मैं तेरे प्यार में पागल
जहरीली- हादी हसन
अपने प्यार को पाने का उसके पास एक ही रास्ता था सायनाइड। ऐसा तेज जहर जिसका स्वाद कोई नहीं जानता। क्योंकि उसे चखने वाला बताने के लिए जिंदा ही नहीं रहा। लेकिन उसे मालूम था कि ऐसा करते ही वह कानून का मुजरिम बन जायेगा। फिर भी उसने वह रास्ता अपनाया। प्यार में अंधा जो हो चुका था। इसलिए अपने इंस्पेक्टर दोस्त की आड़ में उसने वह चाल चली जो थी बड़ी-जहरीली।
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में हासी हसन जी का स्वयं के नाम से प्रकाशित होना वाला यह प्रथम मौलिक उपन्यास है। हासी हसन जी उपन्यास साहित्य में एक लंबे समय से सन् 1973 से सक्रिय हैं पर अपने वास्तविक नाम से प्रकाशित होना का यह उनका प्रथम अवसर है। एक बेहतरीन लेखनी छद्म लेखन की भेंट चढती रही, लेकिन Flydreams ने इसअनमोल मोती को पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत लाने का प्रशंसनीय कार्य किया है 'जहरीली' उपन्यास के माध्यम से।
मीनाक्षी, रानी लक्ष्मी चौक और चूनाभट्टी के बीच कहीं रहती है। वह अपने बूढे माँ-बाप का एकमात्र सहारा है। एक प्राइवेट फर्म में टाइपिस्ट की नौकरी करती है। उस रात वह नौकरी के बाद माँ की दवा लेकर लौट रही थी, तभी एक हादसा हो हुआ जिसमें वह चाकू से घायल हो गयी। (पृष्ठ-18)
संयोग से वहाँ पहुंचे मिस्टर संजय और मिस्टर नरेश डोगरा दोनों मीनाक्षी के रक्षक साबित होते हैं। और यहीं से तीनों अच्छे मित्र बनते हैं। लेकिन यहीं मित्रता उनके जीवन का अभिशाप बन जाती है। क्योंकि परिस्थितियाँ इस कदर करवट लेती हैं कि किसी को कुछ समझ में ही नहीं आता कि आखिर हो क्या रहा है। मीनाक्षी के कदम जैसे ही नरेश डोगरा के घर में पड़ते हैं उन के घर मुसीबतों ने जैसे अपना आशियाना ही बना लिया। और एक दिन उनके घर में कत्ल हो जाता है। वहीं नरेश डोगरा की जान को भी खतरा हो जाता है। क्योंकि उन पर दो बार जान लेवा हमला होता है। हमला सिर्फ नरेश डोगरा पर ही नहीं मीनाक्षी पर भी होता है।
वहीं संजय मीनाक्षी को अपनाना चाहता है लेकिन यह बाजी उसके हाथ से निकल कर नरेश डोगरा के हाथ में चली जाती है। और वहीं मीनाक्षी के प्यार में पागल संजय भी एक खतरनाक और जहरीला खेल खेलना चाहता है लेकिन नरेश डोगरा और मीनाक्षी के साथ हो रहे हादसों में वह भी उलझ कर रह जाता है। क्योंकि कोई और भी था इस खतरनाक खेल में शामिल पर था वह नेपथ्य में।
हर मुसीबत में मीनाक्षी का साथ देने वाला संजय भी एक दिन यह कहने को विवश हो जाता है-"तुम भी डोगरा के सामने विवश हो और मैं भी। हम दोनों विवश हैं। साथ ही डोगरा हालात के आगे विवश है।(पृष्ठ-87)
आखिर वह क्या कारण था जहाँ सभी पात्र विवश थे?
यह आप इस तेज रफ्तार उपन्यास पढ कर जान सकते हैं। हाँ,कहानी जो नजर आती है वह है नहीं मेरे दोस्त,क्योंकि यहाँ पता नहीं चलता की कौन किस के साथ 'खेल-खेल रहा है।' हर एक पात्र स्वयं को बहुत तेज दिमाग मानता है पर ...।
उपन्यास में एक खतरनाक व्यक्ति का किरदार भी देख लीजिए, यह भी एक मुसीबत है सब के लिए-
काला रंग। चेचक से गहरे-गहरे दाग से। बड़ी-बड़ी मूँछें और दाहिने गाल पर बड़ा सा मस्सा। भारी-भरकम जिस्म वाला बलवीर। (पृष्ठ-39)
वहीं एक और शख्स कभी-कभी नजर आता है वज है दिनेश। हालांकि उपन्यास में उसका किरदार कम ही जर आता है लेकिन अंत में आकर तो वह पूरी कहानी को ही पलट देता है।
इंस्पेक्टर शिंदे और CBI इंस्पेक्टर कौशिक का किरदार भी दमदार है। कौशिक तो खैर उड़ती चिड़िय के पर गिनने की क्षमता रखता है। (यह कौशिक का ही डायलाॅग है)
उपन्यास में मुख्य पात्र संजय का किरदार भी बहुत रहस्य लिये हुये है। हर पात्र के लिए उसका अस्तित्व बिलकुल अलग ही होता है। तभी तो मीनाक्षी भी उसे पूछती है- यह इंस्पेक्टर तुम्हें जाॅन क्यों कहता है?
क्योंकि वह पात्र है ही ऐसा। उपन्यास में मुख्य कथा के साथ-साथ संजय का अतीत भी है, लेकिन उसका पूर्णत: कहीं खुलकर वर्णन नहीं आता।
उपन्यास में संजय से अतीत से संदर्भित कुछ पात्रों का वर्णन तो है पर उनका क्या हुआ कहीं कुछ वर्णित नहीं है। हालांकि लेखक महोदय ने लिखा है यह उनकी नयी सीरीज का उपन्यास है तो शायद आगामी किसी भाग में संजय के अतीत का और उन पात्रों का विस्मृत वर्णन मिलेगा। मेरा विचार है जब आप उपन्यास थ्रिलर रूप में लिख रहे हो, कहानी भी एक पार्ट में पूर्ण कर रहे हो तो फिर सब रहस्य खुल जाने जाने चाहिए,पाठक की जिज्ञासों का समन होना चाहिए।
हादी हसन जी द्वारा रचित उपन्यास 'जहरीली' एक तीव्र गति का थ्रिलर है। कहानी रहस्य के जाल में लिपटी पाठक को भी स्वयं के साथ लपेट लेने में सक्षम है।
उपन्यास का क्लाईमैक्स पाठक को चौंकाने वाला और कहानी के साथ पूर्णत न्याय करने वाला है।
एक अच्छे उपन्यास के लिए धन्यवाद।
उपन्यास- जहरीली
लेखक- हादी हसन
प्रकाशक- Flydreams
पृष्ठ- 294
मूल्य- 250
श्रेणी- क्राइम थ्रिलर
जहरीली- हादी हसन
अपने प्यार को पाने का उसके पास एक ही रास्ता था सायनाइड। ऐसा तेज जहर जिसका स्वाद कोई नहीं जानता। क्योंकि उसे चखने वाला बताने के लिए जिंदा ही नहीं रहा। लेकिन उसे मालूम था कि ऐसा करते ही वह कानून का मुजरिम बन जायेगा। फिर भी उसने वह रास्ता अपनाया। प्यार में अंधा जो हो चुका था। इसलिए अपने इंस्पेक्टर दोस्त की आड़ में उसने वह चाल चली जो थी बड़ी-जहरीली।
जहरीली - हादी हसन |
मीनाक्षी, रानी लक्ष्मी चौक और चूनाभट्टी के बीच कहीं रहती है। वह अपने बूढे माँ-बाप का एकमात्र सहारा है। एक प्राइवेट फर्म में टाइपिस्ट की नौकरी करती है। उस रात वह नौकरी के बाद माँ की दवा लेकर लौट रही थी, तभी एक हादसा हो हुआ जिसमें वह चाकू से घायल हो गयी। (पृष्ठ-18)
संयोग से वहाँ पहुंचे मिस्टर संजय और मिस्टर नरेश डोगरा दोनों मीनाक्षी के रक्षक साबित होते हैं। और यहीं से तीनों अच्छे मित्र बनते हैं। लेकिन यहीं मित्रता उनके जीवन का अभिशाप बन जाती है। क्योंकि परिस्थितियाँ इस कदर करवट लेती हैं कि किसी को कुछ समझ में ही नहीं आता कि आखिर हो क्या रहा है। मीनाक्षी के कदम जैसे ही नरेश डोगरा के घर में पड़ते हैं उन के घर मुसीबतों ने जैसे अपना आशियाना ही बना लिया। और एक दिन उनके घर में कत्ल हो जाता है। वहीं नरेश डोगरा की जान को भी खतरा हो जाता है। क्योंकि उन पर दो बार जान लेवा हमला होता है। हमला सिर्फ नरेश डोगरा पर ही नहीं मीनाक्षी पर भी होता है।
वहीं संजय मीनाक्षी को अपनाना चाहता है लेकिन यह बाजी उसके हाथ से निकल कर नरेश डोगरा के हाथ में चली जाती है। और वहीं मीनाक्षी के प्यार में पागल संजय भी एक खतरनाक और जहरीला खेल खेलना चाहता है लेकिन नरेश डोगरा और मीनाक्षी के साथ हो रहे हादसों में वह भी उलझ कर रह जाता है। क्योंकि कोई और भी था इस खतरनाक खेल में शामिल पर था वह नेपथ्य में।
हर मुसीबत में मीनाक्षी का साथ देने वाला संजय भी एक दिन यह कहने को विवश हो जाता है-"तुम भी डोगरा के सामने विवश हो और मैं भी। हम दोनों विवश हैं। साथ ही डोगरा हालात के आगे विवश है।(पृष्ठ-87)
आखिर वह क्या कारण था जहाँ सभी पात्र विवश थे?
यह आप इस तेज रफ्तार उपन्यास पढ कर जान सकते हैं। हाँ,कहानी जो नजर आती है वह है नहीं मेरे दोस्त,क्योंकि यहाँ पता नहीं चलता की कौन किस के साथ 'खेल-खेल रहा है।' हर एक पात्र स्वयं को बहुत तेज दिमाग मानता है पर ...।
उपन्यास में एक खतरनाक व्यक्ति का किरदार भी देख लीजिए, यह भी एक मुसीबत है सब के लिए-
काला रंग। चेचक से गहरे-गहरे दाग से। बड़ी-बड़ी मूँछें और दाहिने गाल पर बड़ा सा मस्सा। भारी-भरकम जिस्म वाला बलवीर। (पृष्ठ-39)
वहीं एक और शख्स कभी-कभी नजर आता है वज है दिनेश। हालांकि उपन्यास में उसका किरदार कम ही जर आता है लेकिन अंत में आकर तो वह पूरी कहानी को ही पलट देता है।
इंस्पेक्टर शिंदे और CBI इंस्पेक्टर कौशिक का किरदार भी दमदार है। कौशिक तो खैर उड़ती चिड़िय के पर गिनने की क्षमता रखता है। (यह कौशिक का ही डायलाॅग है)
उपन्यास में मुख्य पात्र संजय का किरदार भी बहुत रहस्य लिये हुये है। हर पात्र के लिए उसका अस्तित्व बिलकुल अलग ही होता है। तभी तो मीनाक्षी भी उसे पूछती है- यह इंस्पेक्टर तुम्हें जाॅन क्यों कहता है?
क्योंकि वह पात्र है ही ऐसा। उपन्यास में मुख्य कथा के साथ-साथ संजय का अतीत भी है, लेकिन उसका पूर्णत: कहीं खुलकर वर्णन नहीं आता।
उपन्यास में संजय से अतीत से संदर्भित कुछ पात्रों का वर्णन तो है पर उनका क्या हुआ कहीं कुछ वर्णित नहीं है। हालांकि लेखक महोदय ने लिखा है यह उनकी नयी सीरीज का उपन्यास है तो शायद आगामी किसी भाग में संजय के अतीत का और उन पात्रों का विस्मृत वर्णन मिलेगा। मेरा विचार है जब आप उपन्यास थ्रिलर रूप में लिख रहे हो, कहानी भी एक पार्ट में पूर्ण कर रहे हो तो फिर सब रहस्य खुल जाने जाने चाहिए,पाठक की जिज्ञासों का समन होना चाहिए।
हादी हसन जी द्वारा रचित उपन्यास 'जहरीली' एक तीव्र गति का थ्रिलर है। कहानी रहस्य के जाल में लिपटी पाठक को भी स्वयं के साथ लपेट लेने में सक्षम है।
उपन्यास का क्लाईमैक्स पाठक को चौंकाने वाला और कहानी के साथ पूर्णत न्याय करने वाला है।
एक अच्छे उपन्यास के लिए धन्यवाद।
उपन्यास- जहरीली
लेखक- हादी हसन
प्रकाशक- Flydreams
पृष्ठ- 294
मूल्य- 250
श्रेणी- क्राइम थ्रिलर
उपन्यास के प्रति उत्सुकता जगाता आलेख। हार्दिक आभार।
ReplyDeleteप्रोफेसर साहब का कथन एकदम सत्य है। कितने ही प्रश्नों के उत्तर शेष
ReplyDeleteहैं। उपन्यास जहरीली, सीरीज का प्रथम उपन्यास है। संभवतः स्थानाभाव के कारण अगले भाग का विवरण नहीं दिया जा सका। अंत में क्रमशः करके छोड़ दिया गया। दूसरा भाग "ब्लैकमेल" तथा अंतिम भाग "गैर वारंट" है। क्षमा प्रार्थी हूं। संपूर्ण विवरण जहरीली में ले देना चाहिए था। हादी हसन
ह
हादी