Monday, 11 June 2018

120. मौत के चेहरे- चंदर

लोकप्रिय जासूसी उपन्यास साहित्य में चंदर नाम काफी चर्चित रहा है। चर्चित होने के भी दो कारण है एक तो इनके जासूसी उपन्यास और द्वितीय कारण है चंदर के संयुक्त नाम से एक दम्पति उपन्यास लिखते थे। श्रीमती चन्द्रकांता जैन और आनंदप्रकाश जैन।
मेरे विचार से इस तरह के दम्पति द्वारा लिखे जाने वाला यह प्रथम प्रयास है।
अब चर्चा करते हैं उपन्यास 'मौत के चेहरे' की। यह एक थ्रिलर उपन्यास है और इसके नायक हैं भोलाशंकर जो भारतीय जासूसी संस्था 'स्वीप' के लिए कार्य करते हैं। यह भोलाशंकर सीरीज का सातवां उपन्यास है।
'इण्डियन एयरलाइंस के कैरेवल विमान को नई दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर अभी उतरने में पन्द्रह मिनिट शेष थे। (उपन्यास की प्रथम पंक्तियाँ)
      इस विमान में प्रसिद्ध जासूस भोलाशंकर अपनी महिला मित्र सविता के साथ उपस्थित था। इस विमान के अंदर के घटना घटित होती है। प्रथम दृष्टया वह एक सामान्य सी घटना नजर आती है लेकिन जैसे ही भोलाशंकर इसमें प्रवेश करता है तो वह घटना भारत के विरूद्ध एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र साबित होती है।
स्वीप संस्था द्वारा भोलाशंकर को इस केस की खोजबीन में नियुक्त किया जाता है।
        मेरे द्वारा पढा गया यह चंदर का प्रथम उपन्यास है।‌ लोकप्रिय जासूसी साहित्य में चंदर का एक समय विशेष नाम रहा है। जैसा सुना जाता है इनके उपन्यास और उपन्यास पात्र मौलिक होते थे। कहानी के स्तर पर भी उपन्यास अच्छे थे। चंदर उस दौर के लेखक हैं जब लोकप्रिय उपन्यास साहित्य का गढ इलाहाबाद होता था।
'मौत के चेहरे' उपन्यास की कहानी 'भाभा एटमिक रिसर्च सेंटर' के महत्वपूर्ण कागजात चोरी होने की है। उन कागजों के पीछे चीनी जासूस और अंतरराष्ट्रीय अपराधी संगठन 'टौंग' लगा हुआ है।
       एक घटना के तहत के कागज गायब हो जाते हैं। अब भारतीय जासूसी संस्था स्वीप भोलाशंकर को इन कगजों को वापस लाने की जिम्मेदारी सौंपती है।
         हालांकि यह थ्रिलर उपन्यास इसका घटनाक्रम तो उपन्यास के आरम्भ के पांच-दस पृष्ठों पर पता चल जाता है। शेष जो रहता है वह है एक त्रिकोणीय श्रृंखला। एक तरफ खतरनाक अपराधी संगठन टौंग है, एक तरफ चीनी जासूस हैं और एक तरफ भारतीय जासूस भोलाशंकर।
        अब देखना यह है की उन कागजों को चुराना किसने है, आगे वह कागज किसके पास पहुंचते हैं और भोलाशंकर कहां तक कामयाब होता है।
उपन्यास में 'टौंग दल' के सदस्यों को काफी प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया गया है। विशेष कर उनकी हत्या करने की कार्यशैली‌।


उपन्यास की एक विशेष कमी और विशेषता यह लगी की उपन्यास का अधिकांश घटनाक्रम जहाज में ही चलता है। पहला घटनाक्रम जहाँ जहाज में कागज गायब होते हैं वहीं द्वितीय घटनाक्रम भी जहाज में ही होता है। लगभग अस्सी फिसदी उपन्यास जहाज में चलता है।
         कहानी के स्तर एक बार पढे जाने वाला उपन्यास है। एक ही जगह और चुनिंदा पात्रों के आधारित उपन्यास में रोचकता कायम नहीं हो पाती। लेखक ने कुछ प्रयोग किये हैं लेकिन उनका कहीं उपयोग कहीं नजर नहीं आता।

यह एक मध्यम स्तर का थ्रिलर उपन्यास है। पढते वक्त न तो ज्यादा उत्सुकता रहेगी और न ही निराशा होगी। उपन्यास एक बार पढा जा सकता है।

उपन्यास- मौत के चेहरे
लेखक- चंदर
प्रकाशक- कुसुम प्रकाशन, इलाहाबाद
पृष्ठ- 160

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