जब टकराई विश्व की दो महाशक्तियां
सिंगही और मर्डरलैण्ड- वेदप्रकाश शर्मा
मनुष्य की लालसा कभी शांत होने का नाम नहीं लेती। वह एक सफलता के पश्चात दूसरी सफलता की तलाश में निकल लेती है। लेकिन जब यह लालसा हवश में बदल जाये और हवश भी विश्व पर आधिपत्य की तो...?
ऐसा ही कुछ उपन्यास 'सिंगही और मर्डरलैण्ड' में है। जहां विश्व की दो महाशक्तियां आप में टकराती हैं और उनके मध्य होता है महा संग्राम। अब कुछ चर्चा उपन्यास कथानक पर-
- मोन्टोफो- रूस का योग्य वैज्ञानिक ।(पृष्ठ-60)
- मिस्टर एबनर भारत के प्रमुख वैज्ञानिक हैं। उन्होंने हाल ही मैं एक आश्चर्य में डाल देने वाला आविष्कार किया है। आविष्कार भी इतना महत्वपूर्ण है कि वह जिसके हाथ लग जाएगा वह देश संसार का सर्वशक्तिशाली देश बन जायेगा। (पृष्ठ-11)
- न्यूयॉर्क ही नहीं बल्कि अमेरिका के प्रसिद्ध व होनहार वैज्ञानिक का नाम था- जान माल्टेन।(पृष्ठ-29)
- बांग्लादेश का वैज्ञानिक सरजात।
लेकिन फिर एक एक के विश्व के वैज्ञानिक गायब होते चले गये। लेकिन गायब होने के साथ ही उनके साथ एक अजीब घटना घटित होती और वह समस्त विश्व के लिए आश्चर्यजनक घटना बनती।
जैसे अमेरिका के प्रसिद्ध वैज्ञानिक के साथ हुआ-
वह किसी बिल्ली की भांति घुटनों के बल फर्श पर बैठा था और ठीक बिल्ली की भांति ही बार-बार जीभ निकालकर फर्श पर पड़ी उस चाय को चाट रहा था....।
जान माल्टेन पूरी तरह बिल्ली तो बन ही चुका था। (पृष्ठ-33)
यह कैसे संभव था की कोई वैज्ञानिक बिल्ली बन जाये और यह एक नहीं विश्व के लगभग देशों में यही घटित हो रहा था। और तब विश्व के समस्त महान जासूस एकत्र होकर इस रहस्य को खोजने निकले।
भारत से विजय, अमेरिका से स्पेलन, रूस से बागरोफ, बांग्लादेश से रहमान जैसे श्रेष्ठ जासूस निकले इस रहस्य को सुलझाने।
वहीं दूसरी ओर....
सिंगही
अपराध जगत का सरताज...हिटलर के लक्ष्य का राही अर्थात विश्व विजय के स्वप्न देखने वाला ऐसा व्यक्ति जिसके नाममात्र से लोगों में भय व्याप्त हो जाए। (पृष्ठ-69,70)
सिंगही का स्वप्न है विश्व विजेता का और यही स्वप्न है प्रिंसेज जैक्शन का।
सिंगही और प्रिंसेज जैक्शन दोनों ही विश्व विजेता बनने के ख्वाब देखते हैं। लेकिन जंगल का राजा तो एक ही होता है। बस इसी एक का संघर्ष सिंगही और जैक्शन के मध्य होता है।
प्रिसेंज जैक्सन- "मिस्टर सिंगही, मैंने सुना है कि तुम अपराध जगत के सरताज हो। तुम्हारी शक्ति अपरिमित है, प्यारे सिंगही मुझे जान लो, मेरा नाम जैक्सन है। मैं एक छोटे से देश मर्डरलैण्ड की राजकुमारी हूँ और....। मैं तुम्हें चैलेंज करती हूँ मिस्टर सिंगही कि अगर तुम में शक्ति है तो मुझे रोक लो, वरना आज ही से अपराधियों के सरताज वाला ये चोंगा तुम मुझे दे दो।(पृष्ठ-85)
"कल की नादान छोकरी, देख रहा हूँ कि तुम्हारी जुबान तुम्हारी शक्ति से कहीं अधिक है। ये ध्यान रहे कि तुम सिंगही से बात कर रही हो। जिस ढंग से तुम बातें कर रही हो आज तक उस ढंग से सिंगही से कोई बात करने वाला पैदा नहीं हुआ है। (पृष्ठ-86)
इन दोनों का संघर्ष आखिर किस जगह पर पहुँचा और क्या परिणाम रहा?
यह जानने के लिए उपन्यास का अध्ययन करना होगा।
उपन्यास में एक पात्र है 'गैरीसन' जो की मेरठ का बदमाश है। हालांकि इस पात्र की भूमिका कुछ कम है लेकिन यह पात्र विजय को भी प्रभावित कर जाता है।
गैरीसन के विषय में जानने के लिए इस लिंक पर जायें- मेरठ का बदमाश गैरीसन
प्रस्तुत उपन्यास वेदप्रकाश शर्मा जी के आरम्भिक दौर का है जब उपन्यास में कथानक की जगह पात्रों को महत्व दिया जाता था। या कहें तब उपन्यास पात्र प्रधान होते थे। कहानी गौण और पात्रों के कारनामे प्रधान होते थे।
सिंगही और मर्डरलैण्ड उपन्यास में भी कुछ पात्रों की विशेषतों का चित्रण किया गया है। जैसे- सिंगही, प्रिंसेज जैक्शन, विजय इत्यादि।
विशेष-
- इस उपन्यास में पहली बार सिंगही और मर्डरलैण्ड की राजकुमारी प्रिसेंज जैक्शन का टकराव होता है।
सिंगही कहता है- "मैंने भी अभी कुछ दिनों पूर्व मर्डर लैण्ड का नाम सुना है, अच्छा है कि तुम्हारे पास कुछ शक्ति है लेकिन उस शक्ति की तुलना सिंगही की शक्ति से मत करो।"(पृष्ठ-85)
- वेदप्रकाश शर्मा जी के एक्शन उपन्यासों में विजय और विकास द्वय होते हैं। पर इस उपन्यास में विकास की कोई भी भूमिका नहीं है। हालांकि उपन्यास के ऊपर 'विजय-विकास' लिखा है।
'सिंगही और मर्डरलैण्ड' वेदप्रकाश शर्मा का एक एक्शन उपन्यास है। जिसमें दो महाशक्तियों का टकराव और विश्व के जासूस मित्रों का उन महाशक्तियों से संघर्ष का रोचक विवरण है।
उपन्यास कथानक के स्तर पर कोई विशेष नहीं है।
उपन्यास- सिंगही और मर्डरलैण्ड
लेखक- वेदप्रकाश शर्मा
प्रकाशक- राजा पॉकेट बुक्स, दिल्ली
पृष्ठ-
सिंगही और मर्डरलैण्ड- वेदप्रकाश शर्मा
मनुष्य की लालसा कभी शांत होने का नाम नहीं लेती। वह एक सफलता के पश्चात दूसरी सफलता की तलाश में निकल लेती है। लेकिन जब यह लालसा हवश में बदल जाये और हवश भी विश्व पर आधिपत्य की तो...?
ऐसा ही कुछ उपन्यास 'सिंगही और मर्डरलैण्ड' में है। जहां विश्व की दो महाशक्तियां आप में टकराती हैं और उनके मध्य होता है महा संग्राम। अब कुछ चर्चा उपन्यास कथानक पर-
- मोन्टोफो- रूस का योग्य वैज्ञानिक ।(पृष्ठ-60)
- मिस्टर एबनर भारत के प्रमुख वैज्ञानिक हैं। उन्होंने हाल ही मैं एक आश्चर्य में डाल देने वाला आविष्कार किया है। आविष्कार भी इतना महत्वपूर्ण है कि वह जिसके हाथ लग जाएगा वह देश संसार का सर्वशक्तिशाली देश बन जायेगा। (पृष्ठ-11)
- न्यूयॉर्क ही नहीं बल्कि अमेरिका के प्रसिद्ध व होनहार वैज्ञानिक का नाम था- जान माल्टेन।(पृष्ठ-29)
- बांग्लादेश का वैज्ञानिक सरजात।
लेकिन फिर एक एक के विश्व के वैज्ञानिक गायब होते चले गये। लेकिन गायब होने के साथ ही उनके साथ एक अजीब घटना घटित होती और वह समस्त विश्व के लिए आश्चर्यजनक घटना बनती।
जैसे अमेरिका के प्रसिद्ध वैज्ञानिक के साथ हुआ-
वह किसी बिल्ली की भांति घुटनों के बल फर्श पर बैठा था और ठीक बिल्ली की भांति ही बार-बार जीभ निकालकर फर्श पर पड़ी उस चाय को चाट रहा था....।
जान माल्टेन पूरी तरह बिल्ली तो बन ही चुका था। (पृष्ठ-33)
यह कैसे संभव था की कोई वैज्ञानिक बिल्ली बन जाये और यह एक नहीं विश्व के लगभग देशों में यही घटित हो रहा था। और तब विश्व के समस्त महान जासूस एकत्र होकर इस रहस्य को खोजने निकले।
भारत से विजय, अमेरिका से स्पेलन, रूस से बागरोफ, बांग्लादेश से रहमान जैसे श्रेष्ठ जासूस निकले इस रहस्य को सुलझाने।
वहीं दूसरी ओर....
सिंगही
अपराध जगत का सरताज...हिटलर के लक्ष्य का राही अर्थात विश्व विजय के स्वप्न देखने वाला ऐसा व्यक्ति जिसके नाममात्र से लोगों में भय व्याप्त हो जाए। (पृष्ठ-69,70)
सिंगही का स्वप्न है विश्व विजेता का और यही स्वप्न है प्रिंसेज जैक्शन का।
सिंगही और प्रिंसेज जैक्शन दोनों ही विश्व विजेता बनने के ख्वाब देखते हैं। लेकिन जंगल का राजा तो एक ही होता है। बस इसी एक का संघर्ष सिंगही और जैक्शन के मध्य होता है।
प्रिसेंज जैक्सन- "मिस्टर सिंगही, मैंने सुना है कि तुम अपराध जगत के सरताज हो। तुम्हारी शक्ति अपरिमित है, प्यारे सिंगही मुझे जान लो, मेरा नाम जैक्सन है। मैं एक छोटे से देश मर्डरलैण्ड की राजकुमारी हूँ और....। मैं तुम्हें चैलेंज करती हूँ मिस्टर सिंगही कि अगर तुम में शक्ति है तो मुझे रोक लो, वरना आज ही से अपराधियों के सरताज वाला ये चोंगा तुम मुझे दे दो।(पृष्ठ-85)
"कल की नादान छोकरी, देख रहा हूँ कि तुम्हारी जुबान तुम्हारी शक्ति से कहीं अधिक है। ये ध्यान रहे कि तुम सिंगही से बात कर रही हो। जिस ढंग से तुम बातें कर रही हो आज तक उस ढंग से सिंगही से कोई बात करने वाला पैदा नहीं हुआ है। (पृष्ठ-86)
इन दोनों का संघर्ष आखिर किस जगह पर पहुँचा और क्या परिणाम रहा?
यह जानने के लिए उपन्यास का अध्ययन करना होगा।
उपन्यास में एक पात्र है 'गैरीसन' जो की मेरठ का बदमाश है। हालांकि इस पात्र की भूमिका कुछ कम है लेकिन यह पात्र विजय को भी प्रभावित कर जाता है।
गैरीसन के विषय में जानने के लिए इस लिंक पर जायें- मेरठ का बदमाश गैरीसन
प्रस्तुत उपन्यास वेदप्रकाश शर्मा जी के आरम्भिक दौर का है जब उपन्यास में कथानक की जगह पात्रों को महत्व दिया जाता था। या कहें तब उपन्यास पात्र प्रधान होते थे। कहानी गौण और पात्रों के कारनामे प्रधान होते थे।
सिंगही और मर्डरलैण्ड उपन्यास में भी कुछ पात्रों की विशेषतों का चित्रण किया गया है। जैसे- सिंगही, प्रिंसेज जैक्शन, विजय इत्यादि।
विशेष-
- इस उपन्यास में पहली बार सिंगही और मर्डरलैण्ड की राजकुमारी प्रिसेंज जैक्शन का टकराव होता है।
सिंगही कहता है- "मैंने भी अभी कुछ दिनों पूर्व मर्डर लैण्ड का नाम सुना है, अच्छा है कि तुम्हारे पास कुछ शक्ति है लेकिन उस शक्ति की तुलना सिंगही की शक्ति से मत करो।"(पृष्ठ-85)
- वेदप्रकाश शर्मा जी के एक्शन उपन्यासों में विजय और विकास द्वय होते हैं। पर इस उपन्यास में विकास की कोई भी भूमिका नहीं है। हालांकि उपन्यास के ऊपर 'विजय-विकास' लिखा है।
'सिंगही और मर्डरलैण्ड' वेदप्रकाश शर्मा का एक एक्शन उपन्यास है। जिसमें दो महाशक्तियों का टकराव और विश्व के जासूस मित्रों का उन महाशक्तियों से संघर्ष का रोचक विवरण है।
उपन्यास कथानक के स्तर पर कोई विशेष नहीं है।
उपन्यास- सिंगही और मर्डरलैण्ड
लेखक- वेदप्रकाश शर्मा
प्रकाशक- राजा पॉकेट बुक्स, दिल्ली
पृष्ठ-
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