एक अमरिकी युवक आध्यात्मिक भारत यात्रा
अनोखा सफर- राधानाथ स्वामी, आध्यात्मिक यात्रा वृतांत
भारत भूमि अध्यात्म की भूमि है। ऋषि-मुनियों की भूमि है। यहाँ की भूमि में कुछ तो विशेष आकर्षक है जो अभारतीय भी यहाँ खींचे चले आते हैं। और उनके आने का उद्देश्य कोई सामान्य यात्रा नहीं है, वे तो आध्यात्मिक शांति के लिए यहाँ आते हैं। इस पवित्र धरा को समझने आते हैं।
ऐसा ही अमेरिकी युवक भारत आता है और फिर यहाँ का होकर रह जाता है।
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में हमारे आदरणी मैम रेखा चौधरी जी को आध्यात्मिक पुस्तकों में विशेष रूचि है। उनके सानिध्य में कुछ आध्यात्मिक किताबें मैंने भी पढी हैं। इस पुस्तक से पूर्व मैंने श्री एम की आध्यात्मिक रचना 'हिमालयवासी गुरु के साये में' पढी थी और संभव यह अध्ययन आगे भी यथावत जारी रहेगा।
यह यात्रा है एक बीस वर्षीय अमेरिकी युवक रिचर्ड की। उसे यात्रा का शौक था। एक बार किसी यात्रा में,नदी के किनारे उसे एक आवाज सुनाई देती है-भारत जाओ-भारत जाओ।
इस पुकार पर वह युवक अपना घर-ऐशोआराम त्याग कर 'हिचहाइक'(रास्ते में जो भी साधन मिला उसी से लिफ्ट लेकर यात्रा करना) द्वारा तुर्की, अफगानिस्तान जैसे खतरनाक और आतंकवाद क्षेत्र से पैदल भारत की ओर गमन करता है। खैबर दर्रे से होता हुआ जब वह भारत में प्रवेश चाहता है तो उसे प्रवेश नहीं मिलता।
अनोखा सफर- राधानाथ स्वामी, आध्यात्मिक यात्रा वृतांत
भारत भूमि अध्यात्म की भूमि है। ऋषि-मुनियों की भूमि है। यहाँ की भूमि में कुछ तो विशेष आकर्षक है जो अभारतीय भी यहाँ खींचे चले आते हैं। और उनके आने का उद्देश्य कोई सामान्य यात्रा नहीं है, वे तो आध्यात्मिक शांति के लिए यहाँ आते हैं। इस पवित्र धरा को समझने आते हैं।
ऐसा ही अमेरिकी युवक भारत आता है और फिर यहाँ का होकर रह जाता है।
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में हमारे आदरणी मैम रेखा चौधरी जी को आध्यात्मिक पुस्तकों में विशेष रूचि है। उनके सानिध्य में कुछ आध्यात्मिक किताबें मैंने भी पढी हैं। इस पुस्तक से पूर्व मैंने श्री एम की आध्यात्मिक रचना 'हिमालयवासी गुरु के साये में' पढी थी और संभव यह अध्ययन आगे भी यथावत जारी रहेगा।
अनोखा सफर- राधानाथ स्वामी |
इस पुकार पर वह युवक अपना घर-ऐशोआराम त्याग कर 'हिचहाइक'(रास्ते में जो भी साधन मिला उसी से लिफ्ट लेकर यात्रा करना) द्वारा तुर्की, अफगानिस्तान जैसे खतरनाक और आतंकवाद क्षेत्र से पैदल भारत की ओर गमन करता है। खैबर दर्रे से होता हुआ जब वह भारत में प्रवेश चाहता है तो उसे प्रवेश नहीं मिलता।
उस दौरान वह एक वचन करता है की अगर मुझे भारत में प्रवेश मिला तो मैं भारत के किए कुछ अच्छा करुंगा। यह अच्छा आज भारत में 'मिड डे मील' के रूप में देखा जा सकता है।
भारत में आगमन और उसके पश्चात एक रिचर्ड की सबसे बड़ी समस्या उसकी भाषा है। यहाँ साधु-संतों के साथ घूमना, उनकी भाषागत समस्या उसके लिए काफी विकट स्थिति रही है।
यह यात्रा वृतांत आध्यात्मिक तो है ही है लेकिन साथ-साथ में बहुत से रोचक वृतांत भी पढने को मिल जाते हैं, जैसे अफगानिस्तान में कुछ असामाजिक तत्वों से जान बचाना, भारत में नागाओं साधुओं का गुस्सा और प्रेम, नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर में प्रवेश की घटना जैसे प्रसंग पाठक को रोमांचित करते हैं।
भारत-नेपाल का भटकाव, कुछ बचपन के साथियों से मिलान- विलग होना। और अंततः एक लंबे समय पश्चात गुरु को अपनाना आदि बहुत रोचक वृतांत है।
अगर आप एक अभारतीय व्यक्ति का यात्रा वृतांत पढना चाहते हैं तो यह रचना पढें, हां पृष्ठ संख्या और विस्तार कहीं-कहीं नीरस भी लगता है। फिर भी कुछ अलग पढने की दृष्टि से यह रचना अच्छी है।
यात्रा वृतांत- अनोखा सफर
लेखक- राधानाथ स्वामी
प्रकाशन- तुलसी बुक्स, मुंबई
भारत में आगमन और उसके पश्चात एक रिचर्ड की सबसे बड़ी समस्या उसकी भाषा है। यहाँ साधु-संतों के साथ घूमना, उनकी भाषागत समस्या उसके लिए काफी विकट स्थिति रही है।
यह यात्रा वृतांत आध्यात्मिक तो है ही है लेकिन साथ-साथ में बहुत से रोचक वृतांत भी पढने को मिल जाते हैं, जैसे अफगानिस्तान में कुछ असामाजिक तत्वों से जान बचाना, भारत में नागाओं साधुओं का गुस्सा और प्रेम, नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर में प्रवेश की घटना जैसे प्रसंग पाठक को रोमांचित करते हैं।
भारत-नेपाल का भटकाव, कुछ बचपन के साथियों से मिलान- विलग होना। और अंततः एक लंबे समय पश्चात गुरु को अपनाना आदि बहुत रोचक वृतांत है।
अगर आप एक अभारतीय व्यक्ति का यात्रा वृतांत पढना चाहते हैं तो यह रचना पढें, हां पृष्ठ संख्या और विस्तार कहीं-कहीं नीरस भी लगता है। फिर भी कुछ अलग पढने की दृष्टि से यह रचना अच्छी है।
अनोखा सफर- राधानाथ स्वामी |
लेखक- राधानाथ स्वामी
प्रकाशन- तुलसी बुक्स, मुंबई
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