेतृत्व कर रहा था।
गुमेंडा अपनी टीम के साथ उस जगह पर पहुँचा जहाँ उसे उस अनोखे जीव के छिपे होने की खबर मिली थी। उन लोगों ने झाड़ी को चारों तरफ से ऐसे घेर लिया कि किसी मच्छर तक का भी बच निकलना मुश्किल था।
एक अद्भुत जीव जो एलियम एनिमल था। एक दुर्योग से पृथ्वी पर भटक गया। चीन ने गुमेडा को उस जीव की तलाश थी।
उपन्यास का ज्यादातर भाग प्रत्यक्ष रूप से कार पर ही आधारित है। कार के कारनामें लोगों और पाठकों को
एक जीव, एक अद्भुत कार और रेहान की इस कहानी में दोस्ती (बबलू) है, प्रेम (सिफा) है और दुश्मन (बोमिराम, गुमेड़ा) भी है।
मेरे विचार से हिंदी में इस तरह का उपन्यास पहले नहीं लिखा गया। अगर यह अपनी तरह का प्रथम उपन्यास है तो मैं इसे 'प्रथम कॉमिक उपन्यास' कहना चाहूंगा। क्योंकि कहानी एक काॅमिक्स की तरह है, उसी तरह के रोचक खल पात्र हैं। हिंदी में ऐसे प्रयोगशील बाल फतांसी उपन्यास मेरे विचार से न के बराबर ही हैं। लेखक और प्रकाशन का हार्दिक धन्यवाद जो उन्होंने एक प्रयोगशील उपन्यास पाठकों को दिया।
कार के कुछ रोचक दृश्य
- कार बिल्डिंग की दीवारों पर चढ़ते हुए छत के ऊपर आ गई। फिर ऊँची बिल्डिंग की छत से हवा में छलाँग लगाती हुई रेस के स्टार्टिंग पॉइंट की तरफ आने लगी।
- रेहान की कार उसके घायल शरीर को लेकर अस्पताल के अन्दर प्रवेश करने लगी। चपरासी भी कार को इस तरह से आते हुए देखकर दंग रह गया। अस्पताल में मौजूद जिन-जिन लोगों की नज़र कार पर जाती, उनकी आँखें भी फटी-की-फटी रह जातीं। बिना ड्राइवर और अपने बोनट पर घायल बॉडी को लेकर आती कार को देखकर लोग घबराते हुए रास्ता छोड़ रहे थे।
हालांकि उपन्यास में एक-दो नाम मात्र की गलतियाँ हैं, लेकिन वह कथा को ज्यादा प्रभावित नहीं करती। उपन्यास का अंत थोड़ा नाटकीय प्रतीत होता है। वहीं उपन्यास न किशोरावस्था तक के बच्चों के लिए है तो प्रेम कथा से बचना चाहिए था।
उपन्यास- बुल्लेलाल - एक जिंदा कार
लेखक - अमरेज अर्शिक
प्रकाशक- Flydreams Publication
श्रेणी- फतांसी
उपन्यास के प्रति रुचि जगाता आलेख। पढ़ने की कोशिश रहेगी।
ReplyDelete