Wednesday, 31 October 2018

150. अंतरिक्ष का खुदा- राज भारती

 वह बन बैठा चाँद का शैतान.....
अंतरिक्ष का खुदा- राज भारती, थ्रिलर उपन्यास, मध्यम स्तर।

वह खुद को अंतरिक्ष का खुदा मानता है।
वह चाँद की धरती पर अपना राज्य स्थापित करना चाहता था।
चाँद वासी उसे नक्षत्रों का खुदा कहते थे।
वह चन्द्र वासियों को मार रहा था।
वह पृथ्वी वासियों का दुश्मन था।
वह चन्द्रयान‌ को गायब/ नष्ट करता था।
वह ब्रह्माण्ड पर अपना विजयी परचम फहराना चाहता था।

कौन था वह?
वह कहां से आया था?

ऐसे अनेक प्रश्नों के उत्तर तो सिर्फ राज भारती के उपन्यास 'अंतरिक्ष का खुदा' को पढ़कर ही मिल सकते हैं।


               लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में राज भारती एक ऐसे लेखक हैं जिन्होंने विभिन्न सीरिज लिखे हैं। हो सकता है यह अतिशयोक्ति हो पर राज भारती ने विभिन्न सीरिज और असंख्य उपन्यास लिखे हैं। (राज भारती द्वारा लिखे गये उपन्यासों की सही सख्या किसी को भी ज्ञात नहीं)
                      राज भारती द्वारा लिखा गया उपन्यास 'अंतरिक्ष का खुदा' विजय- सिंहगी सिरिज का उपन्यास है। इस उपन्यास का सारा घटनाक्रम चाँद की धरती पर घटित होता है।
              अमेरिका ने अपना अंतरिक्ष यान चाँद की धरती पर भेजा, जो पूर्णतः सफल रहा।
       चन्द्र विजय मानव की एक‌ महान विजय थी। इसलिए सारा विश्व हर्ष विभोर था। (पृष्ठ-06)
         इस अभियान से प्रेरित होकर अन्य देश भी इस लक्ष्य को हासिल करने को प्रेरित हुये। जिनमें एक भारत भी था। भारत के वैज्ञानिक बनर्जी जी ने व्यक्तिगत तौर पर एक घोषणा की "वह शीघ्र ही दो रॉकेटों के निर्माण में सफल हो जायेगा जो.. मानव को एक बार फिर चाँद की धरती पर उतारने में सफलता प्राप्त करेंगे।" (पृष्ठ- 09-10)
   
        अमेरिका का अपोलो सीरिज और भारत का साइको सीरिज चन्द्रयान चन्द्रमा की धरती पर पहुंचते हैं। यह भारत और विश्व के लिए खुशी का समय था। लेकिन एक समस्या आ गयी।
        एक भयानक घटना हो गयी।
        जिसने सारे विश्व को चौंका दिया बल्कि विश्व के वैज्ञानिकों को भी भयभीत कर दिया।
(पृष्ठ-49) यह घटना थी ऐसी की चन्द्रयान के यात्री भी दहल उठे।
अचानक अंतरिक्ष में रोशनी की एक लंबी और विचित्र सी लकीर खिंचती चली गयी और अपोलो तरह से टकरा गयी। (पृष्ठ-50)  इस समस्या का कोई समाधान भी नजर नहीं आ रहा था। अंतरिक्ष यात्रियों ने तुरंत पृथ्वी पर अपना संदेश भेजा।
हमें किसी अज्ञात खतरे का आभास हो रहा है। पता नहीं किस प्रकार बिजली की एक तेज लकीर अंतरिक्ष में उत्पन्न हुयी और हमारे यान को चारों तरफ से घेर लिया। (पृष्ठ-50,51)
यह बिलकुल नये ढंग की विपत्ति थी जिसका हल न तो अंतरिक्ष यात्रियों‌ के पास था और न धरती के वैज्ञानिकों के पास। (पृष्ठ-55) और किसी को यह भी नहीं न पता की वह अज्ञात लकीर कहां से आती है और उसे कौन भेजता है। कौन है वह शैतान।
चाँद की वह शक्ति नहीं चाहती कि चाँद की पृथ्वी पर कोई अन्य व्यक्ति उतरे। (पृष्ठ-57) और वह शक्ति अज्ञात है।
भारतीय अंतरिक्ष यान भी इस चमकती लकीर की चपेट में आकर नष्ट हो गया।
साइको प्रथम अंतरिक्ष में नष्ट हो चुका था। इस बारे में कोई संदेह न रह गया था।  क्योंकि धरती की प्रयोगशालाओं में टेलिविज़न स्क्रीनों पर उसे नष्ट होते हुए स्पष्ट देखा गया था।(पृष्ठ-69)
आखिर क्या रहस्य था चाँद पर जहां से अंतरिक्ष यान नष्ट हो गया?
   इसी रहस्य को सुलझाने को निकल पड़े दो और अंतरिक्ष यान।  भारत से साइको और अमेरिका से अपोलो। भारत का जासूस विजय, अशरफ, प्रोफेसर बनर्जी और अमरीका से जासूस माइक अपने अंतरिक्ष यात्रियों के साथ।
   लेकिन चाँद की तो दुनिया ही अलग थी। वहाँ तो चन्द्रवासी लोगों की आबादी थी। जब अंतरिक्ष यात्रियों ने वहाँ लोगों को देखा तो हैरान रह गये।  "मैं तुम्हारी दशा समझ सकता हूँ पृथ्वी के वासियो। तुम मुझे यहाँ देखकर चकित हो लेकिन तुम नहीं जानते कि चाँद पर मैं पचास वर्ष पूर्व आया था।" (पृष्ठ-129) और यहाँ  चाँद पर एक मूल‌ जाति का निवास है। (पृष्ठ-130)
   "पृथ्वी के वैज्ञानिक.... वे  यह भी नहीं जानते कि पचास वर्ष पूर्व एक पृथ्वी का वासी चाँद पर पहुँच चुका है।" (पृष्ठ-130)
   लेकिन चाँद के वासी भी एक शैतान से परेशान हैं। वह शैतान जिसने चाँद के लोगों का जीना हराम कर रखा है।  "चाँद पर इतनी शक्ति किसी के पास नहीं है जो इस शैतान से टक्कर ले सके।" (पृष्ठ-157)
  
   -  क्या जासूस मित्र इस रहस्य को सुलझा पाये?
   - कहां गायब हो गये चन्द्रयान?
   - पचास वर्ष पूर्व चाँद पर पहुंचने वाला व्यक्ति कौन था?
   - चाँद का शैतान कौन था?
    राज भारती का यह उपन्यास एक अलग विषय को प्रस्तुत करता एक जासूसी-थ्रिलर उपन्यास है।
उपन्यास की कहानी अलग विषय और पृष्ठभूमि पर आधारित है। जो पाठक के लिए रोचकता पैदा करती है। लेकिन उपन्यास में लेखक चाँद की धरती को प्रस्तुत तो करता है लेकिन पाठक को कहीं यह अहसास दिलाने में सफल नहीं हो पाता की घटनाक्रम चाँद पर घटित हो रहा है।
              उपन्यास पढते वक्त कुछ अलग अहसास नहीं होता। लेखक अगर कोशिश करता तो यह उपन्यास बहुत अच्छा बन सकता था। लेकिन अब यह मात्र एक एक्शन उपन्यास बन कर रह गया। अगर चाँद की भूमि का अच्छा वर्णन होता, वहाँ के लोगों के बारे में और जानकारी मिलती तो अच्छा था। चन्द्र वासियो और शैतान की लड़ाई का  भी ज्यादा वर्णन नहीं है। एक वह व्यक्ति जो चाँद पर पहुँच गया, वहाँ अपना अधिकार जमा लिया, वह शक्तिशाली तो रहा होगा लेकिन विजय-माइक के समक्ष वह एक मामूली सा गुण्डा नजर आता है जो अनावश्यक डायलाॅग बाजी करता रहता है।
                 उपन्यास का आरम्भ वैज्ञानिक/ तकनीकी जानकारी से संबंधित है तो उपन्यास का अंत एक्शन दृश्यों से भरपूर है।  अगर उपन्यास के अंत में विलन को खत्म करते वक्त कुछ तकनीक इस्तेमाल होती हो उपन्यास में रोचकता अवश्य बढती लेकिन लेखक उपन्यास के अंत में जासूस और खलनायक को आपस में ऐसे उलझते दिखाता है जैसे दोनों सड़क पर लड़ने वाले बदमाश हों।
        अगर इस उपन्यास पर अच्छी मेहनत की जाती तो यह एक अच्छा विज्ञान गल्प उपन्यास साबित हो सकता था।
             
                      
   निष्कर्ष-
                  उपन्यास मध्यम स्तर का है। उपन्यास अपने पृषठभूमि के आधार पर पठनीय है, लेकिन इस उपन्यास को जिस स्तर तक रोचक होना था उतना रोचक है नहीं।
           उपन्यास एक बार अच्छा मनोरंजन साबित हो सकता है।
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उपन्यास- अंतरिक्ष का खुदा
लेखक-    राज भारती
प्रकाशक- पवन पॉकेट बुक्स- दिल्ली
पृष्ठ-       203
उपन्यास लिंक-     अंतरिक्ष का खुदा- राज भारती        



1 comment:

  1. Thanks Gurpreet ji ..you are a good reviewer...but novel bakwas h time wasted h

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