Friday 30 December 2022

550. मौत की वार्निंग- एच. इकबाल

एक मर्डर मिस्ट्री उपन्यास
मौत की वार्निंग- एच. इकबाल

उस तूफानी रात का वातावरण बड़ा ही भयानक था । बारिश ने सुबह से रुकने का नाम ही नहीं लिया था ।
आसमान पर बादलों के स्याह तोदों ने पूरे दिन सूर्य के प्रकाश को भी जमीन तक पहुंचने नहीं दिया था ।
हर तरफ अँधेरा ही अँधेरा सा था । फिर स्पष्ट है कि रात की तारीकी ने उन अन्धेरों में मिलकर उसे कितना खौफनाक श्री भयानक बना दिया होगा ।
बादलों की गरज और बिजली की कड़क सोने पर सुहागे का काम कर रही थी ।
उस समय शाम के आठ बजे थे लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे रात श्राधी से अधिक भीग चुकी हो, सड़कों पर चूंकि पानी खड़ा हुआ था इसलिए ट्रैफिक का प्रश्न ही नहीं था असंख्य कारें इधर-उधर खड़ी थी। (उपन्यास के प्रथम पृष्ठ से)

अस्लम शीराजी जंगलात विभाग के डायरेक्टर जनरल हैं।
बड़े ही संख्त और क्रुद्ध स्वभाव के अधिकारियों में अस्लम शीराजी की गणना होती थी मगर इतना होते हुए भी सरकार उन्हें भुगत ही रही थी । इसलिए कि अस्लम शीराजी क्रोधी स्वभाव का होने के साथ ही साथ अपने काम के मामलों में बहुत होशियार और समझदार थे।

Saturday 24 December 2022

549. सिगरेट का आखिरी कश- राकेश मोहन

तोता परी और 'विजय-हीना' का एक्शन उपन्यास

सिगरेट का आखिरी कश- राकेश मोहन

प्यार की दीवानी एक ऐसी युवती की कहानी जो जबरदस्ती एक युवक से प्यार पाना चाहती थी। बदले में जब उसे उस युवक की नफरत मिली तो उसने एक ऐसी सिगरेट की ईजाद की जिसे पी लेने वाले को एक ऐसी चीज की जरूरत होती थी, जिसके बिना वह तड़प-तड़प कर मर जाता था। और ऐसा ही हाल युवतियों का था...
लोकप्रिय सामाजिक उपन्यास साहित्य में लेखक द्वय 'धरम राकेश' काफी चर्चित रहे हैं। धरम राकेश जी द्वारा लिखित उपन्यास के एक समय अच्छे पाठक थे। समय के साथ उपन्यास साहित्य का बाजार खत्म हो गया और यह जोड़ी भी अलग हो गयी।
सिगरेट का आखिरी कश- मोहन राकेश
सिगरेट का आखिरी कश- राकेश मोहन
  इस समय दोनों लेखक अलग-अलग लेखक में सक्रिय भी रहे। जहाँ धरम बारिया जी ने जनरल लेखक जो महत्व दिया तो वहीं 'राकेश मोहन जी' ने कुछ जासूसी उपन्यास भी लिखे। इनका लिखा एक उपन्यास 'सिगरेट का आखिरी कश' पढा, जो एक रोमांच से परिपूर्ण 'विजय-हीना' सीरीज का उपन्यास है।

Thursday 8 December 2022

548. साढे सात करोड़- रीमा भारती

रीमा भारती, डकैती और आतंकवाद

साढे सात करोड़- रीमा भारती

रीमा भारती हिंदी उपन्यास साहित्य में  एक चर्चित नाम रहा है। दिनेश ठाकुर की‌ कलम निकली रीमा भारती को आधार बना कर बहुत से लेखकों ने लिखा। रीमा भारती नाम से एक लेखिका भी मैदान में आयी। जानकारी अनुसार लेखिका रीमा भारती के उपन्यासों पर जो लेखिका की तस्वीर थी वह दिनेश ठाकुर की पत्नी है।
  लेखिका रीमा भारती द्वारा रचित रीमा भारती सीरीज का उपन्यास 'साढे सात करोड़' पढा। यह एक रोचक उपन्यास है।
   उपन्यास प्रथम पुरुष में लिखा गया है सूत्रधार है रीमा भारती।

साढे सात करोड़- रीमा भारती

मै...!
आपकी चिर-परिचित दोस्त रीमा ... रीमा भारती । आपकी चहेती जासुसी संस्था आई.एस. सी. की नम्बर वन एजेन्ट । दुश्मनों और गद्दारों के लिये साक्षात मौत और आपके सपनों की रानी । मां भारती की शरारती, अल्हड़, किन्तु लाड़ली बेटी।

रीमा के पास सेठ त्रिभुवन दास आता है अपनी एक फरियाद लेकर।

"नमस्ते!"-  एकाएक वह भारी भरकम स्वर में बोल उठा। "कहिये!” - मैंने उसके अभिवादन का जवाब देने के बाद उससे पूछा।

"मेरा नाम त्रिभुवनदास पारिख है। मैं इसी महानगर का रहने वाला हूँ। चेम्बूर में मेरा अपना निवास है।" वह अपना परिचय देने के बाद बोला-“कुछ अपराधी किस्म के लोगों ने मेरे बेटे को हत्या के जुर्म में फँसा दिया है। जबकि उस बेचारे का उस शख्स की हत्या से कोई वास्ता नहीं था।” वह बोला- “उस पर हत्या का मुकदमा चला और तमाम सबूत उसके खिलाफ थे। कानून ने उसे फांसी की सजा सुना दी। इस महीने की तीस तारीख को मेरे बेटे को फांसी होने वाली है। भगवान के लिये मेरे बेटे को फांसी की से बचा लीजिये, वरना मैं तबाह हो जाऊंगा। जीते जी मर जाऊंगा। प्लीज भगवाने के लिये मेरे मदद कीजिये।”

Wednesday 7 December 2022

547. काला नाग- रीमा भारती

रीमा भारती और नीना जोजफ का कारनामा

काला नाग- रीमा भारती

हिंदी जासूसी कथा साहित्य में लेखिका रीमा भारती का नाम एक्शन- थ्रिलर लेखिका के रूप में लिया जाता है। इनके लिखे एक्शन- थ्रिलर उपन्यास एक समय बहुत चर्चित थे। मूल रूप से दिनेश ठाकुर द्वारा सृजित किरदार रीमा भारती को आधार बनाकर उपन्यास लिखे गये हैं। 



    लेखिका रीमा भारती द्वारा रीमा भारती सीरीज का उपन्यास 'काला नाग' पढा। यह एक रोमांच से परिपूर्ण एक्शन उपन्यास है। जिसके कहानी आतंकवाद से संबंधित है।

      रीमा भारती 
    माँ भारती की उददंड, शरारती और लाडली बेटी थी वो। कोई उसके देश की ओर बुरी दृष्टि से देखे - अथवा उसके वतन को तबाह करने की योजना बनाये- इसे वो कतई बर्दाश्त नहीं कर सकती थी।

    माँ भारती की उददंड, शरारती और लाडली बेटी थी वो। कोई उसके देश की ओर बुरी दृष्टि से देखे - अथवा उसके वतन को तबाह करने की योजना बनाये- इसे वो कतई बर्दाश्त नहीं कर सकती थी।
       रीमा भारती भारतीय गुप्तचर विभाग की जासूस है। जिसे एक दिन भारतीय गुप्तचर विभाग का चीफ खुराना बताता है-
    "खूफिया सूत्रों से पता चला है कि कुछ आतंकवादी संगठन अब एकजुट होकर रासायनिक हथियारों के निर्माण की योजना बना रहे हैं।"

    Thursday 1 December 2022

    546. फंदा- अनिल सलूजा

    बलराज गोगिया शृंखला का प्रथम उपन्यास
    फंदा- अनिल सलूजा

    "अभी नहीं बल्लू.... कुछ देर और, तब जाओ।”
    मुस्करा पड़ा बलराज गोगिया- “लगता है अभी दिल नहीं भरा तेरा।"
    “इतने अर्से बाद मिले हो, एक....एक दिन का हिसाब लूंगी।" बड़ी शोख अदा से बोली रजनी।
    उसकी शोख अदा ने ही बलराज गोगिया के दिल में खलबली मचा दी, खुद उसका दिल एक बार फिर वही खेल खेलने को मचलने लगा ।
    “ठीक है....।” -मुस्कराया बलराज गोगिया और रजनी के उभारों पर अपने हाथ फेरने लगा-“हम यह खेल दोबारा खेलेंगे, मगर, तुझे मेरे यहां आने का पता कैसे चला....?” और फिर
    “रूक जा रजनी.... ।”-  दहाड़ उठा बलराज गोगिया ! लेकिन, रजनी ने रूकने का कोई उपक्रम नहीं किया-पूरी रफ्तार से वह गन्ने के खेत की तरफ भाग रही थी, जिसमें से कि पुलिस वाले बाहर निकल रहे थे-पहले तो बलराज का दिल किमा, शूट कर दे उस नागिन को, लेकिन फिर कुछ सोच कर उसने जीप के एक्सीलेटर पर पैर का दबाव बढ़ा दिया।
    तोप से निकले गोले की तरह छूटी जीप । पीछे से पुलिस ने फायरिंग कर दी !
                          फन्दा - अनिल सलूजा
    खून के सैलाब में लिपटी बलराज गोगिया की ऐसी गाथा जिसमें प्रतिशोध में डूबा गोगिया एक बार फांसी के फंदे से भी नीचे उतर आया। ग्रिल, एक्शन, सस्पेंस और एडवेंचर युक्त यह कहानी एक जलजला है, तूफान है।

    Wednesday 30 November 2022

    545. निमिष - ब्रजेश कुमार शर्मा

    क्या समय यात्रा संभव है?
    निमिष - ब्रजेश कुमार शर्मा
        
    समय किसी के लिए नहीं रुकता
    टाइम मशीन के लिए भी नहीं
    कौन थी वो रहस्यमयी लेकिन बेहद खतरनाक युवती जो निर्धारित डैडलाइन में दो लोगों को मार न पाने की स्थिति में महाविनाश की चेतावनी दे रही थी और महाविनाश से उसका क्या मतलब था?
    ...
    एक चार घंटे का साधारण-सा लगने वाला मिशन मौत का जाल बन गया था जिसमें निमिष और अवनी बुरी तरह फंसकर रह गए थे। मौत कदम-कदम पर उनके पीछे थी
    और उन्हें हर कदम पर मौत को मात देनी थी
    ...
    ये उपन्यास समय यात्रा यानि टाइम ट्रेवल पर सबसे हटकर लिखे गये उपन्यासों में से है। इसमें लेखक ने टाइम ट्रेवल से जुड़े बूटस्ट्रेप पैराडॉक्स जैसे पैराडोक्सेज पर चर्चा करते हुए उनके एक सम्भावित समाधान की थ्योरी प्रस्तुत की है।

    Tuesday 22 November 2022

    544. सुलग उठे अंगारे- परशुराम शर्मा

    कहानी वारसिला की राजकुमारी की

    सुलग उठे अंगारे- परशुराम शर्मा

    'जी.. मैं...मगर आप यहां कब तशरीफ ले आए सर?"
    "मैं तुम लोगों को कभी भी अनजाने खतरे में नहीं छोड़ता और यदि मैं लापरवाह होता तो आज तुम अवश्य दूसरे लोक में पहुंच जाते। तुम्हारे डिनर पर मौत का पूरा सामान मौजूद था।"

    यह सीक्रेट सर्विस के बास पवन का भर्राया स्वर था। पवन...!

    वह इन्सान, जिससे सीक्रेट सर्विस के सभी एजेण्ट कांपते थे। पवन उस फरिश्ते के समान था, जो हर समय साए के समान अपने एजेण्टों को अनजान खतरों से बचाया करता था । मदन अक्सर राजेश पर पवन होने का सन्देह करता था, लेकिन अनेक अवसर ऐसे भी आए जबकि राजेश की मौजूदगी में पवन उसके सामने आ चुका था ।

    वास्तव में खुद राजेश ही सीक्रेट सर्विस का चीफ पवन था, किन्तु अवसर आने पर 'फाइव टू' भी पवन का रोल अदा करना था। इस रहस्य को 'फाइव टू' के अलावा और कोई भी नहीं जानता था ।

    मदन सोचने लगा-क्या राजेश की मृत्यु की सूचना बाॅस को मिल चुकी होगी ? यदि नहीं मिली तो वह किन शब्दों में सूचना दे। पवन के सामने ऐसी सूचना सुनाना अपने मुँह पर तमाचा मारना था, लेकिन तुरन्त ही उसे अपने विचारों पर हँसी आ गयी। (उपन्यास अंश)

    Thursday 17 November 2022

    543. उड़न छू- अनिल मोहन

    आपका दिमाग भी हो जायेगा....
    उड़न छू- अनिल मोहन

      पाठक मित्रों से सूचना मिली थी की अहमदाबाद में एक दो जगह लोकप्रिय उपन्यास मिलते हैं। काम से आबू रोड (राजस्थान) गया हुआ था। रविवार (13.11.2022) को समय निकाल कर अहमदाबाद भी जा पहुंचा। वहाँ गुजरी बाजार (साबरमती नदी के पास) और बैंक आॅफ बड़ौदा के सामने कुछ उपन्यास मिलते हैं। वहाँ से कुछ उपन्यास खरीदे, जिनमें से अनिल मोहन जी का उपन्यास 'उड़न छू' भी शामिल है।
       लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में एक समय तीन लेखक ही सक्रिय थे, या बाजार में जिनके उपन्यास बिकते थे। वेदप्रकाश शर्मा, सुरेन्द्र मोहन‌ पाठक और अनिल मोहन । तीनों का लेखन पूर्णतः अलग-अलग तरह का था, तीनों के पाठक भी अलग-अलग नजर आने लगे।
    आबू रोड़ से रायसिंहनगर,  यात्रा का साथी उपन्यास
      अनिल मोहन जी ने अपने कई पात्र खड़े किये हैं जिनमें से एक है अर्जुन भारद्वाज, जो एक प्राइवेट डिटेक्टिव है। (हालांकि इस उपन्यास में‌ अर्जुन का कोई परिचय नहीं दिया गया)
    प्रस्तुत उपन्यास 'उड़न छू' अर्जुन भारद्वाज सीरीज का उपन्यास है। जिसमें उसके साथ इंग्लैंड का प्रसिद्ध जासूस बॉण्ड भी है- जेम्स बॉण्ड।- वो लम्बा, ऊँचा कद, नीली आँखें, लाल सुर्ख चेहरा, होंठ सिगरेट पीने की वजह से हल्के बैंगनी। (पृष्ठ-07)
      अब चर्चा कथानक पर-

    Thursday 3 November 2022

    542. ब्लैकमेल- संतोष पाठक

    तलाश ब्लैकमेलर और हत्यारे की
    ब्लैकमेल- संतोष पाठक

    'सुकन्या श्रीवास्तव!’ - मैंने सिगरेट का एक गहरा कश खींचा - पालीवाल प्रोडक्शन हाउस की मार्केटिंग हैड। एक ऐसी लड़की जो सात साल पहले मर्डर चार्ज में चार महीने की सजा भुगत चुकी थी। जो अपने बॉस के बेटे के साथ शादी करने जा रही थी। ऐसी लड़की को कोई ब्लैकमेल कर रहा था। और ऐसे ग्राउंड पर कर रहा था, जो शादी वाला मामला न आ फंसा होता तो सुकन्या एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल चुकी होती। पुलिस में कंप्लेन भी दर्ज करा देती तो कोई बड़ी बात नहीं होती। मगर अभी ब्लैकमेलर के हाथों की कठपुतली बनना उसकी मजबूरी थी। (किंडल से)
         उपन्यासकार संतोष पाठक वर्तमान में उपन्यास साहित्य का वह ज्वलंत सितारा है जिसका प्रकाश निरंतर फैल रहा है। जिस तरह से संतोष पाठक जी लेखन कर रहे हैं, उपन्यास प्रकाशित कर रहे हैं वह स्वयं में एक कीर्तिमान है।
       वर्तमान उपन्यास साहित्य में मर्डर मिस्ट्री लेखन छाया हुआ है। प्रस्तुत उपन्यास भी मर्डर मिस्ट्री रचना है,जिसका आधार चाहे 'ब्लैकमेल' दिखायी देता है, पर ऐसा है नहीं।
      कहानी है प्राइवेट डिटेक्टिव विक्रांत गोखले की। जिसके पास एक कन्या आती है अपना केस लेकर।
    “मैं डॉक्टर हूं मैडम और आप पेशेंट हैं। मर्ज छिपायेंगी तो निदान कैसे कर पाऊंगा? उन हालात में क्या बीमारी बढ़ती नही चली जायेगी?”
    “नहीं छिपाने की कोई मंशा नहीं है, वरना मैं यहां आती ही क्यों?”
    “दैट्स गुड, बताइये प्रॉब्लम क्या है?”
    “मुझे कोई ब्लैकमेल कर रहा है।”

    Wednesday 2 November 2022

    541. यामी- आलोक सिंह खालौरी

    प्यारा हमारा अमर रहेगा...
    यामी- आलोक सिंह खालौरी
    महत्वाकांक्षा जब एक सीमा से आगे बढ़ जाती है, तो वो एक जिद, एक जुनून का रूप ले लेती है। ऐसी ही एक महत्वाकांक्षा की कहानी है-ईसा से 500 वर्ष पूर्व एक तांत्रिक तुफैल और उसकी शिष्या कूटनी माया की, जिन्होंने ईश्वरीय सृष्टि के समांतर एक सृष्टि निर्मित करने की महत्वाकांक्षा पाल ली थी। उनकी इस महत्वाकांक्षा में जाने अंजाने ही सहायक बन गई भोली भाली गंधर्व कन्या यामी। यामी-जो अपने प्रेम की तलाश में गंधर्व लोक से पृथ्वी पर आई थी। विधि के विधान ने माया, तुफैल और यामी को समय से 2500 साल आगे सन 2022 में ला फेंका। सन 2022 – जहाँ चाहे अनचाहे दो अन्य व्यक्ति भी माया, तुफैल और यामी के इस द्वंद का मोहरा बन गए -एक युवा आई०पी०एस० और दूसरे इस किताब के लेखक आलोक सिंह खुद। फिर क्या हुआ 2022 में ? कौन जीता ये जंग ? माया या यामी ? क्या यामी अपनी मोहब्बत की तलाश कर पाई ? तुफैल और माया समांतर सृष्टि की स्थापना के अपने उद्देश्य में कहाँ तक सफल हुए ? ऐसे ही अनेक प्रश्नों का उत्तर है यामी। (किंडल से)
       आलोक सिंह खालौरी उत्तर प्रदेश के मेरठ के निवासी हैं। अपनी पाँच रचनाओं के दम पर पाठक वर्ग में अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित कर चुके हैं।
       प्रस्तुत कहानी 'यामी' समय यात्रा पर आधारित है। एक युग से दूसरे युग में प्रवेश की कथा है। प्रेम और प्रकृति के समांतर सत्ता स्थापना की कथा है यामी।

    Sunday 30 October 2022

    540. कोई लौट आया- चन्द्रप्रकाश पाण्डेय

    जातिवाद से उपजी एक हाॅरर कथा
    आखिर क्यों?
    कोई लौट आया- चन्द्रप्रकाश पाण्डेय

    कुटकुट को नहीं पता था कि पुराने तालाब में ऐसी क्या तासीर है कि बच्चों के उधर से गुजरने पर प्रतिबन्ध है मगर इतना जरूर मालूम था कि एक-दो बार रात में उधर से अकेले जा रहे कुछ लोग बुत होकर गिर गये थे, आँखें उलट गयी थीं और मुँह से झाग निकलने लगा था। तालाब के बारे में प्रचलित कहानियाँ और घटनाएं याद करके उसके बदन में भय का संचार होने लगा। ठण्डी हवा से उसका जिस्म पहले ही सिहर रहा था, अब डर से भी सिहरने लगा।
    वह ठहरा और मन ही मन हनुमान जी को याद करते हुए कल्पना किया कि वे उसके पीछे-पीछे कंधे पर गदा टिकाये हुए आ रहे हैं। इस ख्याल ने उसे बड़ी राहत दी और वह पुन: अपने हाव-भाव से निडरता दर्शाते हुए आगे बढ़ने लगा। (kindle)
       वर्तमान लोकप्रिय उपन्यास साहित्य की हाॅरर श्रेणी में चन्द्रप्रकाश पाण्डेय का नाम सबसे ऊपर है। अगर मैं अपनी बात करूं तो मुझे हाॅरर मूवीज और कहानी कभी पसंद नहीं आती लेकिन चन्द्रप्रकाश पाण्डेय जी की रचनाओं में जो आकर्षण होता है वह मुझे सम्मोहित कर लेता है। क्योंकि इनके उपन्यास अन्य हाॅरर रचनाओं की तरह मात्र घटनाएं ना होकर एक व्यवस्थित कहानी वाले होते हैं।‌
    प्रस्तुत उपन्यास 'कोई लौट आया'  एक पैरानाॅर्मल कहानी है, और यह कहानी समाज की एक दूषित प्रथा जातिवाद पर भी प्रहार करती है।

    Friday 21 October 2022

    539. #हैशटैग - सुबोध भारतीय

    शहरी जीवनी की कहानियाँ
    #हैशटैग- सुबोध भारतीय
    लेखक सुबोध भारतीय जी के साथ
    सुबोध भारतीय जी को हम एक प्रकाशक के रूप में तो जानते हैं लेकिन एक कहानीकार के रूप में मेरा उनसे प्रथम साक्षात्कार है। 

       प्रस्तुत कहानी संग्रह '# हैशटैग' में कुल आठ कहानियाँ हैं जो शहरी परिवेश के विविध रूप पाठक के समक्ष प्रस्तुत करती हैं। जो रोचक हैं, मार्मिक हैं, हास्यजनक है और संवेदनशील है।

    Thursday 20 October 2022

    538. काम्बोजनामा- राम पुजारी

    लोकप्रिय जासूसी साहित्य के वटवृक्ष- वेदप्रकाश काम्बोज
    काम्बोजनामा- राम पुजारी

    लोकप्रिय जासूसी उपन्यास साहित्य में वेदप्रकाश काम्बोज जी उस वटवृक्ष की तरह हैं जिसके नीचे असंख्य जीव- पौधे पनपते हैं और उस से वटवृक्ष अनजान होता है। जासूसी लेखन से साहित्यिक गलियारों तक में कलम चलाने वाले, मंजिल को भुला अपने इस सफर के आनंद में डूबे, लेखन पथ पर आवारगी करने वाले वेदप्रकाश काम्बोज एक ऐसे ही व्यक्तित्व हैं, जिनके पात्रों पर बहुसंख्यक लेखकों ने लिखा पर वेदप्रकाश काम्बोज उस से अलग ही रहे। ऐसे सरल स्वभाव के काम्बोज जी को समर्पित, उन्हीं के जीवन‌ पर आधारित रचना है - काम्बोजनामा ।
    ' काम्बोजनामा' के लेखक राम पुजारी जी के साथ 17.09.2022, मेरठ

     उसी वटवृक्ष के जीवन और लेखन को युवा लेखक राम पुजारी जी ने 'काम्बोजनामा' में समेटने का जो प्रयास किया है वह उपन्यास साहित्य में एक मील पत्थर है। हजारीप्रसाद द्विवेदी जी के शिष्य ने 'व्योमकेश दरवेश लिखा, कुशवाहा कांत जी के शिष्य ने 'कुशवाहा कांत...' लिखा। ऐसा ही एक प्रयास रामपुजारी जी ने 'काम्बोजनामा' में किया है।

    Saturday 15 October 2022

    537. युगांतर - दिलशाद अली

    युग बदला, पर नहीं बदला प्रेम और प्रतिशोध
    युगांतर- दिलशाद अली

    सुनते आए हैं कि मोहब्बत जब हद से बढ़ जाए, तो इबादत बन जाती है। बिल्कुल ऐसे ही, जैसे दर्द एक हद को पार करके दवा बन जाता है।
    कुछ ऐसी ही मोहब्बत थी बाहर ग्रह से आई फूली सी नाजूक, परियों की सुंदर,  विद्युत सी चपल चंद्रिका की और पृथ्वी के साधारण से लड़के तारा की।
                 सच्ची मोहब्बत हो और इम्तिहान ना ले, ऐसा संयोग विरला ही देखने में आता है।  तारा, और चंद्रिका की मोहब्बत भी सच्ची थी। न सिर्फ सच्ची थी, बल्कि इबादत
    की सूरत भी अख्तियार कर चुकी थी।
                 लिहाजा इम्तिहान की शक्ल में उनके हिस्से में युगों- युगों की जुदाई आई, और जुदाई भी ऐसी कि दोनों न सिर्फ एक दूसरे को, बल्कि खुद को भी भूल गए।
    क्या हुआ जब याददाश्त खो चुके चंद्रिका और तारा का युगों बाद आमना-सामना हुआ ?
    वृहद कालखंड में फैली एक लोमहर्षक विज्ञान फंतासी युक्त प्रेम कहानी।
    (किंडल से)
    लेखक दिलशाद अली जी के साथ, मेरठ 17.09.2022

    उत्तर प्रदेश के हापुड़ शहर के युवा लेखक दिलशाद अली जी की द्वारा रचना 'युगांतर' शब्दगाथा प्रकाशन से प्रकाशित हुयी है।
       यह कहानी है प्रेम और प्रतिशोध की जो सदियों तक फैलाव लिये हुये है।

    Saturday 8 October 2022

    536. पल पल दिल के पास- अतुल प्रभा

    काश! यह कहानी काल्पनिक होती
    पल पल दिल के पास- अतुल प्रभा
    प्यार कोई बोल नहीं प्यार आवाज़ नहीं
    एक खामोशी है, सुनती है, कहा करती है 
    ना ये रुकती है, ना झुकती है, ना ठहरी है कहीं 
    नूर की बूँद है, सदियों से बहा करती है। - गुलजार
     कुछ कहानियाँ, कुछ किताबें ऐसी होती हैं जो मन को छू जाती हैं। मन‌ पर एक अमिट छाप छोड़ जाती हैं।  और कहानी अगर सत्य हो और व्यथा से परिपूर्ण हो तो मन‌ में एक कसक सी भी उठती है काश! यह कहानी काल्पनिक होती।
       कल्पना सत्य से बहुत आगे की चीज है, पर कभी-कभी सत्य भी इतना कठोर होता है की वहाँ कल्पना भी ठहर गयी सी प्रतीत होती है।
    ऐसी ही एक सत्य कथा है -पल पल दिल के पास।
    लेखक अतुल प्रभा जी के साथ 18.09.2022
       सितम्बर 2022 में दिल्ली- मेरठ जाना हुआ था। दिल्ली में 'नीलम जासूस कार्यालय' प्रकाशन जाना हुआ। वहीं अतुल प्रभा जी से मुलाकात हुयी।‌ स्निग्ध मुस्कान चेहरे पर बिखेरते हुये मिले अतुल जी। वहीं उनकी यह किताब मिली जो अपने अंदर लेखक महोदय के अथाह दर्द को समेटे हुये है।

    Wednesday 28 September 2022

    535. तरकीब - आलोक सिंह खालौरी

    एक भ्रष्ट नेता की रोचक कथा
    तरकीब- आलोक सिंह खालौरी
       एक अकेली लड़की बदला लेना चाहती है अपने उस सौतेले बाप से जिसने ना सिर्फ उसके बाप और माँ की हत्या की थी वरन उसके ऊपर भी जुल्म ढाया था और एक अरबपति बाप की इकलौती बेटी को दरबदर भटकने के लिए मजबूर कर दिया था। एक वकील, जिसे जीने के लिए कोई काम करने की जरूरत ही नहीं थी, मगर अपने बल बूते पर अपनी हैसियत बनाने का वो पुरजोर तमन्नाई था। एक साधारण से केस में हाथ डालने के बाद हालात जिस तेजी से करवट बदले, उसे पता ही नहीं चला। एक सांसद, माफिया, धन कुबेर व्यापारी, जिसकी ताकत का कोई ओर छोर नहीं। राजनीतिक पैंतरों में सिद्धहस्त सारे दाँव-पेंच अपनाकर सरकार को भी बैक फुट पर ले जाने वाला बाहुबली नेता, जिस पर पलटवार करने के लिए सरकार की ओर से नियुक्त एन. सी. बी. और आई. बी. की संयुक्त टीम के भी पसीने छूट जाते हैं। सांझा मंजिल के लिए अलग-अलग रास्तों पर चले जब कई मुसाफिर एक ही पड़ाव पर आकर मिले, तो उनके सामने एक ही चुनौती थी किस तरह उस माफिया का अंत हो सके। और फिर निकाली गई एक -तरकीब..
    आलोक सिंह खालौरी जी के साथ, मेरठ- 17.09.2022

    Saturday 24 September 2022

    534. दरिंदा- वेदप्रकाश शर्मा

    आखिर क्यों बना विकास दरिंदा
    दरिंदा- वेदप्रकाश शर्मा

    एक तरफ सिंगही का शिष्य वतन था, दूसरी तरफ विजय और अलफांसे का शिष्य विकास। दोनों के टकराव की महागाथा है यह उपन्यास और यह उपन्यास भी यही है जिसमें बताया गया है कि विकास को दरिंदा क्यों जाने लगा।
     वेदप्रकाश शर्मा जी द्वारा रचित उपन्यास 'हिंसक' का द्वितीय भाग है 'दरिंदा। दोनों उपन्यासों की संयुक्त कथा ब्रह्माण्ड के अपराधी सिंगही से संबंधित है। सिंगही विश्व विजेता बनने के लिए एक वैज्ञानिक एडिसन के साथ मिलकर एक घातक योजना के साथ अपनी चाल चलता है और बना देता है एक हिंसक और एक दरिंदा।
      नमस्कार पाठक मित्रो,
         आज 'स्वामी विवेकानंद पुस्तकालय' ब्लाग में प्रस्तुत है उपन्यास साहित्य के सितारे वेदप्रकाश शर्मा जी के एक्शन उपन्यास 'दरिंदा' की समीक्षा।

    Wednesday 14 September 2022

    533. हिंसक - वेदप्रकाश शर्मा

     जब टकराये विकास और वतन
    हिंसक - वेदप्रकाश शर्मा
    हिंदी लोकप्रिय जासूसी कथा साहित्य में वेदप्रकाश शर्मा अपनी सशक्त लेखनी के दम पर पाठकों के सर्वप्रिय कथाकार रहे हैं। वेदप्रकाश शर्मा अपने पात्रों के द्वारा एक अलग काल्पनिक संसार की रचना करते हैं और पाठक उसी अद्भुत काल्पनिक संसार को उपन्यास के माध्यम से पढकर आनंदित होता है। कुछ पाठकों को चाहे इनके उपन्यास वास्तविकता के नजदीक नजर नहीं आते, यह सत्य भी है, पर यह भी सत्य है की वेदप्रकाश शर्मा जीके उपन्यास कल्पना की एक नयी उड़ान होते हैं। जो इस संसार में वर्तमान में संभव नहीं उसी असंभव को अपने उपन्यासों में संभव कर के दिखाते हैं। 
      प्रस्तुत उपन्यास 'हिंसक' जिसका द्वितीय भाग 'दरिंदा' है की यहाँ संक्षिप्त समीक्षा प्रस्तुत है।
       'हिंसक' उपन्यास की कथावस्तु का आरम्भ एक भारतीय वैज्ञानिक  से होता है जो अमेरिका से भारत लौटता है लेकिन भ्रष्ट मानसिकता के सहयोगियों के चलते हुये वह गहरी मुसीबतों में फंस जाता है। 

    Wednesday 7 September 2022

    532. मतवाल चंद - संतोष पाठक

    संघर्ष अहम् और कर्तव्य का
    मतवाल चंद- संतोष पाठक
     
    ताकत के मद में ऐंठे एमपी प्रचंड सिंह राजपूत ने मतवाल चंद को पीटते वक्त सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वह हरकत उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल साबित होने वाली थी, ऐसी भूल जो उसकी सल्तनत को पूरी तरह तबाह और बर्बाद कर के रख देगी।
    किसी बाहुबली के साथ जंग लड़ना आसान काम नहीं था। वह भी तब जबकि मतवाल का थाना इंचार्ज प्रचंड सिंह के खिलाफ मारपीट का मामला तक दर्ज करने को तैयार नहीं था।
    आखिरकार उसने आर-पार की लड़ाई लड़ने का फैसला किया, एक ऐसी लड़ाई जिसके बारे में कोई नहीं जानता था कि उसका अंत कहां जाकर होने वाला था।
    शह और मात का खेल चल निकला, कौन जीतेगा और कौन हारेगा इसका अंदाजा लगा पाना बेहद मुश्किल था।
    अब देखना ये था कि क्या अकेला चना भांड फोड़ सकता था? (किंडल से)
    वर्तमान यथार्थवादी समय में मनुष्य दुखी हो गया है। वह ज्वालामुखी की तरह अपने अंदर अथाह आग लिये बैठा है, बस इंतजार है उस ज्वालामुखी के फटने का। वहीं कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति का जीवन और भी मुश्किल है।‌ वहीं सत्ता और धन के नशे में चूर व्यक्ति कर्तव्यनिष्ठ व्यक्तियों को हेय दृष्टि से देखते हैं। 'मतवाल चंद' कहानी एक ऐसे ही कर्तव्यनिष्ठ पुलिसकर्मी और सत्ता-धन के मद में डूब व्यक्ति के संघर्ष की कहानी है।

    Thursday 1 September 2022

    531. गुनाह बेलज्जत - संतोष पाठक

    वह अपराध कोई काम नहीं आया
    गुनाह बेलज्जत - संतोष पाठक

    - एक बड़ा बिजनेसमैन, जिसपर अपनी बीवी कि हत्या का इल्जाम था।
    - एक बेरोजगार युवक जो अपनी गर्ल फ्रेंड के जरिये करोड़पति बनने के सपने देख रहा था।
    - एक लड़की जो अपने मन कि भड़ास निकालने के लिए झूठ पर झूठ बोले जा रही थी।
    - एक सब इंस्पेक्टर जो अपने एस.एच.ओ. की निगाहों में अव्वल दर्जे का गधा था।
    - एक परिवार जिसमें कोई किसी का सगा नहीं था।
    - ऐसे नकारा और बदनीयत लोगों का जब केस में दखल बना तो मामला सुलझने कि बजाय निरंतर उलझता ही चला गया।
    'गुनाह बेलज्जत'
    - एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री जिसने पूरे पुलिस डिपार्टमेंट को हिलाकर रख दिया। 
                लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में श्रीमान संतोष पाठक जी वर्तमान में उपन्यास लेखन में तीव्र गति से लेखन करने वाले लेखक हैं। कभी - कभी तो पाठक एक उपन्यास पढ नहीं पाता और नया उपन्यास पाठकों के समक्ष आ जाता है और हर उपन्यास उतना ही रोचक और पठनीय होता है जितना की पूर्ववत उपन्यास। इन दिनों मैंने संतोष पाठक जी के दो उपन्यास पढे हैं और एक नया उपन्यास प्रकाशित भी हो गया।
            कहते हैं अपराध के मुख्य कारण 'जर, जोरु और जमीं' होते हैं, लेकिन इसके अतिरिक्त और बहुत से कारण अपराध के हो सकते हैं। 'बहुत से' कारणों में से एक कारण इस उपन्यास में उपस्थित है। यहाँ अपराधी ने अपराध तो किया लेकिन उसका 'गुनाह बेलज्जत' श्रेणी में आ गया।

    Tuesday 9 August 2022

    530. जासूसी फंदा- नकाबपोश भेदी

    एक साधारण सी मर्डर मिस्ट्री
    जासूसी फंदा- नकाबपोश भेदी

           लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में एक समय ऐसा भी था जब Ghost writing का परचम फहराता था। हर एक प्रकाशन ने अपना-अपना छद्म लेखक (Ghost writer) मैदान में उतार रखा था। इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाली पत्रिका 'भयंकर जासूस' में एक लेखक थे नकाबपोश भेदी। नाम से ही स्पष्ट होता है यह छद्म लेखक थे। नकाबपोश भेदी साहब जासूसी उपन्यास लेखन करते थे।
      इनका उपन्यास 'जासूसी फंदा' उपन्यास पढा जो की मर्डर मिस्ट्री आधारित रचना है। उपन्यास नायक हैं इंस्पेक्टर वर्मा।

    Saturday 6 August 2022

    529. पीला तूफान - कुमार रहमान

    नयी कहानी पुराना अंदाज
    पीला तूफान - कुमार रहमान

    एक शक्ल के तीन लोग, ऐसा कैसे हो सकता है! आखिर यह मामला क्या है, दो की मौत हो चुकी है और अब यह तीसरी...यह सब यहाँ इस शहर में क्या कर रहे हैं, आखिर क्या मकसद है इसका...सलीम खड़ा सोचता रहा।
        लोकप्रिय जासूसी उपन्यास साहित्य में एक नया नाम सामने आया है - कुमार रहमान। वैसे तो कुमार रहमान जी के उपन्यास Social Network पर काफी समय से दिखाई दे रहे हैं, लेकिन किसी प्रकाशन संस्थान से प्रकाशित होने वाला 'पीला तूफान' प्रथम उपन्यास है।
    पीला तूफान एक थ्रिलर उपन्यास है जो आपको 'इब्ने सफी साहब' के समय की याद ताजा करा देगा।
         उपन्यास का आरम्भ एक शहर में आये पीले रंग के तूफान से होता है।
    वह शाम अजीब थी। शाम होने पर आसमान सिंदूरी हो जाता है या फिर अक्सर लाल। उस शाम ऐसा नहीं हुआ था। बादलों से भरा आसमान पीला-पीला सा दिख रहा था। शुरू में लोगों ने कुछ खास ध्यान नहीं दिया...जब यह पीलापन बढ़ने लगा तो लोगों की जिज्ञासा खौफ में बदलती चली गयी।
         हर कोई आसमान की तरफ ही देख रहा था। लोग चलते-चलते रुककर ऊपर की तरफ देखने लगते। आसमान पर पीलापन बढ़ने लगा तो लोगों पर खौफ तारी हो गया। लोग छत की तलाश में तेजी से इधर-उधर पहुँचने की कोशिश करने लगे। 'बादलों का रंग इतना पीला कैसे हो सकता है भला?' हर किसी के मन में यही सवाल था।
      
         पीला तूफान तो आकर गुजर गया। पर उस रात की सुबह एक और सनसनी के साथ सामने आयी।

    Friday 5 August 2022

    528. C.I.A. का आतंक - वेदप्रकाश शर्मा

    विजय का अमेरिकी अभियान
    C.I.A. का आतंक - वेदप्रकाश शर्मा

    "एक तरफ छात्रों को भड़काना, कुछ नेताओं को विभिन्न प्रकार के लाभ देकर जनता में वर्तमान सरकार के प्रति गलत विचारों का प्रचार करना, पत्रकारों तक को खरीदकर पत्रों द्वारा जनता में गलत भावनाएं भरना, युवा पीढ़ी को मादक वस्तुओं तथा यौवन के सेवन का चस्का डालकर उन्हें पथभ्रष्ट करना, यहां तक कि धर्म में आस्था रखने वाले वर्ग में किसी महापुरुष की हैसियत से अपने किसी सदस्य को उनके बीच पहुंचाना आदि अनेक तरीकों से भारत को अंदर ही अंदर खोखला कर रहे है और दूसरी तरफ भारतीय सुरक्षा सीमाओं पर तैनात फौजों की युद्ध सामग्री को रास्ते में ही नष्ट करना और तीसरी तरफ पाकिस्तान की आधुनिक युद्ध सामग्री देकर उसे पुनः युद्ध के लिए प्रेरित व तैयार करना उनके मुख्य काम हैं।"
      C.I.A. अमेरिका की गुप्तचर संस्था है। अमेरिका की यह संस्था भारत में सक्रिय थी और उसका कार्य था भारतीय शासन व्यवस्था को अस्त-व्यस्त करना। इसके लिए वह हिप्पियों के वेश में कुछ असामाजिक तत्वों को भारत में भेजती रही है।
      एक दौर था जब हिप्पी लोग भारत में कथित शांति की खोज में आते थे और उस समय अमरीका पाकिस्तान के ज्यादा नजदीक था, वह भारत में आतंकी तत्वों को सक्रिय कर रहा था। उस समय को आधार बना कर वेदप्रकाश शर्मा जी ने 'सी.आई.ए. का आतंक' उपन्यास लिखा है। 

    Wednesday 3 August 2022

    527. चीते का दुश्मन- वेदप्रकाश शर्मा

    कौन बनेगा खजाने का मालिक
    चीते का दुश्मन- वेदप्रकाश शर्मा

    'बससे बड़ा जासूस' का द्वितीय भाग
    लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में दैदीप्यमान सितारे वेदप्रकाश शर्मा जी के आरम्भिक उपन्यास लगभग पार्ट में ही होते थे।  वेद जी द्वारा लिखित 'सबसे बड़ा जासूस' उपन्यास का द्वितीय भाग है 'चीते का दुश्मन' अगर आपने प्रथम भाग 'सबसे बड़ा जासूस' उपन्यास/समीक्षा पढी है तो आपको याद होगा पूर्व में अंतरराष्ट्रीय सीक्रेट सर्विस गठन के लिए विश्व के जासूस रूस में एकत्र हुये। वहाँ सीक्रेट सर्विस के गठन के दौरान यह प्रश्न उठा की इस संस्था का प्रमुख कौन होगा? 
    उत्तर आया जो 'सबसे बडा जासूस' होगा वही सीक्रेट सर्विस का प्रमुख बनेगा।
    अब सबसे बड़ा जासूस कौन?
    इस के लिए अभी चर्चा चल ही रही थी की चन्द्रमा का अपराधी टुम्बकटू वहाँ पहुंच कर समस्त जासूस वर्ग को चैलेंज करता है की जो उसे पकड़ लेगा वह सबसे बड़ा जासूस होगा।
    तो सभी जासूस टुम्बकटू के पीछे लग जाते हैं और टुम्बकटू सबको चकमा देता रहता है, आखिर कब तक?
      टुम्बकटू का एक और दावा था, वह था उसके पास अथाह खजाना है। जो व्यक्ति उसे पकड़ लेगा वह उस खजाने का मालिक होगा लेकिन उस खजाने को प्राप्त करने के लिए उसे 'चीते का दुश्मन' बनना ही होगा, क्योंकि उस खजाने का रक्षक एक अद्भुत चीता है जो कि चन्द्रमा का निवासी है।

    Monday 1 August 2022

    526. सबसे बडा़ जासूस - वेदप्रकाश शर्मा, भाग-01

    आखिर कौन बनेगा - सबसे बड़ा जासूस?
     
    सबसे बड़ा जासूस - वेदप्रकाश
     शर्मा
    अंतरराष्ट्रीय समस्याओं से निपटने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सीक्रेट सर्विस बनाने का विचार विश्वमंच पर आया, इसके लिए विश्व के श्रेष्ठ जासूस एकत्र हुये और फिर यह मंच स्वयं में एक समस्या बन गया। क्योंकि वहाँ उपस्थित जासूस वर्ग में सभी स्वयं को मानते थे 'सबसे बड़ा जासूस'।
      जासूसी साहित्य में वेदप्रकाश शर्मा का नाम अद्वितीय है। उन जैसा लेखन अन्यत्र दुर्लभ है। उन्होंने विजय के साथ स्वयं का मौलिक पात्र 'विकास' सर्जित कर उपन्यास साहित्य में जो 'एंग्रीयंग मैन' वाले उपन्यास रचे हैं वह पाठकवर्ग में एक समय विशेष में अति चर्चित रहे हैं। 
       विकास एक युवा जासूस है, जो अधिकाश मसले ताकत से सुलझाने में विश्वास रखता है लेकिन वहीं विजय दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल करता है। विजय-विकास के अनोखे कारनामे पाठकों बहुत रोचक लगते हैं। एक समय था जब उपन्यास साहित्य में अंतरराष्ट्रीय जासूस वर्ग के एक्शन युक्त कारनामें दिखाये जाते थे।

    Saturday 9 July 2022

    525. रोज खून करो- एस. सी. बेदी

    यह क्या कहानी हुयी?
    रोज खून करो- एस. सी. बेदी

    नवाब सलीम साहब के साहबजादे नवाब नजाकत खाँ का विवाह था। राजन- इकबाल और इकबाल के पिता को उस विवाह में पहुंचना था।
       और जब तीनों उस विवाह स्थल पर पहुंचे तो वहाँ पुलिस खड़ी थी।
    और तब....
           राजन- इकबाल इंस्पेक्टर बलवीर के साथ एक लाश के पास खड़े थे। लाश एक सफेद चादर से ढकी हुयी थी।
    जासूसी बाल साहित्य में एस. सी. बेदी का नाम सबसे पहले लिया जाता है। एस. सी. बेदी ही वह लेखक रहे हैं जिन्होंने बाल साहित्य में जासूसी उपन्यासों को एक सही स्थान दिलाया है।
        'रोज खून करो' भी एक जासूसी बाल उपन्यास है, जिसके नायक 'राजन- इकबाल' नाम के दो बालक हैं।
      उपन्यास का आरम्भ एक शादी वाले घर से होता है, जहाँ मोमबत्ती के माध्यम से एक हत्या की जाती है।  मृतक के पास से एक लड़की की तस्वीर मिलती है और उसी तस्वीर को आधार बना कर राजन- इकबाल आगे की कार्यवाही करते हैं।
        लेकिन उस लड़की की पुलिस निगरानी में कर्नल विनोद के सामने हत्या हो जाती है। लेकिन वह लड़की जाते-जाते एक और व्यक्ति के विषय में जानकारी दे जाती है जिसके हाथ पर मोमबती का निशान है। 

    Thursday 7 July 2022

    524. बंद कमरे में खून- आरिफ माहरर्वी

    क्या यह संभव था?
    बंद कमरे में खून- आरिफ माहरर्वी

    सहसा बाजार में शोर मच गया। कई चीखें सुनाई दीं। लोग चीखते-चिल्लाते एक ओर को दौड़े। दुकानदार अपना अपना काम छोड़कर उसी शोर की ओर आकृष्ट हो गये। सड़क पर चलती स्त्रियाँ सुरक्षित स्थानों पर रुक गईं और भयभीत आँखों से उसी ओर देखने लगीं जहां आने जाने वालों की भीड़ इकट्ठी होती जा रही थी।
    दोनों ओर का ट्रैफिक रुक गया। ट्रैफिक कांस्टेबल सीटियाँ
    बजाता हुआ इधर-उधर भाग रहा था। (उपन्यास का प्रथम दृश्य)
    बंद कमरे में खून आरिफ माहरर्वी
    बंद कमरे में खून आरिफ माहरर्वी
     लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में आरिफ माहरर्वी का नाम जासूसी और सामाजिक उपन्यासकार के रूप में जाना जाता है।
       जहाँ इन्होंने जासूसी उपन्यास आरिफ माहरर्वी के नाम से लिखे हैं वहीं सामाजिक उपन्यास राजवंश के नाम से लिखे हैं। इन्होंने कुछ फिल्मों के लिए कथा लेखन का भी काम किया है,जैसे मिथुन चक्रवर्ती की 'गन मास्टर'।
        सन् 1971 में दिल्ली से जासूसी पंजा सीरीज के अन्तर्गत इनका उपन्यास 'बंद कमरे में खून' प्रकाशित हुआ था।

    Wednesday 6 July 2022

    523. तेरा खंजर मेरी लाश - एस. सी. बेदी

    लाशों का जंगल
    तेरा खंजर मेरी लाश - एस. सी. बेदी

    प्रथम दृश्य
    "कहिये, क्या बात है?"- हरमेश तिवारी ने पूछा।
    " हरपालपुर के जंगल में मैं एक युवती की लाश देखकर आ रहा हूँ।"

    दृश्य द्वितीय
    हवलदार चौंकता हुआ बोला-"यह तो उसी नौजवान की लाश है, जो कल थाने आया था।"
    दृश्य तृतीय
    तभी फोन की घण्टी बज उठी। रिसीवर उठाकर वह बोला -"हैल्लो, मैं राजन बोल रहा हूँ।"
    "मैं‌ इंस्पेक्टर हरमेश हूँ। जंगल में फिर एक कत्ल हो गया है। जल्दी पहुंचो।"
     उक्त तीनों दृश्य एस.सी. बेदी द्वारा रचित उपन्यास 'तेरा खंजर मेरी लाश' के हैं। यह बाल सीक्रेट एजेंट 999 राजन इकबाल सीरीज का उपन्यास है।
    उपन्यास का प्रथम पृष्ठ पढते ही पता चल जाता है की यह एक प्रसिद्ध लेखक के उपन्यास की पूर्णतः नकल है।
       बाल जासूसी साहित्य में एस. सी. बेदी सर्वश्रेष्ठ कथाकार माने जाते हैं।  हालांकि और भी कुछ लेखकों ने बाल साहित्य लेखन किया है लेकिन आज उन लेखकों और उनकी रचनाओं का कहीं कुछ पता नहीं चलता। एक लेखक थे रविन्द्र रवि उनकी कुछ रचनाएँ अवश्य उपलब्ध हैं, बाकी बाल साहित्य में अधिकांश Ghostलेखन ही हुआ है।

    522. हेरिटेज होस्टल हत्याकाण्ड- आनंद चौधरी

    बंद कमरे में खून
    हेरिटेज होस्टल हत्याकाण्ड- आनंद चौधरी

    हेरिटेज हॉस्टल के अन्दर से बंद एक कमरे में जिस अजीबोग़रीब तरीके से शीतल राजपूत की हत्या हुई थी , उस तरीके से हत्या कर पाना किसी आदमजात के लिये कतई मुमकिन नहीं था। वो हत्या कोई प्रेतलीला ही हो सकती थी।
        नमस्कार पाठक मित्रो,
       आपके समक्ष प्रस्तुत आनंद चौधरी के द्वितीय उपन्यास 'हेरिटेज होस्टल हत्याकांड' की समीक्षा। बिहार के निवासी आनंद चौधरी जी का सन् 2008 में उपन्यास आया था 'साजन मेरे शातिर' और अब सन् 2022 में एक लम्बे अंतराल पश्चात इनका उपन्यास 'हेरिटेज होस्टल हत्याकांड' प्रकाशित हुआ है। दोनों उपन्यास मर्डर मिस्ट्री हैं, लेकिन द्वितीय उपन्यास का कथानक एक अलग ही विषय के साथ प्रस्तुत किया गया है। और वह विषय है हाॅरर मर्डर मिस्ट्री। 
         प्रस्तुत उपन्यास की कहानी का आरम्भ एक होस्टल में रहस्यमय तरीके से हुये वीभत्स हत्याकांड से होता है। होस्टल गर्ल शीतल राजपूत की बंद कमरे में वीभत्स ढंग से हत्या होती है, हत्यारा एक-एक अंग को काट-काट कर अलग रख देता है और सारे रक्त को चाट जाता है। लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि कमरा अंदर से बंद है, कहीं कोई खिड़की तक खुली नहीं है। कोई सबूत, कोई  आखिर हत्यारा कमरे में से बाहर कैसे निकला और उसने इतने नृशंस ढंग से हत्या क्यों की।
          पुलिस अभी तक ये साबित नहीं कर पाई है कि इस केस से सबंधित सारी घटनायें कोई पिशाच-लीला थी, या किसी इंसान का काला कारनामा।

    Sunday 3 July 2022

    521. तथास्तु - शगुन शर्मा

    कत्ल की रोचक कहानी
    तथास्तु- शगुन शर्मा

    लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में वेदप्रकाश शर्मा जी एक सशक्त हस्ताक्षर रहे हैं। उनके उपन्यासों की संख्या चाहे कम हो पर उनके पाठकों की संख्या विशाल है। और इस विशाल पाठक वर्ग को वेद जी जैसे लेखक की तलाश रहती है। जब वेदप्रकाश शर्मा जी के पुत्र शगुन शर्मा का नाम उपन्यासकार के रूप में सामने आया और उनके आरम्भ के उपन्यास पढे तो बहुत रोचक लगे।
       एक लम्बे समय पश्चात शगुन शर्मा जी का उपन्यास 'तथास्तु' पढा। 
         उपन्यास 'तथास्तु' एक थ्रिलर मर्डर मिस्ट्री है। जो रहस्य और रोमांच का मिश्रण लिये हुये है। उपन्यास का आरम्भ पाठक जो वेदप्रकाश शर्मा जी के लेखन की याद दिलाता है।
        उपन्यास का आरम्भ प्लेबैक सिंगर रागिनी माधवन से होता है। रागिनी का पूरा नाम रागिनी माधवन था। वह यौवनावस्था के नाजुक दौर को पहुंची किसी ताजा खिले गुलाब सी सुंदर युवती थी। उसकी आवाज में जैसे जादू और आँखों में हद दर्जे का आकर्षण था। बला के हसीन चेहरे पर शैशव का अल्हड़पन तथा गजब का आत्मविश्वास था। 

    Monday 13 June 2022

    520. सावधान, आगे थाना है - राकेश पाठक

    भ्रष्ट पुलिस और राजनीति की कहानी
    सावधान आगे थाना है- राकेश पाठक
    पुलिस स्टेशन का बोर्ड देखकर माँ रुक गयी और उखड़ी सांसों को दुरुस्त करने लगी।
    “भगवान का शुक्र है बेटी कि हम उन गुण्डों से पीछा छुड़ाकर यहां तक पहुंच गयी हैं। अगर हम उनके हत्थे चढ़ गयी होती तो वो हमारा सामान और गहने तो लूटते ही, साथ ही तेरी इज्जत से भी खेलते। ये भी हो सकता था कि कानून के डर से वो हम दोनों को जान से मार कर हमारी लाशों को ठिकाने लगा देते। वो देखो, सामने थाना है। अब डरने की कोई जरूरत नहीं है। अब हम सेफ हैं।" 
    “हम सेफ नहीं हैं, मम्मी !"
    "क्या मतलब?" 
    "चलो, जल्दी से वापिस चलो।” 
    “दिमाग खराब हुआ है क्या तेरा ? वापिस गये तो वो गुण्डे मिल जायेंगे।" 
    “भले ही मिल जायें। लेकिन वो इतने बुरे नहीं होंगे, मगर हम थाने के सामने से गुजरी और पुलिस वालों के हत्थे चढ गयी तो हमारा वो हाल होगा, जो कि गुण्डे भी नहीं करेंगे।"
     क्या वर्तमान समय में पुलिस व्यवस्था इतनी भ्रष्ट हो गयी है?

    Friday 27 May 2022

    Saturday 21 May 2022

    520.अंधेरे का आदमी - विक्की आनंद

    कथा प्रतिशोध की
    अंधेरे का आदमी - विक्की आनंद

    वह शहर के कथित इज्जतदार व्यक्ति थे। जो समाज के महत्वपूर्ण पदों पर विराजित थे। लेकिन वासना के उन दरिंदों ने मासूम लोगों पर जो कहर बरसाया उसका परिणाम एक न एक दिन सामने आना ही था। और एक दिन 'अंधेरे के आदमी' ने उनके पापों की सजा फलस्वरूप उनकी उनकी जिंदगी से रोशनी छीन ली।
       डायमण्ड पॉकेट बुक्स ने बाजार में कई Ghost writer उतारे थे जिनमें से एक थे विक्की आनंद। विक्की आनंद जो डैडमैन सीरीज के कारण कुछ चर्चा में रहे थे। इन्हीं विक्की आनंद का उपन्यास 'अंधेरे का आदमी' पढने को मिला जो एक रोमांच से परिपूर्ण उपन्यास है।
        कहानी के मुख्य पात्र हैं फिल्म अभिनेता विनोद पाण्डे, कुंवर जमशेद राणा जिसके पिता कभी एक बड़ी रियासते के राजा थे, कई मिलों का मालिक सेठ शहनवाज खान, भूतपूर्व राजा शमशेर सिंह, राजनेता रंजीत वर्मा जो समाज के सामने तो सफेदपोश लोग हैं लेकिन ये सफेदपोश लोग वास्‍तव में वासना के मरीज हैं। समाज में अपने प्रभुत्व और धन के बल पर असंख्य औरतों की इज्जत से खिलवाड़ किया है।

    Friday 13 May 2022

    519. मैंटल मसीहा- अंसार अख्तर

    अंसार अख्तर का प्रथम उपन्यास
    मैंटल मसीहा- अंसार अख्तर

    "... मैं यहाँ बैठकर रेडीयो लहरों व इलैक्ट्रा के मिश्रण से तबाही मचा सकता हूँ। दुनिया के जिस देश, जिस शहर और जिस व्यक्ति को चाहूँ नष्ट कर सकता हूँ। मेरे हाथों में पूर्ण शक्ति है। मैं संसार का भावी डिक्टेटर हूँ। अगर सारी सरकारों ने मेरा आदेश न माना तो मैं पूरे विश्व को नष्ट कर दूंगा।" 
      मैंटल मसीहा 'अंसार अख्तर' साहब का अपने नाम से प्रकाशित होने वाला प्रथम उपन्यास है। वैसे तो अंसार अख्तर साहब लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में लम्बे समय से सक्रिय हैं, उन्होंने विभिन्न नामों से Ghost writing की है। उपन्यास के अतिरिक्त काॅमिक्स क्षेत्र में 'राम- रहीम' और 'हवलदार बहादुर' जैसे पात्रों का सृजन करने और  'हिंद पॉकेट बुक्स' जैसी प्रसिद्ध संस्थान में 'अमित', 'अमिताभ' जैसे नाम से लेखन कार्य करने के पश्चात अंसार अख्तर साहब को स्वयं के नाम से प्रकाशित होने का अवसर 2019 में 'प्रिंस पब्लिकेशन' के माध्यम से मिला।
          अंसार साहब का प्रस्तुत उपन्यास 'मैंटल मसीहा' एक तेज रफ्तार उपन्यास है जो सुपर हीरो टाइप की कहानी  प्रस्तुत करता है। उपन्यास पढते वक्त पाठक को काॅमिक्स और उपन्यास का मिश्रण महसूस होगा। 

    Tuesday 10 May 2022

    518. तीसरी आँख - कमलदीप

     लेखक कमलदीप का प्रथम उपन्यास
    तीसरी आँख - कमलदीप #मर्डर मिस्ट्री

    पत्थर की जुबान रखने वाले शातिर अपराधी भी अमन के आगे तोते की तरह बोलने लगता था। मुर्दे के हलक में हाथ डालकर सच्चाई उगलवाने की काबिलियत थी उसमे , वही अमन वर्मा रामा पैलेस में एक के बाद एक हो रहे क़त्ल के चक्रव्यूह में उलझ कर रह गया था। तीन -तीन क़त्ल की वारदांतो ने उस तेज तरार जासूस की खोपड़ी घुमा कर रख दी थी उसकी तीसरी आँख क्या इन क़त्ल का राज़ उजागर कर सकी...?  
        'तीसरी आँख' कमलदीप जी के स्वयं के नाम से प्रकाशित होने वाला प्रथम उपन्यास है। उपन्यास का प्रकाशन 'अजय पॉकेट बुक्स- दिल्ली' ने किया है। कमलदीप जी लम्बे समय से उपन्यास साहित्य में सक्रिय हैं, पर Ghost Writing के शिकार होने के कारण कभी स्वयं के नाम से प्रकाशित होने का अवसर नहीं मिला। 'अजय पॉकेट बुक्स' के कथनानुसार गौरी पॉकेट बुक्स से प्रकाशित होने वाले Ghost writer 'केशव पण्डित' का प्रथम उपन्यास 'सुहाग की हत्या' कमलदीप जी द्वारा लिखा गया है।

    Friday 6 May 2022

    517. साजन मेरे शातिर- आनंद चौधरी

    एक तेज दिमाग अपराधी का जाल
    साजन‌ मेरे शातिर- आनंद कुमार चौधरी

     
          प्रस्तुत उपन्यास की कहानी एक तेज तर्रार एक अपराधी की है जो अपराध तो करता है लेकिन कानून का फंदा किसी और के गले में डालने की योजना के साथ।
    शातिर अपराधी द्वारा खेला गया वो खूनी खेल जिसने कानून के रक्षकों को चकराकर रख दिया।
    National Garden- Mount Abu

           Hindi Pulp Fiction का वह समय जब उपन्यास साहित्य के मैदान में नये लेखक आ रहे थे और दूसरी तरफ मनोरंजन के साधन तीव्र गति से बदल रहे थे, इन बदलते मनोरंजन के साधनों के साथ ही उपन्यास का दौर भी सिमट रहा था। ऐसे समय में सन् 2008 में आनंद चौधरी जी का उपन्यास 'साजन मेरे शातिर' प्रकाशित हुआ। प्रकाशन के दीर्घ समय पश्चात उपन्यास पढने को मिला।
      और अब आनंद चौधरी एक लम्बे अंतराल पश्चात 'होस्टल हेरीटेज हत्याकाण्ड' (2022) उपन्यास के साथ पुनः लेखन में सक्रिय हुये हैं।
          'साजन मेरे शातिर'    उपन्यास की कहानी एक एक्सीडेंट से होता है, देखने में वह एक सामान्य एक्सीडेंट था जिसमें प्रसिद्ध व्यवसायी हरिमोहन भगत के भाई निरंजन भगत की मृत्यु हो जाती है। देखने में यह एक रोड़ एक्सीडेंट था, लेकिन मौके पर पहुंचे इंस्पेक्टर रमन भौंसलेकर का कहना था- पुलिस वाले को किसी भी घटना या असाधारण बात को हर ऐंगल से ठोक बजाकर सोच लेना चाहिये क्योंकि कभी-कभी ऐसा भी होता है कि ऊपर से छोटी-मोटी लगने वाली घटना भी अंदर से अपने आप में एक बड़ी घटना होती है। (पृष्ठ-12)

    Monday 25 April 2022

    516. तफ्तीश - सबा खान, जेम्स हेडली चेइज

    आठ कत्ल और एक सिरफिरा
    तफ्तीश- जेम्स हेडली चेईज
    अनुवाद-  सबा खान

    वैलेरी बर्नेट एक धनकुबेर की बेटी थी। उसने क्रिस बर्नेट से विवाह किया था जिस पर वह जान छिड़कती थी। मगर एक दुर्घटना ने उन दोनों का जीवन बदल दिया। दुर्घटना में क्रिस के सिर में लगी चोट ने उसे मानसिक रूप से अस्थिर कर दिया। फिर एक दिन वह चौबीस घंटों के लिए गायब हो गया। उसी दौरान एक होटल में एक युवती की नृशंस तरीके से हत्या हो जाती है।
    -क्या उस हत्या से क्रिस का कोई संबंध था?
    -या फिर वह केवल परिस्थितियों का शिकार था?
    - क्या वैलेरी अपने पति के लिए कुछ कर पाई?
    - क्या वाकई क्रिस निर्दोष था?
                 विश्व प्रसिद्ध अपराध कथा लेखक ‘जेम्स हेडली चेज़’ के फ्रेंक टेरेल सीरीज़ के प्रथम एवं प्रसिद्ध उपन्यास ‘THE SOFT CENTRE’ का मूल ‘Corgi Edition’ से अविकल अनुवाद
    । (Kindle से)

    Friday 22 April 2022

    515. महल - चन्द्रप्रकाश पाण्डेय

    कहानी एक नर भेड़िये की
    महल - चन्द्रप्रकाश पाण्डेय

    कामरान हुसैन अव्वल दर्जे का मुसव्विर था लेकिन उसके हुनर पर एक बदनुमा दाग ये था कि कभी-कभी उसके बनाए हुए चित्र किसी की मौत का फरमान बन जाते थे। जिन बदकिस्मत लोगों की शक्लें उसके कैनवास पर नुमाया होती थीं, उनके साथ अगले ही रोज़ से अजीबोगरीब वाकयात होने लगते थे। उन्हें न समझ आने वाली आवाजें सुनाई देने लगती थीं और अंत में एक काला साया उन्हें लेकर किसी रहस्यमयी महल में चला जाता था।
    (kinlde से) 
            लोकप्रिय उपन्यास साहित्य (Hindi Pulp Fiction) में युवा लेखक चन्द्रप्रकाश पाण्डेय जी एक हाॅरर कथा में एक सशक्त हस्ताक्षर बन कर उभरे हैं। इनकी रचनाएँ परम्परा से चली आ रही अतार्किक कथाओं से इतर कुछ नया, तार्किक विश्वसनीय  और धार्मिक मान्यताओं से संबंधित होती हैं।
        चन्द्रप्रकाश पाण्डेय जी का नया उपन्यास 'महल' (प्रकाशन- अप्रैल-2022) किंडल‌ पर पढा जो एक रोचक हाॅरर कथा पर आधारित है।

    Wednesday 20 April 2022

    514. झूठी औरत - सुरेन्द्र मोहन‌ पाठक

    एक ब्लैकमेलर और एक झूठी औरत
    सुनील सीरीज-21
    झूठी औरत- सुरेन्द्र मोहन पाठक

    सुनील किसी ‘डैमसेल को डिस्ट्रेस’ में ना देख पाने की अपनी लाचारी से मजबूर था। लेकिन इस बार उस ‘डैमसेल’ - झूठी ‘डैमसेल’ ने उसकी ऐसी चक्करघिन्नी बनाई कि वो खुद ही ‘डिस्ट्रेस’ में आ गया। कला नाम की एक ऐसी खूबसूरत औरत की कहानी कदम-कदम पर झूठ बोलने की कला में खूब पारंगत थी। (किंडल से)
    'झूठी औरत' सुरेन्द्र मोहन पाठक जी द्वारा लिखित सुनील सीरीज का इक्कीसवां उपन्यास है। जो मूल रूप से एक अंग्रेजी उपन्यास का हिंदी रूपांतरण है।

    Friday 15 April 2022

    513. आतंक - नरेन्द्र कोहली

    आम आदमी के भय की कथा
    आतंक - नरेन्द्र कोहली

    मेरे प्रिय कथाकारों में से एक हैं नरेन्द्र कोहली। नरेन्द्र कोहली जी पौराणिक कथाओं को आधार बना, पौराणिक कथाओं पर जो साहित्य रचना करते हैं वह मेरी दृष्टि में अनुपम है। 'महासमर', 'हिडिम्बा', 'वरुणपुत्री' ऐसी ही रचनाएँ हैं जो पाठक को प्रभावित और सोचने के लिए विवश करती हैं।
         किंडल अनलिमिटेड पर नरेन्द्र कोहली जी का उपन्यास 'आतंक' पढा। यह कहानी है आम आदमी की, उस मनुष्य की जो शांति पसंद है, जो अपने परिवार को पालना चाहता है, कानून की पालना करता है लेकिन कुछ समाजिक तत्वों के चलते सीदे-सादे मनुष्य को कैसे आतंक में जीना पड़ता है।

    Tuesday 5 April 2022

    512. दिमागी कसरत - अमित खान

    रीटा सान्याल का प्रथम मुकदमा
    दिमागी कसरत - अमित खान

    रीटा सान्याल एक बड़ी लॉयर थी। बड़े-बड़े मुकदमें लड़ती थी। लेकिन एक बार उसकी ज़िन्दगी में एक बड़ा चौंका देने वाला केस आया। रीटा सान्याल से एक कविता नाम की लड़की आकर मिली। कविता बेहद दौलतमंद थी । उसके पास ऐशो-आराम की हर चीज़ थी। कविता की ज़िन्दगी अच्छे से गुजर रही थी, लेकिन तभी उसकी ज़िन्दगी में एक ज़बरदस्त भूचाल आ गया। एक दिन कविता से एक अजनबी लड़का आकर मिला और उससे कहने लगा कि वह उसका सगा भाई है! चौंक गयी कविता! वह उसका सगा भाई कैसे हो सकता था? कविता ने चीख-चीखकर कहा, वह उसका सगा भाई नहीं है। नहीं है!! लेकिन हैरानी तब हुई, जब उस अजनबी लड़के ने अपने सगे भाई होने के बड़े फूलप्रूफ सबूत भी कविता के सामने पेश कर दिये।
    चौंक गयी कविता! 

    क्या चक्कर था? क्या मायाजाल उसके इर्द-गिर्द रचा जा रहा था।
    जब रीटा सान्याल ने उस राज़ के ऊपर से पर्दा उठाया, तो एक बेहद चौंका देने वाला सच सामने आया।
    अमित खान का एक बेहद शानदार उपन्यास। (किंडल से)

    Saturday 5 March 2022

    511. मगरमच्छ - विमल शर्मा

    किसका होगा खूनी ताज?
    मगरमच्छ- विमल शर्मा

    उन करोड़ों रुपयों के ताज को हासिल करने के लिए समूचे अण्डवर्ल्ड में छीना-छपटी मची हुयी थी। जबकि इस बारे में कोई नहीं जानता था कि वह ताज कहां था? ताज हासिल करने में अहमतरीन किरदार जंगली बिल्ली ही नहीं, बल्कि क ई सुपर गैंगस्टर, अण्डरवर्ल्ड डाॅन, जुर्म का खुदा, जुर्म के क ई पण्डित भी थे। (अंतिम आवरण पृष्ठ से)
    मगरमच्छ - विमल शर्मा का 'जंगली बिल्ली सीरीज' का उपन्यास।
    लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में अनेक ऐसे लेखक हुये जिन्होंने इस क्षेत्र में उस समय प्रवेश किया जब लोकप्रिय उपन्यास साहित्य का सुनहरा दौर समापन की ओर था। कुछ लेखक Ghost writing करते रहे और जब अपने नाम से लेखन का समय आया तो वह समय उपन्यास साहित्य के सुनहरे दौर की समाप्ति का समय था। ऐसे ही एक लेखक हैं विमल शर्मा। विमल शर्मा जी का वास्तविक नाम धर्मपाल है। ये उपन्यासकार दिनेश ठाकुर के साथ लंबे समय तक Ghost writing करते रहे हैं, एक लंबे समय पश्चात स्वयं के नाम और चित्र सहित प्रकाशन का जब समय मिला तो तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लेकिन फिर भी इन्होंने उपन्यास साहित्य को शिवराज राणा और शिखा त्यागी (जंगली बिल्ली) जैसे किरदार दिये हैं।

    Monday 28 February 2022

    510. इच्छामृत्यु - देवेन्द्र पाण्डेय

     13 जुलाई 1660


    इच्छामृत्यु शब्द सुनते ही पितामह भीष्म की प्रतिमा समक्ष उभर आती है, जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, अर्थात उनकी इच्छा के बिना मृत्यु भी उनके समक्ष नही फटक सकती। वे द्वापर में अकेले थे जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान मिला था किंतु इस युग मे कुछ शूरवीर ऐसे भी थे जिन्होंने मृत्यु की आंखों में आंखे डालकर उसे चुनौती दी। हजारों प्रहार सहे, मानवी क्षमता के हर मानक, हर क्षमता को ध्वस्त करते हुए भीषण शौर्य किया, रक्त की अंतिम बूंद तक तलवार थामे रहे, शत्रु भी जिनकी वीरता देख कर थर्रा उठा। वे मुट्ठीभर और शत्रु अनगिनत। अपने शौर्य और जिद से मृत्यु को भी प्रतीक्षा करने पर विवश कर देने वाले वीरों की शौर्य गाथा है यह। साक्षी बनिए इतिहास के उस हिस्से का जो मृत्यु पर मानवी इच्छाशक्ति की जीत और अदम्य शौर्य का प्रतीक है।

    41 मील का दुर्गम सफर, 21 घण्टे और हजारों शत्रु।

    एक युद्ध जिसने इतिहास की दिशा बदल कर रख दी।

    Saturday 26 February 2022

    508. जा चुडैल - देवेन्द्र पाण्डेय

    एक असत्य घटना पर आधारित
    जा चुडैल - देवेन्द्र पाण्डेय

    अपनी नीरस और बोझिल जिंदगी से परेशान प्रीतम के पास दोस्त के नाम पर केवल केशव था, केशव जो अपनी ही अजीबोगरीब दुनिया में खोया रहता था। रोजमर्रा की इस बेमकसद जिंदगी में उन्हें किसी रोमांच की तलाश थी।
    और एक दिन मुम्बई की बरसात में वह मिली। अजीब, रहस्यमय और बला की खूबसूरत।
    लेकिन उनकी जिंदगी में आने वाली वह अकेली नही थी, उसके साथ आई थी कुछ अनचाही अनजानी मुसीबतें। वह कहते है ना इश्क का भूत सिर चढ़ कर बोलता है।
    लेकिन यहां तो इश्क वाकई भूत बना हुआ था।
    माईथोलॉजी, प्रेम, आदि जैसे विषयों पर लिखने वाले लेखक देवेन्द्र पाण्डेय इस बार लेकर आए हैं ‘हॉरर रोमांटिक कॉमेडी’ (Horror RomCom) नाम की विधा की हिन्दी की पहली पुस्तक।
      देवेन्द्र पाण्डेय एक प्रतिभावान लेखक हैं। देवेन्द्र जी के उपन्यासों की कहानियों में विविधता होती है। ऐसी ही एक विविधता वाला उपन्यास है 'जा चुडैल'।

    Friday 25 February 2022

    507. बाली - देवेन्द्र पाण्डेय

    आखिर भारत पर इतने आक्रमण क्यों होते रहे हैं?
    बाली- देवेन्द्र पाण्डेय

          एक भीषण आतंकवादी हमले के पश्चात कुछ निष्क्रिय संगठन पुनः सुप्तावस्था से बाहर गये और आरम्भ हो गयी भीषण नरसंहारों की एक अघोषित श्रृंखला, जिसने देश के साथ-साथ संपूर्ण विश्व को हिला कर रख दिया। इस श्रृंखला से एक रहस्यमयी योद्धा ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी जिसकी जड़े प्राचीन भारत की गाथाओं से जुड़ी हुयी थी, वह जिस उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध था उसने समूचे विश्व की धारणाओं एवं इतिहास के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य तक को बदल कर रख दिया।
    सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलियुग तक छिपा हुआ एक रहस्य, एक ऐसी शक्ति, जो संपूर्ण विश्व के साथ-साथ एक समूचे युग को परिवर्तित करने की क्षमता रखती थी। जातियों-प्रजातियों के मध्य अस्तित्व की महीन सीमा रेखा के मिथकों को जिसने बिखेर कर रक दिया।
    (उपन्यास के अंतिम आवरण पृष्ठ से)
             देवेन्द्र पाण्डेय वर्तमान युवा लेखकों में से एक प्रतिभावान लेखक हैं। 'इश्क बकलोल' के पश्चात जून 2019 में प्रकाशित 'बाली' उनकी द्वितीय रचना है। जो सत्य और कल्पना के रंग से रंगी गयी एक अद्भुत रचना है।
      भारतीय इतिहास और पौराणिक कथाओं को आधार बना कर लिखी गयी यह रचना स्वयं में बहुत कुछ समेटे हुये है।
       उपन्यास का मुख्य आधार है- आखिर भारतवर्ष पर इतने आक्रमण क्यों होते रहे हैं?

    आयुष्मान - आनंद चौधरी

    अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...