क्या विनोद खन्ना ने की थी एक हेरोइन की हत्या?
मौत सस्ती है- राज भारती
'सब झूठ है ।' आवेश में उसकी आवाज कांपने लगी 'पाल पहले ही कहता था कि ऐसा होगा वह जानता था कि उसको जीवित नहीं छोड़ा जायेगा। मैं जानती हूं कि तुम्हारे ही किसी आदमी उसकी जिन्दगी का सौदा कर डाला होगा।' - उसकी आंखों में अब आंसू झलक आये - 'वह पहले ही कहता था... तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिये।'
विजय बोला - 'वह महज दुर्घटना ही है। मैं खुद बाथरूम के बाहर मौजूद था । बाथरूम में दरवाजे के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं है।'-
कमल उसे घूरती रही, उसके होंठ अब भी कांप रहे थे । (मौत सस्ती है- राज भारती)
अनिता एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थी। उसका एक फिल्म अभिनेता से और एक खतरनाक अपराधी से अच्छा संपर्क था। लेकिन एक दिन अनिता अपने घर के स्वीमिंग पूल में मृत अवस्था में पायी गयी। आखिर उसकी हत्या किसने और क्यों की?
पुलिस सुपरिडेटेंड रघुनाथ और जासूस विजय जब अभिनेत्री सुनीता के घर पहुँचे तो वहाँ का दृश्य अत्यंत वीभत्स था। अनीता के साथ-साथ घर के नौकरों का लाशें यहाँ-वहाँ पड़ी थी।
एक साथ इतने कत्ल।
इतना भयंकर हत्याकांड।
कितनी सस्ती नजर आ रही थी उसे मौत । कार में बैठा विजय वापस जाते समय वह यही सोच था।
पुलिस सुपरिडेंटेन्ड रघुनाथ के कहने पर विजय इस केस पर काम के सहमत हो जाता है। विजय और रघुनाथ के समक्ष एक ही प्रश्न था अनिता और उस घर के अन्य सदस्यों की हत्या किसने की?
पैराडाईज क्लब का मालिक जिमी रिंगों एक खतरनाक
व्यक्ति था । एक खतरनाक मगर बहुत ही होशियार व सतर्क अपराधी ।
कई सालों से विजय की नजर उस पर थी पर बिना किसी प्रमाण के उस पर हाथ डालना संभव न था ।
विजय जानता था कि शहर में होने वाली लगभग सभी प्रमुख वारदातों व बदमाशों की पीठ पर रिंगों का हाथ होता था।
'तो क्या इस हत्याकांड में भी उसी का हाथ है ।'
विजय का दिल इस बात की गवाही दे रहा था कि यह संभव है । इतना खतरनाक काम रिंगो ही कर सकता था।
वहीं प्रसिद्ध अभिनेता विनोद खन्ना का अफेयर भी अभिनेत्री अनिता से था।
एक अभिनेता और वास्तविक खलनायक इन दो व्यक्तियों से अनिता का संपर्क था।
विजय के मस्तिष्क में दो विचार थे।
- अभिनेता विनोद खन्ना ने अभिनेत्री अनिता की हत्या की है?
- जिमीरिंगो ने अभिनेत्री अनिता की हत्या की है?
मीनू नामक एक महिला विजय के पास अपने प्रेमी 'प्रेम' के गायब होने की चर्चा करती है। मीनू बताती है कि प्रेम जिमी रिंगो का खास ड्राइवर था। और प्रेम उसी दिन से गायब था जिस दिन अनिता की हत्या हुयी थी।
अब विजय के लिए एक और सवाल पैदा हो गया की आखिर प्रेम क्यों और कहां गायब हो गया? उसका अनिता की हत्या से कोई संबंध हो सकता है, आखिर वह जिमी रिंगो का ड्राइवर था और अनिता की हत्या में जिमी रिंगो एक संदिग्ध व्यक्ति है।
और एक दिन जिमी रिंगो भी गायब हो जाता है। अब विजय की समझ में नहीं आता की वह क्या करे। वहीं माफिया संगठन में जिमी रिंगो एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है। जिमी रिंगो के बाद संगठन के दो प्रमुख व्यक्ति देव सहगल और वकील लांबा है, जो किसी काम से माफिया हैडक्वार्टर से शूटर सागर को बुलाते हैं। सागर का मानना था जो व्यक्ति ( जिमी रिंगो) पुलिस के डर से छुप जाये वह माफिया संगठन में रहने योग्य नहीं है। बस यहीं से जिमी रिंगो और सागर में बिगड़ जाती है। वकील लाम्बा और देव सहगल चाह कर भी सागर का विरोध नहीं कर पाते।
उपन्यास का अंत माफिया के व्यक्तियों में परस्पर संघर्ष में हो जाता है और कथानायक विजय कुछ भी नहीं कर पाता।
उपन्यास में कुछ पात्रों का वर्णन किया गया है, जो यहाँ प्रस्तुत है।
देव सहगल- काले रंग का यह देव सरीका व्यक्ति देखने में ही काफी खौफनाक लगता था ।
यूं उसका जीवन अपराधों से भरा पड़ा था पर अब जिमी के साथ मिलने पर वह उस ऊंचाई पर पहुंच गया -- था, जहां पुलिस वाले आसानी से उस पर हाथ नहीं डाल सकते थे ।
वकील लांबा- चोटी का वकील होने के कारण शहर के लगभग सभी पुलिस अधिकारी लाम्बा से भयभीत रहते थे पर यह डर उस बात का नहीं था, जैसा कि जिमी के कारण था, बल्कि इसलिए था कि लाम्बा कानूनी दाव-पेच का विशेषज्ञ होने के कारण,हर मुकदमे को पलट कर रख देता था ।
सागर- सागर के बारे में सहगल ने सुन रखा था। निर्दयी हत्यारा, खूनी दरिन्दा, हर कठिन काम के लिये हैडक्वाटर के पास एक ही व्यक्ति था और वह था सागर ।
'क्या तुमने जिमी रिन्गो के बारे में कुछ नहीं सुना।' ‘उसके बारे में अखबारों में पड़ा है।' वह बोली- 'पर मुझे किसी में भी कोई चिलचस्पी नहीं है।
इंस्पेक्टर सरन- जिमी रिंगो का खास व्यक्ति
विजय- कथानायक
रघुनाथ- पुलिस सुपरिडेंटेंट
उपन्यास का एक अंश-
विजय मुस्कराया, बोला- 'मेरा ख्याल है कि इस वक्त जिमी की कहानी तुम्हारे लिये दिलचस्पी का कारण बनेगी। बचपन से अब तक यह व्यक्ति खून की होली खेलता रहा है । जिन्दगी की इसके लिये कोई कीमत नहीं है, और मौत इसके लिये इतनी 'सस्ती है' कि किसी की जान ले लेना इसके लिए किसी मच्छर को मारने से अधिक महत्व नहीं रखता। हम जानते हैं कि आजकल किसी - अन्तर्राष्ट्रीय संस्था का स्थानीय एजेन्ट है । किसी ऐसी संस्था का जिसका काम, चोरी, स्मगलिंग कत्ल, व राजनैतिक स्वर पर हंगामे खड़ा करना है । हमारी नजर इस पर पिछले तीन एक वर्षों से है । पर इसकी नीवें इस समय इतनी जम चुकी हैं कि बिना ठोस प्रमाणों के हम इस पर उंगली भी नहीं उठा सकते | अब कोई पांच वर्षों के बाद जिमी ने अनिता को खुद अपने हाथ से कत्ल किया। तुम तो जानती ही होगी कि उसे कितनी निर्ममता से कत्ल किया गया था। अगर इस बार भी वह सबूतों की कमी के कारण बच गया; तो फिर शायद हम उस पर जिन्दगी भर हाथ न डाल सकेंगे।
राज भारती द्वारा लिखित उपन्यास 'मौत सस्ती है' जहां अपने शीर्षक के कारण अत्यंत आकर्षक उपन्यास प्रतीक होता है वहीं कथा स्तर पर अत्यंत कमजोर उपन्यास है। कथानायक विजय मात्र एक दर्शक की तरह देखता रहता है और उस से होता कुछ भी नहीं। और जो कुछ होता है वह स्वयं माफिया ही कर देता है।
उपन्यास का अंत एक अच्छे थ्रिलर या मर्डर मिस्ट्री उपन्यास की तरह बिलकुल भी नहीं है जो पाठक को प्रभावित कर सके।
उपन्यास अपनी कथावस्तु से तो आकर्षक जान पड़ता है। लगता है इस विचार को ढंग से एक्जीक्यूट न कर पाए लेखक।
ReplyDeleteकृपया कथावस्तु को विषयवस्तु पढ़ें।
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