इब्ने सफी का द्वितीय उपन्यास
जंगल में लाश- इब्ने सफी
इंस्पेक्टर सुधीर को कोतवाली में एक खबर मिली।
एक आदमी धर्मपुर के जंगलों में एक लाश देखकर खबर देने आया है।
उस अजनबी ने बताया- मैंने सड़क के किनारे एक औरत की लाश देखी उसका ब्लाउज खून से तर था। उफ, मेरे खुदा...कितना भयानक मंजर था...मैं उसे जिंदगी भर न भूला सकूंगा।"(पृष्ठ- 12)
इंस्पेक्टर सुधीर अपने सहकर्मियों के साथ जब वहाँ पहुंचा तो वहाँ कुछ भी न था।
"मैंने वह लाश यही देखी थी...मगर...मगर..."
"मगर-मगर क्या कर रहे हो...यहाँ तो कुछ भी नहीं हैं।"
वहाँ से वह अजनबी गायब हो गया और पुलिस बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर वापस पहुंची। इस अजीबोगरीब घटनाक्रम की खोजबीन के लिए इंस्पेक्टर जासूस फरीदी और सार्जेंट हमीद को मैदान में आना पड़ा। लेकिन एक लाश से आरम्भ हुआ यह खूनी खेल यही खत्म नहीं हुआ एक के बाद कत्ल होते चले गये।
जब जंगल में एक के बाद एक लाशें मिलने लगती हैं तो किसी को अन्दाज़ा नहीं होता कि मामला कहाँ अटका है। असली मुजरिम कौन है और इन हत्याओं की असली वजह क्या है? जानने के लिये पढ़िये इब्ने सफ़ी की दूसरी हैरतअंगेज़़ कहानी ‘जंगल में लाश’। (ईबुक से)
इतने में टेलिफोन की घण्टी बजी। फरीदी ने रिसीवर उठा लिया।
"हल्लो।"
"ओह फरीदी साहब। मैं सुधीर बोल रहा हूँ। धर्मपुर के जंगल में फिर एक हादसा हो गया।"
"क्या कहा ? हादसा?"
"जी हां...कत्ल...हम लोग जा रहे हैं। आप और हमीद साहब सीधे वहाँ पहुंच जायें।"
"लो भई....चौथा कत्ल भी आखिर हो ही गया।" फरीदी ने रिसीवर रखते हुए हमीद की तरफ मुड़ते हुए कहा। (पृष्ठ-111)
धर्मपुर के जंगल में हत्या और फिर लाश गायब होने का एक रहस्यपूर्ण घटनाक्रम घटित होने लगा। फरीदी और हमीद भी उलझ कर रहे गये की आखिर इसके पीछे रहस्य क्या है।
सरोज के घर आयी उसकी सहेली विमला एक दिन गायब हो जाती है। सरोज परेशान है की वह आखिर क्या करेे और संयोग से वह फरीदी से मिल जाती है।
- एक के बाद एक कत्ल कौन कर रहा था?
- हत्यारा कौन था, उसका क्या उद्देश्य था?
- लाश गायब कैसे हो गयी?
- विमला कहां गायब हो गयी?
- अजीबो-गरीब चिड़िया का क्या रहस्य था?
आदि प्रश्नों के उत्तर तो इब्ने सफी साहब का उपन्यास 'जंगल में लाश' ही दे सकता है।
उपन्यास के प्रत्येक खण्ड का अलग-अलग नाम है। जैसे जंगल में लाश, चौथा कत्ल, दूसरी लाश, अजीबो-गरीब चिड़िया आदि। हर खण्ड की कहानी शीर्षक के अनुसार आगे बढती है। कुछ रहस्य पैदा करती और कुछ रहस्य खोलती हुयी कहानी आगे बढती है। हालांकि कहीं-कहीं घटनाक्रम अतिशयोक्ति पूर्ण नजर भी आता है। खल पात्र साधारण से कार्य को भी इतने अजीब से तरीके से करता है की पाठक हैरान सा रह जाता है।
उपन्यास में सांप का दूध पीना वाले दृश्य वैज्ञानिक दृष्टि से उचित नहीं है। ऐसे दृश्य फिल्मों में और उपन्यासों में बहुत बार दिखाये जाते हैं
उपन्यास के पात्र
- फरीदी- मुख्य जासूस
- हमीद - फरीदी का सहायक
- सुधीर- पुलिस इंस्पेक्टर
- सतीश - डॉक्टर
- दिलबीर सिंह- क्षेत्र का ठाकुर
- प्रकाश बाबू- दिलबीर सिंह के छोटे भाई
- सरोज- प्रकाश की पत्नी
- विमला- सरोज की सहेली
- रणधीर- विमला का मंगेतर
निष्कर्ष-
'जंगल में लाश' एक अच्छा उपन्यास है। कुछ कमियों के साथ भरपूर मनोरंजन में सक्षम है। पाठक कहीं निराश नहीं होता। छोटा कलेवर और दिलचस्प कहानी पठनीय है।
उपन्यास- जंगल में लाश
लेखक- इब्ने सफी
प्रकाशक- हार्पर काॅलिंस
पृष्ठ- 137
जासूसी दुनिया पत्रिका- अंक-02
फरीदी- हमीद सीरिज
जंगल में लाश- इब्ने सफी
इंस्पेक्टर सुधीर को कोतवाली में एक खबर मिली।
एक आदमी धर्मपुर के जंगलों में एक लाश देखकर खबर देने आया है।
उस अजनबी ने बताया- मैंने सड़क के किनारे एक औरत की लाश देखी उसका ब्लाउज खून से तर था। उफ, मेरे खुदा...कितना भयानक मंजर था...मैं उसे जिंदगी भर न भूला सकूंगा।"(पृष्ठ- 12)
जंगल में लाश- इब्ने सफी |
"मैंने वह लाश यही देखी थी...मगर...मगर..."
"मगर-मगर क्या कर रहे हो...यहाँ तो कुछ भी नहीं हैं।"
वहाँ से वह अजनबी गायब हो गया और पुलिस बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर वापस पहुंची। इस अजीबोगरीब घटनाक्रम की खोजबीन के लिए इंस्पेक्टर जासूस फरीदी और सार्जेंट हमीद को मैदान में आना पड़ा। लेकिन एक लाश से आरम्भ हुआ यह खूनी खेल यही खत्म नहीं हुआ एक के बाद कत्ल होते चले गये।
उपन्यास का एक पृष्ठ |
जब जंगल में एक के बाद एक लाशें मिलने लगती हैं तो किसी को अन्दाज़ा नहीं होता कि मामला कहाँ अटका है। असली मुजरिम कौन है और इन हत्याओं की असली वजह क्या है? जानने के लिये पढ़िये इब्ने सफ़ी की दूसरी हैरतअंगेज़़ कहानी ‘जंगल में लाश’। (ईबुक से)
इतने में टेलिफोन की घण्टी बजी। फरीदी ने रिसीवर उठा लिया।
"हल्लो।"
"ओह फरीदी साहब। मैं सुधीर बोल रहा हूँ। धर्मपुर के जंगल में फिर एक हादसा हो गया।"
"क्या कहा ? हादसा?"
"जी हां...कत्ल...हम लोग जा रहे हैं। आप और हमीद साहब सीधे वहाँ पहुंच जायें।"
"लो भई....चौथा कत्ल भी आखिर हो ही गया।" फरीदी ने रिसीवर रखते हुए हमीद की तरफ मुड़ते हुए कहा। (पृष्ठ-111)
धर्मपुर के जंगल में हत्या और फिर लाश गायब होने का एक रहस्यपूर्ण घटनाक्रम घटित होने लगा। फरीदी और हमीद भी उलझ कर रहे गये की आखिर इसके पीछे रहस्य क्या है।
सरोज के घर आयी उसकी सहेली विमला एक दिन गायब हो जाती है। सरोज परेशान है की वह आखिर क्या करेे और संयोग से वह फरीदी से मिल जाती है।
- एक के बाद एक कत्ल कौन कर रहा था?
- हत्यारा कौन था, उसका क्या उद्देश्य था?
- लाश गायब कैसे हो गयी?
- विमला कहां गायब हो गयी?
- अजीबो-गरीब चिड़िया का क्या रहस्य था?
आदि प्रश्नों के उत्तर तो इब्ने सफी साहब का उपन्यास 'जंगल में लाश' ही दे सकता है।
उपन्यास के प्रत्येक खण्ड का अलग-अलग नाम है। जैसे जंगल में लाश, चौथा कत्ल, दूसरी लाश, अजीबो-गरीब चिड़िया आदि। हर खण्ड की कहानी शीर्षक के अनुसार आगे बढती है। कुछ रहस्य पैदा करती और कुछ रहस्य खोलती हुयी कहानी आगे बढती है। हालांकि कहीं-कहीं घटनाक्रम अतिशयोक्ति पूर्ण नजर भी आता है। खल पात्र साधारण से कार्य को भी इतने अजीब से तरीके से करता है की पाठक हैरान सा रह जाता है।
उपन्यास में सांप का दूध पीना वाले दृश्य वैज्ञानिक दृष्टि से उचित नहीं है। ऐसे दृश्य फिल्मों में और उपन्यासों में बहुत बार दिखाये जाते हैं
उपन्यास का एक पृष्ठ |
- फरीदी- मुख्य जासूस
- हमीद - फरीदी का सहायक
- सुधीर- पुलिस इंस्पेक्टर
- सतीश - डॉक्टर
- दिलबीर सिंह- क्षेत्र का ठाकुर
- प्रकाश बाबू- दिलबीर सिंह के छोटे भाई
- सरोज- प्रकाश की पत्नी
- विमला- सरोज की सहेली
- रणधीर- विमला का मंगेतर
निष्कर्ष-
'जंगल में लाश' एक अच्छा उपन्यास है। कुछ कमियों के साथ भरपूर मनोरंजन में सक्षम है। पाठक कहीं निराश नहीं होता। छोटा कलेवर और दिलचस्प कहानी पठनीय है।
उपन्यास- जंगल में लाश
लेखक- इब्ने सफी
प्रकाशक- हार्पर काॅलिंस
पृष्ठ- 137
जासूसी दुनिया पत्रिका- अंक-02
फरीदी- हमीद सीरिज
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