Tuesday 30 July 2019

214. वेद मंत्र- वेदप्रकाश शर्मा

क्या था वेद मंत्र।
वेद मत्र- वेदप्रकाश शर्मा, थ्रिलर ।

वेद प्रकाश शर्मा को 'सस्पेंश का बादशाह' क्यों कहा जाता है। अगर किसी के दिमाग में यह प्रश्न उठता है तो उसे वेदप्रकाश शर्मा का उपन्यास 'वेद मंत्र' पढ लेना चाहिए। हालांकि वेदप्रकाश शर्मा जी के और भी बहुत से उपन्यास ऐसे हैं जो सस्पेंश से भरपूर हैं। उपन्यास की भाषा में कहें तो वेद जी के उपन्यास 'दिमाग के परखच्चे' उठाने में सक्षम होते हैं।
उपन्यास के आरम्भिक पृष्ठ पर लिखे कथन भी तो यही कहते हैं- एक ऐसी कहानी जो मुश्किल से दो-चार पृष्ठ बाद ही आपको इस कदर अपने मोहपाश में बांध लेगी कि इस उपन्यास को पूरा पढना आपको दुनिया का सबसे जरूरी काम लगने लगेगा।

प्रस्तुत उपन्यास एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसकी पहचान बदल जाती है। इसी बदली हुयी पहचान के कारण वह मुसीबत में‌ फंस जाती है। उस पर आरोप लगता है 'दस करोड़ डाॅलर' की धोखाधड़ी का।

एक है कविता भटनागर, जिसे स्वयं कविता भटनागर के अलावा और कोई भी उसे कविता भटनागर के नाम से नहीं पहचानता। मजे की बात यह की उस कथित कविता भटनागर पर कविता भटनागर की हत्या का आरोप है।

"कितनी बार कहूं...कितनी बार कहूं कि मैं कविता हूँ। कविता भटनागर।" वह चीखी-"मेरे पेरेंट्स ने मेरा यही नाम रखा था।"
"उसी की तो तुमने हत्या की है।"
"ऐसा गजब मत कीजिए.......आप कविता भटनागर के हत्या के इल्जाम कविता भटनागर को ही फांसी पर लटका देंगे।" (पृष्ठ-08,09)

यह कैसे संभव है। मरने और मारने वाला एक ही व्यक्ति हो। लेकिन यह तो हो गया।
वहीं कथित कविता पर दस करोड़ डाॅलर के गबन का आरोप है। जिसे कथित कविता स्वीकार नहीं करती।

".....जिस बच्ची ने मेरी कम्पनी के एकाउंट से दस करोड़ डाॅलर किसी और के एकाउंट में ट्रास्फोर कर लिए हों,वह इस सवाल का अर्थ ही न समझे।"
वह चीख पड़ी-"मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया।"(पृष्ठ-123)


क्या यह संभव है। खैर कविता भटनागर इस विषय पर क्या कहती है वह भी देख लीजिएगा- बस इतना कह सकती हूं कि किसी ने मुझे इतनी बुरी तरह से फंसाया है कि.... (पृष्ठ-174)

      क्या किसी ने कविता भटनागर के लिए जाल फैलाया है या फिर कविता भटनागर ही एक फ्राॅड है, लेकिन यह भी अनोखा रहस्य है की कथित कविता भटनागर भी स्वयं को कविता भटनागर साबित नहीं कर पाती। तो फिर क्या रहस्य है कविता भटनागर का। अब यह समझने के लिए तो उपन्यास पढना होगा।

         हां, यह सत्य है की उपन्यास की कहानी रहस्य के एक ऐसे जाल की तरह है जिसमें एक बार बंध जाने पर बाहर निकलना मुश्किल है। एक ऐसा जाल है जिसमें पुलिस और कम्पनी तक का दिमाग घूम गया की आखिर हो गया रहा है।
वैसे भी वेदप्रकाश शर्मा जी यह विशेषता है की वे कहानी को बहुत घुमावदार बनाते हैं‌। और हां कहानी का अंत भी उतना ही रोचक है जितना की बाकी कहानी।
             कहानी के विषय में ज्यादा चर्चा करने का अर्थ होगा कहानी का आनंद खत्म करना। बस एक बार आप उपन्यास उठा कर देखें।

निष्कर्ष-
वेद मंत्र 'दस करोड़ डाॅलर' की धोखाधड़ी के साथ-साथ एक कथित लड़की की पहचान खोने की कहानी है। रूसी हथियार सप्लायर्स, अमेरिका की खूफिया विभाग और भारतीय कम्प्युटर एक्सपर्ट तीनों को उलझाने वाले एक अनोखे शख्स की यह कहानी पाठक को जितना आरम्भ में चौंकाती है उतना ही अपने अंत में।
आदि से अंत तक सस्पेंश से भरपूर एक दिलचस्प कहानी। उपन्यास भरपूर मनोरंजन करने में सक्षम है।

उपन्यास- वेद मंत्र
लेखक-   वेदप्रकाश शर्मा
पृष्ठ-       347
प्रकाशक- राजा पॉकेट बुक्स


Saturday 27 July 2019

213. सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री- वेदप्रकाश शर्मा

एक सत्य घटना पर आधारित मर्डर मिस्ट्री।
सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री- वेदप्रकाश शर्मा, उपन्यास

लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में जो स्थान वेदप्रकाश शर्मा का है वहाँ तक किसी अन्य लेखक को पहुंचाना एक हद तक कठिन है।
         इसका एक कारण यह भी है की वेदप्रकाश शर्मा जी के कुछ उपन्यास मात्र काल्पनिक न होकर यथार्थ और कल्पना का मिश्रण होता था। जासूसी साहित्य मात्र मनोरंजन का माध्यम है तो इसलिए इसमें कल्पना की प्रचुरता तो रहेगी।
वेद जी सामाज में घटित किसी घटना को अपनी कल्पना के रंगों से सुसज्जित कर पाठक के सामने इस तरह से प्रस्तुत करते थे की पाठक उस संसार में खो जाता था।
             वेद जी ने बहुत सी वास्तविक घटनाओं को आधार बना कर उपन्यास लिखे हैं, 'सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री' भी एक ऐसा ही कथानक है।
भारत के अपराध जगत में घटित एक ऐसी घटना जो  आज तक अनसुुुलझी है।
           सन् को 2008 में नोएडा (UP) में एक वीभत्स हत्याकाण्ड हुआ था। आरुषि हेमराज हत्याकाण्ड भारत का सबसे जघन्य व रहस्यमय हत्याकाण्ड था जो 15–16 मई 2008 की रात नोएडा के सेक्टर 25 में हुआ। डॉ. राजेश तलवार और उनकी पत्नी डॉ. नूपुर तलवार (दोनो पेशे से चिकित्सक) पर आरोप था की उन्होंने अपनी एकमात्र सन्तान आरुषि के साथ अपने घरेलू नौकर हेमराज की नृशंस हत्या कर दी और सबूत मिटा दिये। लेकिन तलवार दम्पति का कहना है की ये उन्होंने नहीं किया।
घर में चार सदस्य और जिनमें से एक रात दो की हत्या हो जाती है। घर अंदर से बंद है और बाहर से आने का कोई रास्ता नहीं। तो यह कैसे संभव है की किसी बाहरी आदमी‌ ने हत्या की हो।
        यह केस तो बहुत लंबा चला और कई परिणाम सामने आये। यह भारत की एक अनसुलझी मर्डर मिस्ट्री है।
इसी को आधार बना कर वेदप्रकाश शर्मा ने 'सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री' लिखी है। जब वेद जैसे लेखक लिखते हैं तो यह तय की वह मात्र सामान्य मर्डर मिस्ट्री न होगी। जैसे अक्सर लिखा जाता है- एक कत्ल और फिर कातिल की तलाश। इस उपन्यास में वेद जी ने जो पृष्ठ दर पृष्ठ रोमांच का समां बांधा है वह पठनीय और प्रशंसनीय है।
           ‌‌‌राजन सरकार और उनकी पत्नी इंदू सरकार। इनका एक मात्र पुत्र है कान्हा और घर में चौथा सदस्य है नौकरानी मीना। एक रात घर पर कान्हा और मीना का कत्ल कर दिया जाता है। घर अंदर से बंस है और राजन और इंदू का कहना है की ये कत्ल उन्होंने नहीं किया।
लेकिन सब तथ्य उनके विपरीत हैं। बहुत कुछ संदेहजनक है। यहाँ तक की राज‌न सरकार के बयान भी।
सबसे बड़ा बेस तो यही है कि पुलिस कोर्ट में इनके खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सकी। कोर्ट ने जो भी फैसला सुनाया, परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर सुनाया। (पृष्ठ-49) 

     तब ठाकुर निर्भय सिंह (पुलिस विभाग) के साथ राजन सरकार विजय से मिलता है और अपनी बेगुनाह होने का और कान्हा की आत्मा को इंसाफ दिलाने की प्रार्थना करता है।
यहाँ से उपन्यास का आरम्भ होता है। एक के साथ एक नयी-नयी रोचक और हैरतजनक घटनाएं घटित होती हैं।
स्वयं विजय-विकास हैरान है की यह सब क्या हो रहा है?

- कान्हा और मीना की हत्या किसने की?
- बंद घर में हत्या कैसे संभव है?
- सरकार दम्पति को मृतकों‌ की चीखे क्यों न सुनाई?
- आखिर सबूत किसने मिटाये?
- कान्हा और मीना की हत्या क्यों की गयी?

Friday 26 July 2019

212. दहकते शहर- वेदप्रकाश शर्मा

विजय- विकास का प्रथम उपन्यास
दहकते शहर- वेदप्रकाश शर्मा, उपन्यास

     वेदप्रकाश शर्मा उन लेखकों में से एक हैं जिनको पढकर मेरा उपन्यास प्रेम परवान चढा। वेद जी के उपन्यास बहुत रोचक और दिलचस्प होते हैं। हिन्दी जासूसी साहित्य में सर्वाधिक बिक्री वाले लेखक रहे हैं वेदप्रकाश शर्मा जी।
       'दहकते शहर' वेदप्रकाश शर्मा जी का प्रथम उपन्यास माना जाता है। यह मानना किस दृष्टि से है यह देखना है। देखना क्या है पढना है। और पढना यह है कि 'दहकते शहर' वेदप्रकाश शर्मा के स्वयं के नाम से प्रकाशित होने वाला प्रथम उपन्यास है। अर्थात् वेद जी छद्म नाम से पहले लिखते रहे हैं।
जैसा की उपन्यास साहित्य का एक काला अध्याय रहा है वह है भूत लेखन(Ghost writing) और यह भूत/ छद्म लेखन वेद जी ने भी किया है।

        अब रिकाॅर्ड के अनुसार 'दहकते शहर' ही वेद जी का प्रथम उपन्यास माना जाता है। लेकिन इस से पूर्व वेद जी काफी उपन्यास लिख चुके थे। 'दहकते शहर' पढते वक्त यह अहसास बना रहता है की ये पात्र पूर्व में परिचित हैं।
       जैसे विजय कहता है- मर्डरलैण्ड को तो हमारे लूमड़ प्यारे समाप्त कर आये थे।(पृष्ठ-20) ( शायद यह प्रसंग वेद जी द्वारा लिखे गये Ghost लेखन के उपन्यास में होगा)

आयुष्मान - आनंद चौधरी

अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...