आखिर कौन है मैकाबर और कजारिया?
मैकाबर का अंत - वेदप्रकाश शर्मा
मैकाबर सीरीज का तृतीय/अंतिम भाग
मैकाबर का अंत - वेदप्रकाश शर्मा
मैकाबर सीरीज का तृतीय/अंतिम भाग
कजारिया नामक देश की एक खतरनाक संस्था है मैकाबर, जो विश्व के विभिन्न देशों से महत्वपूर्ण सूचनाएं चोरी करती हैं। विश्व पर अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए विभिन्न वैज्ञानिक शक्तियों का प्रयोग करती है।
इसी खतरनाक संस्था को खत्म करके के लिए विश्व के जासूस जा पहुंचते हैं कजारिया नामक देश।
मैकाबर सीरीज के तीन भाग है। प्रथम 'विकास और मैकाबर', द्वितीय 'विकास मैकाबर के देश में', और तृतीय/अंतिम भाग है 'मैकाबर का अंत।'
"...मैकाबर कजारिया देश की सरकारी संस्था है, लेकिन यह कजारिया देश एक प्रकार से अपराधियों का देश है। मेरे विचार से यहाँ कोई भी व्यक्ति शरीफ नहीं है। प्रत्येक इंसान किसी देश का मुजरिम है। विश्व भर के अपराधियों को इकट्ठा करके एक देश कजारिया बना दिया गया है। (पृष्ठ-102)
लेकिन इस कजारिया और मैकाबर के पीछे कौन है? यह प्रश्न इस सीरीज के प्रथम भाग से ही आरम्भ हो जाता है और इसका उत्तर इस अंतिम भाग में मिलता है। यह एक चौंकाने वाला उत्तर है की कैसे कजारिया और मैकाबर अस्तित्व में आये।
उपन्यास में कुछ दृश्य प्रभावित करते हैं। एक तो अलफांसे का खतरनाक मानवभक्षी गिद्धों से मुकाबला, अलफांसे के चेले जोबांजू का कारनामा, लार्बिटा का दहशत भरा खेल आदि।
मैकाबर से लार्बिटा की चेतावनी अलफांसे के लिए पढें- "...यह कजारिया है अलफांसे, मैकाबर का देश कजारिया, भावी विश्व सम्राट मैकाबर के छोटे से देश कजारिया में तुम्हारी स्थिति एक मच्छर जैसी है। (पृष्ठ-)
लेकिन यह भी तो अलफांसे है। विश्वस्तरीय अपराधी अलफांसे। और वह जा टकराया लार्बिटा से। उस लार्बिटा से जो लोहे के सदृश इंसान है। जिसकी आँखें आग उगलती हैं।।
इस सीरीज में विकास को मुख्य किरदार के रूप में दर्शाया गया है लेकिन इस अंतिम भाग में विजय और अलफांसे के साथ अन्य जासूस मित्र भी सक्रिय हैं। हालांकि विजय-विकास और अलफांसे का चित्रण और प्रभाव सर्वाधिक है।
आप इस उपन्यास को एक एक्शन उपन्यास की दृष्टि से पढ सकते हैं। हालांकि यह उपन्यास इस सीरीज के प्रथम और द्वितीय भाग की अपेक्षा अच्छा है।
उपन्यास- मैकाबर का अंत
लेखक- वेदप्रकाश शर्मा
श्रृंखला- विजय-विकास
मैकाबर सीरीज का तृतीय/अंतिम भाग
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