Monday 28 February 2022

510. इच्छामृत्यु - देवेन्द्र पाण्डेय

 13 जुलाई 1660


इच्छामृत्यु शब्द सुनते ही पितामह भीष्म की प्रतिमा समक्ष उभर आती है, जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, अर्थात उनकी इच्छा के बिना मृत्यु भी उनके समक्ष नही फटक सकती। वे द्वापर में अकेले थे जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान मिला था किंतु इस युग मे कुछ शूरवीर ऐसे भी थे जिन्होंने मृत्यु की आंखों में आंखे डालकर उसे चुनौती दी। हजारों प्रहार सहे, मानवी क्षमता के हर मानक, हर क्षमता को ध्वस्त करते हुए भीषण शौर्य किया, रक्त की अंतिम बूंद तक तलवार थामे रहे, शत्रु भी जिनकी वीरता देख कर थर्रा उठा। वे मुट्ठीभर और शत्रु अनगिनत। अपने शौर्य और जिद से मृत्यु को भी प्रतीक्षा करने पर विवश कर देने वाले वीरों की शौर्य गाथा है यह। साक्षी बनिए इतिहास के उस हिस्से का जो मृत्यु पर मानवी इच्छाशक्ति की जीत और अदम्य शौर्य का प्रतीक है।

41 मील का दुर्गम सफर, 21 घण्टे और हजारों शत्रु।

एक युद्ध जिसने इतिहास की दिशा बदल कर रख दी।

Saturday 26 February 2022

508. जा चुडैल - देवेन्द्र पाण्डेय

एक असत्य घटना पर आधारित
जा चुडैल - देवेन्द्र पाण्डेय

अपनी नीरस और बोझिल जिंदगी से परेशान प्रीतम के पास दोस्त के नाम पर केवल केशव था, केशव जो अपनी ही अजीबोगरीब दुनिया में खोया रहता था। रोजमर्रा की इस बेमकसद जिंदगी में उन्हें किसी रोमांच की तलाश थी।
और एक दिन मुम्बई की बरसात में वह मिली। अजीब, रहस्यमय और बला की खूबसूरत।
लेकिन उनकी जिंदगी में आने वाली वह अकेली नही थी, उसके साथ आई थी कुछ अनचाही अनजानी मुसीबतें। वह कहते है ना इश्क का भूत सिर चढ़ कर बोलता है।
लेकिन यहां तो इश्क वाकई भूत बना हुआ था।
माईथोलॉजी, प्रेम, आदि जैसे विषयों पर लिखने वाले लेखक देवेन्द्र पाण्डेय इस बार लेकर आए हैं ‘हॉरर रोमांटिक कॉमेडी’ (Horror RomCom) नाम की विधा की हिन्दी की पहली पुस्तक।
  देवेन्द्र पाण्डेय एक प्रतिभावान लेखक हैं। देवेन्द्र जी के उपन्यासों की कहानियों में विविधता होती है। ऐसी ही एक विविधता वाला उपन्यास है 'जा चुडैल'।

Friday 25 February 2022

507. बाली - देवेन्द्र पाण्डेय

आखिर भारत पर इतने आक्रमण क्यों होते रहे हैं?
बाली- देवेन्द्र पाण्डेय

      एक भीषण आतंकवादी हमले के पश्चात कुछ निष्क्रिय संगठन पुनः सुप्तावस्था से बाहर गये और आरम्भ हो गयी भीषण नरसंहारों की एक अघोषित श्रृंखला, जिसने देश के साथ-साथ संपूर्ण विश्व को हिला कर रख दिया। इस श्रृंखला से एक रहस्यमयी योद्धा ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी जिसकी जड़े प्राचीन भारत की गाथाओं से जुड़ी हुयी थी, वह जिस उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध था उसने समूचे विश्व की धारणाओं एवं इतिहास के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य तक को बदल कर रख दिया।
सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलियुग तक छिपा हुआ एक रहस्य, एक ऐसी शक्ति, जो संपूर्ण विश्व के साथ-साथ एक समूचे युग को परिवर्तित करने की क्षमता रखती थी। जातियों-प्रजातियों के मध्य अस्तित्व की महीन सीमा रेखा के मिथकों को जिसने बिखेर कर रक दिया।
(उपन्यास के अंतिम आवरण पृष्ठ से)
         देवेन्द्र पाण्डेय वर्तमान युवा लेखकों में से एक प्रतिभावान लेखक हैं। 'इश्क बकलोल' के पश्चात जून 2019 में प्रकाशित 'बाली' उनकी द्वितीय रचना है। जो सत्य और कल्पना के रंग से रंगी गयी एक अद्भुत रचना है।
  भारतीय इतिहास और पौराणिक कथाओं को आधार बना कर लिखी गयी यह रचना स्वयं में बहुत कुछ समेटे हुये है।
   उपन्यास का मुख्य आधार है- आखिर भारतवर्ष पर इतने आक्रमण क्यों होते रहे हैं?

Monday 7 February 2022

506. रोड़ ट्रिप - देवेन्द्र पाण्डेय

तीन दोस्त, तीन यात्राएं और तीन कहानियां
रोड़ ट्रिप- देवेन्द्र पाण्डेय

तीन अनजाने जो मित्र बने।
पहली मुलाकात और पहली ही मुलाकात में रोड ट्रिप की योजना।
तीन यात्राएं, तीन पड़ाव, तीन कहानियां, लेकिन मंजिल एक।
  जिंदगी की परेशानियों और उलझनों से जूझ रहे तीन अनजाने दुनिया जहान को भूला कर एक अनोखे सफर पर निकल पड़े, एक ऐसे अनुभव के लिए जिसने उन्हें बदल कर रख दिया।
     यात्रा जो मुम्बई के मैदानों से आरम्भ होकर उत्तराखण्ड की बर्फिली चोटियों तक पहुँच जाती है, जहाँ उनका सामना नियति से होता है। नियति जो जीवन मरन से मरे जाकर उनके अस्तित्व को ही बदल कर रख देती है।
रास्तों में मंजिल खोजने की कहानी।

आश्रिता- संजय

कहानी वही है। आश्रिता- संजय श्यामा केमिकल्स की दस मंजिली इमारत समुद्र के किनारे अपनी अनोखी शान में खड़ी इठला रही थी। दोपहरी ढल चुकी थी और सू...