Monday 4 May 2020

307. चार कहानियाँ- अमित खान

दो हाॅरर, दो प्रेम कथा

      किंडल पर अमित खान जी के दो कहानी संग्रह पढने को मिले। एक कहानी संग्रह में मात्र तीन कहानियाँ है और 'मखीचा महल का चौकीदार' में मात्र यही एक कहानी है। इन चार कहानियों में से दो हाॅरर कहानियाँ और दो प्रेम कहानियाँ हैं।
     सबसे पहले बात करते हैं कहानी संग्रह 'मेरे हसबैण्ड की प्रेमिका' की। इसमें शीर्षक कथा के अतिरिक्त दो और कहानी भी शामिल हैं, एक है 'रात का निमंत्रण' और दूसरी है 'द लास्ट डे'।

दोनों कहानी संग्रह के आवरण चित्र

अपनी तरफ से मैं यहाँ कुछ नहीं लिख रहा जो लेखक ने लिखा है वही आप पढ लीजिएगा।


        मेरे हसबैंड की प्रेमिका अगर शादी के बाद किसी वाइफ को पता चल जाये कि उसके हसबैंड का कोई अफेयर चल रहा है, तो वह कोहराम मचा देगी । लेकिन यह “विधि” नामक एक ऐसी वाइफ की कहानी है, जिसे जब अपने हसबैंड की एक्स-गर्लफ्रेंड का पता चला, तो वह उन दोनों को एक-दूसरे से मिलाने के लिये बैचेन होने लगी । आपको शायद यह सब मज़ाक लग रहा होगा, लेकिन यही सच है । हसबैंड-वाइफ के रिश्ते पर “अमित खान” द्वारा लिखी गयी एक बेहद अरबन, न्यू ऐज लव स्टोरी।

       रात का निमंत्रण एक ऐसे आर्मी अफसर की प्रेम कहानी, जो अपने अनुशासित जीवन से तंग आ चुका था । एक बेहद खूबसूरत राजपूत औरत से उसकी शादी हुई । यह उसका पहला प्यार था । शादी के बाद अपनी पत्नी से उसने प्यार किया । फिर उसकी जिन्दगी में एक नया मोड़ तब आया, जब एकाएक उसे अपनी पत्नी को छोड़कर युद्ध के मैदान में जाना पड़ा और वहां उसकी मुलाक़ात एक दूसरी औरत से हुई । क्या उसकी जिन्दगी में वह एक और प्यार की शुरूआत थी या फिर वह सिर्फ जिस्म का आकर्षण था ? पढ़ें “अमित खान” की कलम से निकली एक बेहद शानदार इरोटिक लव स्टोरी ।

     द लास्ट डे ओंकार कपूर ने साची से लव मैरिज की थी और अब उसके वैदेही नाम की एक बड़ी प्यारी बेटी भी थी । सिर्फ एक ही दिन की बेहद रोमांच से भरी कहानी । उस दिन ओंकार कपूर को सुबह से ही लग रहा था कि उसके घर में किसी की तो मौत होने वाली है । वह दिन उसकी ज़िन्दगी का ज़बरदस्त घटनाओं से भरा दिन था । उस कहानी के अंत में जो हुआ, उसे पढ़कर आप भी चौंक जायेंगे ।

'
मखीचा महल का चौकीदार' दो दोस्तों की कहानी है। एक दोस्त लेखक है और वह भूत-प्रेत को नहीं मानता। दूसरा दोस्त नौकरीपेशा है लेकिन वह भूत प्रेत को मानता है।

“पोर्ट ब्लेयर में मेरा जो सरकारी कॉटेज है न, उससे तकरीबन बीस किलोमीटर दूर घने जंगलों में ‘मखीचा’ नाम की एक जंगली जाति रहती है । ......................
........................“कबीले की आबादी के बीचों-बीच ही एक पुरानी खण्डहर-सी इमारत भी बनी है, जिसे कबीले वाले ‘मखीचा महल’ कहते हैं । उनका यकीन है कि कभी उस ‘मखीचा महल’ में उनका देवता रहा करता था । आज भी जो पर्यटक या पुरातत्ववेत्ता उनके कबीले के रस्मों-रिवाज को देखने वहाँ जाते हैं, वह उसे उसी ‘मखीचा महल’ में ठहराते हैं । ‘मखीचा महल’ का चौकीदार, जो कबीले का ही कोई नौजवान होता है, वह आगंतुक का खूब आदर-सत्कार करता है । कबीले वालों का कहना है कि हर साल दिसंबर में पूर्णमासी की रात को उनका देवता ‘मखीचा महल’ में आता है और महल के चौकीदार की ‘भेंट’ लेकर चला जाता है ।”


       चारों कहानियों में कहीं भी नयापन नहीं है। ये सब कहानियाँ पता नहीं कितनी बार दोहरायी जा चुकी हैं। हां,नये पाठक के लिए वास्तव में बहुत रोचक कहानियाँ है।
कहानी 'रात का निमंत्रण' पर मुझे सख्त आपत्ति है। मेरे विचार से यहाँ एक फौजी को नहीं दिखाना था, कारण जो व्यक्ति हमारी रक्षा करता है और हम उसके परिवार को चरित्रहीन दिखाये यहाँ उचित नहीं है। चाहे ये कहानी वास्तविकता के करीब क्यों न हो। यहाँ कोई और पात्र रखा जा सकता था।
         अगर आप हाॅरर कहानियाँ पढते रहे हो तो इस संग्रह में आपको नया कुछ नहीं मिलने वाला। अगर आपने हाॅरर कहानियाँ नहीं पढी तो आप पढ सकते हैं, अच्छा मनोरंजन होगा।
धन्यवाद।

कहानी संग्रह- मेरे हसबैण्ड की प्रेमिका

लिंक-         - मखीचा महल का चौकीदार
लेखक-        अमित खान
प्रकाशन-      eBook on kindle
  

3 comments:

  1. कहानियाँ रोचक लग रही हैं। एक बार देखूँगा। बाकी फौजी किरदार के विषय में कहूँगा कि वह इंसान ही होता है। फ़ौज में भी कुछ लोग अच्छे होते हैं और कुछ बुरे। इसलिए कहानी में ऐसा दर्शाया जा सकता है। लेखक किसी भी विषय पर अपनी कलम चलाने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए।

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    1. हा, फौजी इंसान ही होता है। सही कहा लेकिन यहाँ कोई और भी पात्र आ सकता था। जो व्यक्ति हमारी सुरक्षा के लिए तैनात है उसके परिवार पर चरित्र हनन की कहानी लिखना मुझे उचित नहीं लगा।

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  2. फौजी वाली बात पर आपसे सहमत नही हूँ।

    यह कलयुग चल रहा है, न ही त्रेतायुग जहाँ हर सिपाही या योद्धा अपने कर्तव्य का पूरी निष्ठा से पालन करता था।

    फिर आप जो बोल रहे है वो ऐसा ही कि फौजी भले ही गलत काम क्यों न करे, लेकिन क्योंकि वो हमारी सुरक्षा करता है, इसलिए उसे माफ़ कर सकते है।

    यह सोच गलत है।

    यह हर बात पर पर्दा डालने वाली सोच ही है जो भ्रष्ट नेता सत्ता मे।

    सत्य के सामने आँख बंद कर लेने से सत्य छुप नही नही जाता है।

    बाकी यह लेख या समीक्षा अच्छी लगी।

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