Friday 31 December 2021

500. एक हजार चौरासी वें की माँ - महाश्वेता देवी

एक‌ माँ के दर्द की कहानी
एक हजार चौरासी वें की माँ- महाश्वेता देवी

सन् 1947 के बाद भारतीय जनता के स्वप्न बहुत थे। स्वतंत्र राष्ट्र में एक स्वतंत्र नागरिक बहुत सी इच्छाएं, स्वप्न संजोता है। आजादी, न्याय, समानता और एक खुशहाल परिवार, समृद्ध राष्ट्र। लेकिन 70 के दशक में यह स्वप्न खण्डित होने लग गये। जनता ने जो स्वतंत्र राष्ट्र से इच्छाएं रखी थी वह भ्रष्ट राजनीति की शिकार हो गयी। 
        भारतीय युवा बेरोजगार था, आक्रोशित था और इस आक्रोश का परिणाम था आंदोलन। इंकलाब जिंदाबाद
   इस आंदोलन से उपजी विभीषिका और उस विभीषिका के शिकार हुये युवा। और उन युवाओं के परिवार और वह भी विशेष कर एक माँ के दर्द की कथा है -1084 वें की माँ

499. बदकिस्मत कातिल - शुभानंद

जावेद, अमर,जाॅन (JAJ) सीरीज-02
बदकिस्मत कातिल- शुभानंद

    एक ही दिन में उसके हाथों दो क़त्ल हुए- एक - उसके दुश्मन का दूसरा - उसका जिसे वो पागलपन की हद तक प्यार करता था। वह एक बदकिस्मत कातिल था। पर उसकी किस्मत कुछ ऐसी थी कि जावेद-अमर-जॉन उसे अंत तक पकड़ न सके। (किंडल से) 
बदकिस्मत कातिल - शुभानंद


    लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में शुभानंद जी एक प्रकाशक और कथाकार के रूप में चर्चित व्यक्तित्व हैं। शुभानंद जी ने 'राजन-इकबाल रिबोर्न' सीरीज के अतिरिक्त अन्य पात्रों पर भी उपन्यास रचना की है। जासूस त्रय को लेकर लिखे गये इनके उपन्यास भी काफी  चर्चा में रहे।
      लोकप्रिय साहित्य में लंबे समय पश्चात खुफिया विभाग नाम सुनाई दिया है। इनके प्रसिद्ध जासूस त्रय 'जावेद-अमर- जाॅन' (JAJ) का संबंध खुफिया विभाग से है।
  अब कहानी पर कुछ चर्चा- 

Thursday 30 December 2021

498. जोकर जासूस -शुभानंद

JAJ और जोकर सीरीज का प्रथम उपन्यास
 जोकर जासूस- शुभानंद
   लोकप्रिय उपन्यास साहित्य के अथाह सागर में एक से एक मोती भरे हुये हैं। आप एक डुबकी लगायेगे तो आपको बहुत कुछ मिलेगा। डिजीटल समय में 'किंडल' ने यह काम और भी सरल कर दिया है। इस माह मैंने किंडल का खूब उपयोग किया है। 
   किंडल पर उपलब्ध शुभानंद जी का उपन्यास 'जोकर जासूस' पढा आज उसी की चर्चा करते हैं। 
जोकर जासूस - शुभानंद
       प्रोफेसर अर्थर स्मिथ एक विदेशी वैज्ञानिक था जिसने एक ऐसे हथियार का आविष्कार कर लिया था जिसे पाने के लिये विश्व के कई आतंकवादी संगठन व माफिया लालायित थे। खुफ़िया एजेंसीज़ व पुलिस इस आविष्कार की तह तक पहुंचना चाहती थी । इस बीच अर्थर स्मिथ की रहस्यमय हालातों में मौत हो जाती है और उसकी एक फ़ाइल जिसमे हथियार से सम्बंधित सीक्रेट कोड्स छिपे थे, कई हाथों से होते हुए जोकर नाम के जासूस के हाथ आ जाती है। फ़ाइल पाते ही जोकर अपनी ही एजेंसी से बगावत करते हुए माफिया से जा मिलता है। आविष्कार को खोजते हुए सभी दिग्गज पहुँचते हैं भारत – जहाँ सीक्रेट सर्विस के एजेंट जावेद-अमर-जॉन उनके मंसूबो पर पानी फेरने के लिए तैयार हैं। 

497. सिहरन - शुभानंद

शी....कोई है।
सिहरन- शुभानंद, हाॅरर

कई साल अमेरिका में गुजारने के बाद आकाश भारत लौटता है। अपने बचपन के दोस्त अभिषेक के हालचाल लेने के बहाने वह अपने ननिहाल लखीमपुर पहुंचता है। अभिषेक के पुश्तैनी घर में रहते हुए उसे कुछ ऐसे अनुभव होते हैं जिनसे उसे किसी अज्ञात शक्ति के वास होने का अहसास होता है और फिर कुछ ऐसी घटनाओं का सिलसिला उस घर में शुरू होता है जिनकी उन्होंने कल्पना भी न की थी। (किंडल से)

सिहरन शुभानंद

496. मुजरिमों का अजायबघर - अंजुम अर्शी

ब्रेन‌ मास्टर का कारनामा
मुजरिमों‌ का अजायबघर- अंजुम अर्शी

   लोकप्रिय उपन्यास साहित्य का एक सुनहरा दौर था। और उस दौर में कुछ लेखक और पात्र बहुत प्रसिद्ध हुये हैं। ऐसे ही एक चर्चित नाम थे अंजुम अर्शी और उनका प्रसिद्ध पात्र था मास्टर ब्रेन।
  मेरे पास अंजुम अर्शी के दो-चार उपन्यास उपलब्ध हैं, उनमें से 'मुजरिमों का अजायबघर' उपन्यास पढा। 
   आज चर्चा इसी उपन्यास की।
"वह लाशों‌ का क्या चक्कर था?"- विक्रम ने अपना प्याला अपनी ओर सरकाते हुये वेटर से पूछा।
वेटर अभी-अभी उसके लिए नाश्ता लाया था और फिर उसकी फरमाइश पर चाय भी बना दी थी।
"कौन सी लाशों का जनाब?"- वेटर ने उसे देखते हुये पूछा।
"वही जो अक्सर वृक्षों पर लटकी मिलती हैं।"

495. बंगला नम्बर 420 - परशुराम शर्मा

कहानी एक भूतिया बंगले की
बंगला नम्बर-420- परशुराम शर्मा  

    
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में परशुराम शर्मा एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके पाठकों का एक विस्तृत क्षेत्र है। वर्तमान में विभिन्न प्रकाशको से उनके उपन्यास पुनः प्रकाशित हो रहे हैं।
    प्रस्तुत उपन्यास 'बंगला नम्बर 420' उनके उपन्यास 'कानून की आँख' का द्वितीय और अंतिम भाग है। यह एक जिन्न पर आधारित हाॅरर उपन्यास है। 

पहला बयान
"और जब मेरी आँख खुली तो न सिर्फ मेरा बेडरूम, मेरा लिबास अजनबी था बल्कि मेरा जिस्म और मेरी शक्ल भी अपनी नहीं थी। मैं अपने बंगले में सोया था पर आँख खुली बंगला नंबर 420 में।
दूसरा बयान
“मैंने खुद अपनी लाश बंगला नंबर 420 में देखी है, इंस्पेक्टर।”
तीसरा बयान
“धुएं का आदमी – हाँ – धुएं का आदमी। वह इंसानों का खून पीता है और जिसका भी खून वो पी लेता है वो उसका गुलाम होकर रह जाता है । बंगला नंबर 420 में उसकी पूजा होती है।”
हॉरर, थ्रिल और सस्पेंस से लबरेज सुप्रसिद्ध लेखक परशुराम शर्मा का महाविशेषांक। 

494. कानून की आँख - परशुराम शर्मा

जाना था जापान, पहुँच गये चीन...
कानून की आँख - परशुराम शर्मा

    आदरणीय परशुराम शर्मा जी का प्रस्तुत उपन्यास किंडल पर को मिला।
  सबसे पहले किंडल पर लिखा गया सारांश देखें 
अगर कोई कत्ल हो जाये और उसका न्याय मांगने वाला पुलिस के समक्ष कोई न हो– तब पुलिस और कानून क्या करेगा....?
अगर किसी अपराधी की इतनी पकड़ हो कि वह अदालत तक गवाही को पहुँचने ही न दे तब न्यायाधीश किस तरह अपराधी को सजा देगा....?
अगर पुलिस किसी निर्दोष पर डकैती दिखाकर उसका एनकाउंटर कर दे तो कानून पुलिस को क्या सजा देगा....?
और अगर समाज के सफेदपोश इज्जतदार, धनवान व्यक्ति जरायम में लिप्त हों– कानून और पुलिस अधिकारी उनके घिनौने जुर्मों में साझेदार हों– उनके विरुद्ध कहीं कोई सबूत ही न हो– उनके बलबूते पर चुनाव जीते जाते हों, ऐसे लोगों से क्या कोई व्यक्ति कानून से इंसाफ मांग सकता है...?
ऐसे सभी पात्रों से मुलाकात करिये, जिनके लिए अरविन्द को अर्जुन बनना पड़ा और कानून से इंसाफ मांगने के लिए जंगल का कानून लागू कर दिया।

Monday 27 December 2021

493. बुल्लेलाल - अमरेज अर्शिक

एक कॉमिक उपन्यास
बुल्लेलाल - एक जिंदा कार- अमरेज अर्शिक

 
फतांसी साहित्य में लेखक के कहानी कहने को सामग्री बहुत होती है। वह किसी भी राह से कुछ भी कह सकता है। Flydreams Publication फतांसी लेखन में नये-नये लेखकों और कहानियों को सामने ला रहा है। मैंने इन दिनों फतांसी साहित्य में जो रचनाएँ पढी हैं इनमें से प्रस्तुत रचना मुझे सर्वाधिक अच्छी लगी। 
    एक समय की बात है, एक ज़िंदा कार थी 'बुल्लेलाल', जिसकी सारी दुनिया ही दुश्मन थी और एक था दोस्त 'रेहान', जो बुल्लेलाल को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक देता है। बुल्लेलाल को न तो डीज़ल-पेट्रोल की ज़रूरत थी और न ही ड्राइवर की। बाहर से दिखने में बिल्कुल किसी आम कार सरीखी पर शायद खुद में जादू की पुड़िया।        
    दोस्तों के लिए जान देने और दुश्मनों की जान लेने वाली बुल्लेलाल की चमत्कारी कहानी।दोस्तों के लिए जान की बाज़ी लगाते-लगाते कब बुल्लेलाल की जान मुश्किल में पड़ गयी, पता भी न लगा। पर अब बहुत देर हो गयी थी और रेहान के सामने एक ज़िम्मेदारी आ खड़ी हुई थी, इस ज़िंदा कार को दुश्मन के हाथों में जाने से बचाने की। आखिर क्या था इस ज़िंदा कार बुल्लेलाल का राज़, कोई विज्ञान या चमत्कार। कौन है उसके दुश्मन? क्या रेहान बचा पायेगा उस जिंदा कार को? 

492. ज्वाला- नृपेन्द्र शर्मा

वनवासी से राजमहल तक
ज्वाला- नृपेन्द्र शर्मा

      Flydreams Publication एक प्रयोगशील प्रकाशन संस्‍थान है। यहाँ से विभिन्न विषयों पर आधारित कृतियाँ प्रकाशित हो रही हैं। Flydreams Publication 'किताबें जरा हटकर' शीर्षक के अन्तर्गत कुछ फतांसी और बच्चों के लिए किताबें प्रकाशित कर रहा है। ऐसी ही एक किताब है नृपेन्द्र शर्मा जी द्वारा लिखित- ज्वाला। 

प्रेम की अग्नि में तप कर निखरने की कहानी है ज्वाला प्रतिशोध को भी मोहब्बत में बदल देने की कहानी है ज्वाला एक पल में दिल हार कर, जीवन भर साथ जीने की कहानी है ज्वाला प्रेम में साहस एवं वीरता की सारी सीमाओं के पार जाने की कहानी है ज्वाला। प्रेम, रहस्य, युद्ध, रोमांच, वीरता, शीतलता से भरपूर एक अद्भुत गाथा। (किंडल से)

    जैसा की उक्त कथन से विदित होता है, 'ज्वाला' में प्रेम, वीरता और युद्ध का मिश्रण है। लेकिन यह प्रेम और युद्ध किस में है, किसलिए है इसका पूर्ण रोमांच तो उपन्यास पढने पर लिया जा सकता है। 

Friday 24 December 2021

491. लहू का पुजारी - दिनेश ठाकुर

क्राइम किंग और रीमा भारती की टक्कर
लहू का पुजारी - दिनेश ठाकुर
  लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में दिनेश ठाकुर और रीमा भारती दो सर्वाधिक चर्चित नाम रहे हैं। दिनेश ठाकुर की कलम ने उपन्यास साहित्य की धारा को एक अलग ही दिशा प्रदान कर दी थी। जहाँ कहानी के नाम पर एक्शन और इरोटिक साहित्य ही पाठकों को दिया जाता था‌।  एक समय था जब रीमा भारती की डिमांड खूब थी।
  समय बदला, मनोरंजन के साधन बदले और लोकप्रिय साहित्य लोगों की दृष्टि से गायब हो गया। उस समय के उपन्यासों में से एक उपन्यास है 'लहू का पुजारी' और लेखक हैं -दिनेश ठाकुर।
      रीमा भारती के उपन्यास 'प्रथम पुरूष' में लिखे जाते रहे हैं। रीमा भारती अपने मिशन‌ की जानकारी स्वयं के माध्यम से प्रस्तुत करती है। हालांकि प्रथम पुरुष में लिखे उपन्यासों में जो कुछ भी कहा जायेगा एक व्यक्ति के माध्यम से कहा जायेगा इसलिए बहुत कुछ कहना छूट जाता है। 
लहू का पुजारी - दिनेश ठाकुर
  अब बात करते हैं उपन्यास की....
मैं रीमा....
रीमा भारती आई.एस. सी. अर्थात् इण्डियन सीक्रेट कोर नामक भारत की सबसे महत्वपूर्ण जासूसी संस्था की नम्बर वन एजेंट। माँ भारती की शरारती, उदण्ड, किंतु लाडली बेटी। वो बला, किससे मौत भी पनाह मांगे। दोस्तों की दोस्त और दुश्मनों‌ के लिए साक्षात मौत। (पृष्ठ-) 

Wednesday 22 December 2021

490. काल‌ कलंक - साबिर खान पठान

औघड़ और आदमखोर मेंढक सेना
काल कलंक - साबिर खान पठान
#हाॅरर_उपन्यास

अतीत के परदे को संभलकर हटाना चाहिए क्योंकि कभी-कभी जिसे हम कालिख समझ रहे होते हैं, वो असल में एक दीवार होती है, वर्तमान और अतीत के बीच।
     वर्तमान में झांकता अतीत लगता तो अपना है, पर होता नहीं। मिट्टी और वक़्त की गहराइयों में दफन रहस्यों को बाहर लाना कभी-कभी प्रलय का कारण भी बन जाता है।
अक्सर भूकंप के साथ तबाही आती है, पर उस रोज असल तबाही भूकंप के बाद आई। धरती के झूलने से गांव तो तबाह हुआ, लेकिन अतीत का एक रास्ता भी खुल गया।
    एक अनदेखा रास्ता जो किसी प्राचीन मंदिर के तहखाने तक जाता था। आश्चर्य यह भी कि जिस भूकंप ने इंसानी घरौंदों को उजाड़ दिया, उससे मंदिर की मूर्ति का बाल भी बांका न हुआ। 
काल कलंक साबिर खान पाठन
अनजान तहखाने से आती रहस्यमयी टर्र-टर्र की आवाजों ने खोजकर्ता टेंसी और उसकी टीम को बरबस ही खींच लिया था।
यह सिर्फ एक शुरुआत थी रहस्य, खौफ और एक के बाद एक घटती अजीबोगरीब घटनाओं की।
क्या कुछ संबंध था इस जगह का टेंसी से या यह सिर्फ एक संजोग था!?
समय के चक्र से छूटती कालिख और उससे तबाह होती ज़िंदगियों की रहस्यमयी कहानी है काल कलंक

489. ऑर्किड विला - संजना आनंद

हाॅरर- मर्डर मिस्ट्री उपन्यास
ऑर्किड विला संजना आनंद
  Flydreams Publication कुछ अलग हटकर साहित्य प्रस्तुत करने में विश्वास रखता है। इसी क्रम में इस प्रकाशन से कुछ अच्छे उपन्यास आये हैं। और इसी विश्वास के चलते मैंने इस प्रकाशन की रचनाएँ पढी हैं। जिसमें से कुछ अच्छी लगी तो कुछ औसत।
    इसी क्रम में संजना आनंद जी का प्रथम उपन्यास 'आर्किड विला' पढा। अब यह उपन्यास मुझे कैसा लगा, यह आप इस समीक्षा के अंत तक समझ जायेंगे।
कहते हैं पुरानी, वीरान इमारतों में, कईं ऐसे राज़ दफन होते हैं, जो अतीत की कब्र से बाहर आने के लिए बेचैन रहते हैं। शायद ऑर्किड विला भी अपने अंदर ऐसे कुछ रहस्यों को समेटे हुए था। अगर ऐसा न होता, तो फिर क्यों अनिकेत को हर रात, ऑर्किड विला के बगीचे में एक खूबसूरत लड़की का साया-सा नज़र आता? मगर इससे पहले की अनिकेत उसके करीब पहुँच पाता, क्यों वह धुन्ध की चादर में कहीं खो जाती थी? आखिर क्या है ऑर्किड विला का सच? (किंडल से)

488. शैवाल - क्षमा कुमारी

धरती का प्रथम मनुष्य और तिलिस्मी हवेली।
शैवाल- समुद्र का महायोद्धा - क्षमा कुमारी
  
हर सदी में एक बार, समुद्र के गर्भ से एक हवेली बाहर आती है, जिसे देखने वाला मंत्र-मुग्ध होकर उसके पीछे भागता है और डूब कर मर जाता है।
क्या ये कोई मरीचिका थी या सचमुच में ऐसी किसी समुद्री हवेली का अस्तित्व था?
क्या तन्मय उस जादुई हवेली से बच पाया या दूसरे लोगों की तरह उसकी भी बलि ले ली उस समुद्री हवेली ने? (किंडल से पुस्तक परिचय) 
       हिंदी में‌ फतांसी रचनाएँ बहुत कम है और जो है वह इस स्तर की नहीं है की उनको याद रखा जाये।‌ इस क्षेत्र में Flydreams Publication द्वारा बहुत अच्छा प्रयास किया जा रहा है। इस प्रकाशन द्वारा कुछ अच्छी फतांसी रचनाएँ समाने आयी हैं। 
    'शैलाव -समुद्र का महायोद्धा' नवोदित लेखिका क्षमा कुमारी की द्वितीय रचना है। यह रचना मनुष्य जाति के आरम्भ की कहानी है। 

Saturday 18 December 2021

487. काले नाग- इब्ने सफी

कहानी क्वार्टर नम्बर 18 की
काले नाग- इब्ने सफी

जासूसी उपन्यास साहित्य में इब्ने सफी का विशिष्ट स्थान है‌। इब्ने सफी अपने समय के लोकप्रिय उपन्यासकार रहे हैं। वे मूलतः उर्दू के लेखक थे, उनके उपन्यास जितने उर्दू में चर्चित रहे हैं उतने ही अनुवादित होकर हिंदी में भी।
    इब्ने सफी जी का एक उपन्यास है 'काले नाग'। उपन्यास का शीर्षक रोचक है और इसी रोचकता के चलते यह पढा गया।
    कथा नायक इंस्पेक्टर विनोद है और उसके साथ है सार्जेंट हमीद। दोनों मिलकर 'काले नाग' रहस्य को सुलझाते हैं। 

सन् 1832 के दिसंबर माह की आठ तारीख थी।
रात के लगभग ग्यारह बज रहे थे, ठण्ड अपने यौवन पर थी।

  विनोद और हमीद इस ठण्डी रात में रूपनगर का सफर करते हैं। दोनों को क्वार्टर नम्बर 18 तक पहुंचना होता है। ज्वर से पीडित विनोद इस ठण्ड में भी अपने कर्तव्य से विमुख नहीं होता। बस उसे किसी भी हालत में क्वार्टर नम्बर 18 तक पहुंचना था।
फिर अचानक चौंक कर उसने कलाई घड़ी की‌ ओर देखा और बोला-
"जल्दी करो। हमें दस-पांच मिनट पहले ही पहुंचना चाहिये।"  

486. इन्दिरा- बंकिमचन्द्र चटर्जी

एक स्त्री की कहानी
इन्दिरा - बंकिमचंद्र चटर्जी

बांग्ला भाषा के सुप्रसिद्ध लेखक बंकिमचंद्र चटर्जी का उपन्यास 'इन्दिरा' पढा। मूलतः बांग्ला में रचित उपन्यास का यह हिंदी अनुवाद है।
   यह कहानी है एक औरत के अपने परिवार से विलग होने की, उसके बाद उपजी परिस्थितियों और उसके संघर्ष की। कहानी रोचक और पठनीय है।
      मैंने इन दिनों बंकिमचंद्र चटर्जी जी के चार उपन्यास पढे हैं। क्रमशः 'विषवृक्ष', 'राज सिंह', 'आनंदमठ' और प्रस्तुत उपन्यास 'इन्दिरा'। चारों उपन्यासों की कथा मर्मस्पर्शी है।  'विषवृक्ष' मनुष्य के चंचल मन और पतनशील होने की कथा, 'राज सिंह' एक सत्य घटना पर आधारित अर्द्ध ऐतिहासिक उपन्यास है, 'आनंद मठ' सर्वाधिक चर्चित उपन्यास है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित है। 
इन्दिरा - बंकिमचन्द्र चटर्जी
   अब बात करते हैं प्रस्तुत उपन्यास 'इन्दिरा' की। यह कहानी है इन्दिरा नामक एक उन्नीस वर्षीय युवती की। जो शादी के पश्चात एक लम्बे समय बाद पहली बार अपने ससुराल जा रही है। लेकिन रास्ते में पड़ने वाले 'काली दीधि' तालाब के पास वह डाकुओं की शिकार हो जाती है।

Thursday 16 December 2021

484. राज सिंह - बंकिमचन्द्र चटर्जी

राणा वंश की एक ऐतिहासिक गाथा
राज सिंह- बंकिमचंद्र चटर्जी
 बांग्ला भाषा के प्रसिद्ध रचनाकार बंकिमचंद्र चटर्जी जी का साहित्य क्षेत्र में विशिष्ट नाम है। उनकी रचनाएँ अपने आप में विशिष्ट है। मेरे पास उनके कुछ उपन्यास है जिनको इन पढ रहा हूँ। ।  बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा लिखित 'राज सिंह' वास्तविक घटना पर आधारित एक कल्पना और सत्य का मिश्रित उपन्यास है।
   राजस्थान में रूपनगर नाम का एक नितांत छोटा सा राज्य था। वहाँ के राजा का नाम विक्रम सिंह था। यह राज्य की छोटी सी राजधानी का छोटा सा नगर था। राजा विक्रम सिंह राजपूत थे और इनकी पुत्री का नाम था चंचल कुमारी। नाम चाहे चंचल कुमारी था पर थी वह राजपूत शौर्य की धनी।
दिल्ली के बादशाह औरंगजेब ने उसे उसे अपने हरम में बुलाना चाहा तो चंचल कुमारी ने प्रण किया- दिल्ली न जा पाऊंगी, विष खा लूंगी। 
    लेकिन अपनी परम सखी के कहने पर चंचल कुमारी ने राणा सांगा के वंशज राज सिंह को पत्र लिख कर सूचित किया कि वर्तमान में वह एकमात्र राजपूत क्षत्रिय है और आप मेरी रक्षा कीजिए।
   अब एक तरफ औरंगज़ेब है तो दूसरी तरफ उदयपुर के राणा राज सिंह है। इन दोनों के मध्य है चंचल कुमारी। तो तय है संघर्ष तो होगा ही।
     - आखिर इस संघर्ष का परिणाम क्या हुआ?
     -  राजकुमारी के प्रण का क्या हुआ?
बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा लिखित अर्द्ध ऐतिहासिक उपन्यास 'राज सिंह' पढे। 

Tuesday 14 December 2021

483. विष वृक्ष- बंकिमचन्द्र चटर्जी

एक स्त्री की दर्द कहानी
विष वृक्ष- बंकिमचंद्र चटर्जी

नगेन्द्र दत्त नौका पर जा रहे थे। ज्येष्ठ का महीना था और तूफानी हवा चल रही थी। उनकी पत्नी सूर्यमुखी ने अपनी कसम देकर कह दिया था,-'तूफान में नाव न खेना। तूफान आए तो नौका किनारे लगा देना और नौका से उतर जाना।' पत्नी की बात स्वीकार करके नगेन्द्र नौका पर सवार हुये थे। उन्हें भय था कि कहीं वह जाने को मना न कर दे। उन्हें कलकत्ता जाना आवश्यक था, क्योंकि कई काम रुके हुये थे। (पृष्ठ-प्रथम) 
    रास्ते में तूफान भी आया, नगेन्द्र बाबू ने अपनी पत्नी सूर्यमुखी का कहना भी माना। नाव को किनारे लगा -आश्रय की खोज में वह गाँव की ओर चल पड़े।
   गाँव में जाना और वहाँ की घटना ने एक लम्बे समय पश्चात नगेन्द्र बाबू के जीवन का ऐसा खून चूसना आरम्भ किया कि वह सपना सब कुछ गवा बैठ।
आखिर नगेन्द्र बाबू के जीवन में ऐसा क्या घटित हुआ?
   यह जानने के लिए बंकिमचंद्र चटर्जी का उपन्यास 'विष वृक्ष' पढें। 

Monday 13 December 2021

482. माय फर्स्ट मर्डर केस- जयदेव चावरिया

जयदेव चावरिया का प्रथम उपन्यास
माय फर्स्ट मर्डर केस- जयदेव चावरिया

जूलरी शॉप के मालिक अशोक नंदा को एक रात किसी ने वक़्त से पहले परलोक पहुंचा दिया। पुलिस को पक्का शक था कि खून उसके दोनों बेटो में से किसी एक ने ही किया है । फिर कहानी में दखल होता है ऐसे जासूस का जिसका अशोक नंदा मर्डर केस पहला मर्डर केस था। जिसने जासूस को यह केस सौंपा उसे खुद यकीन नहीं था कि वह यह केस हल कर पायेगा।
-अशोक नंदा का खून किसने किया ?
- क्या पुलिस कातिल को पकड़ पाई ?
- क्या जासूस अपना पहला मर्डर केस हल कर सका ?
-  या यह केस उसका आखिरी केस साबित हुआ ?
एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री जिसमें आप उलझकर रह जायेंगे। 
माय फर्स्ट मर्डर केस- जयदेव चावरिया
नमस्कार पाठक मित्रो,
      लोकप्रिय साहित्य के आकाश में एक और सितारा उदय हुआ है और वो है हरियाणा का युवा जयदेव चावरिया। 

Friday 10 December 2021

481. दौलत के दीवाने - अमित श्रीवास्तव

दौलत खून मांगती है।
दीवाने दौलत के- अमित श्रीवास्तव
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में अमित श्रीवास्तव एक नवोदित लेखक हैं। सन् 2017 में 'फरेब' के पश्चात नवम्बर 2021 में प्रकाशित 'दौलत के दीवाने' इनका द्वितीय उपन्यास है। दोनों ही उपन्यासों में इनकी लेखन क्षमता पल्लवित होती नजर आती है। प्रथम उपन्यास 'फरेब' एक मर्डर मिस्ट्री था तो द्वितीय उपन्यास 'दौलत के दीवाने' एक थ्रिलर उपन्यास है। 
दौलत के दीवाने - अमित श्रीवास्तव
लेखक अमित श्रीवास्तव जी के साथ

दौलत के दीवाने- अमित श्रीवास्तव
   यह कहानी है चेन्नई के द्वीप पर सदियों पुराने छुपे अकूत खजाने की। जैसे पाना तो हर कोई चाहता है, लेकिन यह हर किसी के लिए संभव नहीं था। क्योंकि दौलत खून मांगती है। प्रथम बार उस खजाने को देखने वाले भी दौलत की हवस में खून का सौदा कर बैठे थे। बाद में इस खजाने को पाने वाले लोग भी खून का खेल खेलने से पीछे नहीं हटे। 

Tuesday 30 November 2021

480. फिल्म स्टार- रतनपिया

लड़कियों का कातिल 
फिल्म स्टार- रतन‌पिया
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य के विशाल समुद्र में पाठक जितना गहरा जाता है उसे उतने ही मोती मिलते हैं। ऐसे-ऐसे मोती जिनकी चमक तो बहुत है लेकिन वक्त की गर्द में धुंधले हो गये हैं। ऐसा ही एक मोती  है -रतनपिया
रतनपिया एक वास्तविक नाम है या छद्म लेखन यह तो स्पष्ट नहीं है पर यह उपन्यास सितम्बर1966 में प्रकाशित हुआ था। वहीं प्रथम छद्म लेखक कहे जाने वाले कर्नल रंजीत का प्रथम उपन्यास 'हत्या का रहस्य' 1967 में प्रकाशित हुआ था। 
    एक समय था जब इलाहाबाद लोकप्रिय उपन्यास साहित्य का केन्द्र हुआ करता था, वहाँ से असंख्य मासिक पत्रिकाएं प्रकाशित होती थी जिनमें उपन्यास छपते थे।
   इलाहाबाद का  एक प्रकाशन संस्थान था 'फ्रेण्डस एण्ड कम्पनी' जो 'जासूसी आँख' मासिक पत्रिका प्रकाशित करता था। उस पत्रिका में सितम्बर 1966 में रतनपिया का उपन्यास 'फिल्म स्टार' प्रकाशित हुआ था।

479. डबल रोल- सुरेन्द्र मोहन पाठक

डबल रोल- सुरेन्द्र मोहन‌ पाठक
सुनील सीरीज- 19 
डबल रोल- सुरेन्द्र मोहन‌ पाठक
शम्भुदयाल एक दुस्साहस लुटेरा था, जिसने अपने साथियों के साथ मिलकर ना सिर्फ दिन-दहाड़े बैंक लूट डाला था, बल्कि तीन सिपाहियों को भी गोली से उड़ा डाला था। (Kindle से)
     मैंने इन दिनों सतत सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के सुनील सीरीज के कुछ उपन्यास पढे हैं। सुनील सीरीज के इन आरम्भिक उपन्यासों का सफर रोचक रहा है। कुछ उपन्यासों की कथा बहुत अच्छी लगी तो कुछ उपन्यास सामान्य स्तर के भी निकले। इन अच्छे और सामान्य उपन्यासों का विवरण समीक्षा के माध्यम से यहाँ प्रस्तुत करने का एक अल्प प्रयास भी किया है, हालांकि सभी पाठको का पढने और मनन का तरीका अलग-अलग होता है।
  सुनील सीरीज के ये उपन्यास मुझे कैसे लगे वह मेरा दृष्टिकोण है, आपका अलग हो सकता है।
अब चर्चा सुनील सीरीज के 19 वे उपन्यास 'डबल रोल' की। 

Sunday 28 November 2021

478. काला मोती- सुरेन्द्र मोहन‌ पाठक

सुनील का तृतीय अंतरराष्ट्रीय अभियान
काला मोती- सुरेन्द्र मोहन पाठक, 1968
सुनील सीरीज- 18
सेंट्रल पार्क में पायी गयी एक अचेत युवती जैसी एक मामूली खबर को सुनील ने सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए अखबार में छपवा दिया था लेकिन वो‌ नहीं जानता था कि ऐसा करके उसने एक युवती को कई पार्टियों के आकर्षण का केन्द्र बना दिया था।
अब हर पार्टी का केवल एक ही‌ मकसद था- युवती का खात्मा या उस पर कब्जा। 

  - कौन थी वह युवती?
-   वह से सेंट्रल पार्क में अचेत अवस्था में कैसे पायी गयी?
-  कुछ लोग उस का खात्मा क्यों करना चाहते थे?
- आखिर क्या रहस्य था उस युवती में?

सुरेन्द्र मोहन पाठक जी द्वारा रचित एक रहस्य कथा है 'काला मोती'। जिसे पढें और जानें उक्त प्रश्नों के उत्तर। 
     पठन की दृष्टि से 'किंडल' एक उपयोगी प्लेटफार्म है। किंडल के अथाह सागर म बहुत से मोती हैं। उन मोतियों में से मैंने सुरेन्द्र मोहन पाठक द्वारा लिखित 'काला मोती' चुना। 

Saturday 27 November 2021

477. हत्या की रात- सुरेन्द्र मोहन पाठक

झेरी झील के किनारे हत्या
हत्या की रात- सुरेन्द्र मोहन पाठक, 1967
सुनील सीरीज- 16

महेश कुमार एक बड़े उद्योगपति का ऐय्याश और बिगडैल बेटा था। शहर से दूर स्थापित अपने एक काटेज में लड़कियों को बुलाना और उनके साथ अपनी मनमानी करना महेश कुमार का पसंदीदा शगल था। फिर एक रात महेश कुमार की गोली से बिंधी लाश उसी के काटेज में पाई गयी और अब पुलिस का मानना था कि ऐसी ही किसी लड़की ने जिस पर उसकी पेश नहीं चली थी उसकी ईह-लीला समाप्त कर डाली थी।  
हत्या की रात- पाठक, सुनील 16, svnlibrary
नमस्कार पाठक मित्रो,
    आज हम चर्चा करने जा रहे हैं सुरेन्द्र मोहन पाठज द्वारा लिखित सुनील सीरीज के सोलहवें उपन्यास 'हत्या की रात' की।
जैसा की शीर्षक से विदित होता है यह एक हत्या पर आधारित कथा है और वह हत्या होती है एक रात को।
किसकी हत्या?
किसने की हत्या ?
क्यों की हत्या?

  इन प्रश्नों का उत्तर उपन्यास पढ कर ही जाना जा सकता है। हां, उपन्यास रोचक है। कहानी अच्छी है। 

Friday 26 November 2021

476. खतरनाक ब्लैकमेलर- सुरेन्द्र मोहन‌ पाठक

प्रेम,  ब्लैकमेल और हत्या की कहानी
खतरनाक ब्लैकमेलर- सुरेन्द्र मोहन पाठक
सुनील सीरीज-14   

इन दिनों किंडल पर कुछ उपन्यास पढे जा रहे हैं। इसी क्रम में सुरेन्द्र मोहन पाठक जी का उपन्यास 'खतरनाक ब्लैकमेलर' भी पढा। यह सुनील सीरीज का चौदहवां उपन्यास है और सुनील का यह तीसरा ऐसा कारनामा है जिसमें ब्लैकमेल पर आधारित है। यह भी दिलचस्प है की इन चौदह उपन्यासों में से तीन ब्लैकमेल पर आधारित हैं और उनमें से दो की कहानी एक जैसे ही है।
    अब कुछ चर्चा उपन्यास कर कथानक पर।
राजनगर टेक्सटाइल मिल का मालिक - रत्न प्रकाश - एक सेल्ज कॉन्फ्रेंस के सिलसिले में विशालगढ गया और जब वहां से लौटा तो उसके साथ एक अनिद्य सुन्दरी थी जिसका परिचय उसने अपनी पत्नी के रूप में दिया । और अब उसकी सैक्रेटरी नीला का दावा था कि रत्न प्रकाश ने न केवल नीला को धोखा दिया था बल्कि वो खुद भी किसी धोखे का शिकार हो गया था। 

  अब सच क्या है झूठ क्या है यह तो खैर सुनील की खोजबीन और उपन्यास का समापन ही बतायेगा।
  ब्लैकमेलर शैतान होता है जिसे एक बार खून‌ पीने की आदत लग जाती है वह उस से छूटती नहीं है। यह भी एक ऐसे ही ब्लैकमेलर की कहानी है।
 

  रत्नप्रकाश की सेक्रेटरी नीला सुनील चक्रवर्ती से मदद मांगने जाती है।

“मैं चाहती हूं कि तुम सन्तोष के पंजे से रत्न प्रकाश को छुड़ाने में मेरी सहायता करो।” - नीला भर्राये स्वर में बोली - “सुनील, यह बात सुनने में बुरी लगती है लेकिन यह हकीकत है कि मैं अब भी रत्न प्रकाश से मुहब्बत करती हूंँ।  मैं उसकी हितचिन्तक हूं । रत्न प्रकाश न जाने किस दबाव में आकर सन्तोष के हाथों का खिलौना बना हुआ है। अगर शीघ्र ही कुछ किया नहीं गया तो वह औरत उसे बरबाद कर देगी । मैं चाहती हूं तुम किसी प्रकार सन्तोष के पिछले जीवन के बखिए उधेड़ डालो। तुम यह पता लगाओ कि सन्तोष का रत्न प्रकाश पर क्या दबाव है और क्यों उसने आनन-फानन सन्तोष से शादी की।
   नीला चाहती है कि सुनील इस सत्यता का पता लगाये की रत्नप्रकाश ने संतोष से शादी क्यों की? कहीं वह किसी ब्लैकमेलिंग का शिकार तो नहीं बन गया? 

475. चाँद पर हंगामा- परशुराम शर्मा

जेम्स बॉण्ड का कारनामा
चाँद पर हंगामा- परशुराम शर्मा
हिंदी जासूसी उपन्यास साहित्य में परशुराम शर्मा जी एक प्रतिष्ठित नाम हैं। परशुराम शर्मा जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। लेखन, संगीत के साथ अभिनय में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं। परशुराम शर्मा जी के विषय में यह भी कहा जाता है जब अधिकांश उपन्यासकार लेखक अपने स्थापित पात्रों या शृंखला से बाहर ही नहीं निकल पा रहे थे उस समय परशुराम शर्मा जी ने थ्रिलर उपन्यास लिखकर अपनी एक विशिष्ट पहचान स्थापित की थी। 
   लेकिन कभी-कभी स्थापित लेखक को भी वक्त के साथ या प्रकाशक के आग्रह/ दबाव के चलते कुछ ऐसे उपन्यास लिखने पड़ जाते हैं जो उनकी लेखनी से अलग होते हैं। ऐसा ही एक उपन्यास है 'चाँद पर हंगामा'। यह जेम्स बॉण्ड सीरीज का उपन्यास है।

Monday 22 November 2021

474. Red Circle Society- सुरेन्द्र मोहन पाठक

वह सोसाइटी ही खराब थी
Red Circle Society- सुरेन्द्र मोहन पाठक
सुनील सीरीज- 12
         रात के अंधेरे में सहायता तलाशता वो आगंतुक सुनील के फ्लैट में जैसे आसमान से टपका था । सुनील नहीं जानता था कि वो एक अजनबी की सहायता करने के चक्कर में एक ऐसी बड़ी और संगठित संस्था से दुश्मनी मोल ले चुका था जिसके अस्तित्व तक को कोई स्वीकार करने को तैयार नहीं था । संस्था के सदस्य राजनगर के सभ्य समाज के अभिन्न अंग थे और वे सब अब सुनील की जान के पीछे हाथ धो कर पड़े थे। 
    Red Circle Society सुनील सीरीज का 12 वां उपन्यास है जो सन् 1966 में प्रकाशित हुआ था।

Wednesday 17 November 2021

473. ब्लू स्टार- प्रवीण कुमार झा

पंजाब और 1984 का आतंकवाद
ब्लू स्टार- प्रवीण झा

   
धर्म और योद्धाओं के राज्य पंजाब की भारतीय इतिहास में एक विशिष्ट पहचान है। सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि साधन सम्पन्नता और व्यापारिक दृष्टि से भी पंजाब अग्रणी राज्य है।
   लेकिन एक ऐसा भी समय आया जब हँसते-खेलते पंजाब को मानों किसी की नजर लग गयी हो। जिंदा पंजाबी लोग आतंक के साये में सहमें-सहमें से रह‌ने लगे। सूर्य अस्त और पंजाबी मस्त वाली कहावत का अर्थ ही बदल गया। अब तो सूर्य अस्त होते ही लोग अपने घरों में सहमें से दुबक जाते थे।
     इस का सिर्फ एक ही कारण था - कथित संत जरनैल सिंह भिण्डरावाला।
- संत भिंडरावाले को कांग्रेस का बनाया भस्मासुर कहा जाता रहा है।
- कांग्रेस की मीडिया टीम ने भिंडरावाले को सिखों का नायक बना दिया।
   प्रवीण झा तथ्यों के साथ लेखन के लिए जाने जाते हैं। इनकी रचनाएँ चाहे आकार में छोटी होती हैं पर जानकारी से परिपूर्ण होती है। ऐसी ही रचना है 'ब्लू स्टार' जो 1984 में पंजाब फैले आतंकवाद - राजनीति को अनावरण करती है। लेकिन किसी एक पक्ष का आंकलन न कर मात्र तथ्यों को सामने रखता है।
    अब बात करते हैं पुस्तक 'ब्लू स्टार' की। यह रचना तात्कालिक घटनाक्रम‌ को तथ्यों के साथ प्रस्तुत करती है।
   सन् 70 के दशक में केन्द्र में कांग्रेस का शासन था।श्रीमती इन्द्रा गाँधी प्रधानमंत्री थी। वहीं पंजाब में अकाली दल का प्रभाव था।  
      अकाली दल पर तीन लोगों का वर्चस्व था— मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, संत हरचंद सिंह लोंगोवाल और गुरचरण सिंह तोहरा। लेकिन, इन्हें तोड़ना कठिन था। ज्ञानी जैल सिंह और संजय गांधी ने योजना बनायी कि एक नया सिख नेता खड़ा करना होगा, जो इन तीनों पर भारी पड़े।

Friday 12 November 2021

472. दास्तान ए पाकिस्तान- प्रवीण कुमार झा

जब डंडे की मार पड़ी, तब जाकर मुल्क रास्ते पर आया
दास्तान - ए- पाकिस्तान- प्रवीण कुमार झा

    पाकिस्तान के इतिहास पर लिखी गयी प्रस्तुत रचना आपको बहुत से नये तथ्यों से अवगत कराती है। यह बहुत ही रोचक ढंग से लिखी गयी पुस्तक है। जो सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं अन्य देशों की यात्रा भी करवाती है। 
     पाकिस्तान का इतिहास अक्सर विभाजन के इर्द-गिर्द भटक कर रह जाता है। जबकि यह एक देश के बनने की शुरुआत ही थी। 1947 के बाद पाकिस्तान का सफ़र कैसा रहा? किन-किन मील के पत्थरों से गुजरा? उन रास्तों में क्या-क्या मुश्किलें आयी? भारत में पढ़ाए जा रहे इतिहास, और पाकिस्तान में पढ़ाए जा रहे इतिहास में जो स्वाभाविक अंतर है, उस से अलग एक तीसरा बिंदु भी ढूँढा जा सकता है। वह बिंदु, जहाँ से शायद वह चीजें भी नज़र आए, जो इन दोनों देशों के रिश्तों के सामने धुंधली पड़ जाती है।
         यूँ तो मेरी इतिहास पढने में रूचि कम ही है। वैसे भी इतिहास को नीरस विषय कहा जाता है। अगर बात हो पाकिस्तान के इतिहास की तो, हम क्यों पढें? हम से तो अपने देश का भी इतिहास नहीं पढा जाता। 

Monday 8 November 2021

471. रक्त तृष्णा- चन्द्रप्रकाश पाण्डेय

दरवाजे पर खड़ी है डायन
रक्ततृष्णा- चन्द्रप्रकाश पाण्डेय

    अगर हम कहें की चन्द्रप्रकाश पाण्डेय ने लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में हाॅरर साहित्य को एक नया आयाम दिया है, सार्थक और तर्क संगत कहानियों के साथ इस साहित्य को स्थापित किया है तो यह कोई अतिशयोक्तिपूर्ण कथन नहीं है।
  चन्द्रप्रकाश पाण्डेय जी ने परम्परागत चली आ रही डरावनी कहानियों को जो नया रुप दिया है, उसमें कथा भी है और तर्क भी है। और वह कथा और तर्क पाठको को प्रभावित करने में सक्षम भी हैं।
    हाॅरर उपन्यासों की श्रेणी पारलौकिक में चन्द्रप्रकाश पाण्डेय जी वर्तमान में एक सक्षम और सशक्त हस्ताक्षर बन कर उभरे हैं।
   मैंने इनके अधिकांश उपन्यास पढे हैं जो मुझे बहुत रूचिकर लगे, इस से पूर्व मैं हाॅरर उपन्यास न के बराबर ही पढता था।
     अब बात करते हैं इनके उपन्यास 'रक्ततृष्णा' की। जिसका शाब्दिक अर्थ है- रक्त पीने की इच्छा। 
‘यदि आप वाकई मजबूत कलेजे वाले इंसान हैं तो ही डायन के अस्तित्व को परखने की कोशिश कीजियेगा क्योंकि अगर एक बार आपने उसकी कायनात को छेड़ दिया तो आपकी जिंदगी साधारण नहीं रह जायेगी। उसके वजूद को करीब से देखने की आपको कीमत चुकानी होगी।’ 

Friday 29 October 2021

470. हत्यारे- सुरेन्द्र मोहन पाठक

सात मौतें और बीस लाख के हीरे
हत्यारे- सुरेन्द्र मोहन पाठक
रहस्य के धागे, सुनील सीरीज का ग्यारहवां उपन्यास

    प्रस्तुत उपन्यास सुनील सीरीज का ग्यारहवां उपन्यास है जो बीस लाख की लूट पर आधारित एक थ्रिलर उपन्यास है। उपन्यास का कथानक तीव्र गति और रोचकता लिये हुये है। 
     यह कहानी है चार दोस्तों की जीवन, चौधरी, तिवारी और मोहन लाल नामक चार लूटेरों की। उन्हें एक सूचना मिली। - “सेठ गूजरमल के नौकर ने उसे विशालगढ़ में किसी को ट्रंक काल करके यह कहते सुना था कि वह आज रात की गाड़ी से बीस लाख रुपये का माल लेकर विशालगढ़ आ रहा था।”
       और इन चारों मित्रो ने उस बीस लाख की रकम को लूटने का एक फुलप्रूफ प्लान निर्मित किया।
      लेकिन जैसा की लूट के दौरान होता है, एक मित्र के हृदय में बेईमानी आ गयी। और उसने बीस लाख रूपये का वह माल गायब कर दिया।
     इन मित्रों की आपसी भाग दौड़ के दौरान एक दुर्घटना में संयोग से सुनील भी इन से टकरा जाता है। और वहीं सुनील को मिलता है सी. बी. आई. कैप्टन पिंगले जो सुनील से कहता है- “यह पुलिस केस है। हत्यारों की इस पार्टी में, जिनका एक सदस्य चौधरी अभी मारा गया है, किन्हीं विशिष्ट कारणों से सी बी आई के लोग भी दिलचस्पी ले रहे हैं,....।" 

Wednesday 27 October 2021

469. दिमाग की हत्या- सजल कुशवाहा

एक थ्रिलर उपन्यास
दिमाग की हत्या- सजल कुशवाहा
कुशवाहा कांत का भतीजा
Hindi Pulp Fiction में पचास के दशक में‌ कुशवाहा कांत जी का नाम सर्वाधिक चर्चित रहा है। जहाँ एक तरफ कुशवाहा कांत जी ने रोमांस धारा के उपन्यास लिखे वहीं लाल रेखा जैसा प्रसिद्ध क्रांतिकारी उपन्यास लिख कर वे अमर हो गये।
    कुशवाहा कांत जी के परिवार के अन्य सदस्य भी उपन्यास लेखन में सक्रिय रहे। कुशवाहा कांत जी की पत्नी रानी कुशवाहा के नाम से भी कुछ उपन्यास प्रकाशित हुये। कुशवाहा कांत जी के भाई जयंत कुशवाहा ने भी उपन्यास लिखे और फिर जयंत कुशवाहा के पुत्र सजल कुशवाहा ने भी उपन्यास लेखन में अपनी प्रतिभा दिखायी। 
      सजल कुशवाहा जी ने सामाजिक और जासूसी दोनों तरह के उपन्यास लिखे हैं। मैंने काफी समय पूर्व सजल कुशवाहा जी का उपन्यास 'मेरी हुई औरत' पढा था। लम्बे समय पश्चात उनका उपन्यास 'दिमाग की हत्या' पढा।
    अब चर्चा करते हैं उपन्यास 'दिमाग की हत्या' की। 

Monday 25 October 2021

468. रस्टी के कारनामे- रस्कीन बाॅण्ड

नन्हें रस्टी की कुछ रोचक शरारतें
रस्टी के कारनामे- रस्कीन बाॅण्ड

रस्किन बॉण्ड का नाम बाल साहित्य में अद्वितीय स्थान रखता है। रस्किन बॉण्ड मूलतः अंग्रेजी के लेखक हैं। उनका साहित्य जितना अंग्रेजी में प्रसिद्ध है उतना ही लोकप्रिय हिंदी में भी है।
        रस्किन बॉण्ड का जितना साहित्य मैंने पढा है, उसमें मुख्य पात्र रस्टी नामक एक बच्चा होता है, या यूं‌ कह सकते हैं वह पात्र रस्किन बॉण्ड के बचपन का प्रतिनिधित्व करता है। 
      'रस्टी के कारनामे' रस्कीन बॉण्ड की कुछ चर्चित कहानियों का संकलन है। यह दो भागों में विभक्त है।
   प्रथम भाग 'केन काका' शीर्षक से है और द्वितीय भाग 'स्कूल से भागना' शीर्षक से है।
     प्रथम भाग में रस्टी, केन काका और दादी के जीवन के कुछ रोचक प्रसंग यहाँ दिये गये हैं। जिनमें मुख्य केन‌ काका के जीवन से संबंधित घटनाएं हैं। 

Saturday 23 October 2021

467. अंतिम अरण्य- निर्मल वर्मा

मृत्यु से पूर्व....
अंतिम अरण्य- निर्मल वर्मा
             हिन्दी साहित्य में निर्मल वर्मा एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। इनका रचना कर्म पाठक को एक अलग संसार की यात्रा करवाता है,वह संसार जो हम सब के अंदर है लेकिन‌ हम व्यक्त नहीं कर पाते। और निर्मल वर्मा इसलिए भी जाने जाते हैं‌ की उनका 'कहने' का ढंग बहुत अलग है। 
निर्मल वर्मा

  एक ऐसे लेखक जो पात्रों की जगह वातावरण और दृश्यों के माध्यम से ज्यादा प्रभावशाली ढंग से बात को व्यक्त करते हैं।
    निर्मल वर्मा जी का उपन्यास 'अंतिम अरण्य' पढा।
जिसे हम अपनी ज़िन्दगी, अपना विगत और अपना अतीत कहते हैं, वह चाहे कितना यातनापूर्ण क्यों न रहा हो, उससे हमें शान्ति मिलती है। 

Wednesday 20 October 2021

466. डायमण्ड क्वीन- एस. सी. बेदी

हीरों के स्मग्लर
डायमंड क्वीन- एस. सी. बेदी
जेम्स बॉण्ड, विनय और भगत कुमार‌
एस. सी. बेदी का नाम सामने आते ही बाल पॉकेट बुक्स और राजन-इकबाल की याद ताजा हो जाती है। एस. सी. बेदी(सुभाषचंद्र बेदी) ने राजन-इकबाल और बाल पॉकेट बुक्स के अतिरिक्त फुल लैंथ उपन्यास भी लिखे हैं, हालांकि वे उपन्यास अब पाठकों के सामने नहीं हैं। 
    हिंदी उपन्यासों का एक दौर था जब नायक जेम्स बॉण्ड होता था। सुरेन्द्र मोहन पाठक जी ने भी जेम्स बॉण्ड को लेकर सात उपन्यास लिखे थे। एक बार मैंने कहीं पढा था, एस. सी. बेदी जी ने जेम्स बाण्ड लेखन को एक चैलेंज के रूप में स्वीकार किया था। और जेम्स बॉण्ड पर उन्होंने लिखा भी, हालांकि उन्होंने जेम्स बाण्ड पर कितने उपन्यास लिखे यह तो पता नहीं। 
   प्रस्तुत उपन्यास 'डायमण्ड क्वीन' जेम्स बाण्ड सीरीज का उपन्यास है। जिसमें बाण्ड के अतिरिक्त जासूस विनय और अंतरराष्ट्रीय ठग भगत कुमार भी उपस्थित हैं। 
     अब चर्चा करते हैं उपन्यास कथानक की। 

Sunday 17 October 2021

465. आवाज का भेद- इब्ने सफी

कैप्टन विनोद- हमीद का कारनामा
आवाज का भेद- इब्ने सफी

   जासूसी उपन्यास साहित्य में इब्ने सफी युग रोचक उपन्यासों के लिए जाना जाता है। इब्ने सफी मूलतः उर्दू उपन्यासकार थे, इनके उपन्यासों का जितना विस्तृत बाजार उर्दू में था उस से कहीं ज्यादा हिंदी में था।
    इब्ने सफी के उपन्यास नकहत प्रकाशन के अन्तर्गत जासूसी दुनिया पत्रिका में प्रकाशित होते थे, जिनका अनुवाद प्रेम प्रकाश जी द्वारा किया जाता था। 

    'आवाद का भेद' इब्ने सफी जी का कैप्टन विनोद और हमीद सीरीज का एक रोचक उपन्यास है। उर्दू में कैप्टन फरीदी होता है हिंदी अनुवाद में फरीदी को विनोद कर दिया जाता है। हालांकि कुछ उपन्यासों में हिंदी में‌ भी 'कैप्टन फरीदी और हमीद' ही मिलते हैं। इनका एक और साथी है कासिम। कासिम एक हास्य पात्र है। उसका जासूसी में कोई योगदान नहीं होता।
        प्रस्तुत उपन्यास के आरम्भ में संपादकीय (संपादक- अब्बास हुसैनी) में‌ लिखा प्रस्तुत उपन्यास में कासिम का हास्यपूर्ण अंदाज खूब मिलेगा।
   कहानी का आरम्भ हमीद और कासिम से होता है। दोनों कुछ दिनों के लिए यात्रा पर निकले हैं। रास्ते में इनकी मुलाकात शाहिदा और उसके भाई नासिर तथा इनकी माँ से होती है। शाहिदा एक हँसमुख लड़की है।
  वह अपनी माँ से कहती है-
"यह भी मेरे बाप के बेटे हैं- आदम‌ की औलाद। मैं तो इनको हजारों सालों से जानती हूँ।" (पृष्ठ-19)
लेकिन वहाँ की कुछ घटनाएं हमीद को आश्चर्यजनक लगती हैं। जैसे हमीदा का बिल्ली की आवाद से हद से ज्यादा डरना।
       लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी हमीद इस आवाज के  रहस्य को नहीं समझ पाता। आगे सफर के दौरान हमीद और कासिम गायब हो जाते हैं। 

Friday 15 October 2021

464. सरहदी तूफान- प्रेम प्रकाश

सरहद पर उठा एक खतरनाक तूफान
सरहदी तूफान- प्रेम प्रकाश
    
      Hindi Pulp Fiction में प्रेम प्रकाश का नाम पाठकों के लिए अपरिचित नहीं है। हालांकि पाठकवर्ग इन्हें लेखक के तौर पर कम और अनुवादक के रूप में ज्यादा जानते हैं। हिंदी जासूसी साहित्य को एक नया आयाम देने वाले इब्ने सफी के उर्दू उपन्यासों को हिंदी में अनुदित करने का कार्य प्रेम प्रकाश ही किया करते थे।
     बहुत से लेखक अनुवादक से लेखक बने हैं और इसी क्रम में नाम आता है प्रेमप्रकाश का। प्रेम प्रकाश का जितना नाम अनुवादक के तौर पर चर्चित रहा उतना एक लेखक के तौर पर चर्चित न रहा। 
     नकहत प्रकाशन -इलाहाबाद से सन् 1976 में प्रकाशित उपन्यास 'सरहदी तूफान' पढा‌ जो एक रोचक जासूसी उपन्यास है।
    शहर का एक चर्चित क्लब- प्रिंस नाइट क्लब।
    जासूस राजन भी इसी क्लब में था, जहाँ उसे कुछ संदिग्ध आदमी दिखे थे और वह उनका पीछा करता हुआ घने जंगल में पहुँच गया।
वे तीन आदमी थे। लेकिन जब राजन वहाँ पहुंचा तो उसे वहाँ एक आदमी की लाश मिली। यह उसी आदमी की लाश थी जिसे वह विचित्र आदमी प्रिंस नाइट क्लब में बराबर घूरे जा रहा था और जिसे वह अपने साथ यहाँ तक लाया था। (पृष्ठ-10) 

463. अनोखी रात- सुरेन्द्र मोहन‌ पाठक

अपनी पत्नी की तलाश में भटकते पति की कहानी
अनोखी रात- सुरेन्द्र मोहन पाठक

Hindi Pulp Fiction में सुरेन्द्र मोहन पाठक जी का एक विशिष्ट स्थान है। मर्डर मिस्ट्री उनका लेखन अद्वितीय है। लेकिन मर्डर मिस्ट्री के अतिरिक्त थ्रिलर उपन्यासों में जो उन्होंने कमाल किया है, जो लेखन है वह मुझे विशेष रूप से प्रभावित करता है।
     निरंजन चौधरी जी द्वारा लिखा गया एक उपन्यास मैंने पढा जिसकी कहानी पाठक जी के एक उपन्यास से मिलती थी। वहीं कुछ पाठक मित्रों ने बताया की तीन उपन्यासों की एक ही कहानी है। तो मैंने वह तीसरा उपन्यास भी पढ लिया। दो उपन्यासों की कहानी पूर्णत एक जैसी है और एक में कुछ परिवर्तन है। 

  पहले चर्चा करते हैं पाठक जी के उपन्यास 'अनोखी रात' की।
      देवेन्द्र पराशर ने अपनी बीवी के अतीत को कभी महत्व नहीं दिया। उसकी दृष्टि में यही महत्वपूर्ण था की वह उसे अथाह प्रेम करती थी। लेकिन एक रात, उस अनोखी रात में उसकी बीवी घर से गायब हो गयी। जब देवेन्द्र पराशर उसकी तलाश में निकला तो उसके सामने अपनी बीवी माया के अतीत की ऐसी काली परतें सामने आयी की वह सहम उठा। 

Wednesday 13 October 2021

462. और वह भाग गयी- निरंजन चौधरी

आखिर क्यों?
और वह भाग गयी- निरंजन चौधरी
थ्रिलर उपन्यास

उसका बहुत ही शांत जीवन था, बंधी-बंधाई लीक पर चलने वाला। कोई उथल-पुथल नहीं, कोई हलचल नहीं। दो प्राणियों का जीवन। वह और उसकी पत्नी। आपस में प्यार, एक-दूसरे के लिए तड़प। बहुत ही सुखी जीवन।

    यह कहानी है सेन्ट्रल सेक्रेटेरियट में सुपरिन्टेन्डेंट  दीपंकर और उसकी पत्नी सुलोचना की।
   दीपंकर और सुलोचना की शांत जिंदगी में एक दिन एक तूफान आता है और उनका सुखमय जीवन अशांत हो उठता है। सुलोचना घर से भाग जाती है। दीपंकर के लिए यह घटना उसके शांत जीवन में हलचल पैदा कर देती थे।


 आखिर सुलोचना घर से क्यों भाग गयी?
                "सुलोचना को मैं इतना प्यार करता हूँ कि उसके बिना अब जीवित ही नहीं रह सकता।"-दीपंकर बोला,- "और अब मैं उसकी तलाश में निकलता हूँ। वह जहां भी होगी, मैं उसे खोज निकालूंगा।" 

Tuesday 12 October 2021

461. बकरे की करामात- एस. सी. बेदी

राजन-इकबाल का कारनामा
बकरे की करामात- एस. सी. बेदी

नमस्कार पाठक मित्रो।
       लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में बहुत अजीब शीर्षक से उपन्यास भी प्रकाशित हुये हैं। और उम्मीद है आपने पढे भी होंगे। माननीय सुरेंद्र मोहन पाठक जी का उपन्यास 'बंदर की करामात' तो काफी चर्चित उपन्यास है। ऐसा ही एक उपन्यास एस. सी. बेदी जी ने लिखा था जिसका शीर्षक है- बकरे की करामात। 
    अब 'बंदर की करामात' और 'बकरे की  करामात' एक जैसे उपन्यास है या दोनों का कथानक अलग है। यह आप इस पोस्ट को पढकर जान जायेंगे।
   उपन्यास प्रसिद्ध जासूस 'राजन-इकबाल' पर आधारित है। राजन एक बार इकबाल को कलवाड़ की पहाड़ियों में‌ जाने को कहता है। इकबाल अपने साथ नफीस को ले जाता है।
      एस.सी. बेदी जी का एक खास पात्र है नफीस। नफीस को ज्यादातर उपन्यासों में हास्य और कम बुद्धि के पात्र के तौर पर प्रस्तुत किया जाता है।
"आप भी कमाल करते हैं भाईजान।"-इकबाल मुस्कुराता हुआ बोला,-" अगर इसी तरह डरते रहे तो खाक जासूसी करेंगे। मैं तो आपको पक्का जासूस बनाना चाहता हूँ।"
"जासूसी गयी भाड़ में और तेल लेने भी। अपुन को अपनी जान प्यारी है। तुमको मरना है तो जाओ मरो।"

   इकबाल को यहाँ एक स्त्री मिलती है लेकिन‌ इस दौरान नफीस गायब  हो जाता है।
    इकबाल के हाथ यहाँ नेन्सी‌ लगती है और नफीस खो जाता है। राजन-इकबाल के हाथ नेन्सी एक प्रमुख गवाह है, लेकिन एक दिन वह भी रहस्यम तरीके से मृत पायी जाती है।
"समझ नहीं आया।"- इकबाल बोला," चादर पर खून के धब्बे थे और लाश पर एक भी घाव नहीं है।"

Monday 20 September 2021

460. अपने हुये पराये- प्यारे लाल 'आवारा'

क्यों हुये अपने-पराये
अपने हुये पराए- प्यारे लाल आवारा

लम्बे समय से मैं घर नहीं आया था। विद्यालय में कोई अवकाश नहीं था। जुलाई से नया सत्र आरम्भ हुआ और  उसके बाद 16 सितंबर को घर के लिए रवाना हुआ। यात्रा के दौरान में अक्सर कोई न कोई किताब पढ लेता हूँ। लेकिन पहली बार ऐसा हुआ की आने-जाने के दौरान कोई किताब नहीं पढी और इस दौरान घर पर एक किताब पढी वह प्यारे लाल आवारा की 'अपने हुये पराये' हालांकि इस उपन्यास को पूर्व में पढ चुका था। बस समीक्षा की दृष्टि से पुनः पढ लिया।
      'अपने हुये पराये' एक सामाजिक उपन्यास है। हां, सामाजिक है पर पूर्णतः पारिवारिक नहीं।  

मित्र इंद्राज बरोड़ के साथ उपन्यास चर्चा
कहानी का आरम्भ पण्डित रामानंद से होता है।
-भोर हो रही थी और पण्डित रामानंद गंगा किनारे के अपने मनपसंद घाट पर पहुँच गये थे।
आसमान पर बादल थे, इसलिए भोर की रोशनी जमीन तक नहीं पहुँच पा रही थी।
.......
'माँ गंगे' कहते हुये उन्होंने गंगा जी के जल को अपने माथे और सफेद दाड़ी से लगाया ही था कि 'छपाक' की आवाज हुयी और वे चौंक कर उधर देखने लगे।

(प्रथम पृष्ठ) 

Saturday 11 September 2021

459. उनका आखिरी गाना- राॅइन रागा, रिझ्झम रागा

पेड़ों की दुनिया की यात्रा
उनका आखिरी गाना- राॅइन रागा, रिझ्झम रागा

'नई पीढी के फतांसी लेखकों में रागा बंधुओं का कोई सानी नहीं।- दीपक दुआ(प्रख्यात फिल्म निर्देशक)

    जब मैंने पहली बार रागा बंधुओं को फेसबुक पर उनके चर्चित उपन्यास 'पानी की दुनिया' के साथ देखा तो तभी से इनके उपन्यास पढने की इच्छा जागृत हो गयी। 'पानी की दुनिया' इनका एक चर्चित फतांसी उपन्यास है। 

उनका आखरी गाना- रागा बंधु
उनका आखिरी गाना- रागा बंधु
-   मैं अक्सर फेसबुक पर चर्चा सुनता रहता था कि जयपुर निवासी रागा बंधुओं (राॅइन रागा, रिझ्झम रागा) की कहानियाँ एक अलग दुनिया की यात्रा करवाती हैं। जयपुर एक दो चक्र भी लगे पर मेरी परिचित दुकानों पर संयोग से इनके उपन्यास नहीं मिले। एक दिन किंडल पर सर्च करते समय रागा बंधुओं का उपन्यास 'उनका आखिरी गाना' सामने आया तो उस पढ डाला। हालांकि इनके उपन्यास पहले किंडल पर उपलब्ध नहीं थे। और अब भी कुछ तकनीकी समस्या के साथ उपलब्ध हैं। 
  जैसा की सुना था रागा बंधुओं के उपन्यास फतांसी होते हैं, वहीं 'उनका आखिरी गाना' पढकर जाना यह फंतासी मात्र कोरी कल्पना ही नहीं मानवीय संवेदना का अनूठा चित्रण भी है।
      'उनका आखिरी गाना' मनुष्य के स्वार्थ, भौतिकता और वृक्षों पर आधारित एक रोचक लघु उपन्यास है। 

458. जहरीली- हादी हसन

मैं तेरे प्यार में‌ पागल
जहरीली- हादी हसन

     अपने प्यार को पाने का उसके पास एक ही रास्ता था सायनाइड। ऐसा तेज जहर जिसका स्वाद कोई नहीं जानता। क्योंकि उसे चखने वाला बताने के लिए जिंदा ही नहीं रहा। लेकिन उसे मालूम था कि ऐसा  करते ही वह कानून का मुजरिम बन जायेगा। फिर भी उसने वह रास्ता अपनाया। प्यार में अंधा जो हो चुका था। इसलिए अपने इंस्पेक्टर दोस्त की आड़ में उसने वह चाल चली जो थी बड़ी-जहरीली। 
जहरीली - हादी हसन
जहरीली - हादी हसन
    लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में हासी हसन जी का स्वयं के नाम से प्रकाशित होना वाला यह प्रथम मौलिक उपन्यास है। हासी हसन जी उपन्यास साहित्य में एक लंबे समय से सन् 1973 से सक्रिय हैं पर अपने वास्तविक नाम से प्रकाशित होना का यह उनका प्रथम अवसर है। एक बेहतरीन लेखनी छद्म लेखन की भेंट चढती रही, लेकिन Flydreams ने इसअनमोल मोती को पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत लाने का प्रशंसनीय कार्य किया है 'जहरीली' उपन्यास के माध्यम से।
    
     मीनाक्षी, रानी लक्ष्मी चौक और चूनाभट्टी के बीच कहीं रहती है। वह अपने बूढे माँ-बाप का एकमात्र सहारा है। एक प्राइवेट फर्म में टाइपिस्ट की नौकरी करती है। उस रात वह नौकरी के बाद माँ की दवा लेकर लौट रही थी, तभी एक हादसा हो हुआ जिसमें वह चाकू से घायल हो गयी। (पृष्ठ-18) 
      संयोग से वहाँ पहुंचे मिस्टर संजय और मिस्टर नरेश डोगरा दोनों मीनाक्षी के रक्षक साबित होते हैं। और यहीं से तीनों अच्छे मित्र बनते हैं। लेकिन यहीं मित्रता उनके जीवन का अभिशाप बन जाती है। क्योंकि परिस्थितियाँ इस कदर करवट लेती हैं कि किसी को कुछ समझ में ही नहीं आता कि आखिर हो क्या रहा है। 

Thursday 9 September 2021

457. हेरोइन- एस. सी. बेदी

एस.सी. बेदी का अंतिम उपन्यास
हेरोइन- एस.सी. बेदी
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में अगर किसी ने बाल साहित्य लिख कर ख्याति अर्जित की है तो वह एकमात्र न है -एस. सी. बेदी(सुभाषचन्द्र बेदी)
    ऐसा माना जाता है इन्होंने 1500 के लगभग बाल उपन्यास लिखे हैं। इनके प्रसिद्ध पात्र 'राजन-इकबाल' तो पाठक भूल नहीं सकते।
     बदलते दौर के साथ जब जासूसी उपन्यास साहित्य गर्द में चला गया तो एस.सी.बेदी जी भी लेखन से दूर हो गये। 
हेरोइन- एस.सी. बेदी, www.sahityadesh.blogspot.com
   एक लंबे समय पश्चात 'सूरज पॉकेट बुक्स' के संस्थापक शुभानंद जी ने 'राजन-इकबाल रिबोर्न सीरीज' आरम्भ की, जो पाठकों को एस. सी. बेदी की याद दिलाती थी। सूरज पॉकेट बुक्स के प्रयास से एक बार पुन: बेदी जी ने कलम उठाई और अपने प्रिय पात्रों पर लेखन आरम्भ किया। हालांकि इस द्वितीय पारी में वे कुल छह ही उपन्यास लिख पाये और दिनांक 31.10.2019 को इस दुनिया को अलविदा कह गये। इस समय उनका अंतिम उपन्यास 'हेरोइन' प्रकाशन की कतार में था।
'हेरोइन' वर्तमान समय में युवा वर्ग को अपनी चपेट में ले लेने वाले खतरनाक और जानलेवा नशे पर आधारित 'राजन-इकबाल' सीरीज का उपन्यास है। 

Wednesday 8 September 2021

456. अंतरिक्ष में विस्फोट- जयंत विष्णु लारळीकर

प्रकृति के एक रोचक रहस्य की कथा
अंतरिक्ष में विस्फोट- जयंत विष्णु नारळीकर, वैज्ञानिक उपन्यास

हमारे विद्यालय के 'सरस्वती पुस्तकालय' में एक रोचक वैज्ञानिक उपन्यास मुझे मिला। जो मुझे बहुत रोचक लगा।
कथा शुरु होती है सम्राट हर्षवर्धन के काल से। स्थानेश्वर के बौद्ध विहार के आचार्य भिक्खु सारिपुत्त की, तारों और नक्षत्रों से भरे आकाश के निरीक्षण में, गहरी रूचि है। एक रात, उनका प्रिय शिष्य रोहित उनके घर दौड़ा-दौडा़ आता है और आकाश में घटित एक अलौकिक दृश्य के साक्ष्य के बारे में बताता है।  भिक्खु सारिपुत इस घटना को विशेष महत्व देते हैं और उसकी सूचना राजा तक पहुँचा देते हैं। राजकीय संरक्षण और रोहित के सहयोग से सारिपुत्त इन अभिलेखों में सारे विवरण लिखकर, काल पात्र के रूप में जमीन में गड़वा देते हैं। अचानक, बीसवीं सदी में, तेरह सौ साल के बाद वही अभिलेख प्राच्यविद्या विशेषज्ञ तात्या  साहेब और नक्षत्रविज्ञानी अविनाश नेने को प्राप्त होते हैं। सारे विश्व और इसके  प्राणियों के अस्तित्व के लिए उनका बड़ा महत्व है। क्या सारिपुत्त ऐसे किसी संभावित संकट का पूर्वानुमान था?
उपन्यास का अंतिम भाग उन पूर्व घटनाओं से संबंधित है जो सदियों बाद घटित होती हैं।  

सृष्टि में कोई भी घटना घटित होती है उसका प्रभाव अवश्य परिलक्षित होता है। वह प्रभाव हो सकता है वर्तमान में दृष्टिगत न हो, पर भविष्य में उसका कहीं न कहीं कोई न कोई प्रभाव अवश्य होगा। अरबों किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में होने वाली घटना का प्रभाव भी पृथ्वी पर होता है पर उसका प्रभाव पृथ्वी पर पहुंचने में कितना समय लगेगा उसका आंकलन करना  संभव नहीं है।

Sunday 5 September 2021

455. सिटी आॅफ इविल - दिलशाद अली

जहाँ मुर्दे जिंदा होते है
सिटी आफ इविल- दिलशाद अली

Flydreams Publication ने प्रकाशन कर क्षेत्र में एक टैग लाइन 'किताबें कुछ हटके' के साथ कदम रखा। और इस प्रकाशन की कुछ किताबें पढकर यह अनुभूत होता है कि यह टैग लाइन कितनी सार्थक है। वास्तव में इस प्रकाशन से आयी कुछ  किताबें मेरे विचार से हिंदी में पहली बार प्रकाशित हुयी हैं। कुछ अलग विषयों पर आधारित रोचक किताबें।
इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के युवा लेखक दिलशाद अली का प्रथम उपन्यास 'सिटी आफ इविल' है। यह एक अलग तरह की कहानी है। मेरे विचार से यह हिंदी में प्रथम प्रयास है।  

गुरू शिखर- माउंट आबू
गुरू शिखर- माउंट आबू

 पर।अब चर्चा करते हैं उपन्यास की।
'बखुंदा' एक पहाड़ी इलाके से घिरा हुआ,चारों तरफ बियाबान जंगल ही जंगल, भारत के नक्शे में आखिर में‌ मौजूद और ज्यादातर भाग समुंदर से घिरा हुआ था। वहाँ के लोग बेहद शांत,बाहरी चमक से अनजान, अपनी घुन में ही खुश रहने वाले थे। (पृष्ठ 14)
     उपन्यास की कहानी इसी रहस्यमयी जगह से संबंध रखती है। क्योंकि सन् 2020 में यहाँ की एक रहस्यमयी जगह पर अथाह खजाना मिलता है।
पांच साल बाद....

Friday 20 August 2021

454. लाश की हत्या- प्रकाश भारती

लाश की हत्या- प्रकाश भारती-1989
मर्डर मिस्ट्री
   इस माह (अगस्त 2021) में मैंने क्रमशः प्रकाश भारती जी के चार उपन्यास पढे हैं। 'प्ले बाॅय', 'खून का बदला' , 'काली डायरी' और 'लाश की हत्या'।
  अब चर्चा करते हैं प्रस्तुत उपन्यास लाश की हत्या की। यह एक मर्डर मिस्ट्री आधारित उपन्यास है।  
देवराज मेहता की हत्या के वक्त सुधीर और राजेश मौका- ए -वारदात पर मौजूद थे। 
सुरेश दुग्गल ने चीख-चीख कर कबूल किया की हत्या उसी ने की थी।
क्राइम ब्रांच के डी.आई. जी. के मुताबिक वो 'ओपन एण्ड शट' केस था।
इंस्पेक्टर विजय कुमार की राय भी यही थी।
सुरेश दुग्गल के हत्यारा होने में शक की कतई कोई गुंजाइश नजर नहीं आती थी।
लेकिन  सुधीर की ठोस दलीलों ने, डी. आई. जी. और होम‌ मिनिस्टर के पी. ए. तक की मर्जी के खिलाफ, विजय  कुमार को जो एक्शन लेने पर मजबूर किया उसका नतीजा सामने आते ही....? 

Sunday 8 August 2021

453. काली डायरी- प्रकाश भारती

रहस्य एक डायरी का
काली डायरी- प्रकाश भारती, 2003
अजय सीरीज 
      पेशे से प्रेस रिपोर्टर शौक से जासूस और फितरत से खुराफाती। उसके पास न तो सूझबूझ की कमी थी और न  ही हौसले की। इरना सख्तजान भी वह न था कि उससे टकरने वाले को हमेशा मुँह की खानी पड़ी थी।  हालात चाहें कितने भी खतरनाक रहे वह न तो कभी घबराया था  और न ही निराश हुआ था। इसलिए आखिर में हमेशा बाजी उसी के हाथ में रही थी। (उपन्यास अंश) 
       'काली डायरी' प्रकाश भारती जी का एक चर्चित मर्डर मिस्ट्री थ्रिलर उपन्यास है। हालांकि यह मर्डर मिस्ट्री आधारित अजय सीरीज का उपन्यास है। लेकिन उपन्यास का कथानक मर्डर मिस्ट्री होते हुये भी थ्रिलर का आभास ज्यादा देता है। क्योंकि कहानी का ताना बाना इस ढंग से बुना गया है कि उपन्यास में मर्डर मिस्ट्री से ज्यादा ध्यान अन्य घटनाओं पर केन्द्रित है।
  माह अगस्त 2021 में प्रकाश भारती जी का यह तृतीय उपन्यास पढ रहा हूँ, इस से पूर्व मैंने उनके 'प्ले बाॅय' (थ्रिलर) और 'खून का बदला' (अजय सीरीज) उपन्यास पढे थे, दोनों ही रोचक लगे। इसी क्रम में, इसी माह 'काली डायरी' (अजय सीरीज) उनका उपन्यास पढ रहा हूँ। 

आयुष्मान - आनंद चौधरी

अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...