Saturday, 22 February 2020

267. खूनी छलावा- वेदप्रकाश शर्मा

टुम्बकटू सीरीज का पहला उपन्यास
खूनी छलावा- वेदप्रकाश शर्मा
वेदप्रकाश शर्मा जी का तृतीय उपन्यास

'खूनी छलावा' वेदप्रकाश शर्मा जी की आरम्भिक रचनाओं में से है। यह उस समय का उपन्यास है जब उपन्यास साहित्य में आश्चर्यजनक पात्र और अतिशय कल्पना की प्रचुरता थी। पाठक अक्सर ऐसा पढना पसंद करते थे जो उन्हें एक अलग दुनिया का भ्रमण करवा सके, बाकी वास्तविकता और यथार्थवाद तो चारों तरफ फैला ही है। पाठक इस यथार्थवादी दुनिया से अलग अपनी एक कल्पना की दुनिया इन उपन्यासों में ढूंढते थे। इसी कल्पना की दुनिया को कुछ और विचित्र बनाने के लिए वेदप्रकाश शर्मा जी ने अपने एक अदभुत पात्र टुम्बकटू की कल्पना की। उपन्यास पढने पर पता चलता है की यह पात्र कितना अजीब है।
        वेदप्रकाश शर्मा मेरे पसंदीदा उपन्यासकार हैं। मेरी इच्छा है उनके समस्त उपन्यास पढने की और यह क्रम जारी भी है। 'दहकते शहर' और 'आग के बेटे' के बाद यह क्रम से उनका तीसरा उपन्यास पढ रहा हूँ और अक्रम से काफी पढ लिये।
उपन्यास का आरम्भ विकास के 13 वें जन्मदिन से होता है। वेद जी के पाठकों को पता ही है विकास के जन्मदिन पर विश्व के खतरनाक अपराधी अपने-अपने अजीब ढंग से आशीर्वाद देने आते हैं। इस बार तेरहवें जन्मदिन पर चांद का निवासी और खतरनाक अपराधी टुम्बकटू भी विकास को आशीर्वाद देने आता है। लेकिन वह विश्व के अपराधियों को एक चैलेंज भी देता है।
"मैं ....धरती के समस्त देशों की सरकार के साथ-साथ अपराधी जगत के भयानक से भयानक अपराधी को चैलेंज दे रहा हूँ। चैलेंज ये है कि जिसमें भी शक्ति हो, वह मेरा यानी टुम्बकटू का खून कर दे।" (पृष्ठ-09)



         है ना अजीबोगरीब चैलेंज। चन्द्र ग्रह का निवासी पृथ्वी पर आकर अपने कत्ल का चैलेंज करता है। आखिर क्यों?
इस क्यों को जानने के बाद सभी अपराधी टुम्बकटू के पीछे पड़ जाते हैं। शहजादी जैक्सन, सिहंगी, अलफांसे से लेकर विजय-विकास भी इस छलावे टुम्बकटू की जान के पीछे पड़े हैं। लेकिन टुम्बकटू भी किसी से कम नहीं।
टुम्बकटू- चन्द्र ग्रह का फरारा अपराधी।
'गन्ने की भांति तना हुआ उसका बदन ऐसा लगता था, जैसे बस किसी गन्ने की भांति ही कट से दो भागों‌ में विभक्त हो जाएगा। शतुर्मुर्गी लंबी व पतली गरदन पर उसका पतला ऐसा लगता था, जैसे किसी ने लटक दिया हो। लंबूतरे चेहरे पर नाक मानो लटक रही हो, कान कुछ बड़े थे। आँखें छोटी-छोटी, परंतु बेहद चमकीली थी। वास्तव में उसकी आँखों में बेहद गजब की चमक थी। एक ऐसी चमक, जो इंसान को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर ले। उसकी पतली-पतली कलाइयों के आगे दोनों हाथों की उंगलियों की संख्या बीस थी, बीसों उंगलियों के नाखून बढकर उसकी उंगलियों से भी बड़े हो गये थे। नाखून सख्त होने के कारण लटक नहीं रहे थे, बल्कि तने हुए थे। घुटे हुए सिर पर लंबे, परंतु अस्त-वस्त से बाल थे।'(पृष्ठ-12)
         'उसके लंबे और पतले जिस्म पर लटका हुआ कोट ऐसा प्रतीत होता था, जैसे हैंगर पर लटका हो। शायद ही संसार का ऐसा रंग हो जो उसके कोट में देखने को न मिलता हो।'
(पृष्ठ-13)
तो यह है वो अदभुत नमूना टुम्बकटू जिसने पृथ्वी पर एक से बढकर एक कारनामे किये और अपने ही कत्ल का चैलेंज दे बैठा।
इस चैलेंज को लेकर पृथ्वी के खतरनाक अपराधी टुम्बकटू के पीछे पड़ जाते हैं लेकिन वह भी पूरा छलावा है जिसी के हाथ नहीं लगता।

उपन्यास में सभी पात्र अपना-अपना विशेष महत्व रखते हैं। वह चाहे विजय-विकास हो या अन्य अपराधी वर्ग सभी की भूमिका किरदार के अनुसार रही है। लेकिन उपन्यास में विकास को नायक के रूप में प्रस्तुत किया गया है तो उसका वर्णन कहीं- कहीं अतिशयोक्तिपूर्ण भी है। विकास मात्र तेरह वर्ष का किशोर है लेकिन उसके कारनामे विजय और टुम्बकटू को भी हैरत में डाल देते हैं।

- टुम्बकटू धरती पर क्यों आया?
- उसने अपने कत्ल का चैलेंज क्यों दिया?
- विश्व के ख़तरनाक अपराधियों से कैसे टकराया टुम्बकटू?
- किसके हाथ लगा टुम्बकटू?
- विकास ने क्या कारनामे दिखाये?
- आखिर क्या परिणाम निकला इस संघर्ष का?

        अगर आप वेदप्रकाश शर्मा जी के लिखे उपन्यास पसंद करते हैं, उनके पात्र टुम्बकटू, अलफांसे, सिहंगी और जैक्सन को पसंद करते हैं तो यह उपन्यास आपको पसंद आयेगा। वहीं तार्किक कथा पढने वालों के लिए यह उपन्यास बिलकुल भी नहीं है।
        उपन्यास की कहानी रोचक है। टुम्बकटू सीरीज का यह प्रथम उपन्यास है। उसका किरदार बिलकुल नये किस्म का है, जो पाठक वर्ग में हास्य पैदा करता है।
वेद जी के पाठकों के लिए यह उपन्यास अच्छा है। एक बार पढा जा सकता है लेकिन कथा सामान्य है, कोई स्मरणीय बात नहीं है।
        यह उपन्यास दो भागों में विभक्त है। प्रथम भाग 'खूनी छलावा' और द्वितीय भाग 'छलावा और शैतान' है।

उपन्यास- खूनी छलावा
लेखक-    वेदप्रकाश शर्मा
प्रकाशक- राजा पॉकेट बुक्स-दिल्ली
पृष्ठ-        133


(इस उपन्यास का प्रथम प्रकाशन किसी और प्रकाशन से हुआ था। तब उपन्यास लघु आकार के होते थे। बाद में इस उपन्यास के दोनों भाग 'खूनी छलावा' और 'छलावा और शैतान' को राजा पॉकेट बुक्स ने एक साथ भी प्रकाशित किया।)

3 comments:

  1. इस क़िरदार ने विजय-विकास सीरीज़ में जान डाल दी थी।

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  2. Easy "water hack" burns 2 lbs OVERNIGHT

    At least 160 000 women and men are losing weight with a simple and SECRET "water hack" to burn 1-2 lbs each night as they sleep.

    It is simple and it works all the time.

    This is how to do it yourself:

    1) Grab a clear glass and fill it up with water half full

    2) Proceed to do this crazy HACK

    and be 1-2 lbs lighter when you wake up!

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  3. As stated by Stanford Medical, It's in fact the one and ONLY reason women in this country get to live 10 years more and weigh 42 lbs lighter than us.

    (By the way, it has absolutely NOTHING to do with genetics or some secret diet and absolutely EVERYTHING around "HOW" they eat.)

    P.S, I said "HOW", and not "WHAT"...

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