Sunday 10 May 2020

314. अपहरण- आकाशदीप सिंह

गांव से गायब होते बच्चे...
अपहरण-  आकाशदीप सिंह

         किंडल पर एक लघु जासूसी उपन्यास था -'अपहरण'। कम समय में पढा जा सकता था। मैं किंडल पर अक्सर छोटी रचनाएँ पढनी ज्यादा पसंद करता हूँ। क्योंकि किंडल पर बड़ी रचना पढने में वह आनंद नहीं आता जो वास्तव में लेखक ने लिखा है।
        लेखक आकाश दीप सिंह का उपन्यास 'अपहरण' मिला तो पढना आरम्भ किया। यह कहानी दो जासूस शर्मा जी और भोला राम पर आधारित है।
        गर्मी के दिन थे दोनों अपने घर पर उपस्थित थे।- ऐसी लू भरी गर्मी में, इस चीख पुकार के बीच, अगर यमराज भी शांति से किसी के प्राण हरने आये होते तो उनको हृदयाघात हो जाना निश्चित था।
        लेखक महोदय ने गर्मी का जो प्रभावित चित्रण किया है वह उनकी शाब्दिक प्रतिभा का कमाल है।
गुलाबपुर गांव के प्रधान सहित कुछ लोग इन दोनों से मिलने आते हैं।

        सर जी स्थिति बहुत ही विकट है । हमारी तो रातों की नींद हराम हो गयी है । सारा गांव रात भर जागता रहता है । न जाने कब किसका बच्चा गायब हो जाए " प्रधान जी बोलते बोलते रूआसे से हो गये।
          मुख्य कहानी यही है। एक गांव और उससे गायब होते बच्चे। और यही बड़ा प्रश्न था कि बच्चे गायब कौन कर रहा है? क्यों कर रहा है? प्रधान जी बता रहे थे और दोनों जासूस सुन रहे थे।



            गांव की हालत के बारे में जानकर तो मैं दंग रह गया। मनुष्य का जीवन कितना भयावह हो सकता है यह सोच कर ही रोंगटे खड़े होने लगे थे । एक गांव में बच्चे रातों रात गायब हो रहे थे और प्रशासन को कोई खबर ही नहीं थी। या शायद किसी ने इनकी बात पर ध्यान ही न दिया हो । बात थी भी इतनी अविश्वसनीय कि सुनकर लगता था असत्य है । इस रहस्य को सुलझाने की इच्छा अब और तीव्र होने लगी थी।
बस इसी रहस्य को सुलझाने के लिए दोनों गुलाबपुर गांव जा पहुंचे।
        लघु उपन्यास को छोडे-छोटे खण्डों में विभक्त किया गया है और प्रत्येक खण्ड का अलग-अलग नाम भी है। उपन्यास में रहस्य बना रहता है और दोनों जासूस महोदय और उनके प्रिय कुते टाइटन के होते हुये भी यह घटनाएं खत्म नहीं होती। लोग इसे भूतों का काम बताते हैं। ये बात यही समाप्त नहीं होती गांव में और भी कुछ रहस्यमयी घटित होता है।
        जैसे-खून का कटोरा मांगता पीपल, भूरी अम्मा, गायब होते जानवर आदि।
         ये सब रहस्यमयी घटनाएं सस्पेंश को और भी गहरा बना देती हैं। भोलाराम और शर्मा जी अपने कुते टाइटन के साथ उस सस्पेंश को हल करते-करते असली अपराधी तक जा पहुंचते हैं।
          लेखक महोदय ने एक अच्छी कहानी का चुनाव किया है लेकिन अंत में जाकर सब खराब कर दिया। किसी भी घटना को स्पष्ट नहीं किया। कौन अपराधी हैं यह भी पता नहीं चलता। शायद लेखक महोदय स्वयं ज्याटा ट्विस्ट देने के चक्कर में उलझ गये।

        कुछ और कमियां देखें- ये सामान्य कमियां है जिससे हालांकि कहानी पर विशेष असर नहीं पड़ता लेकिन जो पूरी कहानी को प्रभावित करने वाली कमियां है वह तो बहुत हैं और बाकी है।
मेरा कहना था कि शर्मा जी ने एक प्याली चाय और दो केले मेरे सामने रख दिए।
भाई, चाय के साथ केले कौन खाता है?
-ग्राम पंचायत का बोर्ड सामने था तो प्रधान जी का निवास भी आसपास ही होना चाहिए था।
यह कोई जरूरी नहीं कि प्रधान का निवास बोर्ड के पास ही हो।
- एक गांव में बच्चे रातों रात गायब हो रहे थे और प्रशासन को कोई खबर ही नहीं थी। या शायद किसी ने इनकी बात पर ध्यान ही न दिया हो।
हां भाई, है तो यह अजीब बात ही। गांव से एक दो दिन में कोई न कोई लड़का गायब हो जाता है, कोई मवेशी गायब हो जाता है। तो ग्रामीण पुलिस के पास क्यों नहीं गये, सीधे जासूस महोदय के पास चले आये...क्यों?
आखिर ये दोनों जासूस हैं कौन? उपन्यास में कही स्पष्ट नहीं। यहाँ तक की शर्मा जी का पूरा नाम भी कहीं नहीं मिलता।
          आजकल किंडल पर हर एक पाठक लेखक होने लग गया। लेखक हो रहा है पर पाठक होना उसे पसंद नहीं।
पहले पढो...खूब पढो...और पढो....और भाई पढते रहो....

         यह एक रोचक कहानी है। लेखन ने अच्छा कथानक चुना है। कहानी का आरम्भ और मध्य भाग अच्छा है लेकिन अंत में लेखन ने बहुत सी बाते अधूरी छोड़ दी। लेखक को अभी जरूरत है इस कथानक पर और विस्तार से लिखने की। एक बार यह उपन्यास न पढे तो अच्छा है, क्योंकि कहानी का चरम बिंदु अधूरेपन के कारण निराश करेगा।
धन्यवाद।

उपन्यास- अपहरण
लेखक-    आकाशदीप सिंह

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