एक प्रेम कहानी दर्द भरी
तान्या- चमन मिश्रा, उपन्यास
COVID-19 के चलते LOCKDOWN में किंडल का रिचार्ज करवाया था। क्योंकि कुछ नयी किताबें आयी थी पर हार्डकाॅपी मिलना तो संभव ही न था तो किंडल ही सहारा था।
30 मई को किंडल का रिचार्ज खत्म हो गया। इस मई माह में जिंडल पर मैंने बीस किताबें पढी, इस श्रृंखला में चमन मिश्रा जी द्वारा लिखित 'तान्या' अंतिम उपन्यास है अर्थात् मई माह में मेरे द्वारा पढी गयी बीसवी किताब 'तान्या' है।
अब जून माह में हार्डकाॅपी पढनी है और वह भी कुशवाहा कांत, जयंत कुशवाहा और सजल कुशवाहा की। इस परिवार के चार सदस्यों ने उपन्यास लिखे हैं, जिनमें से रानी कुशवाहा के उपन्यास मेरे पास नहीं है।
अब बात करते हैं चमन मिश्रा जी द्वारा लिखित उपन्यास 'तान्या' पर। यह एक प्रेम कथा है। रवि और तान्या की प्रेम कहानी है।
रवि और तान्या विद्यालय समय के मित्र हैं और यही मित्रता बाद में प्यार में बदल जाती है, लेकिन यह प्यार आधुनिक से दूर है। जैसे आजकल अधिकांश प्रेम कथाओं में प्यार के बाद शारीरिक संबंधों को महत्व दिया जाता है लेकिन कम से कम लेखक महोदय ने इस उपन्यास में ऐसा कुछ नहीं लिखा, धन्यवाद लेखक महोदय।
हां तो यह कहानी है ईश्क की, उस ईश्क की जो अक्सर अधूरा रह जाता है।- इश्क़ में जरूरी बातें हमेशा अधूरी ही रह जाती हैं।
आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, कारण- “इश्क़ का कोई ग्रंथ ही तो नहीं है, वरना लोग हज़ारों सालों से इश्क़ को ख़ारिज नहीं करते।"
रवि एक पत्रकार है और तान्या अब शिक्षा ग्रहण करती है।
“नहीं यार, साइंस मेरा पहला प्यार है। उसे कैसे छोड़ सकती हूँ? सामाजिक मुद्दों पर वार्तालाप करना मेरा शग़ल है। पत्रकारिता तो मेरी सौतन है। इसलिए इसे गरियाती हूँ।”
फिर दोनों के जीवन में कुछ घटनाएं घटित होती हैं और कहानी आगे बढती है। यहाँ तक तो ठीक है फिर लेखक महोदय ने कहानी को एक अगल ही रास्ते पर डाल कर खत्म कर देता है कहानी को भी और......।
जैसा की आजकल प्रेम कथाएं लिखी जा रही हैं और 'नई हिन्दी' के नाम पर भी हिन्द युग्म किताबें प्रकाशित कर रहा है, यह किताब मात्र उसी राह का अंधानुकरण मात्र है। जगह-जगह हिन्द युग्म की किताबों और हिन्द युग्म की प्रशंसा ही है। लेखन इस चर्चा की जगह कहानी पर ध्यान देते तो ज्यादा अच्छा रहता।
- “इन लोगों की लेखन शैली मुझे जमती है। टिपिकल की जगह ये वही लिखते हैं, जो हम बोलते हैं। मज़ा आता है पढ़ने में। हिंद युग्म प्रकाशन की सभी किताबें हमारे जैसों के लिए ही छपती हैं। तुम सुनाओ इंडिया टीवी न्यूज़ के न्यूज़रूम के क़िस्से। न्यूज़रूम में भी तो प्रेम कहानियाँ पनपती होंगी…?”
ऐसा भी होता है क्या-
- उसके चेहरे पर 3 दिन की दाढ़ी उगी हुई है, जो कि 15 दिन की लग रही है।
'तान्या' एक छोटी सी प्रेम कहानी है। इसे और छोटी बनाया जा सकता था, उपन्यास से एक कहानी तक। कहानी में कोई ट्विस्ट नहीं है। जहाँ आरम्भ में विस्तार है और वहीं अंत में तुरंत समेट दिया गया है।
बस कहानी एक बार पढी जा सकती है।
उपन्यास- तान्या
लेखक- चमन मिश्रा
प्रकाशक- हिन्द युग्म
तान्या- चमन मिश्रा, उपन्यास
COVID-19 के चलते LOCKDOWN में किंडल का रिचार्ज करवाया था। क्योंकि कुछ नयी किताबें आयी थी पर हार्डकाॅपी मिलना तो संभव ही न था तो किंडल ही सहारा था।
30 मई को किंडल का रिचार्ज खत्म हो गया। इस मई माह में जिंडल पर मैंने बीस किताबें पढी, इस श्रृंखला में चमन मिश्रा जी द्वारा लिखित 'तान्या' अंतिम उपन्यास है अर्थात् मई माह में मेरे द्वारा पढी गयी बीसवी किताब 'तान्या' है।
अब जून माह में हार्डकाॅपी पढनी है और वह भी कुशवाहा कांत, जयंत कुशवाहा और सजल कुशवाहा की। इस परिवार के चार सदस्यों ने उपन्यास लिखे हैं, जिनमें से रानी कुशवाहा के उपन्यास मेरे पास नहीं है।
अब बात करते हैं चमन मिश्रा जी द्वारा लिखित उपन्यास 'तान्या' पर। यह एक प्रेम कथा है। रवि और तान्या की प्रेम कहानी है।
रवि और तान्या विद्यालय समय के मित्र हैं और यही मित्रता बाद में प्यार में बदल जाती है, लेकिन यह प्यार आधुनिक से दूर है। जैसे आजकल अधिकांश प्रेम कथाओं में प्यार के बाद शारीरिक संबंधों को महत्व दिया जाता है लेकिन कम से कम लेखक महोदय ने इस उपन्यास में ऐसा कुछ नहीं लिखा, धन्यवाद लेखक महोदय।
हां तो यह कहानी है ईश्क की, उस ईश्क की जो अक्सर अधूरा रह जाता है।- इश्क़ में जरूरी बातें हमेशा अधूरी ही रह जाती हैं।
आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, कारण- “इश्क़ का कोई ग्रंथ ही तो नहीं है, वरना लोग हज़ारों सालों से इश्क़ को ख़ारिज नहीं करते।"
रवि एक पत्रकार है और तान्या अब शिक्षा ग्रहण करती है।
“नहीं यार, साइंस मेरा पहला प्यार है। उसे कैसे छोड़ सकती हूँ? सामाजिक मुद्दों पर वार्तालाप करना मेरा शग़ल है। पत्रकारिता तो मेरी सौतन है। इसलिए इसे गरियाती हूँ।”
फिर दोनों के जीवन में कुछ घटनाएं घटित होती हैं और कहानी आगे बढती है। यहाँ तक तो ठीक है फिर लेखक महोदय ने कहानी को एक अगल ही रास्ते पर डाल कर खत्म कर देता है कहानी को भी और......।
जैसा की आजकल प्रेम कथाएं लिखी जा रही हैं और 'नई हिन्दी' के नाम पर भी हिन्द युग्म किताबें प्रकाशित कर रहा है, यह किताब मात्र उसी राह का अंधानुकरण मात्र है। जगह-जगह हिन्द युग्म की किताबों और हिन्द युग्म की प्रशंसा ही है। लेखन इस चर्चा की जगह कहानी पर ध्यान देते तो ज्यादा अच्छा रहता।
- “इन लोगों की लेखन शैली मुझे जमती है। टिपिकल की जगह ये वही लिखते हैं, जो हम बोलते हैं। मज़ा आता है पढ़ने में। हिंद युग्म प्रकाशन की सभी किताबें हमारे जैसों के लिए ही छपती हैं। तुम सुनाओ इंडिया टीवी न्यूज़ के न्यूज़रूम के क़िस्से। न्यूज़रूम में भी तो प्रेम कहानियाँ पनपती होंगी…?”
ऐसा भी होता है क्या-
- उसके चेहरे पर 3 दिन की दाढ़ी उगी हुई है, जो कि 15 दिन की लग रही है।
'तान्या' एक छोटी सी प्रेम कहानी है। इसे और छोटी बनाया जा सकता था, उपन्यास से एक कहानी तक। कहानी में कोई ट्विस्ट नहीं है। जहाँ आरम्भ में विस्तार है और वहीं अंत में तुरंत समेट दिया गया है।
बस कहानी एक बार पढी जा सकती है।
उपन्यास- तान्या
लेखक- चमन मिश्रा
प्रकाशक- हिन्द युग्म
रोचक लेख ... किताब के अंदर मौजूद विज्ञापन से मेरा वास्ता एक बार पढ़ चुका है.उस किताब में एक इंजीनियरिंग कॉलेज की ऐसे ही तारीफ़ की गयी थी....लेखकों को इससे बचना चाहिए....प्रेम कहानियाँ मैं कम ही पढ़ पाता हूँ... प्रेम से अतिरिक्त कुछ और हो चलता है..
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