एक थ्रिलर प्रेम कथा- अफगानिस्तान से पाकिस्तान
पेशावर एक्सप्रेस- जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा
जगत सीरीज जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी का कोई उपन्यास लंबे समय पश्चात पढा। डायमण्ड पॉकेट बुक्स से प्रकाशित उपन्यास 'पेशावर एक्सप्रेस' जगत सीरिज का एक 'थ्रिलर प्रेम कथानक' है।
उपन्यास का कथानक प्रेम पर आधारित होने के साथ-साथ इसमें रोमांच का अदभुत मिश्रण भी है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के तात्कालिक हालात का अच्छा चित्रण भी उपस्थित है।
कहानी है एक अफगान नौजवान की जो प्रेम के चलते पाकिस्तान में कैद हो जाता है। पाकिस्तान में 'मार्शल ला'( आपातकाल) है, अत्याचार है, भ्रष्टाचार है, बिना अपराध गोली मार दी जाती है। पाकिस्तान अफगानिस्तान को अपना दुश्मन मानता है और दुश्मन देश का एक लड़का उनकी कैद में है। वह प्रेम का पुजारी दुश्मन देश में जासूस साबित कर जेल में डाल दिया जाता है और जगत को इसी प्रेम कैदी को आजाद करवाना है और पाकिस्तान से बाहर निकालना है लेकिन प्रेम कैदी पाकिस्तान से बाहर निकलने को तैयार नहीं।
ईराक में।
अर्थात् ईराक की राजधानी बगदाद में।
कहानी चाहे ईराक से आरम्भ होती है लेकिन इसका केन्द्र तो पाकिस्तान है और पाकिस्तान में भी पेशावर।
कहानी का शुभारंभ ईराक से होता है वह भी रूसी जासूस बागारोफ के एक कारनामे से- बागारोफ के बारे में तो आप जानते होंगे- इस विख्यात रूसी जासूस की प्रसिद्धि बहुत से देशों में भूत की भांति है।
यूं उसका बदन डयोढा है और सिर के बाल सफेद हैं, परंतु फुर्ती में, भागने-दौड़ने में वह किसी नौजवान से अधिक है। ....
दुश्मन कहते हैं कि कमबख्त सदा जवानी का वरदान लेकर आया है। (पृष्ठ-08)
अफगानिस्तान का एक नवयुवक आफताब प्रेम प्रकरण के चलते पाकिस्तान की प्रसिद्ध जेल जमरूद में कैद है और उस पर अफगानिस्तान का जासूस होने का आरोप है।
आफताब शेर खान की लड़की माहताब से प्रेम करता है। "माहताब के अब्बा का नाम शेरखाँ है, अजीब यह इत्तेफाक है कि माहताब जितनी प्यारी और भली लड़की है शेर खाँ उतना ही जालिम आदमी है।" (पृष्ठ-123)
इस माहताब के प्रेम में चलते आफताब पाकिस्तान पहुँच जाता है लेकिन उसकी किस्मत उसे जेल पहुंचा देती है। वह भी अत्याचारी सलीम की जेल में।
उसकी कैद में एक अफगान नौजवान है, आप कह सकती हैं कि वह अफगान नौजवान पागल ही था जो पाकिस्तान में एक अफगान लड़की के इश्क में घुस आया और इन फौजियों ने उसे अफगान जासूस समझ लिया। (पृष्ठ-66) (उपन्यास अंश)
बागारोफ जगत के माध्यम से इस युवक को आजाद करवाने की योजना बनाता है।
जगत का पाकिस्तान आना, वहां घूमना, शरणार्थी कैम्प जाना, वहाँ का माहौल देखना, आपसी रंजिश, भ्रष्टाचार आदि से गुजरता हुआ जगत बहुत धीमी गति कार्य को अंजाम देता है।
उपन्यास की कथा चाहे काल्पनिक है लेकिन यथार्थ के बहुत नजदीक है। उपन्यास में तात्कालिक पाकिस्तान की स्थिति का जो चित्रण किया गया है वह प्रशंसनीय है। वहाँ का कानून, जनता और शरणार्थी कैम्प और उनके नाम पर लूट आदि का बहुत अच्छे तरीके से वर्णन मिलता है।
"यह पाकिस्तान है।"
"मैं जानता हूँ।"
"पाकिस्तान में चुने हुये वजीरेआजम भुट्टो को कातिल साबित करके फांसी पर चढा दिया गया, इस मुल्क में सभी कुछ मुमकिन है।" (पृष्ठ-166)
-
"यहाँ पाकिस्तान में वह जमाना चला गया जब खलील फाख्ता उड़ाया करते थे। यह जिया उल्ल हक का जमाना है और इस जमाने में शराब बंद है।" (पृष्ठ-77)
- पाकिस्तान की मांग राजनीतिज्ञ मियां जिन्ना ने की थी और उसके हाथ यह बटेर लग भी गई।(पृष्ठ-17)
उपन्यास में कुछ पात्रों का चरित्र बहुत रोचक है और याद रखने योग्य भी है। जहाँ जगत की धीमी और सशक्त कार्यप्रणाली और उसका चरित्र है वहीं बागारोफ का किरदार हास्य प्रवृत्ति और मजेदार है।
उपन्यास में गौहर का किरदार बहुत अच्छे से दर्शाया गया है। गौहर शरणार्थी के नाम पर लूट मचाती है।
काजी फिरोजखान जैसे लोग हैं जो अपनी से आधी उम्र कम लड़कियों से शादी का सपना देखते हैं। वैसे काजी के साथ घटित घटनाएं बहुत रोचक और हास्यप्रद हैं।
गीदड़ नामक व्यक्ति की भूमिका भी प्रशंसनीय है।
उपन्यास की पृष्ठभूमि पाकिस्तान की है और इस दृष्टि से उर्दू शब्दावली भी देखने को मिलती है लेकिन कहीं भी क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग नहीं मिलता।
उपन्यास में से कुछ पठनीय पंक्तियाँ प्रस्तुत हैं जो ओमप्रकाश शर्मा जी की विद्वत्ता की प्रतीक हैं।
- औरत के चाल-चलन को और आदमी की किस्मत को खुदा भी नहीं जान सकता। (पृष्ठ-26)
-सुरक्षा पहले और दोस्ती पीछे। (पृष्ठ-63)
- इंसान की कुछ कमजोरियां होती हैं और उन कमजोरियों के कारण इंसान को कुछ गलत समझौते भी करने पड़ते हैं। (पृष्ठ-67)
उपन्यास के कुछ महत्वपूर्ण पात्र
जगत- प्रसिद्ध भारतीय जासूस
बागारोफ- रूस का जासूस
शुजात खान- एक अफगान
आफताब- शुजात खान का पुत्र
गीदड़/छज्जू खान- पाकिस्तान CID
गौहर- एक पाकिस्तानी चालाक औरत
मजीद- जगत का मित्र
पेशावर एक्सप्रेस' एक मध्यम स्तर आगे का उपन्यास है। यह प्रेम कथानक होने के साथ-साथ थ्रिलर भी है। ओमप्रकाश शर्मा जी के धीमे अंदाज में लिखा गया यह उपन्यास पाठकों का एक बार अच्छा मनोरंजन करने में सक्षम है।
पाकिस्तान की तात्कालिक स्थिति को दर्शाता यह उपन्यास कुछ घटनाओं के लिए स्मरणीय भी है। अगर आप जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी के उपन्यास पढते हैं तो यह भी आपको पसंद आयेगा।
उपन्यास- पेशावर एक्सप्रेस
लेखक- ओमप्रकाश शर्मा- जनप्रिय लेखक
प्रकाशक- डायमण्ड पॉकेट बुक्स
पृष्ठ- 215
उपन्यास समीक्षा ओमप्रकाश शर्मा
पेशावर एक्सप्रेस- जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा
जगत सीरीज जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी का कोई उपन्यास लंबे समय पश्चात पढा। डायमण्ड पॉकेट बुक्स से प्रकाशित उपन्यास 'पेशावर एक्सप्रेस' जगत सीरिज का एक 'थ्रिलर प्रेम कथानक' है।
उपन्यास का कथानक प्रेम पर आधारित होने के साथ-साथ इसमें रोमांच का अदभुत मिश्रण भी है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के तात्कालिक हालात का अच्छा चित्रण भी उपस्थित है।
कहानी है एक अफगान नौजवान की जो प्रेम के चलते पाकिस्तान में कैद हो जाता है। पाकिस्तान में 'मार्शल ला'( आपातकाल) है, अत्याचार है, भ्रष्टाचार है, बिना अपराध गोली मार दी जाती है। पाकिस्तान अफगानिस्तान को अपना दुश्मन मानता है और दुश्मन देश का एक लड़का उनकी कैद में है। वह प्रेम का पुजारी दुश्मन देश में जासूस साबित कर जेल में डाल दिया जाता है और जगत को इसी प्रेम कैदी को आजाद करवाना है और पाकिस्तान से बाहर निकालना है लेकिन प्रेम कैदी पाकिस्तान से बाहर निकलने को तैयार नहीं।
ईराक में।
अर्थात् ईराक की राजधानी बगदाद में।
कहानी चाहे ईराक से आरम्भ होती है लेकिन इसका केन्द्र तो पाकिस्तान है और पाकिस्तान में भी पेशावर।
कहानी का शुभारंभ ईराक से होता है वह भी रूसी जासूस बागारोफ के एक कारनामे से- बागारोफ के बारे में तो आप जानते होंगे- इस विख्यात रूसी जासूस की प्रसिद्धि बहुत से देशों में भूत की भांति है।
यूं उसका बदन डयोढा है और सिर के बाल सफेद हैं, परंतु फुर्ती में, भागने-दौड़ने में वह किसी नौजवान से अधिक है। ....
दुश्मन कहते हैं कि कमबख्त सदा जवानी का वरदान लेकर आया है। (पृष्ठ-08)
अफगानिस्तान का एक नवयुवक आफताब प्रेम प्रकरण के चलते पाकिस्तान की प्रसिद्ध जेल जमरूद में कैद है और उस पर अफगानिस्तान का जासूस होने का आरोप है।
आफताब शेर खान की लड़की माहताब से प्रेम करता है। "माहताब के अब्बा का नाम शेरखाँ है, अजीब यह इत्तेफाक है कि माहताब जितनी प्यारी और भली लड़की है शेर खाँ उतना ही जालिम आदमी है।" (पृष्ठ-123)
इस माहताब के प्रेम में चलते आफताब पाकिस्तान पहुँच जाता है लेकिन उसकी किस्मत उसे जेल पहुंचा देती है। वह भी अत्याचारी सलीम की जेल में।
उसकी कैद में एक अफगान नौजवान है, आप कह सकती हैं कि वह अफगान नौजवान पागल ही था जो पाकिस्तान में एक अफगान लड़की के इश्क में घुस आया और इन फौजियों ने उसे अफगान जासूस समझ लिया। (पृष्ठ-66) (उपन्यास अंश)
बागारोफ जगत के माध्यम से इस युवक को आजाद करवाने की योजना बनाता है।
जगत का पाकिस्तान आना, वहां घूमना, शरणार्थी कैम्प जाना, वहाँ का माहौल देखना, आपसी रंजिश, भ्रष्टाचार आदि से गुजरता हुआ जगत बहुत धीमी गति कार्य को अंजाम देता है।
उपन्यास की कथा चाहे काल्पनिक है लेकिन यथार्थ के बहुत नजदीक है। उपन्यास में तात्कालिक पाकिस्तान की स्थिति का जो चित्रण किया गया है वह प्रशंसनीय है। वहाँ का कानून, जनता और शरणार्थी कैम्प और उनके नाम पर लूट आदि का बहुत अच्छे तरीके से वर्णन मिलता है।
"यह पाकिस्तान है।"
"मैं जानता हूँ।"
"पाकिस्तान में चुने हुये वजीरेआजम भुट्टो को कातिल साबित करके फांसी पर चढा दिया गया, इस मुल्क में सभी कुछ मुमकिन है।" (पृष्ठ-166)
-
"यहाँ पाकिस्तान में वह जमाना चला गया जब खलील फाख्ता उड़ाया करते थे। यह जिया उल्ल हक का जमाना है और इस जमाने में शराब बंद है।" (पृष्ठ-77)
- पाकिस्तान की मांग राजनीतिज्ञ मियां जिन्ना ने की थी और उसके हाथ यह बटेर लग भी गई।(पृष्ठ-17)
उपन्यास में कुछ पात्रों का चरित्र बहुत रोचक है और याद रखने योग्य भी है। जहाँ जगत की धीमी और सशक्त कार्यप्रणाली और उसका चरित्र है वहीं बागारोफ का किरदार हास्य प्रवृत्ति और मजेदार है।
उपन्यास में गौहर का किरदार बहुत अच्छे से दर्शाया गया है। गौहर शरणार्थी के नाम पर लूट मचाती है।
काजी फिरोजखान जैसे लोग हैं जो अपनी से आधी उम्र कम लड़कियों से शादी का सपना देखते हैं। वैसे काजी के साथ घटित घटनाएं बहुत रोचक और हास्यप्रद हैं।
गीदड़ नामक व्यक्ति की भूमिका भी प्रशंसनीय है।
उपन्यास की पृष्ठभूमि पाकिस्तान की है और इस दृष्टि से उर्दू शब्दावली भी देखने को मिलती है लेकिन कहीं भी क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग नहीं मिलता।
उपन्यास में से कुछ पठनीय पंक्तियाँ प्रस्तुत हैं जो ओमप्रकाश शर्मा जी की विद्वत्ता की प्रतीक हैं।
- औरत के चाल-चलन को और आदमी की किस्मत को खुदा भी नहीं जान सकता। (पृष्ठ-26)
-सुरक्षा पहले और दोस्ती पीछे। (पृष्ठ-63)
- इंसान की कुछ कमजोरियां होती हैं और उन कमजोरियों के कारण इंसान को कुछ गलत समझौते भी करने पड़ते हैं। (पृष्ठ-67)
उपन्यास के कुछ महत्वपूर्ण पात्र
जगत- प्रसिद्ध भारतीय जासूस
बागारोफ- रूस का जासूस
शुजात खान- एक अफगान
आफताब- शुजात खान का पुत्र
गीदड़/छज्जू खान- पाकिस्तान CID
गौहर- एक पाकिस्तानी चालाक औरत
मजीद- जगत का मित्र
पेशावर एक्सप्रेस' एक मध्यम स्तर आगे का उपन्यास है। यह प्रेम कथानक होने के साथ-साथ थ्रिलर भी है। ओमप्रकाश शर्मा जी के धीमे अंदाज में लिखा गया यह उपन्यास पाठकों का एक बार अच्छा मनोरंजन करने में सक्षम है।
पाकिस्तान की तात्कालिक स्थिति को दर्शाता यह उपन्यास कुछ घटनाओं के लिए स्मरणीय भी है। अगर आप जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी के उपन्यास पढते हैं तो यह भी आपको पसंद आयेगा।
उपन्यास- पेशावर एक्सप्रेस
लेखक- ओमप्रकाश शर्मा- जनप्रिय लेखक
प्रकाशक- डायमण्ड पॉकेट बुक्स
पृष्ठ- 215
उपन्यास समीक्षा ओमप्रकाश शर्मा
बहुत अच्छी समीक्षा की है आपने गुरप्रीत भाई. मेरे पसंद के उपन्यासों में से है. वैसे तो जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी के ज्यादातर उपन्यास बेहद शानदार होते हैं. जगत सीरिज का 'खून का रिश्ता' और 'बेनकाब कातिल' भी पढ़कर देखिये.
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