Saturday, 5 March 2022

511. मगरमच्छ - विमल शर्मा

किसका होगा खूनी ताज?
मगरमच्छ- विमल शर्मा

उन करोड़ों रुपयों के ताज को हासिल करने के लिए समूचे अण्डवर्ल्ड में छीना-छपटी मची हुयी थी। जबकि इस बारे में कोई नहीं जानता था कि वह ताज कहां था? ताज हासिल करने में अहमतरीन किरदार जंगली बिल्ली ही नहीं, बल्कि क ई सुपर गैंगस्टर, अण्डरवर्ल्ड डाॅन, जुर्म का खुदा, जुर्म के क ई पण्डित भी थे। (अंतिम आवरण पृष्ठ से)
मगरमच्छ - विमल शर्मा का 'जंगली बिल्ली सीरीज' का उपन्यास।
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में अनेक ऐसे लेखक हुये जिन्होंने इस क्षेत्र में उस समय प्रवेश किया जब लोकप्रिय उपन्यास साहित्य का सुनहरा दौर समापन की ओर था। कुछ लेखक Ghost writing करते रहे और जब अपने नाम से लेखन का समय आया तो वह समय उपन्यास साहित्य के सुनहरे दौर की समाप्ति का समय था। ऐसे ही एक लेखक हैं विमल शर्मा। विमल शर्मा जी का वास्तविक नाम धर्मपाल है। ये उपन्यासकार दिनेश ठाकुर के साथ लंबे समय तक Ghost writing करते रहे हैं, एक लंबे समय पश्चात स्वयं के नाम और चित्र सहित प्रकाशन का जब समय मिला तो तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लेकिन फिर भी इन्होंने उपन्यास साहित्य को शिवराज राणा और शिखा त्यागी (जंगली बिल्ली) जैसे किरदार दिये हैं।
प्रस्तुत उपन्यास 'मगरमच्छ' शिवराज राणा और शिखा त्यागी सीरीज का एक थ्रिलर उपन्यास है।
        उपन्यास का कथानक एक ताज से संबंध रखता है। एक सदियों पुराना ताज भारतीय पुरातत्त्व संग्रहालय दिल्ली में रखा गया है। हालांकि उस ताज के प्राप्त होने की भी एक अलग और दिलचस्प कहानी है।
    उस ताज को पाने के लिए शिवराज राणा अपने साथी  रुस्तम राव, पास्को और सूरज सिंह के साथ इस ताज को प्राप्त करने का प्लान बनाता है।
   वहीं जंगली बिल्ली के नाम से प्रसिद्ध शिखा त्यागी भी इस ताज को प्राप्त करना चाहती है। वैसे तो शिखा त्यागी अपनी मर्जी की मालिक है, लेकिन यहां मजबूरन उसे माफिया के  लिए काम करना पड़ता है। और उसे मजबूर करता है माफिया का एक कारिंदा निकोलस। जो की अण्डरवर्ल्ड डाॅन मगरमच्छ के साथ मिल कर माफिया के लिए वह ताज चुराना चाहता है।
  तो अब कहानी में एक तरह शिवराज राणा और उसके साथी दूसरी तरफ है जंगली बिल्ली शिखा त्यागी और उसके पीछे है माफिया और अण्डरवर्ल्ड डाॅन मगरमच्छ।
सबका एक ही निशाना है, वह है ताज को संग्रहालय से चुराने का। और यह भी तय है जब दोनों का उद्देश्य एक है तो टकराव भी संभव है। और इस ताज को पाने के लिए और हर कोई बेताब है‌।
  इस संघर्ष में कौन जीतता है और किसे प्राप्त होता है यह खूनी ताज?
  इस ताज का खूनी होना भी एक अलग ट्विस्ट है जो कहानी को अंत में एक जबरदस्त मोड देता है।
उपन्यास में कुछ पात्रों का चरित्र चित्रण अच्छे ढंग से किया गया है। जो उनकी विशेषताएँ बताता है।
जैसे
शिवराज राणा-
चाहे एक डकैती एक्सपर्ट व्यक्ति है, लेकिन औरतों की इज्जत करता है।
"तुम जानते हो मैं औरतों की इज्जत करता हूँ। अपनी आँखों के सामने किसी औरत की बेइज्जती होते नहीं देख सकता। (पृष्ठ-104)
वह ताज की विषय में भी कहता है की जिसके पास दिमाग हो वह ताज ले जायेगा।
"हम भी मुजरिम हैं और बिल्ली भी। हम भी ताज उड़ाना चाहते हैं और बिल्ली भी। जिसमें दिमाग होगा, ताकत होगी, कुछ कर गुजरने का जज्बा होगा,वो ही बिना खून खराबे के ताज को उड़ाकर ले जायेगा। (पृष्ठ-170)
शिखा त्यागी-
- लोमड़ी से कहीं ज्यादा चालाक, चील जैसी फुर्तीली, नागिन से ज्यादा जहरीली और शेरनी से कहीं ज्यादा खूंखार है शिखा त्यागी उर्फ जंगली बिल्ली।
मगरमच्छ-
- मुम्बई अण्डरवर्ल्ड में मगरमच्छ का काफी नाम था।
- मगरमच्छ पचास साल का बुलडाॅग जैस चेहरे वाला डरावना व्यक्ति था। सारा चेहरा चेचक के दागों से 
भरा हुआ था।.......पिछले कई सालों से मगरमच्छ मुम्बई अण्डरवर्ल्ड से जुड़ा हुआ था। वह एक खतरनाक किस्म का इंसान था। हर छोटा-मोटा मुजरिम उसके नाम से वाकिफ था।माफिया से उसके अच्छे संबंध थे। उसकी बदौलत ही वह इस मुकाम तक पहुंचा था और अब वह मुम्बई अण्डरवर्ल्ड डाॅन बनने के सपना देख रहा था। (पृष्ठ-128)
         उपन्यास का अंत काफी रोचक है। क्योंकि अंत ही यह तय करता है की इस खूनी ताज का दावेदार कौन है। वही अंत में कुछ पात्र अलग ही रंग में नजर आते हैं, उनके बदलते रंग कथानक को दिलचस्प बनाते हैं।
  उपन्यास में शिखा त्यागी द्वारा एक गट्टर में एक विशेष प्रकार की कार चलाने वाला दृश्य कथानक को कमजोर बनाता है।
           'मगरमच्छ' विमल शर्मा का एक थ्रिलर उपन्यास है। कहानी सामान्य है, लेकिन मनोरंजन से परिपूर्ण है‌। उपन्यास में नयापन तो नहीं है, लेकिन पढते समय निराश भी नहीं करेगा। कहानी अविस्मरणीय तो नहीं कह सकते, बस एक बार पढा जा सकता है क्योंकि इस प्रकार की बहुत सी कहानियाँ उपन्यास साहित्य में लिखी जा चुकी हैं।
उपन्यास - मगरमच्छ
लेखक -    विमल शर्मा
प्रकाशन - इण्डिया पॉकेट बुक्स
पृष्ठ -         271

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