Saturday, 30 December 2017

89. एक कैदी की करामात- अलेक्जेंडर ड्यूमा

एक ‌मासूम युवक की त्रासदी भरी कहानी।
बाल उपन्यास, रोचक- पठनीय
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             एलेक्जेंडर डयूमा का यह बाल उपन्यास बहुत ही रोचक है। 
यह एक एडमंड दांते नामक युवक की कहानी है जो एक पानी के जहाज पर काम करता है। यह एडमंड दांते नामक युवक बहुत ही सीधा है और हर किसी पर विश्वास कर लेता है इसी विश्वास के परिणाम स्वरूप उसे उस जुर्म की सजा हो जाती है जिसका उसे पता तक नहीं होता। 
  एडमंड को राजद्रोही माना जाता है, उसके पास से एक खत मिलता है।
     एक सिपाही ने जहाज से एडमंड के कमरे से मिला कागज मेयर के हाथ में रख दिया।........कागज देखते- देखते मेयर के माथे पर पसीना आ गया। (पृष्ठ-17)
   एडमंड दांते का बाप, उसकी मंगेतर और उसके जहाज का मालिक उसका इंतजार करते हैं लेकिन शहर का मेयर उसे एक टापू पर स्थित जेल में बंद करवा देता है।
        समुद्र के अंदर एक टापू है और उसी टापू पर एक जेल है। एडमंड दांते को उसी जेल में कैद रखा जाता है।
     उस जेल में एडमंड को  एक ऐसा व्यक्ति मिलता है जो उसे अमीर बना देता है। 
नन्हीं बहन प्रीती
नन्हीं बहन प्रीती
- एडमंड को जेल की सजा क्यों होती है?
- मेयर उस पत्र से क्यों घबरा जाता है?
- एडमंड जेल से बाहर कैसे निकला?
- एडमंड को जेल में मिला व्यक्ति कौन था?
- एडमंड अमीर कैसे बना?
- एडमंड ने अपने दुश्मनों से बदला कैसे लिया?
     जैसे एक नहीं अनेक प्रश्न है जो इस बाल उपन्यास को पढकर ही प्राप्त होंगे।
उपन्यास की कहानी बहुत रोचक है लेकिन इसका समापन बहुत जल्दी-जल्दी हो जाता है। आरम्भ में जहाँ कहानी विस्तार से लिखी गयी है वहीं अंत में आकर तो इसे बिलकुल संक्षिप्त कर दिया। अब पता नहीं यह कारनामा लेखक का है या अनुवादक का लेकिन कहानी का आनंद खत्म कर दिया।

     फिर भी इस बाल उपन्यास को पढा जा सकता है। पाठक को किसी भी स्तर पर निराशा का सामना नहीं करना पड़ेगा ।

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उपन्यास- एक कैदी की करामात
लेखक-    एलेक्जेंडर ड्यूमा
अनुवाद-  श्री कांत व्यास
प्रकाशक- शिक्षा भारती, मदरसा रोङ, कश्मीरी गेट, दिल्ली।
प्रकाशन वर्ष- 2003©
पृष्ठ-80
मूल्य- 20₹


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