Friday, 2 October 2020

385. मुझे याद है- विमल मित्र

समय परिवर्तन की कथा
मुझे याद है- विमल मित्र/बिमल मित्र
समय परिवर्तनशील है। कब, कहां, कैसे बदल जाये कुछ कहा नहीं जा सकता। आज जो उच्च शिखर पर है वह कल को धरातल पर आ सकता है और आज जो धरातल पर वह उच्च शिखर पर विराजमान हो सकता है। यह क्रम सतत चलता रहता है।
      इसी परिवर्तन को आधार विमल मित्र जी ने उपन्यास लिखा है- मुझे याद है। यह कहानी है मिस हुबलीकर की। अंधेरी के लोग उन्हें मैडम कहते हैं। आफिस के लोग भी उन्हें मैडम के नाम से ही पुकारते हैं। इतना ही नहीं, दुकानदार, मोदी, ग्वाला, हर कोई उन्हें मैडम कहतर हैं। लोग उन्हें मैडम के नाम से ही पहचानते हैं। इसके अलावा उनका कोई और परिचय नहीं है।

     लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था। एक दिन मैडम का भी अपना परिचय था, खूबसूरती थी, एक दिन मैडम भी जवान थी। (पृष्ठ-प्रथम)

   मैडम की कहानी के साथ दो और पात्र जुड़े हैं जो उन्हीं के ऑफिस से संबंध रखते हैं। एक हैं 'जाॅनसन नटन प्राइवेट' कम्पनी के बाॅस मिस्टर नटन और दूसरे हैं सदानंद पुलस्कर। यह कहानी मुख्यतः इन तीन पात्रों पर ही आधारित है। हालांकि कुछ और भी पात्र उपन्यास में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं।

  उपन्यास कहानी बहुत छोटी सी है, कहानी क्या है एक घटना मात्र है। इस कहानी को घटना इसलिए कह रहा हूँ यह कोई प्रेरणात्मक या आदर्श कथा नहीं। यह भी आवश्यक नहीं की मनुष्य सभी के साथ एक जैसा व्यवहार करे। वह अपने पद के अनुसार आचरण करेगा।
     मिस हुबलीकर अपने जीवन में बिलकुल अकेली है। इसका अगर कहीं लगाव है तो वह उसे उजागर नहीं कर पाती, तब उसकी जिंदगी में कुछ पत्र आते हैं, लेकिन वह भी एक डी ग्रेड के एक अव्यवस्थित कर्मचारी के। हालांकि मिस हुबलीकर उसे कुछ नहीं कहती लेकिन बदलती परिस्थितियों में डी ग्रेड कर्मचारी अपने इस कार्य के कारण सजा पाता है।

   समय के अनुसार परिस्थितियों बदलती हैं और डी ग्रेड कर्मचारी सदानंद हुबलीकर धरातल से शिखर पर पहुंच जाता है और मिस हुबलीकर शिखर से धरातल पर आ जाती है।‌

यह कहानी मात्र समय और परिस्थितियों को एक घटना की तरह प्रस्तुत करती है।

    उपन्यास छोटा सा है तो कम समय में पढा जा सकता है। कहानी में कुछ विशेष नहीं है।
     यह उपन्यास हमारे विद्यमान 'राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय-आबू पर्वत' (Mount abu) के पुस्तकालय में उपलब्ध है, मैंने वहीं से पढा है।
     मुख्यतः तीन पात्रों पर आधारित यह उपन्यास विशेष कर एक बात को इंगित करता है की मनुष्य का समय कभी भी बदल सकता है।
    यह लघु उपन्यास एक बार पढा जा सकता है।
उपन्यास- मुझे याद है
लेखक-    विमल मित्र
पृष्ठ-        88
प्रथम संस्करण- 1992


 

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