Saturday 26 September 2020

382. भगोड़ा अपराधी- वेदप्रकाश कांबोज

 मुजरिम फरार है...
भगोड़ा अपराधी- वेदप्रकाश कांबोज
विजय सीरीज, थ्रिलर उपन्यास

        अपराधी हमेशा कानून की पकड़ से दूर भागने की कोशिश करता है। वह जितनी संभव कोशिश होती है, अपने अपराध को छुपाने और फिर कानून की गिरफ्त से दूर होने की कोशिश में रहता है। लेकिन कानून के पहरेदार भी इस कोशिश में रहते हैं‌ की अपराधी पकड़ा जाये और उसे अपराध की सजा मिले।
    अपराध, अपराधी और कानून का यह खेल सतत चलता रहता है। अपराध होते रहते हैं और कानून मुजरिमों‌ को पकड़ता रहता है। 'भगोड़ा अपराधी' भी इसी तरह का उपन्यास है। यह एक फरार मुजरिम की कहानी है जिसे कानून के रक्षक पकड़ने के लिए सघर्षरत हैं।  
















भगोड़ा अपराधी- वेदप्रकाश कांबोज
    वेदप्रकाश कांबोज जी लोकप्रिय साहित्य के वह ज्वलंत सितारे हैं जिनका प्रकाश अमिट है। इनकी कलम से निकले अमूल्य मोती लोकप्रिय जासूसी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं।
   वेदप्रकाश कांबोज जी द्वारा रचित उपन्यास 'भगोड़ा अपराधी' पढा, यह एक थ्रिलर उपन्यास है। यह जेल से फरार मुजरिम की कहानी है जिसे पकड़ने के लिए विजय-रघुनाथ दिन-रात एक कर देते हैं।
   सितंबर 2020 में मैंने वेदप्रकाश कांबोज जी के सतत दस उपन्यास पढे हैं। जिनके क्रमश नाम हैं- मुँहतोड़ जवाब, मैडम मौत, सात सितारे मौत के, गद्दार, मुकदर मुजरिम‌ का, आखरी मुजरिम, आसमानी आफत, शहर बनेगा कब्रिस्तान, फाॅरेस्ट आफिसर, भगोड़ा अपराधी।
    इनमें से कुछ थ्रिलर- एक्शन, मर्डर मिस्ट्री हैं तो कुछ विजय सीरीज के हैं।
  अब चर्चा करते हैं प्रस्तुत उपन्यास 'भगोड़ा अपराधी' की। यह विजय सीरीज का एक रोमांच श्रेणी का उपन्यास है। कहानी है फ्रेजर नामक एक खतरनाक अपराधी की।
  फ्रेजर एक अंतरराष्‍ट्रीय तस्कर था। मुख्य रूप से वह भारत में सोने की तस्करी करता था। विभिन्न देशों में विभिन्न नामों से उसकी कई फर्में थी। कई छद्म नाम थे उसके। (पृष्ठ-10)

Thursday 24 September 2020

381. फाॅरेस्ट ऑफिसर- वेदप्रकाश कांबोज

जंगल के रक्षक की कहानी
फाॅरेस्ट ऑफिसर- वेदप्रकाश कांबोज, थ्रिलर उपन्यास

एक कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति को अपने जीवन में अपने कर्तव्य के निर्वाह पर बहुत से संकटों का सामना करना पड़ता है‌। उसके पास दो ही रास्ते होते हैं या तो वह अपने कर्तव्य पथ से हट जाये या फिर भ्रष्ट व्यक्तियों से टकरा जाये।

    वेदप्रकाश काम्बोज जी का प्रस्तुत उपन्यास 'फॉरेस्ट ऑफिसर' भी एक कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के कर्तव्य, सत्य और दृढता की कहानी है। उसे अपने जीवन में अपने दायित्व का उचित ढंग से निर्वाह करने के दौरान अनेक कष्टों का सामना करना पड़ा। 
       कहानी आरम्भ होती है केसरी से जो से जो नया फॉरेस्ट ऑफिसर बन कर ऐसी जगह पहुंचता है जहाँ कालिया नामक एक अपराधी जंगल से तस्करी करता है। यहाँ के पूर्व फॉरेस्ट ऑफिसर की हत्या कर दी जाती है। 

Tuesday 22 September 2020

380. शहर बनेगा कब्रिस्तान- वेदप्रकाश कांबोज

जब मुंबई शहर पर छाये संकट के बादल
शहर बनेगा कब्रिस्तान- वेदप्रकाश काम्बोज


बम्बई के मुख्यमंत्री को सूचित किया जाता है कि इस शहर में हमने एक खतरनाक एटम बम रखा हुआ है, जो अब से छत्तीस घण्टे बाद यानि शनिवार रात के दस बजे फट जायेगा और दुनिया के नक्शे से इस खूबसूरत शहर को नेस्तानाबूद करके एक विशाल कब्रिस्तान में बदल देगा। (उपन्यास अंश)
           वे खतरनाक मुजरिम थे जो सन् 1993 के मुंबई सिरियल बम ब्लास्ट की तरह एक बार फिर मुंबई को दहला देना चाहते थे वे मुंबई को कब्रिस्तान बनाने की जिद्द पर थे।  उनकी खतरनाक साजिश के आगे सी.बी.आई. भी बेबस थी। उनका कोई सुराग न था और बम ब्लास्ट होने के 36 घण्टे पहले उन्होंने अपनी मांग मुख्यमंत्री के समक्ष रखी।
- वह खतरनाक मुजरिम कौन थे?
- आखिर उनकी योजना क्या थी?
- उस योजना के पीछे कौन था?
- क्या CBI उस योजना को नाकाम कर पायी? 
   वेदप्रकाश काम्बोज जी द्वारा लिखा गया 'शहर बनेगा कब्रिस्तान' एक थ्रिलर उपन्यास है।

Friday 18 September 2020

379. आसमानी आफत- वेदप्रकाश कांबोज

अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र की कहानी
आसमानी आफत- वेदप्रकाश काम्बोज

विजय सीरीज

वह काठमांडू घूमने गया था लेकिन वहाँ वह एक ऐसे खतरनाक आदमी से टकरा बैठा और फिर उसके लिए खतरा पैदा हो गया और उसे लगा वह की वह आसमानी आफत मोल ले बैठा।
   जब वह इस आसमानी आफत से बचने की कोशिश करने लगा तो उस पर और भी ज्यादा खतरा मंडराने लगा और अनंत: उसने ने उस आसमानी आफत से टकराने की ठान ली।
काठमांडू की धरती पर खेला गया एक खतरनाक खूनी खेल है- आसमानी आफत।  
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378. आखरी मुजरिम- वेदप्रकाश कांबोज

पांच मुजरिमों की लूटकथा
आखरी मुजरिम- वेदप्रकाश कबोज


कहते हैं चोर चोरी करना छोड  सकता है लेकिन हेराफेरी नहीं। और जब चोर आर्थिक मुसीबत में हो तो वह कितनी भी कसमें खा ले अनंत वह अपने पुराने रास्ते पर लौट ही आता है।
वह उसकी मजबूरी हो सकती है या फिर आदत...

    वेदप्रकाश कांबोज जी का उपन्यास 'आखिरी मुजरिम' पढा। यह पांच ऐसे लोगों की कहानी है जो किसी न किसी रूप से अपराध से संबंध रखते हैं।

रामानंद-  विभिन्न अपराधों के सिलसिलें में दस साल की सजा काट कर जेल से छूटा था। लेकिन अब उसे अपनी बेटी की शादी के लिए रुपयों की बहुत आवश्यकता थी। दस साल की सजा और अपराधी का लेबल होने के कारण उसे कहीं से काम और रूपये मिलने की उम्मीद न थी। बस एक दोस्त था अब्बास जिससे कुछ उम्मीद की जा सकती थी।

     रामानंद और अब्बास आगे अजीम और दर्शन से मिले और एक प्लानिंग बनी -"नववर्ष की शुभकामनाएँ तो कल सुबह हम देंगे चन्द्रन ज्वैलर्स वालों को"

Tuesday 15 September 2020

377. मुकद्दर मुजरिम का- वेदप्रकाश कांबोज

 जब अपराधी की किस्मत बदलती है

मुकद्दर मुजरिम का- वेदप्रकाश कांबोज

  मनुष्य की किस्मत कब, कैसा खेल खेल जाये कुछ कहा नहीं जा सकता। कभी अर्श से फर्श और कभी फर्श से अर्श पर ले जाती है।
      ऐसा ही खेल खेला था किस्मत ने एक मुजरिम के साथ। इस खेल ने चाहे उस अपराधी को फर्श से अर्श पर बैठा दिया लेकिन उस सफलता के  पीछे का सच क्या था...
    इन दिनों में वेदप्रकाश कांबोज जी के उपन्यास पढ रहा हूँ। 2020 के सितंबर माह में कांबोज का मैंने यह पांचवां उपन्यास पढा है। मुझे यह उपन्यास रोचक लगा। 
     कहानी आरम्भ होती है महानगर शहर से। पत्रकार आलोक के पास बंगाली आर्टिस्ट की पत्नी आकर कहती है- "...मैं तुमसे हाथ जोड़कर विनती करती हूँ कि तुम उनकी खोज खबर लगाकर पता करो कि वे ठीकठाक तो हैं ना।"
         निताई घोष...गजब का कार्टूनिस्ट और चित्रकार था। किसी की भी लिखाई की नकल करने में तो ऐसा सिद्धहस्त था कि देखने वाले आश्चर्यचकित रह जाते थे।

   पर नित्यानंद घोष/ निताई बाबू शराब के अतिरिक्त और कुछ पसंद न करते थे। घर से निकले तो एक-दो माह तक वापस न आते थे। लेकिन इस बार उनकी पत्नी को आशंका हुयी।  इसलिए क्राइम रिपोर्टर आलोक निताई बाबू का पता लगाने निकल लिए शक्तिपुर। 

Saturday 12 September 2020

376. गद्दार- वेदप्रकाश कांबोज

आखिर कौन था गद्दार
गद्दार- वेदप्रकाश कांबोज

विजय-अलफांसे सीरीज


सूरीमा हिन्द महासागर में एक छोटा सा देश है, जिसमें कुछ छोटे-बड़े टापू शामिल थे। सिंगापुर की तरह देश का नाम भी सूरीमा था और उसकी राजधानी का नाम भी सूरीमा था।  देश में राजतंत्र था और उसके शासक का नाम सुलेमान था। देश की आबादी मुसलमान थी। थोड़े बहुत हिंदू थे और थोड़े से क्रिश्चन भी थे। 

  सूरीमा में राजतत्र है और यहाँ के शासक हैं शाह सुलेमान। सुलेमान को लगता है की उसका कोई साथी गद्दार है जो उसकी जान का दुश्मन है। और अपनी सुरक्षा के लिए सुलेमान भारत से जासूस विजय जो अपनी सुरक्षा के लिए बुलाता है।
- वह गद्दार कौन था?
- शाह सुलेमान की जान क्यों लेना चाहता था?
- क्या विजय इस अभियान में सफल रहा?

   अगर आप वेदप्रकाश काम्बोज जी के 'विजय-अलफांसे' सीरीज के उपन्यास पसंद करते हैं तो यह उपन्यास पढें और जाने एक गद्दार की सत्यता को। 

Thursday 10 September 2020

375. सात सितारे मौत के- वेदप्रकाश कांबोज


अंतरराष्ट्रीय अपराधी अलफांसे और माफिया डाॅन की टक्कर
सात सितारे मौत के- वेदप्रकाश कांबोज
अलफांसे सीरीज

एक मित्र की मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय अपराधी ने डाॅन का काम करना स्वीकार कर लिया, लेकिन जब उस डाॅन ने अंतरराष्ट्रीय अपराधी को धोखा दिया तो....
     अगस्त 2020  में मैंने वेदप्रकाश कांबोज जी के पांच उपन्यास पढे और सितंबर माह में यह वेदप्रकाश कांबोज का तीसरा उपन्यास है, जो मैं पढ रहा हूँ। उम्मीद है इस माह यह सिलसिला यथावत चलता रहेगा  
   अब चर्चा करते हैं उपन्यास कथानक की। कहानी है अंतरराष्ट्रीय अपराधी अलफांसे और डाॅन सेवल की। अपने एक‌ मित्र ...की मदद के लिए अलफांसे सेवल के लिए एक लूट का अंजाम देता है लेकिन...सेवल और उसके आदमियों ने जो यह ऐन वक्त पर विश्वासघात किया उसे याद करके तो क्रोध के मारे उसका रोम रोम जलने लगा था।
    तब अलफांसे ने सेवल को तबाह कर देने की ठान ली थी। लेकिन सेवल भी कम न था... "...क्या विलक्षण दिमाग पाया है। अपने शिकारी को ऐसी परिस्थिति में फंसा देता था जहाँ निश्चित मौत के अतिरिक्त उन्हें कुछ न‌ मिले।"
लेकिन अलफांसे भी सीधी धमकी देता है-
"...अपने मालिक से कहना कि उसके सात सितारे मौत के उसके सिर के पर मंडराने लगे हैं। बचने के लिए इस धरती पर अगर कोई जगह नजर आती है तो वहाँ छुप कर अपनी जान बचाने की कोशिश करे।" 

Sunday 6 September 2020

374. मैडम मौत- वेदप्रकाश कांबोज

जो सबको मौत देती है...
मैडम मौत- वेदप्रकाश कांबोज
थ्रिलर मर्डर मिस्ट्री, विजय सीरीज

आदमी का स्वार्थ उसे किस हद तक ले जाता है, इसका उदाहरण है वेदप्रकाश कांबोज द्वारा लिखित उपन्यास 'मैडम मौत'। उपन्यास चाहे मर्डर मिस्ट्री थ्रिलर घटनाक्रम पर आधारित है, पर यह कहानी तो हमारे समाज की ही है, उस समाज की जहाँ लोग स्वार्थ के लिए अपने परिवार, मित्र-बंधुओं तक से फरेब करते नजर आते हैं।
        सितंबर 2020 में वेदप्रकाश कांबोज जी का मैंने यह द्वितीय उपन्यास उपन्यास पढा है, इससे पूर्व इसी माह मैंने 'जवाब मुँह तोड़' पढा था जो की इसी उपन्यास की तरह 'विजय सीरीज' का मर्डर मिस्ट्री थ्रिलर उपन्यास है।
दोनों उपन्यास मुझे रोचक और दिलचस्प लगे।
अब चर्चा करते हैं उपन्यास 'मैडम‌ मौत' की।
        उपन्यास हरि नगर नामक एक काल्पनिक शहर पर आधारित है। जहाँ राजनीति में दो प्रतिद्वंद्वी है। एक है रामप्रकाश बग्गा और दूसरा है राजसिंह। जहाँ राज सिंह के साथ पत्रकार महादेव है वहीं रामप्रकाश बग्गा के हर कारनामे का साथी है उसका सेक्रेटरी चन्द्रनाथ।
        अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा का विस्तार करते हुए रामप्रकाश ने अपने पुत्र कुलदीप बग्गा को राजनीति में उतारा लेकिन एक सभा के दौरान कुलदीप की हत्या हो जाती है और कुलदीप के हत्यारे की भी। 

Friday 4 September 2020

373. मुँहतोड़ जवाब - वेदप्रकाश कांबोज

एक अज्ञात द्वीप पर विजय की दुश्मनों से टक्कर
जवाब मुँहतोड़- वेदप्रकाश कांबोज
विजय सीरीज


भारत भूमि से दूर एक अज्ञात द्वीप पर एक व्यक्ति के मरने की एक सामान्य सी घटना थी।‌ मृतक के भाई ने भी भी इसे मात्र आकस्मिक निधन की खबर मान कर दुख मना लिया। 
    लेकिन उस भाई के उस अज्ञात द्वीप से प्राप्त सामान ने ऐसा कहर बरसाया की की एक के बाद एक दुश्मन पैदा होते चले गये और उन दुश्मनों के लिए जासूस विजय तैयार था देने को -जवाब मुँहतोड। 
  लोकप्रिय साहित्य के सितारे वेदप्रकाश कांबोज जी ने विजय सीरीज को लेकर कई रोचक उपन्यासों की रचना की है। लोकप्रिय साहित्य की इस अमूल्य निधि को पढने का अवसर मुझे प्राप्त हुआ है, उसी का यहाँ वर्णन प्रस्तुत है।
मेरी हार्दिक इच्छा है की लोकप्रिय साहित्य को संरक्षित किया जाये। वह चाहे किसी भी रूप में हो। इसके लिए मेरा अल्प प्रयास भी www.sahityadesh.blogspot.com से जारी है।
   अब कुछ चर्चा उपन्यास 'जवाब मुँहतोड़' के विषय पर। 

आयुष्मान - आनंद चौधरी

अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...