Wednesday 3 August 2022

527. चीते का दुश्मन- वेदप्रकाश शर्मा

कौन बनेगा खजाने का मालिक
चीते का दुश्मन- वेदप्रकाश शर्मा

'बससे बड़ा जासूस' का द्वितीय भाग
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में दैदीप्यमान सितारे वेदप्रकाश शर्मा जी के आरम्भिक उपन्यास लगभग पार्ट में ही होते थे।  वेद जी द्वारा लिखित 'सबसे बड़ा जासूस' उपन्यास का द्वितीय भाग है 'चीते का दुश्मन' अगर आपने प्रथम भाग 'सबसे बड़ा जासूस' उपन्यास/समीक्षा पढी है तो आपको याद होगा पूर्व में अंतरराष्ट्रीय सीक्रेट सर्विस गठन के लिए विश्व के जासूस रूस में एकत्र हुये। वहाँ सीक्रेट सर्विस के गठन के दौरान यह प्रश्न उठा की इस संस्था का प्रमुख कौन होगा? 
उत्तर आया जो 'सबसे बडा जासूस' होगा वही सीक्रेट सर्विस का प्रमुख बनेगा।
अब सबसे बड़ा जासूस कौन?
इस के लिए अभी चर्चा चल ही रही थी की चन्द्रमा का अपराधी टुम्बकटू वहाँ पहुंच कर समस्त जासूस वर्ग को चैलेंज करता है की जो उसे पकड़ लेगा वह सबसे बड़ा जासूस होगा।
तो सभी जासूस टुम्बकटू के पीछे लग जाते हैं और टुम्बकटू सबको चकमा देता रहता है, आखिर कब तक?
  टुम्बकटू का एक और दावा था, वह था उसके पास अथाह खजाना है। जो व्यक्ति उसे पकड़ लेगा वह उस खजाने का मालिक होगा लेकिन उस खजाने को प्राप्त करने के लिए उसे 'चीते का दुश्मन' बनना ही होगा, क्योंकि उस खजाने का रक्षक एक अद्भुत चीता है जो कि चन्द्रमा का निवासी है।    तो पाठक‌ मित्रो अब कहानी आरम्भ होती है 'चीते का दुश्मन' उपन्यास की। उस अथाह खजाने‌ की तलाश में सबसे पहले निकलता है भारतीय जासूस विकास और उस के साथ होते हैं विजय और धनुष्टकार। हालांकि विकास का कहना है वह अकेला ही इस सफर पर जायेगा, उसे किसी की मदद की आवश्यकता नहीं।
    जब बाकी जासूसी मण्डली को यह पता चलता है की विकास खजाने की खोज में निकला है तो वह भी उस के पीछे समुद्र में निकल पडते हैं। जब सारे निकल पड़े तो अंतरराष्ट्रीय अपराधी अलफांसे भी कहां पीछे रहने वाला था, वह भी उस खजाने की तलाश में निकल पड़ता है।
     वहीं विजय-विकास को समुद्र में अद्भुत नजारे नजर आते हैं जो दोनों के लिए नये थे। समुद्र में एक टापू पर आग जल रही थी और उस पर घोड़े-हाथी जैसे जानवर उड़ रहे थे।
वहीं शेष जासूसी टीम‌ को समुद्र में भूतों से टकाराना पड़ा था। बागारोफ तो भूतों के अस्तित्व को स्वीकार ही नहीं करता था पर जब वह समुद्र में उतरा तो उसकी रूह कांप उठी।- बागारोफ की उत्तेजना तेज हो चुकी थीं । उसे लग रहा था कि वह भूतो के घेरे में फंस गया है। किसी भी कीमत पर अब वह बच नहीं सकेगा । उसके चारों ओर लंबे-लंबे डरावने भूत थे सैकड़ों ! वे वास्तव में हाथ हिला-हिलाकर जैसे उसे अपने पाल बुला रहे थे। 

 लेकिन अंततः विजय-विकास, जासूसी ग्रुप, अलफांसे इत्यादि उस खजाने तक पहुंचने में कामयाब हो गये। और फिर होता है एक खतरनाक संघर्ष स्वयं को 'सबसे बड़ा जासूस' दिखाने का और उस अथाह खजाने को पाने का।
अब सफलता किसे प्राप्त होती है यह उपन्यास का चरम बिंदु है।
    उपन्यास 'चीते का दुश्मन' अंतरराष्ट्रीय जासूस वर्ग के खतरनाक कारनमों को रेखांकित करती है। उनके संघर्ष, साहस और निर्णय शक्ति का आंकलन उपन्यास में प्रस्तुत है।
चीते के साथ विकास का संघर्ष उपन्यास का रोचक अंश है, जो पाठक को प्रभावित करता है। चन्द्र ग्रह का अद्भुत चीता और पृथ्वी लोक का मनुष्य विकास, दोनों की खतरनाक जंग रोंगटे खड़े कर देती है।
  उपन्यास में टुम्बकटू का वर्णन भी अत्यंत प्रभावित ढंग से चित्रित किया गया है। टुम्बकटू की कार्यशैली हास्य और दहशत का अद्भुत मित्रण है।
   अलफांसे का चित्रण उपन्यास में प्रत्यक्ष तो कम है पर कथानक को नया मोड़ देने में सक्षम है। और अंत तो पूर्णतः अलफांसे पर ही केन्द्रित है।
  इसके अतिरिक्त शेष जासूस मण्डली के कारनामे भी पठनीय है। विशेष कर बागारोफ का प्रेम और गालियां देने का तरीका। वहीं मांसाहारी वृक्षों का चित्रण, हवा में उड़ने वाले जानवरों के दृश्य, गुरुत्वाकर्षण के ध्वस्त होते नियम, मृत आदमी को जिंदा करने की दवा इत्यादि उपन्यास की रोचकता में वृद्धि करते हैं।
          स्वर्गीय वेदप्रकाश शर्मा जी द्वारा रचित 'चीते का दुश्मन' एक एक्शन उपन्यास है, जो मूलतः अंतरराष्ट्रीय जासूसों की काल्पनिक पर रोचक कहानी है।
उपन्यास - चीते का दुश्मन
लेखक -     वेदप्रकाश शर्मा
प्रकाशक- राजा पॉकेट बुक्स
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1 comment:

  1. उपन्यास रोचक लग रहा हैं जिसमें फंतासी के काफी तत्व भरे हुए लग रहे हैं। पढ़ने की कोशिश रहेगी।

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