Sunday, 16 April 2017

34. इच्छाधारी- टाइगर

महेन्द्रगढ़ की बरसों से सुनसान पङी हवेली में- बीस साल पहले एक खूनी काण्ड हुआ था। और अब ठीक बीस साल बाद। उसी हवेली में एक-एक करके वो सभी किरदार जमा होने लगे- जो किसी ना किसी रूप से उस काण्ड से संबंधित थे।

ये पंक्तियां है टाइगर के उपन्यास 'इच्छाधारी' के अंतिम कवर पृष्ठ से।
चंद पंक्तियों को पढकर ही रोमांच का अहसास जागता है और मस्तिष्क में प्रश्न गूँजता है की बीस वर्ष पूर्व आखिर हवेली में क्या हुआ था ? और फिर बीस वर्ष बाद अचानक सभी पात्र उस हवेली में कैसे एकत्र होने लगे?
इन समस्त प्रश्नों का उत्तर तो पाठक को टाइगर का यह रोमांचक उपन्यास पढकर ही मिलेगा।
    कहानी- कहानी की बात करें तो 'इच्छाधारी' उपन्यास की कहानी बहुत रोचक है। पाठक पल -पल सोचता है की आगे क्या होगा। कहानी है जेल से भागे हुए पांच खतरनाक अपराधियों की। पांचों अपराधी एक ऐसी हवेली में शरण लेते हैं जिसमें‌ बीस वर्ष पूर्व एक खूनी काण्ड हुआ था और उस के बाद हवेली के जीवित बचे दो पात्र दादी रुक्मिणी देवी और पोती सोनिया के अलावा कोई जिंदा नहीं बचता। दादी भी इस काण्ड के बाद इस हवेली को छोङ कर हजारों किलोमीटर दूर मुंबई जा बसती है, पर पोती के ख्वाबों में वह हवेली बार-बार आती है। और उस काण्ड के बीस वर्ष बाद एक अदृश्य शक्ति आखिर पोती को उस हवेली में आने के लिए मजबूर कर देती है।
   जब दादी-पोती उस हवेली में बीस वर्ष बाद कदम रखती हैं तो उसी रात जेल से फरार पांच कैदी वहाँ पहुँच जाते हैं। पांचों कैदी दादी-पोती व उनके साथ आये अन्य मेहमानों को कैद कर लेते है।
        जब सारे पात्र हवेली में एकत्र हो जाते हैं तब शुरु होता है प्रतिशोध का अनोखा सिलसिला। पर यह प्रतिशोध हवेली के अंदर नहीं लिया जाता है, यह तो प्रतिशोध हवेली के बाहर लिया जाता। हवेली में उपस्थित सदस्यों को भी पता नहीं चलता की आखिर ये हो क्या रहा है। जो भी सदस्य हवेली से बाहर गया वह वापस जिंदा नहीं लौटा, आश्चर्य यह है की जिन लोगों पर हत्या का शक है वे तो स्वयं कैद में है, फिर कातिल कौन है?
सोने का रहस्य- वर्षों पूर्व सूरजभान व उसके तीन साथियों द्वारा लूटा गया एक बैंक से सोना। और उसी के चक्कर में जेल भी गये, पर सोने की जानकारी किसी को नहीं दी।
आज बीस साल बाद जब हवेली से रात को सूरजभान का एक दोस्त गुप्त स्थान सोने को लेने गया तो उसकी लाश वापस लौटी।
अगली रात फिर सूरजभान के दो दोस्त सोना लेने गये, पर उनका हश्र भी वही हुआ
आखिर सोने का क्या रहस्य था?
क्या सोना अपनी जगह सुरक्षित था?
सोना लेने गये व्यक्तियों की हत्या कौन कर रहा था?
फिर लाश हवेली तक कैसे पहुंचती थी?
पात्र और संवाद- उपन्यास के संवाद ही पात्रों के बारे में बताने के लिए काफी है।
राणा ठाकुर- एक खतरनाक अपराधी। जिसके बारे में प्रसिद्ध है उसे कोई जेल कैद नहीं कर सकती। पर वास्तविकता कुछ और है।
"नहीं जेलर, नहीं । अपुन ऊपर नहीं जायेगा।"- राणा ठाकुर, जेलर की बात काटते हुए गुर्राया- " अभी इतना हौसला ऊपर वाले में भी नहीं है कि राणा ठाकुर को उसकी मर्जी के के वगैर ऊपर बुलाये।......बहुत तारीफ सुना था इधर की जेल का, इसलिए इधर आ गया मैं- तेरा जेल देखने के  वास्ते। वरणा राणा ठाकुर, जिसे नौ प्रांतों की पुलिस मिलकर नहीं रोक सकी- उसे इधर की पुलिस क्या बांध के रख सकती है?"
ऐसा है राणा ठाकुर। स्वयं तो जेल से फरार होता है साथ में चार और दुर्दांत अपराधियों को भी भगा ले जाता है।
सूरजभान- एक खतरनाक अपराधी। जिसे बीस वर्ष की सजा है, पर राणा ठाकुर की मदद से जेल से फरार हो जाता है।
और साथ में अपने तीन और साथियों को भी भगा ले जाता है।
दादी-पोती- महेन्द्रगढ़ की हवेली के अंतिम वारिस दादी और पोती सोनिया। जो बीस वर्ष बाद पुनः हवेली में आने को मजबूर हो जाते हैं।
सोनिया-  महेन्द्रगढ़ की हवेली में जब वह खूनी काण्ड हुआ था, उसके आठ माह बाद सोनिया का जन्म हुआ था। पर आश्चर्य तो इस बात का है की हर रात सोनिया के सपने में वहाँ के दृश्य सपने में आते हैं।
एक वृद्ध संन्यासी और उसके सामने बैठा एक बेबस नाग। आखिर क्या रहस्य था इन सपनों का।
  "हम अपने सवाल का जवाब चाहती हैं ग्रैनी! सूरजभान और उसके साथी हमारे डैडी के कातिल हैं?"
नागेश- हवेली का नौकर। एक ऐसा नौकर जिसके सामने राणा ठाकुर तक घबरा जाता है।
राणा ठाकुर जीवन में पहली बार किसी शख्स के सामने अपने आपको बौना महसूस कर रहा था।   क्या यह चमकदार आँखों वाला शख्स कोई मामूली नौकर था? लेकिन राणा ठाकुर का दिल नहीं माना।
आखिर क्या रहस्य था इस नौकर का।
वृद्ध योगी- जिसने वर्षा पूर्व जो भविष्यवाणी की थी वह आज पुर्णतः सत्य साबित हो रही थी।
डाॅक्टर नाडकर्णी व उसका पुत्र - डाॅक्टर नाडकर्णी अपने अय्याश पुत्र का विवाह सोनिया से करके सोनिया की अथाह संपति के सपने देख रहा था।
उपन्यास का शीर्षक- बीस वर्ष की तपस्या के बाद उसे वरदान प्राप्त था, इच्छाधारी रूप परिवर्तन का। लेकिन वह अपने वरदान का गलत प्रयोग कर बैठा।
क्या वह अपने उद्देश्य में सफल हो पाया।
  एक से बढकर एक रहस्यमयी, प्रतिशोध से भरे, लालची, खतरनाक और सनकी पात्रॊं से भरपूर है उपन्यास इच्छाधारी।
टाइगर का उपन्यास 'इच्छाधारी' बहुत ही रोचक उपन्यास है। मूलतः यह प्रतिशोध पर आधारित है, पर कहानी काफी रोचक होने के कारण पढने लायक है।
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उपन्यास- इच्छाधारी
लेखक- टाइगर
प्रकाशन- राजा पाॅकेट बुक्स
पृष्ठ- 224
मूल्य- 15₹ (तात्कालिक)

2 comments:

  1. भैया जी लग तो बढ़िया रहा है आपकी समीक्षा पढ़कर क्या टाइगर की कहानियों में वैसे वाले सीन भी होते है?
    कृप्या बताए अगर साफ सुथरी किताब होती है इनकी तो मैं भी पढ़ना शुरू करूँ इन्हें अभी तक कोई उपन्यास नही पढा इनका

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    1. मित्र संदीप,
      हम लेखक टाइगर के उपन्यासों को दो भागों में विभक्त कर के देख सकते हैं। एक थे जगदीश वर्मा जिन्होंने टाइगर नाम से लेखन किया है, दूसरा टाइगर से पूर्व का Ghost लेखन है।
      आप जगदीश वर्मा वाले (टाइगर नाम से) उपन्यास पढें। जो टाइगर के बाद वाले उपन्यास हैं। जिसमें 'साली नम्बर वन' 'मुँह बोला पति', इच्छाधारी अम्मा' 'आखिरी केस', 'किसका कत्ल करू' सब बेहतरीन उपन्यास हैं।
      - साहित्य देश
      - स्वामी विवेकानंद पुस्तकालय- बगीचा

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