Friday 30 December 2022

550. मौत की वार्निंग- एच. इकबाल

एक मर्डर मिस्ट्री उपन्यास
मौत की वार्निंग- एच. इकबाल

उस तूफानी रात का वातावरण बड़ा ही भयानक था । बारिश ने सुबह से रुकने का नाम ही नहीं लिया था ।
आसमान पर बादलों के स्याह तोदों ने पूरे दिन सूर्य के प्रकाश को भी जमीन तक पहुंचने नहीं दिया था ।
हर तरफ अँधेरा ही अँधेरा सा था । फिर स्पष्ट है कि रात की तारीकी ने उन अन्धेरों में मिलकर उसे कितना खौफनाक श्री भयानक बना दिया होगा ।
बादलों की गरज और बिजली की कड़क सोने पर सुहागे का काम कर रही थी ।
उस समय शाम के आठ बजे थे लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे रात श्राधी से अधिक भीग चुकी हो, सड़कों पर चूंकि पानी खड़ा हुआ था इसलिए ट्रैफिक का प्रश्न ही नहीं था असंख्य कारें इधर-उधर खड़ी थी। (उपन्यास के प्रथम पृष्ठ से)

अस्लम शीराजी जंगलात विभाग के डायरेक्टर जनरल हैं।
बड़े ही संख्त और क्रुद्ध स्वभाव के अधिकारियों में अस्लम शीराजी की गणना होती थी मगर इतना होते हुए भी सरकार उन्हें भुगत ही रही थी । इसलिए कि अस्लम शीराजी क्रोधी स्वभाव का होने के साथ ही साथ अपने काम के मामलों में बहुत होशियार और समझदार थे।

Saturday 24 December 2022

549. सिगरेट का आखिरी कश- राकेश मोहन

तोता परी और 'विजय-हीना' का एक्शन उपन्यास

सिगरेट का आखिरी कश- राकेश मोहन

प्यार की दीवानी एक ऐसी युवती की कहानी जो जबरदस्ती एक युवक से प्यार पाना चाहती थी। बदले में जब उसे उस युवक की नफरत मिली तो उसने एक ऐसी सिगरेट की ईजाद की जिसे पी लेने वाले को एक ऐसी चीज की जरूरत होती थी, जिसके बिना वह तड़प-तड़प कर मर जाता था। और ऐसा ही हाल युवतियों का था...
लोकप्रिय सामाजिक उपन्यास साहित्य में लेखक द्वय 'धरम राकेश' काफी चर्चित रहे हैं। धरम राकेश जी द्वारा लिखित उपन्यास के एक समय अच्छे पाठक थे। समय के साथ उपन्यास साहित्य का बाजार खत्म हो गया और यह जोड़ी भी अलग हो गयी।
सिगरेट का आखिरी कश- मोहन राकेश
सिगरेट का आखिरी कश- राकेश मोहन
  इस समय दोनों लेखक अलग-अलग लेखक में सक्रिय भी रहे। जहाँ धरम बारिया जी ने जनरल लेखक जो महत्व दिया तो वहीं 'राकेश मोहन जी' ने कुछ जासूसी उपन्यास भी लिखे। इनका लिखा एक उपन्यास 'सिगरेट का आखिरी कश' पढा, जो एक रोमांच से परिपूर्ण 'विजय-हीना' सीरीज का उपन्यास है।

Thursday 8 December 2022

548. साढे सात करोड़- रीमा भारती

रीमा भारती, डकैती और आतंकवाद

साढे सात करोड़- रीमा भारती

रीमा भारती हिंदी उपन्यास साहित्य में  एक चर्चित नाम रहा है। दिनेश ठाकुर की‌ कलम निकली रीमा भारती को आधार बना कर बहुत से लेखकों ने लिखा। रीमा भारती नाम से एक लेखिका भी मैदान में आयी। जानकारी अनुसार लेखिका रीमा भारती के उपन्यासों पर जो लेखिका की तस्वीर थी वह दिनेश ठाकुर की पत्नी है।
  लेखिका रीमा भारती द्वारा रचित रीमा भारती सीरीज का उपन्यास 'साढे सात करोड़' पढा। यह एक रोचक उपन्यास है।
   उपन्यास प्रथम पुरुष में लिखा गया है सूत्रधार है रीमा भारती।

साढे सात करोड़- रीमा भारती

मै...!
आपकी चिर-परिचित दोस्त रीमा ... रीमा भारती । आपकी चहेती जासुसी संस्था आई.एस. सी. की नम्बर वन एजेन्ट । दुश्मनों और गद्दारों के लिये साक्षात मौत और आपके सपनों की रानी । मां भारती की शरारती, अल्हड़, किन्तु लाड़ली बेटी।

रीमा के पास सेठ त्रिभुवन दास आता है अपनी एक फरियाद लेकर।

"नमस्ते!"-  एकाएक वह भारी भरकम स्वर में बोल उठा। "कहिये!” - मैंने उसके अभिवादन का जवाब देने के बाद उससे पूछा।

"मेरा नाम त्रिभुवनदास पारिख है। मैं इसी महानगर का रहने वाला हूँ। चेम्बूर में मेरा अपना निवास है।" वह अपना परिचय देने के बाद बोला-“कुछ अपराधी किस्म के लोगों ने मेरे बेटे को हत्या के जुर्म में फँसा दिया है। जबकि उस बेचारे का उस शख्स की हत्या से कोई वास्ता नहीं था।” वह बोला- “उस पर हत्या का मुकदमा चला और तमाम सबूत उसके खिलाफ थे। कानून ने उसे फांसी की सजा सुना दी। इस महीने की तीस तारीख को मेरे बेटे को फांसी होने वाली है। भगवान के लिये मेरे बेटे को फांसी की से बचा लीजिये, वरना मैं तबाह हो जाऊंगा। जीते जी मर जाऊंगा। प्लीज भगवाने के लिये मेरे मदद कीजिये।”

Wednesday 7 December 2022

547. काला नाग- रीमा भारती

रीमा भारती और नीना जोजफ का कारनामा

काला नाग- रीमा भारती

हिंदी जासूसी कथा साहित्य में लेखिका रीमा भारती का नाम एक्शन- थ्रिलर लेखिका के रूप में लिया जाता है। इनके लिखे एक्शन- थ्रिलर उपन्यास एक समय बहुत चर्चित थे। मूल रूप से दिनेश ठाकुर द्वारा सृजित किरदार रीमा भारती को आधार बनाकर उपन्यास लिखे गये हैं। 



    लेखिका रीमा भारती द्वारा रीमा भारती सीरीज का उपन्यास 'काला नाग' पढा। यह एक रोमांच से परिपूर्ण एक्शन उपन्यास है। जिसके कहानी आतंकवाद से संबंधित है।

      रीमा भारती 
    माँ भारती की उददंड, शरारती और लाडली बेटी थी वो। कोई उसके देश की ओर बुरी दृष्टि से देखे - अथवा उसके वतन को तबाह करने की योजना बनाये- इसे वो कतई बर्दाश्त नहीं कर सकती थी।

    माँ भारती की उददंड, शरारती और लाडली बेटी थी वो। कोई उसके देश की ओर बुरी दृष्टि से देखे - अथवा उसके वतन को तबाह करने की योजना बनाये- इसे वो कतई बर्दाश्त नहीं कर सकती थी।
       रीमा भारती भारतीय गुप्तचर विभाग की जासूस है। जिसे एक दिन भारतीय गुप्तचर विभाग का चीफ खुराना बताता है-
    "खूफिया सूत्रों से पता चला है कि कुछ आतंकवादी संगठन अब एकजुट होकर रासायनिक हथियारों के निर्माण की योजना बना रहे हैं।"

    Thursday 1 December 2022

    546. फंदा- अनिल सलूजा

    बलराज गोगिया शृंखला का प्रथम उपन्यास
    फंदा- अनिल सलूजा

    "अभी नहीं बल्लू.... कुछ देर और, तब जाओ।”
    मुस्करा पड़ा बलराज गोगिया- “लगता है अभी दिल नहीं भरा तेरा।"
    “इतने अर्से बाद मिले हो, एक....एक दिन का हिसाब लूंगी।" बड़ी शोख अदा से बोली रजनी।
    उसकी शोख अदा ने ही बलराज गोगिया के दिल में खलबली मचा दी, खुद उसका दिल एक बार फिर वही खेल खेलने को मचलने लगा ।
    “ठीक है....।” -मुस्कराया बलराज गोगिया और रजनी के उभारों पर अपने हाथ फेरने लगा-“हम यह खेल दोबारा खेलेंगे, मगर, तुझे मेरे यहां आने का पता कैसे चला....?” और फिर
    “रूक जा रजनी.... ।”-  दहाड़ उठा बलराज गोगिया ! लेकिन, रजनी ने रूकने का कोई उपक्रम नहीं किया-पूरी रफ्तार से वह गन्ने के खेत की तरफ भाग रही थी, जिसमें से कि पुलिस वाले बाहर निकल रहे थे-पहले तो बलराज का दिल किमा, शूट कर दे उस नागिन को, लेकिन फिर कुछ सोच कर उसने जीप के एक्सीलेटर पर पैर का दबाव बढ़ा दिया।
    तोप से निकले गोले की तरह छूटी जीप । पीछे से पुलिस ने फायरिंग कर दी !
                          फन्दा - अनिल सलूजा
    खून के सैलाब में लिपटी बलराज गोगिया की ऐसी गाथा जिसमें प्रतिशोध में डूबा गोगिया एक बार फांसी के फंदे से भी नीचे उतर आया। ग्रिल, एक्शन, सस्पेंस और एडवेंचर युक्त यह कहानी एक जलजला है, तूफान है।

    आयुष्मान - आनंद चौधरी

    अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...