Tuesday, 22 January 2019

167. सत्यानाशी- प्रतिमा जायसवाल

कुछ प्रेम कथा, कुछ समाज कथा।

सत्यानाशी- प्रतिमा जायसवाल, कहानी संग्रह

          दिल्ली विश्व मेला 2019 के दौरान कुछ नये लेखकों की पुस्तकें भी खरीदी थी, जिनमें से एक प्रतिमा जायसवाल जी का कहानी संग्रह है 'सत्यानाशी'।
वेदप्रकाश कंबोज जी का जासूसी उपन्यास 'दांव खेल, पासे पलट गये', राम पुजारी जी का 'अधूरा इंसाफ...एक और दामिनी' तथा द्वय लेखक सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर' व मनीष खण्डेलवाल का उपन्यास 'रावायण- लीला आॅफ रावण' आदि उसी समय की खरीदी गयी रचनाएँ हैं।
               प्रतिमा जायसवाल, सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर' और पुजारी जी की ये प्रथम रचनाएं हैं। वेदप्रकाश कंबोज जी तो सन् 1957 ई. से निरंतर लेखन कर रहे हैं।

             'सत्यानाशी' लघु- गुरु कुल बारह कहानियों का संग्रह है, सभी कहानियाँ कथ्य के स्तर पर अलग हैं। जहां इनका कथ्य और परिवेश अलग है वहीं इनमें एक बात सामान्य है वह है इनकी मार्मिकता और संवेदना। कहानियाँ पढते वक्त ऐसा लगता है जैसे ये कहानियाँ अपने आस पास के वातावरण की हो।
संग्रह की कहानियां
1. सत्यानाशी
2. कब्रिस्तान- श्मशान
3. राजनीति
4. आशिका का आशियाना
5. दिमागी अपाहिज
6. बाजार
7. कृष्णा- अर्जुन
8. चौधराइन का इस्तीफा
9. फिर मिलेंगे
10. संस्कारी सुहागरात
11. स्टेज
12. शेरा दे दिलरे दी जन्नत


"वो मुझसे जब भी मिलती थी, मेरे साथ कुछ अच्छा ही होता था, फिर भी ना जानें सब उन्हें 'सत्यानाशी' क्यों कहते थे।" (पृष्ठ-01)
            'सत्यानाशी'  इस संग्रह की प्रथम कहानी है और इसी पर इस संग्रह का नाम भी है। कहानी भारतीय समाज में‌ प्रचलित अंधविश्वास गहरी चोट करती एक सार्थक रचना है। हम लड़कियों की प्रतिभा की परख न कर लड़कों को महत्व देते हैं। लेखिका ने इस कहानी में जो छाप छोड़ी है वह प्रशंसनीय है।
कहानी बाजार भी रिश्तों पर आधारित एक अच्छी कहानी है।
      कहानी राजनीति चाहे शीर्षक से राजनैतिक लगती हो लेकिन यह एक पारिवारिक कथा है। परिस्थितियाँ बदलते ही कैसे लोग बदलते हैं यह इसी कहानी में स्पष्ट होता है। हालांकि कहानी का अंत थोड़ा फिल्मी लगता है। लेकिन कहानी एक पंक्ति भारतीय राजनीति की निकृष्टता जाहिर करती है। "इस लड़के में दम है, कैलाश जी.... ये बेरोजगार लड़के़ दंगों और आंदोलनों में बड़े काम आते हैं।" (पृष्ठ-31)


     आशिक का आशियाना
 एक एक मार्मिक रचना है। यह कहानी है माया और रोमित की। दोनों की परिस्थितियाँ उन्हें एक ऐसे मोड़ पर ले आती है जहाँ उनका मिलना और मिलकर विलग होना तय है। "हम दोनों बचपन से आशियाने के लिए तरसे हैं।" (पृष्ठ-66)
लेकिन यह आशियाना इतनी आसानी से मिलना भी संभव नहीं।

      'दिमागी अपाहिज' कहानी हमारे समाज में व्याप्त जातिवाद को परिभाषित करती एक अच्छी कहानी है। "हिम्मत देखों उस कमीने की...छोटी जाति का होकर बैंड-बाजे का शौक करेगा।" (पृष्ठ-67)। यह परिस्थिति बहुत बार समाचार पत्रों में पढने को मिलती है। समाज को इंगित करती एक और कहानी है 'क्रबिस्तान- श्मशान'।

        कृष्णा-अर्जुन इस संग्रह की एक प्रेम कथा है। इस संग्रह में और भी कई प्रेम कहानियां है लेकिन यह कहानी अन्य सभी कहानियों से बिलकुल अलग। यह कहानी 'थर्ड जेंडर' पर आधारित है और बहुत कुछ कहने में सक्षम है।
"वैसे अर्जुन तुझे नहीं लगता कि तुम दोनों नदी के दो किनारे हो, जो एक-दूसरे को देख तो सकते हैं लेकिन‌ कभी मिल नहीं सकते....।" (पृष्ठ-74)
       यह कृष्णा और अर्जुन की प्रेम कथा। कृष्णा एक थर्ड़-जेंडर' है जिसे अर्जुन प्यार करता है लेकिन पारिवारिक और सामाजिक परिस्थितियाँ उसके प्यार को मान्यता नहीं देती। "कृष्णा-अर्जुन अगर साथ मिल गए, तो महाभारत होगा और हमें योद्धा बनकर अपनों के खिलाफ युद्ध लड़ना पड़ेगा।" (पृष्ठ-75)
क्या कृष्णा-अर्जुन समाज से जीत पाये?

        'चौधराइन का इस्तीफा' एक छोटी सी रचना है। एक अपराध बोध से ग्रस्त व्यक्ति के जीवन को परिभाषित करती अच्छी कहानी है। ऐसी ही दो और छोटी-छोटी कहानियाँ है 'फिर मिलेंगे' और 'संस्कारी सुहागरात'। दोनों अलग- अलग स्वभाव की कहानियाँ है।
इस संग्रह की अधिकाश कहानियाँ प्रेम परक हैं। प्यार है और प्यार के साथ धोखा है‌। प्यार के दोनों रंग इस कहानी संग्रह में उपस्थित हैं।

             कहानी 'स्टेज' भी समय ले साथ बदलते संबंधों की कहानी। जीवन के स्टेज पर विभिन्न पर प्रकार के कलाकार मिलते हैं। लेकिन उनकी वास्तविकता क्या होती है यह हमें नहीं पता। जैसे स्टेज पर एक कलाकार विभिन्न भूमिका अदा करता है, वैसे ही वास्तविकता जीवन में भी वह कई भूमिकाएं अदा करने लग जाता है।
             संग्रह की अंतिम कहानी 'शेरा दे दिलरे दी जन्नत' एक अलग तरह की रोचक कहानी है। कहानी सिर्फ मनोरंजन है, जैसे खुशवंत सिंह की कहानियाँ होती। मनोरंजन, हल्का सा सस्पेंश और ढेर आनंद इसी कहानी में मिलेगा वह भी हैप्पी एंडिग के साथ। अब 'हैप्पी एंडिंग' किस का कहानी का या कहानी संग्रह का। यह तो भाई आप इस कहानी संग्रह को पढकर ही जान पायेंगे।
         कहानी संग्रह को पढ ही लीजिएगा 'Best Seller' जैसे तथाकथित शोर से दूर एक अच्छा व रोचक कहानी संग्रह है।

निष्कर्ष-
          इस संग्रह की सभी कहानियाँ मन को छू लेने वाली संवेदनशील कहानियाँ है। अधिकांश कहानियाँ आपकी आँखों को नम करने में सक्षम है।
लेखिका का यह प्रथम कहानी संग्रह है यह कहानी संग्रह पढकर ही पता चलता है, कुछ कहानियों में अनावश्यक विस्तार और कुछ में सुखद समापन लाने के लिए कहानियाँ एक स्तर से उपर नहीं उठ सकी। उम्मीद और विश्वास है लेखिका महोदया का आगामी कथा संग्रह एक परिपक्व कथा संग्रह होगा।
एक अच्छे प्रयास के लिए प्रतिमा जी को हार्दिक धन्यवाद।
पाठक वर्ग को यह कहानी संग्रह अच्छा लगेगा यह मेरा विश्वास है। पठनीय कहानियाँ है, आप भी पढें।
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पुस्तक- सत्यानाशी
लेखिका- प्रतिमा जायसवाल
प्रकाशक- nation press
मूल्य- 149₹
पृष्ठ- 118
संपर्क- nationpress.com

प्रतिमा जायसवाल जी के साथ।

4 comments:

  1. रोचक हैं।इसे टी बी आर में जोड़ दूंगा।

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  2. अच्छी समीक्षा जल्द ही पढ़ता हूं ।

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  3. बहुत बहुत बढ़िया व विस्तृत समीक्षा लिखी है आपने। मज़ा आ गया। अल्टीमेट।

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  4. प्रतिक्रिया देने के लिए तहेदिल से शुक्रिया. आगे आपकी उम्मीदों पर खरे उतरने की कोशिश की जाएगी. अपने ब्लॉग में जगह देने के लिए धन्यवाद.

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