Sunday, 21 January 2024

महाबली चीका- रमेशचन्द्र गुप्त 'चन्द्रेश'

 महाबली चीका- रमेशचन्द्र गुप्त 'चन्द्रेश'

उस व्यक्ति ने गर्दन उठा कर उस इमारत की ओर देखा । दस मंजिली वह इमारत अपनी भव्यता के कारण राह चलते व्यक्तियों के लिए पर्याप्त आकर्षण रखती थी । इमारत के दाहिने कोने पर एकदम ऊपर नियोन साइन में एक नाम चमक रहा था ।
संगीता !
राजधानी की ऐश्वर्यपूर्ण महानगरी में संगीता नया खुला होटल था। डेढ़ सौ वाले कमरों को लेकर खोले गये इस होटल में एक स्वीमिंग पूल भी था और तमाम प्रकार की वे सुख-सुविधायें जिन्हें पैसों के बल पर आसानी से प्राप्त किया जा सकता है ।
उस व्यक्ति के हाथ में एक खूबसूरत सूटकेस था । लम्बे कद और चौड़े कधों वाले उस आदमी ने आँखों पर रंगीन चश्मा और सिर पर नाइट कैप लगा रखी थी । कैप कुछ इस प्रकार चेहरे पर झुकी थी किउसका मस्तक एक प्रकार से उसमें छिप सा गया था । चेहरे पर घनी मूंछें थी जो उसके व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने के से साथ-साथ रहस्यमय भी दिख रही थीं ।
उसका शरीर सूट से ढका होने पर भी काफी उभरा-उभरा और शक्तिशाली दीख रहा था । बाँहों की मछलियों की उठान स्पष्ट झलका रही थी ।
(उपन्यास प्रथम पृष्ठ से)

   लोकप्रिय जासूसी उपन्यास साहित्य में रमेशचन्द्र गुप्त 'चन्द्रेश' एक विशिष्ट नाम रहे हैं। उन्होंने थ्रिलर और शृंखलाबद्ध जासूसी उपन्यासों की रचना की है।  जो कथास्तर पर काफी प्रभावशाली उपन्यास हैं।


इनके उपन्यासों का मुख्य नायक मेजर नीलकण्ठ चौधरी उर्फ वैताल है, जो एक गुप्तचर संस्था का एजेंट है। वैताल कर साथ उसके कुछ साथी भी हैं, जिनमें से एक है चीका। चीका अद्वितीय शक्तियों का मालिक है।
   अब बात करते हैं 'महाबली चीका' उपन्यास के कथानक की।  कुछ देशद्रोही किस्म‌ के व्यक्ति मेजर नीलकण्ठ और चीका को अपने राह का रोडा समझते हैं, क्योंकि इन दोनों के होते हुये कोई भारतभूमि‌ को क्षति नहीं पहुंचा सकता।
इसलिए दुश्मनों की एक मीटिंग में यह तय होता है-
"इसलिये कि इस देश का सबसे ज्यादा खतरनाक आदमी वही है।"- मीराज ने कहा- "हमारे स्कीमों और कार्यों की पूति में यह सबसे बड़ा खतरा साबित होगा। हम अपने रास्ते के पत्थर को हटा कर काम करना चाहते हैं। अभी तक हमारी स्कीमों को खराब करने में यह आदमी और मेजर चौधरी...दोनों का मुख्य हाथ रहा है। अगर मेजर अकेला होता तो हमें इतनी परेशानी नहीं होती । मेजर से किसी न किसी प्रकार निपटा जा सकता है लेकिन चीका में कुछ ऐसी ताकतें छिपी हैं जिनका सामना करना हम लोगों के वश में नहीं है। इसलिये उसे अपने रास्ते से हटाकर हो हम कोई कार्य आगे करना चाहते हैं।"
  वहीं चीका के पास एक गुमनाम फोन काॅल आती है।
"यहां राजधानी में आपको समाप्त करने के लिए तीन आदमी भेजे गये हैं। तीनों आदमी विदेशी हैं।" (उपन्यास अंश)
वैताल अकेला ही था क्योंकि मेजर यहाँ था नहीं।
मेजर नीलकण्ठ चौधरी उर्फ वैताल आजकल शहर में नहीं था। चूंकि मेजर नहीं था इसलिए उनके स्थान पर फिलहाल सारी ऊंच-नीच की जिम्मेदारी उसकी थी। मेजर के साथ जगमोहन कपूर भी गया था(पृष्ठ-07)
अब मेजर की अनुपस्थिति में चीका को ही उन लोगों से निपटना था और फिर चीका निकल पड़ा अज्ञात दुश्मनों से टकराने।
  और दुश्मन भी कोई कम नहीं थे। वह अंतरराष्ट्रीय किलर थे। मैकलिन फास्टर उन कुख्यात अंतरराष्ट्रीय हत्यारों की श्रेणी में था जिनके लिये हत्यायें करना किसी चींटी मारने के समान था। अपने पूरे और अब तक के जीवन में उससे अगर यह पूछा जाता कि उसने कितनी हत्यायें की है तो शायद बता पाना नामुमकिन था। (पृष्ठ-20,21)
       ‌‌जो अपने दो साथियों रीगाल और ट्रेसी के साथ चीका की हत्या करने भारत आता है। और यह तिकड़ी अंतरराष्ट्रीय हत्यारों को अंजाम देने में सक्षम थी, यही इनका काम था। आखिर इन लोगों को चीका की हत्या करने के लिए किसने बुलाया था और फिर चीका को यह खबर किसने दे दी थी। यह उपन्यास का पठनीय
चूंकि यह एक थ्रिलर उपन्यास है और इसका घटनाक्रम सिर्फ यही है की महाशक्तिशाली चीका को मारने के लिए कुछ कुख्यात व्यक्ति भारत आते हैं और फिर चीका और उनमें संघर्ष होता है। जिसमें चीका के कुछ साथी सहायक होते हैं।
        उपन्यास में चीका को 'गैबी शक्तियों का मालिक' कहा गया है। पर शक्तियों का कहीं कोई स्पष्टीकरण नहीं है। यह उपन्यास महाबली चीका को लेकर लिखा गया है ओर उसका कहीं विस्तृत परिचय नहीं दिया।
एक जगह उपन्यास में चीका के सम्मोहन शक्ति का करतब दर्शाया गया है।
वहीं उपन्यास के अंत में एक दृश्य में महाबली चीका अदृश्य भी होता है। हालांकि उस दृश्य के अनुसार महाबली चीका अदृश्य है, पर लेखक महोदय ने अपनी तरह से कहीं नहीं लिखा की महाबली चीका अदृश्य हो सकता है।
उपन्यास में महाबली चीका को अत्यंत शक्तिशाली, अदभुत शक्तियों का मालिक कहा गया है पर उन शक्तियों का स्पष्ट कहीं किया गया।
  उपन्यास के अंत में खल पात्रों का बच जाना इसलिए भी तर्कसंगत नहीं आता की महाबली चीका की अत्यंत शक्तियों के बाद भी दुश्मन बच कैसे गया।
उपन्यास मनोरंजन की दृष्टि से अच्छा है, महाबली चीका को जानने वालों के लिए बहुत रोचक है। पर नये पाठक कुछ निराश हो सकते हैं।

          उपन्यास अच्छा और रोचक है लेकिन नये पाठक के लिए  महाबली चीका को समझना मुश्किल कार्य है।  उपन्यास में चीका का कहीं पूर्ण परिचय नहीं मिलता।
फिर भी चीका के कारनामे जानने के लिए आप यह उपन्यास पढ सकते हैं। पूर्णतः मनोरंजन से परिपूर्ण है।

उपन्यास-  महाबली चीका
लेखक-    रमेशचन्द्र गुप्त चन्द्रेश
प्रकाशक-  विनय प्रकाशन
पृष्ठ -        126

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