Sunday 31 May 2020

324. तान्या- चमन मिश्र

एक प्रेम कहानी दर्द भरी
तान्या- चमन मिश्रा, उपन्यास

COVID-19 के चलते LOCKDOWN में किंडल का रिचार्ज करवाया था। क्योंकि कुछ नयी किताबें आयी थी पर हार्डकाॅपी मिलना तो संभव ही न था तो किंडल ही सहारा था।
30 मई को किंडल का रिचार्ज खत्म हो गया। इस मई माह में जिंडल पर मैंने बीस किताबें पढी, इस श्रृंखला में चमन मिश्रा जी द्वारा लिखित 'तान्या' अंतिम उपन्यास है अर्थात् मई माह में मेरे द्वारा पढी गयी बीसवी किताब 'तान्या' है।
      अब जून माह में हार्डकाॅपी पढनी है और वह भी कुशवाहा कांत, जयंत कुशवाहा और सजल कुशवाहा की। इस परिवार के चार सदस्यों ने उपन्यास लिखे हैं, जिनमें से रानी कुशवाहा के उपन्यास मेरे पास नहीं है। 

अब बात करते हैं चमन मिश्रा जी द्वारा लिखित उपन्यास 'तान्या' पर। यह एक प्रेम कथा है। रवि और तान्या की प्रेम कहानी है।
रवि और तान्या विद्यालय समय के मित्र हैं और यही मित्रता बाद में प्यार में बदल जाती है, लेकिन यह प्यार आधुनिक से दूर है। जैसे आजकल अधिकांश प्रेम कथाओं में प्यार के बाद शारीरिक संबंधों को महत्व दिया जाता है लेकिन कम से कम लेखक महोदय ने इस उपन्यास में ऐसा कुछ नहीं लिखा, धन्यवाद लेखक महोदय।

हां तो यह कहानी है ईश्क की, उस ईश्क की जो अक्सर अधूरा रह जाता है।- इश्क़ में जरूरी बातें हमेशा अधूरी ही रह जाती हैं।
आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, कारण- “इश्क़ का कोई ग्रंथ ही तो नहीं है, वरना लोग हज़ारों सालों से इश्क़ को ख़ारिज नहीं करते।" 

Friday 29 May 2020

323. शम्भाला- अनुराग अग्निहोत्री

तीन रोचक कथाएं, हाॅरर, मर्डर मिस्ट्री, सामान्य कहानी
शंभाला-  अनुराग अग्निहोत्री

चूंकि वो उस जलती चिता से निकल कर आई थी इसलिये उसके शरीर का ज्यादातर मांस जल चुका था और उसमें से मांस के जलने की बदबू अब भी आ रही थी.. चेहरे और हाँथ की खाल जलने के कारण गल गल के नीचे टपक रही थी, चेहरे पर आंख के नाम पर सिर्फ एक आंख थी और वो भी ऐसी लग रही थी कि अब नीचे गिरी की तब और दूसरी आंख की जगह पर सिर्फ एक गड्ढा नज़र आ रहा था... नाक के नाम पर सिर्फ दो छेद थे और होंठ भी चूंकि आग से जल चुके थे तो वहाँ से सिर्फ दांत दिख रहे थे और देखने में बड़े ही भयानक लग रहे थे।
यह दृश्य है उपन्यास 'शम्भाला' का जिसके लेखक है अनुराग अग्निहोत्री जी। यह दृश्य है 'शम्भाला' नामक एक चुड़ैल का। जब ठाकुर साहब ने यह सुना की शम्भाला लौट आयी है तो उनके मुँह से एक ही आवाज निकली-
"न न नहीं... वो वो लौटकर नहीं आ सकती, श शशम्भाला फिर से लौटकर नहीं आ सकती..न न नहीं आ सकती"
- कौन थी शम्भाला?
- ठाकुर साहब उससे इतना क्यों डरते थे?
- शम्भाला के लौट आने का क्या अर्थ था?
- और जब शम्भाला लौट आयी तो उसने क्या किया?
तो आपको ये सब जानने के लिए अनुराग अग्निहोत्री ही का लघु हाॅरर उपन्यास 'शम्भाला' पढना होगा।

Wednesday 27 May 2020

322. मर्डर इन लाॅकडाउन- संतोष पाठक

सिगरेट की लत से कत्ल तक का किस्सा
मर्डर इन लाॅकडाउन- संतोष पाठक, मर्डर मिस्ट्री उपन्यास

"....हम सबको किस्मत के आगे आखिरकार घुटने टेकने ही पड़ते हैं। जरा खुद के बारे में ही सोच कर देखो। लॉकडाउन नहीं होता तो तुम यूं पुलिस से डरकर उस बिल्डिंग में नहीं घुसे होते, जहां ना सिर्फ एक कत्ल होने वाला था, बल्कि उस कत्ल में तुम गर्दन तक लपेटे में आने वाले थे। जबकि तुम्हारी किसी से कोई अदावत नहीं थी, किसी ने तुम्हें बलि का बकरा बनने के लिए वहां पहुंचने को मजबूर नहीं किया था। मगर तुम पहुंचे, क्योंकि तुम्हारी किस्मत में वही बदा था।‘‘
       यह दृश्य है संतोष पाठक जी के मई 2020 में प्रकाशित उपन्यास 'मर्डर इन लाॅक डाउन' का। यह एक तेज रफ्तार मर्डर मिस्ट्री है।
      एक सिगरेट की लत- कोरोना वायरस के चलते दिनांक 22.03.2020 को सम्पूर्ण देश में जनता कर्फ्यू था। जनता बाहर नहीं निकल सकती थी, सड़कों पर पुलिस थी। लेकिन, इसे सिगरट की लत थी, सिगरेट के बिना वह स्वयं को अधूरा सा महसूस करता था। पुलिस से डरता, सिगरेट लेने वह बाहर निकला, और एक कत्ल के इल्जाम में पुलिस ने उसे पकड़ लिया। "लॉकडाउन में सिगरेट की खोज में निकलने की इतनी बड़ी सजा? तुम तो तरस खाने के काबिल लगने लगे हो।‘‘ (उपन्यास अंश)  


- क्या यह उसकी किस्मत थी?
- क्या यह कोई सोची समझी साजिश थी?
- क्या वह सिगरेट के बहाने कत्ल करने गया था?
- किसका कत्ल हुआ और क्यों हुआ?

Tuesday 26 May 2020

321. लाल किला- आचार्य चतुरसेन शास्त्री

मुगल सल्तनत का इतिहास
लाल किला- आचार्य चतुरसेन शास्त्री, उपन्यास

       इतिहास की किताबें पढना मुझे रोचक लगता है। लेकिन इस रोचकता का रोमांच इतिहास की तिथियों, राजाओं की संधियों, वंशावली को याद करने के चक्कर में खत्म हो जाता है। क्योंकि इतिहास तथ्यों के बिना अधूरा है, और तथ्यों कोबयाद रखना थोड़ा मुश्किल काम है।

        मैं तो कभी कभी यह भी भूल जाता है कि 'हुमायूँ पहले था या बाबर, बाबर का पुत्र कौन था, शाहजहाँ और जहांगीर में से बाप कौन और बेटा कौन था?", और उस पर भी अगर वर्ष, संधियाँ, युध्द और वंशावली याद करनी हो तो......।
       अगर इतिहास को सरल तरीके से, रोचकता के साथ प्रस्तुत किया जाये तो हर पाठक दिलचस्प के साथ पढ सकता है, क्योंकि उसे युद्धों और संधियों की तिथियाँ याद रखने में कोई दिलचस्पी न होगी।
      इसी सिलसिले में आचार्य चतुरसेन शास्त्री जी की रचना 'लाल किला' एक पठनीय रचना के रूप में किंडल पर उपलब्ध है। उन्होंने इतिहास को बहुत रोचक तरीके से प्रस्तुत किया है। हालांकि यह इतिहास लाल किले को आधार बना कर लिखा गया है, जिसमें हुमायूँ से लेकर अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह जफर तक का वर्णन मिलता है, यह मुगल काल का इतिहास है‌।

Friday 22 May 2020

320. नास्तिकों‌ के देश में- प्रवीण कुमार झा

हाॅलैण्ड की दिलचस्प यात्रा
नास्तिकों के देश में, नीदरलैण्ड- प्रवीण कुमार झा

      प्रवीण कुमार झा पेशे से चिकित्सक हैं। लेकिन इसके साथ-साथ वे यायावर भी हैं। समय समय पर घूमते रहते हैं। हालांकि उनका घूमना कुछ उद्देश्यवश होता है लेकिन इस उद्देश्य के साथ-साथ वे अपनी मनमौजी प्रवृत्ति के चलते कुछ रोचक घटनाओं को भी देख जाते हैं और पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर देते हैं।- दरअसल मैं इस यात्रा में एक शोध की वजह से आया था। मैं गिरमिटिया इतिहास के कुछ अंश तलाश रहा था, जो यहीं कहीं बिखरे पड़े थे।
लेखक प्रवीण झा शहरों और देशों के विचित्र पहलूओं में रुचि रखते हैं। आईसलैंड के भूतों के बाद यह अगला सफर नीदरलैंड के नास्तिकों की तफ़्तीश में है। इस सफर में वह नास्तिकों, गंजेड़ियों और नशेड़ियों से गुजरते वेश्याओं और डच संस्कृति की विचित्रता पर आधी नींद में लिखते नजर आते हैं। किताब का ढाँचा उनकी चिर-परिचित खिलंदड़ शैली में है, और विवरण में सूक्ष्म भाव पिरोए गए हैं। यह एक यात्रा-संस्मरण न होकर एक मन में चल रहा भाष्य है। भिन्न संस्कृतियों के साम्य और द्वंद्व का चित्रण है। इसी कड़ी में उनका सफर एक खोई भारतीयता का सतही शोध भी करता नजर आता है।

Thursday 21 May 2020

319. माटी की मूरतें- रामवृक्ष बैनीपुरी

पात्रों का संसार....
माटी की मूरतें- रामवृक्ष बैनीपुरी

माटी की मूरतें—श्रीरामवृक्ष बेनीपुरी जब कभी आप गाँव की ओर निकले होंगे, आपने देखा होगा, किसी बड़ या पीपल के पेड़ के नीचे, चबूतरे पर कुछ मूरतें रखी हैं—माटी की मूरतें! ये मूरतें—न इनमें कोई खूबसूरती है, न रंगीनी। किंतु इन कुरूप, बदशक्ल मूरतों में भी एक चीज है, शायद उस ओर हमारा ध्यान नहीं गया, वह है जिंदगी! ये माटी की ब नी हैं, माटी पर धरी हैं; इसीलिए जिंदगी के नजदीक हैं, जिंदगी से सराबोर हैं। ये देखती हैं, सुनती हैं, खुश होती हैं; शाप देती हैं, आशीर्वाद देती हैं। खुश हुईं—संतान मिली, अच्छी फसल मिली, यात्रा में सुख मिला, मुकदमे में जीत मिली। इनकी नाराजगी—बीमार पड़ गए, महामारी फैली, फसल पर ओले गिरे, घर में आग लग गई। ये मूरतें जिंदगी के नजदीक ही नहीं, जिंदगी में समाई हुई हैं। इसलिए जिंदगी के हर पुजारी का सिर इनके नजदीक आप-ही-आप झुक जाता है। ये कहानियाँ नहीं, जीवनियाँ हैं! ये चलते-फिरते आदमियों के शब्दचित्र हैं। सुप्रसिद्ध लेखक श्रीरामवृक्ष बेनीपुरी कहते हैं—‘मानता हूँ, कला ने उन पर पच्चीकारी की है; किंतु मैंने ऐसा नहीं होने दिया कि रंग-रंग में मूल रेखाएँ ही गायब हो जाएँ। मैं उसे अच्छा रसोइया नहीं समझता, जो इतना मसाला रख दे कि सब्जी का मूल स्वाद ही नष्ट हो जाए।’ जिंदगी के विविध रंगों को रेखांकित करतीं बेनीपुरीजी की सशक्त लेखनी से निकली रोचक, मार्मिक व संवेदनशील रेखाचित्र।

Wednesday 20 May 2020

318. वो प्यार, मोहब्बत की कहानी- निपुण गुप्ता

कुछ कहानियाँ, कुछ कविताएँ
वो प्यार, मोहब्बत की कहानी- निपुण गुप्ता

यह किताब महज एक किताब नहीं है, एक सफर है जिसे हर एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में एक बार जरूर तय करता है । कभी पहली नजर में, तो कभी सालों की गहरी दोस्ती के बाद, कभी किसी सुबह साथ हँसते हुए तो कभी किसी अकेली रात में उसको याद कर रोते हुए । कभी ना कभी, कहीं ना कहीं, हर इंसान एक बार मोहब्बत जरुर करता है ।
यह सफर आपको जिन्दगी के अलग-अलग पहलुओं से लेकर गुजरेगा जिसमें कहीं आपको ईष्र्या मिलेगी तो कहीं जुदाई का दर्द, कहीं आपको सफलता की ओर बढ़ते कदम मिलेंगे तो कहीं राह से भटके विचार । इन सब परिस्थितियों में जो एक चीज आपको हर जगह दिखेगी वो है दो लोगों का प्यार ।
उफ्फ! यह मोहब्बत... (किताब से)   

317. #कहानीवाला- संदीप डोबरियाल

युवा उम्मीदों की कहानियाँ
#कहानीवाला- संदीप डोबरियाल


संदीप डोबरियाल नाम मेरे लिए पूर्णतः अपरिचित है। पहली बार किंडल पर इनका एक कहानी संग्रह दिखाई दिया सोचा यही पढ लिया जाये।
       इस संग्रह में कुल नौ कहानियाँ है जो युवावर्ग से संबंधित है। वे चाहे होस्टल, काॅलजे के हो या किसी कम्पनी में कार्यरत। आधुनिक सोच को परवाज देता यह कहानी संग्रह प्यार, मस्ती के साथ साथ कुछ सामाजिक समस्याओं को भी प्रस्तुत करता है। हालांकि कुछ कहानियाँ प्रतीकात्मक होने के कारण घटनाएं सी प्रतीत होती हैं, लेकिन संवेदना के स्तर पर कहीं कम नहीं है।

      ज़िंदगी उलझ गई है, पतंग की डोर की तरह। एक सिरा सुलझाऊँ, तो दूसरा उलझ जाता है। अब तो सुलझाने का मन भी नहीं करता। सच कहूँ तो हिम्मत भी नहीं बची है। (कहानी पतंगें से)
अधिकांश कहानियाँ डोर की तरह उलझे जीवन की कहानियाँ है। 

Monday 18 May 2020

316. पुरानी डायरी- मनमोहन भाटिया

पुरानी डायरी की पुरानी कहानियाँ
पुरानी डायरी- मनमोहन भाटिया

किंडल पर मनमोहन भाटिया जी का कहानी संग्रह 'पुरानी डायरी' पढा। जैसा की शीर्षक से विदित होता है यह एक डायरी है और इसमें कुछ पुरानी यादें समेटी गयी हैं।
हालांकि यह कहानी संग्रह एक काल्पनिक डायरी के रूप में दर्ज है, लेकिन कहानी कोई भी हो वह कुछ न कुछ तो वास्तविकता के नजदीक होती है। यह एक लेखक पर निर्भर करता है कि वह कहानी को कितना वास्तविकता के नजदीक रखता है, कितना काल्पनिकता के और कितना कहानी को जीवंत रूप प्रदान करता है।
कहानी संग्रह को एक डायरी के रूप में उपस्थित करना वास्तव में एक चुनौती होता है, कारण डायरी व्यष्टि होती है और उसे समष्टि का रूप प्रदान करने में बहुत मुश्किल होती है।

अब कुछ चर्चा 'पुरानी डायरी' कहानी संग्रह पर डालते हैं और देखते हैं लेखक महोदय कहां तक सफल हुये हैं।
इस संग्रह में कुल ग्यारह कहानियाँ हैं। जो विभिन्न परिवेश से संबंधित है।


Tuesday 12 May 2020

315. स्वयंसिद्धा- डाॅ. मंजरी शुक्ला

मार्मिक कहानियों का संग्रह
स्वयंसिद्धा- मंजरी शुक्ला

हमारे दैनिक जीवन में दिन प्रतिदिन कुछ न कुछ विशेष घटित होता रहता है। एक लेखक इसी दैनिक जीवन की घटनाओं को एक कहानी का रूप देता है। सामान्यतः वह घटनाएं चाहे हमें इतनी प्रभावित न करें या हम उस घटना के मात्र एक पक्ष को जानते हैं, लेकिन एक संवेदनशील कहानीकार उस घटना को एक जीवंत रूप देता है और फिर वही घटना इतनी प्रभावशाली हो जाती है कि हमारे मर्म को भावनाओं में बहा ले जाती है।
        मानवीय संवेदनाओं को छू लेने वाला एक कहानी संग्रह है 'स्वयंसिद्धा- एक टुकड़ा धूप'- डाॅक्टर मंजरी शुक्ला। मंजरी शुक्ला जी का नाम मेरे लिए नया था, लेकिन जब फेसबुक पर इस कहानी संग्रह की चर्चा सुनी तो पढने की इच्छित जागृत हुयी।

         इस संग्रह की अपवाद स्वरूप एक दो कहानियों को अलग कर दे तो बाकी सब कहानियाँ इतनी मार्मिक है कि आँखें पढते-पढते नम हो जाती हैं। मैं स्वयं इस कहानी संग्रह को पढते वक्त हार्दिक रूप से टूट हुआ था, मनुष्य जीवन में कुछ न कुछ परेशानियां आ जाती हैं। कुछ लोग परेशानियों की वजह से और भी दृढ हो जाते हैं और कुछ मेरी तरह आंसु बहाकर मन को हल्का कर लेते हैं। ऐसे समय में पढा गया यह कहानी संग्रह मेरे आंसुओं में वृद्धि करने में सहायक रहा।

        चाँद को क्या मालूम... कि उसे कुछ ही घंटों बाद चाँदनी से जुदा होना पड़ेगा, या फिर वह नादान काली बदली भला कहाँ जानती है कि बहती हवा के साथ कितनी बूँदें बरसाकर, अपना आँचल खाली कर देने के बाद भी, वह मुस्कुराते हुए अपनी तन्हाई किसी पर ज़ाहिर नहीं कर पाएगी। मासूम रातों में टिमटिमाता दिया, अपने मद्धिम प्रकाश के साथ कब तक डटा खड़ा रहेगा, ये ना उसने जाना और ना ही कभी जानेगा। (चेहरा)
         उक्त कथन कहानी 'चेहरा' का है। लेकिन यह चांदनी किसी एक से जुदा नहीं होती....यहाँ अंधेरा किसी एक के जीवन में नहीं आता...यह तो हर एक के जीवन की कहानी है वह चाहे 'स्वयंसिद्धा' कहानी की नायिका हो या फिर 'अम्मा' कहानी की माँ हो वह चाहे 'पार्वती आंटी' कहानी का 'अंकित' हो या फिर कोई और। 


Sunday 10 May 2020

314. अपहरण- आकाशदीप सिंह

गांव से गायब होते बच्चे...
अपहरण-  आकाशदीप सिंह

         किंडल पर एक लघु जासूसी उपन्यास था -'अपहरण'। कम समय में पढा जा सकता था। मैं किंडल पर अक्सर छोटी रचनाएँ पढनी ज्यादा पसंद करता हूँ। क्योंकि किंडल पर बड़ी रचना पढने में वह आनंद नहीं आता जो वास्तव में लेखक ने लिखा है।
        लेखक आकाश दीप सिंह का उपन्यास 'अपहरण' मिला तो पढना आरम्भ किया। यह कहानी दो जासूस शर्मा जी और भोला राम पर आधारित है।
        गर्मी के दिन थे दोनों अपने घर पर उपस्थित थे।- ऐसी लू भरी गर्मी में, इस चीख पुकार के बीच, अगर यमराज भी शांति से किसी के प्राण हरने आये होते तो उनको हृदयाघात हो जाना निश्चित था।
        लेखक महोदय ने गर्मी का जो प्रभावित चित्रण किया है वह उनकी शाब्दिक प्रतिभा का कमाल है।
गुलाबपुर गांव के प्रधान सहित कुछ लोग इन दोनों से मिलने आते हैं।

        सर जी स्थिति बहुत ही विकट है । हमारी तो रातों की नींद हराम हो गयी है । सारा गांव रात भर जागता रहता है । न जाने कब किसका बच्चा गायब हो जाए " प्रधान जी बोलते बोलते रूआसे से हो गये।
          मुख्य कहानी यही है। एक गांव और उससे गायब होते बच्चे। और यही बड़ा प्रश्न था कि बच्चे गायब कौन कर रहा है? क्यों कर रहा है? प्रधान जी बता रहे थे और दोनों जासूस सुन रहे थे।


313. कण कण केदार- देवेन्द्र पाण्डेय

केदारनाथ पैदल यात्रा का वर्णन
कण कण केदार- देवेन्द्र पाण्डेय

ऋषिकेश से चोपता तक का लगभग 200 कि.मी. का अंतर मानो कटने का नाम ही नही ले रहा था, मैंने अनुमान लगाया था कि 50 किमी प्रतिघन्टा भी यदि कैब चली तो भी अधिकतम 5 घण्टो में हम चोपता में रहेंगे, लेकिन सारा गणित तब बिगड़ गया जब गाड़ी 30 किमी प्रतिघन्टा के हिसाब से चलने लगी। ऊपर से चार धाम योजना सड़क निर्माण के कारण जगह जगह कटिंग चल रही थी, जिस कारण हमें उकीमठ पहुंचने तक ही अच्छी खासी रात हो गयी, रास्ते मे जब थकान अधिक हो गयी तब एक छोटे से होटल में रुक कर गरमागरम चाय और मैगी का नाश्ता किया, मैंने इतनी स्वादिष्ट मैगी आज तक नही खायी थी, मन प्रफुल्लित हो गया, इस समय तक हवा में ठंडक भी काफी हो चुकी थी। (किताब के अंश)
मनुष्य में आदिकाल घूमने की प्रवृत्ति पायी जाती है। वह कभी भी एक जगह पर स्थिर होकर नहीं बैठ सकता, अगर एक जगह उसे बैठा रह जाना पड़े तो उसका जीवन नीरस हो जाता है। इसी नीरसता को दूर करने के लिए वह अक्सर  यात्राओं पर निकल जाता है। 

Saturday 9 May 2020

312. मेरी प्रिय कहानियाँ- अमृतलाल नागर

ग्यारह कहानियों का संकलन
मेरी प्रिय कहानियाँ- अमृतलाल नागर

          हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार अमृतलाल नागर जी का एक कहानी संग्रह किंडल पर पढा। इन दिनों lockdown के चलते रूम पर ही हैं, तो किताबें एक अच्छे दोस्त की तरह साथ निभा रही हैं।
विभिन्न प्रकार की किताबें पढते-पढते कहानी संग्रह पढने का मन किया तो अमृतलाल नागर जी का कहानी संग्रह 'मेरी प्रिय कहानी' नाम से दिखाई दिया तो यही पढना आरम्भ किया।
         इस संग्रह में कुल ग्यारह कहानियाँ हैं और उसमें से अधिकांश कहानियाँ मुस्लिम परिवेश से संबंधित है।
          दो शब्द अमृतलाल नागर जी के लिए कहानी संग्रह से- अमृतलाल नागर हिन्दी के उन गिने-चुने मूर्धन्य लेखकों में हैं जिन्होंने जो कुछ लिखा है वह साहित्य की निधि बन गया है। सभी प्रचलित वादों में निर्लिप्त उनका कृतित्व और व्यक्तित्व कुछ अपनी ही प्रभा से ज्योतित है। उन्होंने जीवन में गहरे पैठकर कुछ मोती निकाले हैं और उन्हें अपनी रचनाओं में बिखेर दिया है। उपन्यासों की तरह उन्होंने कहानियाँ भी कम ही लिखी हैं परन्तु सभी कहानियाँ उनकी अपनी विशिष्ट जीवन-दृष्टि और सहज मानवीयता से ओतप्रोत होने के कारण साहित्य की मूल्यवान संपत्ति हैं।


         इस संग्रह की जो कहानी मुझे सबसे अच्छी लगी वह है 'एटम बम'। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा जापान पर बम गिराये जाने की घटना को आधार बना कर लिखी गयी यह कहानी मानवीय संवेदना को झकझोर जाती है।

Friday 8 May 2020

311. रस्किन बाॅण्ड की कहानियाँ- रस्किन बाॅण्ड

रस्किन बॉण्ड की पांच सुपरहिट कहानियाँ

      बच्चों के प्रिय लेखक के नाम से प्रसिद्ध रस्किन बाॅण्ड का एक कहानी संग्रह kindle app पर पढा। इस संग्रहित में कुल पांच कहानियाँ है, जो उनके पूर्व के संग्रहों से ली गयी हैं।

       जावा से पलायन इस संग्रह की प्रथम कहानी है। यह कहानी जावा पर जापान के आक्रमण के समय की है। जब जावा पर जापान ने आक्रमण किया तो लेखक अपने पिता के साथ जावा से पलायन कर गया। यह कहानी पलायन और पलायन के दौरान आयी कठिनाईयों और उनसे संघर्ष करते साहसी लोगों की कहानी है। कैसे जावा से समुद्री विमान में सफर किया, कैसे विमान डूबने के पश्चात्‌ जान बचायी और कैसे एक छोटी नाव में ज्यादा लोग समुद्र में भटकते हुए किनारे तक पहुंचे।
यह कहानी एक प्रेरणा भी देती है कि मुसीबत में हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।

Thursday 7 May 2020

310. डार्क रूम - आर. के. नारायण

अंधेरे को जीती भारतीय स्त्री
डार्क रूम- आर. के. नारायण
मालगुडी की कहानियाँ
चर्चित लेखक आर. के नारायण का 'मिस्टर बी.ए.' के पश्चात मेरे द्वारा पढा गया यह 'डार्क रूम' द्वितीय उपन्यास है। हमारे दैनिक परिवेश में घटित होने वाली घटनाओं को बहुत रोचक तरीके से प्रस्तुत करने में आर. के. नारायण जी सिद्धहस्त नजर आते हैं।
         'डार्क रूम' उपन्यास भी एक परिवार में पति-पत्नी के बनते-बिगड़ते सम्बन्धों का चित्रण है। परिवार में बहुत से कारण होते हैं और उन्हीं कारणों से परिवार के सदस्यों में कलह हो जाती है। रमानी और सावित्री में भी कुछ विशेष कारणों से अनबन हो जाती है।

        अगर देखा जाये तो परिवार में स्त्रियों का काम ज्यादा होता है लेकिन उन्हें महत्व कम दिया जाता है। पुरूष प्रधान समाज में स्त्री की जो स्थिति है उसका प्रतिनिधित्व सावित्री करती नजर आती है। किसी भी स्त्री के लिए यह सहन करना बहुत मुश्किल होता है कि उसके पति का अन्य स्त्री से संबंध है। सावित्री यह सब कुछ जानते हुए भी सिर्फ इसलिए सहन करती है कि अगर वह चली गयी तो बच्चों का क्या होगा?


Wednesday 6 May 2020

309. मित्रो मरजानी- कृष्णा सोबती

एक औरत की कहानी
मित्रो मरजानी- कृष्णा सोबती

मित्रो मरजानी' एक मध्यमवर्गीय पारिवारिक उपन्यास है। और परिवार में भी मुख्यतः महिलावर्ग पर आधारित है। औरतों की स्थिति, अधिकार और परस्पर होने वाले झगड़े आदि का चित्रण उपन्यास में मिलता है।
         उपन्यास की मुख्य पात्र मित्रो जो कि एक दमदार पात्र है और उपन्यास इसी के इर्दगिर्द घूमता नजर आता है।
मित्रो दिल की साफ और मुँह फट है, वह अपने पति से संतुष्ट नहीं है और यही वजह है की वह उदण्ड होती नजर आती है।
वह अपने पति के व्यवहार पर कहती है- फिर पड़छती पर रखे आईने में अपना मुखड़ा देख हँस पड़ी-मेरा यह बेअकल मर्द-जना यही नहीं जानता कि मुझ-सी दरियाई नार किस गुर से काबू आती है ! मैं निगोड़ी बन-ठनके बैठती हूँ तो गबरू सौदा-सुल्फ लेने उठ जाता है । अरे, जिसने नार-मुटियार को सधाने की पढ़ाई नहीं पढ़ी, वह इस बालो की बलूगड़ी को क्या सधाएगा ?  

Tuesday 5 May 2020

308. अवैध- एम. इकराम फरीदी

अवैध रिश्तों की रक्त गाथा
अवैध- एम. इकराम फरीदी

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे समाज के नियमों के अन्तर्गत चलना पड़ता है। मनुष्य और पशु में यही एक बड़ा अंंतर है और वह है बौद्धिक क्षमता का। इसी बौद्धिक क्षमता के चलते मनुष्य ने आज प्रगति की राह चला है।
        लेकिन कभी कभी मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते अपनी बौद्धिकता का अवैध प्रयोग कर समाज के बनाये नियमों की अवहेलना करना आरम्भ कर देता है। जब वह समाज नियमों के विरुद्ध अवैध कार्य में रत होता है तो वहाँ से कोई न कोई 'अवैध' जैसी कहानी पनप जाती है।
         एम. इकराम फरीदी जी का प्रस्तुत उपन्यास 'अवैध' हमारे समाज में कुछ ऐसे लोगों की कहानी कहता है जो अपनी मर्यादा का उल्लंघन करते हैं, जो निति सम्मत राह की जगह कुराह पर चलते हैं, जो सामाजिक बंधनों, रक्त सम्बन्ध की जगह 'अवैध' सम्बन्धों को महत्व देते हैं।

Monday 4 May 2020

307. चार कहानियाँ- अमित खान

दो हाॅरर, दो प्रेम कथा

      किंडल पर अमित खान जी के दो कहानी संग्रह पढने को मिले। एक कहानी संग्रह में मात्र तीन कहानियाँ है और 'मखीचा महल का चौकीदार' में मात्र यही एक कहानी है। इन चार कहानियों में से दो हाॅरर कहानियाँ और दो प्रेम कहानियाँ हैं।
     सबसे पहले बात करते हैं कहानी संग्रह 'मेरे हसबैण्ड की प्रेमिका' की। इसमें शीर्षक कथा के अतिरिक्त दो और कहानी भी शामिल हैं, एक है 'रात का निमंत्रण' और दूसरी है 'द लास्ट डे'।

दोनों कहानी संग्रह के आवरण चित्र

अपनी तरफ से मैं यहाँ कुछ नहीं लिख रहा जो लेखक ने लिखा है वही आप पढ लीजिएगा।

Sunday 3 May 2020

306. CATCH ME IF YOU CAN- संतोष पाठक

विशाल सक्सेना का द्वितीय अविस्मरणीय कारनामा
CATCH ME IF YOU CAN- संतोष पाठक


       कैच मी इफ यू कैन! एक ऐसा गेम, जो एक सनकी कातिल के दिमाग की उपज था। एक कत्ल वह पहले ही कर चुका था, आगे चार और लोग उसके निशाने पर थे। गेम के रूल्स के मुताबिक हर बार कत्ल सेे पहले वह इंस्पेक्टर सतपाल सिंह को एक ऐसी पहेली बताता था जिसमें उसके उस रात के शिकार की जानकारी छिपी होती थी। पहेली को वक्त रहते ना सुलझा सकने का मतलब था एक और लाश! फिर क्या हुआ? क्या हत्यारा अपने चैलेंज पर खरा उतर सका? या पनौती की जुगलबंदी में सतपाल ने उसे सींखचों के पीछे पहुंचा दिया?
       यह पंक्तियाँ है संतोष पाठक जी के विशाल सक्सेना उर्फ पनौती के द्वितीय उपन्यास 'CATCH ME IF YOU CAN: PANAUTI IS ON THE WAY' की हैं जो उपन्यास के टीजर रूप में दी गयी थी। हालांकि इन पंक्तियाँ में एक अल्प सी गलती है। 
       यह कहानी है एक ऐसे सिरफरे कातिल की जो पुलिस को चुनौती देकर कत्ल करता है। चुनौती वह भी एक पहेली के साथ। एक दिन यही कातिल इंस्पेक्टर सतपाल को फोन करके एक चुनौती देता है।
......बताया तो था, मैं आपके साथ एक गेम खेलना चाहता हूं, ऐसा गेम जिसमें मैं पुलिस को बताऊंगा कि अगला कत्ल किसका होने वाला है। मगर उस बारे में मेरी एक खास शर्त है।‘‘...............
.....................मेरे पास एक हिट लिस्ट है जिसमें दर्ज नामों में से अभी चार लोग जिंदा हैं। अब मैं आपके साथ या यूं समझ लीजिए कि पुलिस डिपार्टमेंट के साथ एक गेम खेलना चाहता हूं। गेम का नाम है ‘कैच मी इफ यू कैन‘। हर बार कत्ल करने से पहले मैं आपको अपने शिकार के बारे में एक क्लू दूंगा। जिसके जरिए आपने उसे बचाने की कोशिश करनी है। अगर आपने उनमें से एक को भी मरने से बचा लिया तो मैं वादा करता हूं कि फौरन आपके सामने सरेंडर कर दूंगा।‘‘

    सिरफिरे कातिल की एक विशेष शर्त है और वह है इस कत्ल की इन्वेस्टिगेशन में विशाल सक्सेना उर्फ पनौती को शामिल करने की।

- वह कत्ल क्यों कर रहा था?
- उसने पुलिस को चुनौती क्यों दी?
- उसने विशाल सक्सेना को शामिल करने की बात क्यों कही?
- आखिर क्या थी उसकी पहेलियाँ?
- क्या कातिल पकड़ा गया?


Friday 1 May 2020

305. दस जून की रात- संतोष पाठक

विशाल सक्सेना उर्फ पनौती का पहला कारनामा
दस जून की रात- संतोष पाठक, मर्डर मिस्ट्री


एक ऐसी रात जो किसी जलजले से कम नहीं थी। जिसने कई लोगों को खून के आंसू रोने पर मजबूर कर दिया। कुछ को मौत की नींद सुला दिया, तो कईयों को काल कोठरी के पीछे पहुंचा दिया! और इतने भयंकर बवाल की मुख्तसर सी वजह ये बनी कि पुलिस ने एक डेड बाॅडी की शिनाख्त के लिए विशाल सक्सेना उर्फ ‘पनौती‘ को काॅल कर लिया था
    
ये कहानी है दस जून की रात की। विशाल सक्सेना उर्फ पनौती को पुलिस की काॅल आयी की उसे एक लाश की पहचा‌न करनी है और कुछ ना नुकर के पश्चात उसे उस लाश के पास पहुंचना ही पड़ा आखिर पुलिस के आगे किसकी चलती है। लेकिन विशाल सक्सेना ने उस लड़की की को पहचाने से पूर्णतः मना कर दिया। 

वो एसआई सतपाल के पास वापिस लौटा।
“पहचाना!”
“नहीं, मैंने ताजिंदगी इसकी सूरत नहीं देखी।”

आयुष्मान - आनंद चौधरी

अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...