Wednesday, 18 July 2018

129. सफेद खून- सुरेन्द्र मोहन पाठक

तिहरे कत्ल का सनसनीखेज उपन्यास
सफेद खून- सुरेन्द्र मोहन पाठक, जासूसी उपन्यास, मर्डर मिस्ट्री, पठनीय।
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    प्राइवेट डिटेक्टिव सुधीर कोहली को एक महिला का फोन आया की आज शाम आठ बजे छतरपुर फार्म हाउस पर उससे मिले।
"आपको छतरपुर आना होगा।"- वह बोली
"छतरपुर ।"- मैं अचकचाकर बोला।
"घबराइए नहीं। यह जगह भी दिल्ली में है।"
"दिल्ली में तो है लेकिन.....।"
"यहाँ हमारा फार्म है।"
              जब शाम को सुधीर कोहली वहाँ पहुंचा तो मिसेज कमला ओबराय अपने मृत्यु पति अमरजीत इबराय के पास उपस्थित थी।

"क्या बात है, आप इतनी बौखलाई हुयी क्यों हैं?"
"मैं...मेरे पति"- वह बोली- " वो...वो....।"
"कहां है वो।"
"भीतर अपनी स्टडी में।..वो...वो....।"
"क्या हुआ है उन्हें ?"
"वो...वो...वहाँ भीतर मरे पडे़ हैं।"
"मरे पडे़ हैं।- मैं चौंका,- " कैसे मरे गये ?"
"लगता है, उन्होंने अपने आप को ग.... गोली मार ली।"
वहाँ बिखरे सबूत भी कमला ओबराय के खिलाफ थे। एक एक सबूत स्पष्ट इशारा कर रहा था की कातिल कमला ओबराय है।
         जूही चावला को अपनी जान का खतरा था। उसने सुधीर कोहली को अपना बाॅडीगार्ड नियुक्त करने के लिए घर बुलाया, अकस्मात कमला ओबराय भी वहाँ उपस्थित हो गयी।
        उपन्यास में एक के बाद एक खून होता है और हर खून का संबंध कहीं न कहीं, किसी न किसी तरीके से कमला ओबराय से जुड़ता है।
     क्या कमला ओबराय वास्तव में हत्यारी था या उसके खिलाफ कोई साजिश रची जा रही थी।
     सुधीर कोहली एक प्राइवेट डिटेक्टिव है, जो दिल्ली में अपनी 'युनिवर्सल इन्वेस्टिगेशन'  डिटेक्टिव एजेंसी चलाता है।
        सुधीर के पास कमला ओबराय का फोन आता है की वह उससे मिलना चाहती है। किसलिए मिलना चाहती यह भी स्पष्ट नहीं किया। लेकिन जब सुधीर तय समय अनुसार कमला से मिलता है तो वह अपने मृत्यु पति के पास उपस्थित होती है।
          
उपन्यास एक मर्डर मिस्ट्री है। कमला ओबराय के पति अमरजीत ओबराय का खून हो जाता है, और इल्जाम‌ लगता है कमला ओबराय पर। जब सुधीर इस केस की जांच करता है तो एक और महिला जूही चावला, जो इसी केस से संबंधित है सुधीर से अपनी सुरक्षा करने को कहती है। सुधीर जब तक उसकी सुरक्षा का उपाय करता तब तक जूही चावला का भी कत्ल हो जाता है।
   एक बार फिर इल्जाम लगता है कमला ओबराय पर। उपन्यास में तीसरे कत्ल का शक भी कमला ओबराय पर ही जाता है।
कातिल कौन है यह तो उपन्यास पढकर ही जाना जा सकता है लेकिन यह काम किसी एक ही व्यक्ति का है ऐसा शक/ विश्वास इंस्पेक्टर यादव को है।
"साहबान" - यादव गंभीर स्वर से बोला- "यहाँ तीन दिन में तीन कत्ल हो चुके हैं और हालात बताते हैं कि तीनों कत्ल किसी एक आदमी का काम हैं।"
       आखिर वह व्यक्ति है कौन?
इस रहस्यमय प्रश्न का उत्तर तो सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के रोचक उपन्यास 'सफेद खून' को पढकर ही जाना जा सकता है‌। आखिर ऐसा होगा कौन जिसका खून सफेद हो गया। ऐसा सफेद खून वाला कहीं किसी का सगे वाला बन सकता है।
निष्कर्ष-
      प्रस्तुत उपन्यास एक रोचक मर्डर मिस्ट्री है, जिसमें एक के बाद एक कत्ल होते हैं लेकिन शक सिर्फ एक ही व्यक्ति पर जाता है‌।
        उपन्यास आरम्भ से अंत तक रोचक है। अगर आप मर्डर मिस्ट्री पढना पसंद करते हैं तो यह तिहरे कत्ल का उपन्यास आपको अवश्य पसंद आयेगा।
           
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उपन्यास- सफेद खून
लेखक- सुरेन्द्र मोहन पाठक

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