Saturday 24 December 2022

549. सिगरेट का आखिरी कश- राकेश मोहन

तोता परी और 'विजय-हीना' का एक्शन उपन्यास

सिगरेट का आखिरी कश- राकेश मोहन

प्यार की दीवानी एक ऐसी युवती की कहानी जो जबरदस्ती एक युवक से प्यार पाना चाहती थी। बदले में जब उसे उस युवक की नफरत मिली तो उसने एक ऐसी सिगरेट की ईजाद की जिसे पी लेने वाले को एक ऐसी चीज की जरूरत होती थी, जिसके बिना वह तड़प-तड़प कर मर जाता था। और ऐसा ही हाल युवतियों का था...
लोकप्रिय सामाजिक उपन्यास साहित्य में लेखक द्वय 'धरम राकेश' काफी चर्चित रहे हैं। धरम राकेश जी द्वारा लिखित उपन्यास के एक समय अच्छे पाठक थे। समय के साथ उपन्यास साहित्य का बाजार खत्म हो गया और यह जोड़ी भी अलग हो गयी।
सिगरेट का आखिरी कश- मोहन राकेश
सिगरेट का आखिरी कश- राकेश मोहन
  इस समय दोनों लेखक अलग-अलग लेखक में सक्रिय भी रहे। जहाँ धरम बारिया जी ने जनरल लेखक जो महत्व दिया तो वहीं 'राकेश मोहन जी' ने कुछ जासूसी उपन्यास भी लिखे। इनका लिखा एक उपन्यास 'सिगरेट का आखिरी कश' पढा, जो एक रोमांच से परिपूर्ण 'विजय-हीना' सीरीज का उपन्यास है।  शहर में इन दिनों एक बहुत ही खतरनाक सिगरेट अस्तित्व में है। यह ऐसी घातक सिगरेट थी जिसे एक बार जो इन्सान पी लेता था उसे औरत की सख्त जरूरत महसूस होती थी। औरत न मिलने की स्थिति में उसे मिलती थी भयानक मौत।
    सीक्रेट सर्विस ब्लैक कैट का चीफ नारमन कनफोड़े संस्था की नम्बर वन एजेंट हीना कोहली को याद करता है और उसे बताता है की इन दिनों शहर में खतरनाक सिगरेट बहुत फैल रही है, शहर के कब्रिस्तानों से लाशें गायब हो रही हैं और किसी ने DCP सरदार महेन्द्र सिंह गिरजी को जान से मारने की धमकी दी है।
हीना कोहली खुफिया डिटेक्टिव एजेंसी ब्लैक केट की सदस्य होने के साथ-साथ  फिल्म हीरोइन भी है। उसका प्रेमी अर्जुन है और सहयोगी जासूस दीपांशु है। हीना कोहली अपने कार्य को हल करने के लिए अपने 'शरीर' का इस्तेमाल भी करती है। हीना 'संग आर्ट' में माहिर है और योग द्वारा 48 घण्टे सांस रोक सकती है।
      उपन्यास की खलपात्र है तोता परी।
"यह तोता परी कौन है... ?"
“तोता परी का वास्तविक नाम तो कुछ और ही है। मगर मैं उसे तोता परी के नाम से ही जानता हूं... वह एक बहुत खूबसूरत औरत है। गद्दारों के लिए वह जल्लाद है और मेरी बॉस है...।"
- यह परिचय तोता परी के गैंग का सदस्य गगन अपनी प्रेयसी माया को देता है और दोनों तोता परी के कहने पर बैंक लूटने की योजना बनाते हैं।
    शहर में तोता परी के कारनामे दिन प्रति दिन बढ रहे हैं। लोग सिगरेट के लिए व्याकुल हैं, जिनको सिगरेट मिल गयी और उन्होंने पी ली है तो उनका शरीर स्त्री संसर्ग के लिर व्याकुल है। जिनको सिगरेट और स्त्री दोनों मिल गये वह तोता परी का गुलाम हो गया। चारों तरफ इस सैक्सी सिगरेट के जलवे हैं।
  
"यह सिगरेट टी सीरीज जापानी कम्पनी का बना हुआ है... इसे बेचने वाले कुछ खास लोग हैं... । इस सिगरेट के विषय में सुना गया है कि यह सिगरेट सैक्स को उत्तेजित करता है... इस सिगरेट को पीने वाला व्यक्ति शीघ्र ही स्खलित नहीं होता... वह एक बार नहीं सौ बार संभोग करने की पावर में आ जाता है। इसलिए लोग इसे दीवानों की तरह ढूंढते फिरते हैं...। हमारे देश में लगभग तीन करोड़ व्यक्ति ऐसे हैं जोकि नामर्दी के शिकार हैं... मगर जो गरीब हैं वह इस सिगरेट को प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं... जो अमीर हैं उन्हें भी यह सिगरेट मुश्किल से मिलती है.... इस सिगरेट को पीने वाला व्यक्ति उसके आखिरी कश तक का लुत्फ लेता है... । यदि उसे एक बार इस सिगरेट की लत लग जाये तो वह उसे छोड़ नहीं सकता...इस सिगरेट का सेवन करने वाले व्यक्ति को यदि यह सिगरेट ना मिले तो वह आत्महत्या तक कर लेता है....।
    
DCP और हीना तोता परी के विषय में कोई भी चर्चा करते हैं तो तोता परी के पास हर सूचना पहले ही पहुँच जाती है। हीना कोहली और DCP भी इसी बात पर चर्चा करते हैं
-“हमने बहुत कोशिश की मगर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके.... हमें तो बस ऐसा ही लगता है कि तोता परी के पास कोई ऐसी चीज है. जिससे वह हमारे भेद पहले ही जान लेनी है... ।”
''आपके ख्याल से वह चीज क्या हो सकती है... ?”
"नहीं मालूम...।”

    DCP महेन्द्र सिंह सिरजी का कथित पागल भाई विजय भी सीक्रेट सर्विस ब्लैक कैट का सदस्य है पर इसकी जानकारी किसी को नहीं है। जब तोता परी की टक्कर DCP महेन्द्र सिरजी से होती है और वह महेन्द्र सिरजी को गंभीर नुकसान पहुंचाती है तो विजय को भी मैदान में आना पड़ता है।
   अब विजय और हीना मिलकर इस केस पर काम करते हैं। लेकिन अतिसक्रिय तोता परी को कपड़ना इतना सरल कार्य न था। 
   रोबोट जैंगो वह खतरनाक आविष्कार है जो तोता परी के गैंग को सक्रिय रखता है और दो रहस्यमयी तोते रोबोट को आदेश देते नजर आते हैं।
    और विभिन्न परेशानियां से गुजरते हुये एक दिन हीना- विजय तोता परी के अड्डे पर पहुँच ही जाते हैं।
तोता परी और उसके विशेष सहयोगी-
  तोता परी वैज्ञानिक आलोकनाथ की पुत्री है। जो विशेष कारणों से विजय के परिवार की दुश्मन है। वह वैज्ञानिक आविष्कारों का खतरनाक ढंग से प्रयोग करती है। उसके पास दो रहस्यमयी तोते हैं। वह रहस्यमयी तोते जहाँ उसे समस्त समाचार देते हैं वहीं वह तोता परी की शारीरिक इच्छाओं की भी पूर्ति करते हैं।
तोता बोला- “डिप्टी कमिश्नर सरदार महेन्द्र सिंह गिरजी आनन्द कोहली से बेहद नाराज है... वह उसे एनकाउन्टर में मरवाने का प्लान बना रहा है... "
"ऐसा... ।"
“बिल्कुल ऐसा मम्मी...।" - दूसरे तोते ने पहले की बात का 'समर्थन करते हुए कहा ।
“मैं देखती हूं इस कमिश्नर को... प्यारे बेटों! जरा उसका फोन नम्बर तो बोलो... "
“उसका नम्बर है मम्मी 241504...।"
“गुड मेरे अच्छे बच्चों...।" तोता परी ने कहा।
एक और दृश्य देखें-
तोते उसके उन्नत उरोजों से उतर कर उसके कटिप्रदेश में हरकत करने लगे ।
"बहुत आराम से मेरे बच्चों, मैं बड़े सुख का अनुभव कर रही हूं... ।” तोता परी खुश होकर बोली।
उसे बड़ा आनन्द आ रहा था। तोते कभी उसके कटि प्रदेश पर तो कभी सीने को कचोटने लगते थे।
तोते तब तक हरकत करते रहे जब तक तोता परी स्खलित न हो गई।

रोबोट जैंगो भी एक खतरनाक रोबोट है। जो तोता परी की अनुपस्थिति में सक्रिय होता है।
"जो व्यक्ति एक बार इस सिगरेट का आदी हो जाता है... उसे फिर प्रतिदिन इस सिगरेट की तलब सताती है... अगर उसे यह सिगरेट न मिले तो वह आत्महत्या तक कर सकता है... ।”
यह उपन्यास इसी विषय पर आधारित है। अब देखना/ पढना यह है की इस सिगरेट को 'विजय-हीना' कैसे खत्म करते हैं।
    'राकेश मोहन' द्वारा रचित प्रस्तुत उपन्यास 'सिगरेट का आखिरी कश' एक थ्रिलर रचना है। जो एक ऐसी रहस्यमयी औरत पर आधारित है जो एक नशीली सिगरेट द्वारा अपना अपराध सम्राज्य स्थापित करती है। सिगरेट की एक बार लगी लत फिर छूटती नहीं और इसी का फायदा उठाती है रहस्यमयी औरत तोता परी।
   तोता परी का सामना होता है जासूस विजय से और एक लंबे संघर्ष पश्चात जासूस विजय इस अभियान में विजयी होता है।
    उपन्यास में विजय एक प्राइवेट जासूस के रूप में उपस्थित है लेकिन वह वास्तव में भारतीय सीक्रेट सर्विस का श्रेष्ठ जासूस है।
यहाँ विजय की जो भूमिका दर्शायी गयी है वह बहुत अजीब है। आरम्भ में विजय को पागल व्यक्ति दर्शाया गयस है। जिसका चेहरा अपने भाई DCP सरदार महेन्द्र सिंह गिरजी से पूर्णतः मिलता है। और आगे विजय DCP सरदार महेन्द्र सिंह गिरजी के किरदार में उपन्यास में उपस्थित होता है।
    उपन्यास का अंत अधूरा सा प्रतीत होता है। शायद यह पात्र आगे किसी और उपन्यास में अपनी उपस्थिति दर्शाये।
   उपन्यास औसत स्तर का है। एक बार पढा जा सकता है। उपन्यास के आरम्भ में जो रोमांच है वह अंत तक यथावत नहीं रहता।

उपन्यास- सिगरेट का आखिरी कश
लेखक -   राकेश मोहन
प्रकाशक - माया पॉकेट बुक्स
पृष्ठ -        238

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उपन्यास समीक्षा

1 comment:

  1. रोचक लग रहा है। हाँ, पढ़ने से लग रहा है लेखक ने मसाला डालने की पूरी कोशिश की है। न भी करते तो रोचक रहता।

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