Thursday 30 July 2020

360. साईकिल- बाल पत्रिका

बच्चों का संसार
साईकिल- बाल पत्रिका

साईकल बच्चों की द्वि मासिक बाल पत्रिका है। यह बच्चों के लिए काफी उपयोगी है। मुझे साईकिल पत्रिका का 'जून-जुलाई 2020' अंक पढने‌ को मिला।
       इस पत्रिका में बच्चों के लिए कहानियाँ, कविताएं और अन्य बाल उपयोगी सामग्री उपलब्ध है।
      इस अंक की मुझे विशेष कहानी लगी वह है प्रभात जी द्वारा लिखित कहानी 'घर' यह मनुष्य के मानवेतर संबंधों पर आधारित बहुत ही मार्मिक रचना है। इसके अतिरिक्त मुझे कहानी 'समानता' रोचक लगी, यह एक सनकी राजा की हास्य कथा है।
         मिनाक्षी नटराजन का यात्रा वृतांत 'भारत का सफर' ज्ञानवर्धक आलेख है। वहीं सुभद्रा सेनगुप्त का 'कांचीपुरम के पल्लव' छठी शताब्दी के पल्लव वंश की अच्छी जानकारी प्रदान करता है।
        इस अंक में कहानियों के अतिरिक्त कविताएँ, आलेख, बाल पहेलियाँ जैसे विविध सामग्री भी उपलब्ध है।
साईकिल पत्रिका एक अच्छा प्रयास है लेकिन प्रस्तुत अंक शामिल रचनाएँ बाल साहित्य की श्रेणी की होती हुए भी मुझे बच्चों के लिए उपयोगी नहीं लगी। अधिकांश रचनाएँ (कहानी, कविता) रोचक नहीं है, इनमें बाल रस होने की जगह बौद्धिकता हावी है।
        अगर पत्रिका बच्चों के लिए है रचनाएँ भी उन्हीं के मानसिक स्तर की होनी चाहिए।
        अधिकांश रचनाएँ बहुत छोटी हैं लेकिन पृष्ठ पर चित्र बड़े और शब्द छोटे हैं। अधिकांश पृष्ठ तो मात्र चित्रों से भरे गये हैं। हालांकि यह चित्र वाला प्रयोग भी अच्छा है।
इस पत्रिका को हम अगर कागज के स्तर पर देखे तो यह वास्तव में बहुत अच्छे कागज मुद्रित है, लेकिन कहानी के स्तर पर अभी प्रकाशक/संपादक महोदय को बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। बच्चों को रोचक और हास्यप्रद कहानियाँ अच्छी लगती हैं लेकिन ये कहानियाँ कुछ अलग श्रेणी की हैं।
पत्रिका- साईकिल
आवृत्ति- द्वि मासिक
प्रकाशक-
पृष्ठ- 68
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                पत्रिका एक पृृष्ठ

Wednesday 29 July 2020

359. शिविरा- पत्रिका

शिक्षा विभाग राजस्थान की मासिक पत्रिका
  शिवरा- जुलाई-2020

'शिविरा पत्रिका' हमारे विद्यालय में आने वाली एक नियमित मासिक पत्रिका है। इसमें शैक्षिक समाचारों के अतिरिक्त आलेख, पुस्तक समीक्षा के साथ-साथ कुछ स्थायी सतम्भ भी प्रकाशित होते हैं।
शिविरा का जुलाई 2020 अंक पढने को मिला। जिसके प्रधान सम्पादक हैं सौरभ स्वामी जी, जो बीकानेर शिक्षा निदेशालय के निदेशक भी हैं‌।  

राजस्थान शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह टोडासरा जी ने शिक्षा के क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण कार्य किये हैं और बहुत से तत्काल लिये गये निर्णय शिक्षा जगत में हमेशा याद किये जायेंगे। इस अंक में गोविन्द सिंह टोडासरा जी का साक्षात्कार पढनीय है।।
     शिक्षा मंत्री जी याद किया  स्वतंत्र भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालचारी राजाजी का कथन मुझे बहुत अपील करता है। उन्होंने कहा कि बालक वे चमकते हुए सितारे हैं जो भगवान के हाथ से छूटकर धरती पर गिर पड़े।
        कुछ हैरानीजनक भी है- इस साक्षात्कार में बताया गया है की गत सत्र 2019-20 में 1,31,19,38,156.
हैरानी की बात एक अरब से ज्यादा पाठ्यपुस्तकों पर खर्च करने के पश्चात आगामी सत्र 2020-21 में सारा पाठयक्रम (कक्षा10,12 के अतिरिक्त) बदल दिया गया।
राजीव अरोड़ा जी का आलेख 'गुरु पूर्णिमा' एक महत्वपूर्ण आलेख है जो गुरु की महिमा का बखान करता है।
अगर गुरु की महिमा हो और कबीर का जिक्र न आये यह तो असंभव है। आगामी आलेख डाॅ. कृष्णा आचार्य जी का 'कबीर' शीर्षक से ही है।
'गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय।।'

      डाॅ. रमेश 'मयंक' जी का आलेख 'प्रभावी शिक्षण' प्रत्येक अध्यापक के लिए उपयोगी आलेख है। उन्होंने क ई बिन्दुओं के माध्यम से शिक्षण को प्रभावी बनाने के उपाय बताये हैं।

       वैश्विक महामारी कोरोना पर एक आलेख है-'कोरोना-19 के बाद का शैक्षिक परिदृश्य' यह जयनारायण द्विवेदी जी का आलेख कोरोना के बाद. शैक्षिक स्थिति का आंकलन करता है‌।
        शिक्षा विमर्श में चैनाराम सीरवी का आलेख 'गिजुभाई बधेका का दर्शन' बहुत रोचक आलेख है जो हमें बताना है की बच्चों को शारीरिक दण्ड नहीं देना चाहिये बल्कि उनकी बौद्धिकता के अनुसार शिक्षण कार्य की व्यवस्था होनी चाहिए।
         पर्यावरण संरक्षण पर दो आलेख हैं एक कुलदीप सिंह का 'पारिवारिक उत्सवों का हिस्सा बनें वृक्षारोपण' और दूसरा आलेख है स्नेहलता शर्मा का 'पर्यावरण एवं जल संरक्षण'।
       स्तम्भ बाल शिविरा में बच्चों की रचनाओं को शामिल करना वास्तव में प्रशंसनीय और बच्चों के उत्साह को बढाने में उपयोगी है।
इसके अतिरिक्त अन्य आलेख, स्तंभ, सूचनाएं और रचनाएँ पठनीय है।
पत्रिका- शिविरा
अंक- जुलाई-2020
पृष्ठ- 50
संपर्क- वरिष्ठ संपादक, शिविरा पत्रिका
माध्यमिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर-334011

Tuesday 28 July 2020

358. वरुणपुत्री- नरेन्द्र कोहली

पौराणिक, इतिहास, कल्पना और फैटेंसी का रोचक संसार
वरुणपुत्री- नरेन्द्र कोहली, उपन्यास

भारत कभी विश्व गुरु कहलाता था, लेकिन अब वह अपनी सभ्यता और संस्कृति से इतना विमुख हो गया है की उसे अपनी सभ्यता और संस्कृति की पहचान तक नहीं रही।
दूसरी तरफ मनुष्य विज्ञान के इतना समीप हो गया है की उसे विज्ञान के अतिरिक्त अन्य किसी सत्ता पर विश्वास नहीं रहा। इस ब्रह्माण्ड में बहुत कुछ ऐसा है जो मनुष्य और विज्ञान से परे है। हमारे लिए हमारा संसार बस इतना ही है जितना हमने पढा और विज्ञान ने हमें बताया है।
        यह कहानी है विक्रम नामक एक युवक की। जो वरुणपुत्री के साथ समुद्र और द्वारका (श्री कृष्ण जी की जलमग्न नगरी) का भ्रमण करता है।  वहाँ वरुणपुत्री उसे इतिहास और पौराणिक तथ्यों से अवगत करवाती है।    कहानी का द्वितीय भाग विक्रम के परिवार से संबंधित है। उनके आचरण और परिणाम को चित्रित किया गया है।
इस उपन्यास ने मुझे विशेष कर प्रभावित किया है। इसका कारण है एक तो जलमग्न द्वारका का इतिहास, चित्रण और सरकारीवर्ग की उपेक्षा का विश्लेषण करना। एक मिट्टी का विस्तार होना- क्योंकि मैं जानती हूँ कि यह रेत कहाँ की है और यह भी जानती हूँ। कि यह स्थानीय रेत से युद्ध कर रही है। यदि यह क्रम चलता रहा तो स्थानीय रेत समाप्त हो जायेगी और यह रेत सारे सागर-तट पर फैल जायेगी।...”
“अपने आप रेत कैसे फैल जायेगी?" विक्रम चकित था।

      यह विस्तार मात्र मिट्टी का ही नहीं सभ्यता, संस्कृति, भाषा- बोली, देश आदि किसी भी रूप में हो सकता है।

        समय के अनुसार बहुत से शब्दों के और घटनाओं के अर्थ बदल जाते हैं। नरेन्द्र कोहली जी की यह विशेषता है की वे तथ्यों को कसौटी पर परख कर प्रस्तुत करते हैं। महाभारत और रामायण के संबंधित बहुत सी भ्रांतिया समाज में प्रचलित हैं। 'वरुणपुत्री' में महाभारत कालिन कुछ भ्रांतियों का निवारण किया गया है। जैसे‌ एक भ्रांति है की अर्जुन ने एक नाग कन्या से शादी की थी। क्या यह संभव है कोई मनुष्य नागिन से शादी कर ले।
     "आप कौरव्य के विषय में कुछ कह रही थीं।”
     "वह नागों की एक जाति का राजा था। उसकी एक पुत्री थी उलूपी, जिसने अर्जुन से विवाह किया था।
    “तो वह सर्प रूपी नागिन तो नहीं रही होगी, नहीं तो अर्जुन उससे विवाह कैसे कर लेता ? कोई मनुष्य किसी नागिन के साथ अपनी गृहस्थी कैसे बसा सकता है।”
     “इतना ही नहीं। उनका एक पुत्र भी था।”
      “तो वह नाग कहलाने वाली किसी जाति की स्त्री रही होगी; किन्तु होगी वह स्त्री ही।”
      “सम्भव है।” वरुणपुत्री बोलीं,

वरुणपुत्री एक काल्पनिक उपन्यास है पर वह हमें बहुत कुछ सोचने के लिए विवश करती है, एक नया दृष्टिकोण प्रदान करती है, हमारी समझ को विकसित करती है, अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व करने के बहुत से तथ्य हमें प्रदान करती है।
       नरेन्द्र कोहली जी की मुझे विशेषकर इसीलिए पसंद है की वे हमारी सभ्यता और संस्कृति को परिष्कृत कर पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। वर्तमान में बहुत से लेखक रामायण और महाभारत समय के पात्रों को इनता विकृत रूप दे रहे हैं जैसे उन्होंने कभी इन महाकाव्यों को पढा ही नहीं, वहीं नरेन्द्र कोहली जी इनके विपरीत महाकाव्यों को और भी परिष्कृत करते नजर आते हैं।
       अगर इन महाकाव्यों के समय को समझना है आगामी पीढी को कुछ सार्थक प्रदान करना है तो नरेन्द्र कोहली जी को अवश्य पढें।
       मुझे कुछ विशेष लगा वह यहाँ प्रस्तुत है-द्वारका के ही समान संसार के और भी अनेक ऐतिहासिक नगर सागर में डूबे हुए हैं। दक्षिणी यूनान में सागर-तट पर एक ग्राम है पावलोपेत्री। उसके निकट ही समुद्र में पाँच मीटर नीचे पांच सहस्र वर्ष पुराना नगर पावलोपेत्री दिखाई पड़ता है। वह आज के नगरों के समान सुनियोजित ढंग से बना हुआ है। कई भवन दोमंज़िले भी हैं और उनमें बारह कमरों तक का निर्माण हुआ है।...जमाइका का पोर्ट रॉयल,...जापान के दि पिरामिड ऑफ़ युनागुनी।...चीन की लॉयन सिटी...पीरु में दि टेंपल अंडर लेक टिटिकाका...अर्जनटाइना का विला एपिक्यूटइन...मिश्र में क्लियोपैट्रा का महल।”
“नहीं। मैं नहीं जानता। हमें भूगोल में यह सब नहीं पढ़ाया जाता।”
“स्कूल में सब कुछ नहीं पढ़ाया जाता। वह तो पहली सीढ़ी है। उसके पश्चात् तो अपनी रुचि से अध्ययन किया जाता है। उसे ही स्वाध्याय कहते हैं। तुम्हारी रुचि हो तो तुम अब स्मरण कर लो।" वरुणपुत्री ने कहा, “जिन जलमग्न नगरों का अब तक पता लगा है, संसार में द्वारका समेत ऐसे नौ नगर हैं।...”

        भारतीय सभ्यता और संस्कृति का रोचक और तथ्यात्मक ढंग से प्रस्तुत करती यह पुस्तक महत्वपूर्ण और पठनीय रचना है। इतिहास, पौराणिक, कल्पन और फैटेंसी का अद्भुत संगम इस रचना में प्रशंसनीय है।
       इसमें जितना रोचक और सरल तरीके से हमारे गौरवशाली अतीत का वर्णन किया गया है ऐसा अन्यत्र दुर्लभ है।
उपन्यास- वरुणपुत्री
लेखक- नरेन्द्र कोहली
प्रकाशक-
फॉर्मेट- ebook
पृष्ठ- 100

एमेजन   लिंक-  
वरुणपुत्री- नरेन्द्र कोहली

Monday 27 July 2020

357. दस बजकर दस मिनट- अनिल गर्ग

जासूस अनुज का कारनामा
दस बजकर दस मिनट- अनिल गर्ग

दिल्ली निवासी अनिल गर्ग जी मर्डर मिस्ट्री लिखने में सिद्धहस्त नजर आते हैं। उनकी अभी तक की रचनाएं किंडल पर eBook के रूप में ही उपलब्ध हैं। मेरे द्वारा पढे जाने वाला यह इनका द्वितीय उपन्यास है इससे पूर्व इनका उपन्यास 'मुर्दे की जान खतरे में' में पढा था। दोनों उपन्यास ही मुझे रूचिकर लगे।
       अब चर्चा करते हैं 'दस बजकर दस मिनट' उपन्यास की। इस उपन्यास का आरम्भ एक मर्डर से होता है और यह भी संयोग था की जहाँ यह कत्ल होता है वहीं पर अपना उपन्यास नायक जासूस अनुज भी उपस्थित था। लेकिन अनुज ने कभी कल्पना भी न की थी अपने शहर से सैकड़ों किलोमीटर दूर इस कत्ल का संबंध उसके शहर से होगा और उसकी इंवेस्टीगेशन भी उसे करनी होगी। 

        दिल्ली का घनी आबादी वाला कृष्णानगर का इलाका। इसी इलाके में भल्ला ग्रुप के मालिक सुदर्शन भल्ला अपने भरे पूरे परिवार के साथ रहते थे। परिवार में सुदर्शन भल्ला की धर्म पत्नी विमला देवी, उनके तीन सुपुत्र और दो पुत्रियाँ और उनके दो बड़े लड़कों की पत्नियां उस कृष्णा नगर की कोठी में रहते हैं। सुदर्शन भल्ला का व्यापार देश ही नहीं विदेश तक फैला था। .........भल्ला साहब के बड़े लड़के का नाम था गुलशन भल्ला और उसकी पत्नी का नाम था वैशाली। उनके दूसरे लड़के का नाम था अखिल भल्ला और उसकी पत्नी का नाम था कंचन और तीसरा लड़का था मानव।
मानव की लाश दिल्ली से लगभग 1100 किलोमीटर दूर भरूच नाम के उस छोटे से शहर की रेल पटरियों पर पड़ी थी।

Sunday 26 July 2020

356. आखरी गोली- अकरम इलाहाबादी

खान-बाले सीरीज का रोचक कारनामा
आखरी गोली- अकरम इलाहाबादी

अकरम इलाहाबादी अपने समय के प्रसिद्ध उपन्यासकार रहे हैं। ये मूलतः उर्दू के लेखक थे, हालांकि इनकी प्रसिद्धि हिन्दी में अनुवादित उपन्यासों के कारण ज्यादा रही है।
यह कहानी है सार्जेंट बाले के दोस्त शौकत की। शौकत एक हास्य किस्म का व्यक्ति है। एक यात्रा के दौरान उसके साथ बहुत अजीब घटित होता है।
        हालांकि मस्तमिजाज का शौकत इन बातों को गंभीरता से न लेने वाला शख्स है। लेकिन जब एक कत्ल का इल्जाम उसके सिर पर आया तो वह स्वयं हैरान रह गया की आखिर कौन उसका दुश्मन है जो उसके साथ खेल खेल रहा है।

शौकत के बुलावे पर सार्जेंट बाले इस केस को हल करता है।
- शौकत के रूपये कहां गायब हुये?
- किसके कत्ल का आरोप शौकत पर लगा?
- शौकत के पीछे कौन लोग थे?
- खान-बाले ने केस कैसे हल किया?

इन सब प्रश्नों के उत्तर तो अकरम इलाहाबादी के उपन्यास ' आखरी गोली पढने पर ही मिलेंगे।

Saturday 25 July 2020

355. यादावरी- डाॅ. जितेन्द्र सोनी

यादों का सफर
यादावरी- डाॅ. जितेन्द्र कुमार सोनी (IAS)
साहित्य अकादेमी के युवा पुरस्कार से सम्मानित लेखक की कृति

मित्र श्यामसुंदर जी को यादावरी भेंट-08.11.2019

आम दिनों से अलग
कुछ बातें
जो अपनी यादावरी के लिए
दर्ज की
डायरी के पन्नों पर,
समर्पित
उन तारीखों के नाम
जो नये कैलेंडर के साथ
मिटी नहीं। 

यादावरी डाॅ. जितेन्द्र कुमार सोनी जी की डायरी के कु़छ पृष्ठ है। वे पृष्ठ जो उनके जीवन की अनुभवी है, यह अनुभूति डायरी के माध्यम से व्यक्तिगत से सार्वजन की हो गयी है। 

Friday 24 July 2020

354. मास्टरमाईन्ड- हरचरण सिंह बावा

एक पुत्र की प्रतिशोध कहानी
मास्टर माइण्ड- हरचरण सिंह बावा

      लड़ाई के मुख्यतः तीन कार माने जाते हैं- जर, जोरू और जमीन। अगर लोकप्रिय जासूसी साहित्य में देखे तो अशिकांश घटनाएं इन तीन विषयों पर ही आधारित हैं। प्रस्तुत उपन्यास 'मास्टरमाइण्ड' भी जर अर्थात् धन पर आधारित है।
      जैसा की लेखक महोदय ने उपन्यास के अंतिम आवरण पृष्ठ पर लिखा है- सनसनी खेज, हैरत अंगेज कारनामों से भरपूर, रोंगटे खड़े़ कर देने वाली वाली डकैती जो इजिप्ट देश में एक पिरामिड में डाली गी।
       लेकिन पाठक मित्रो कहानी बस इतनी सी नहीं है, यह तो उपन्यास की भूमिका है वास्तविक कहानी तो कुछ और ही है।
उत्तरप्रदेश से मित्र प्रेम मौर्य जी ने उपन्यास 'मास्टरमाइण्ड' मुझे सप्रेम भेजा है, मैं उनका धन्यवाद करता हूँ। 
      अब चर्चा करते हैं, उपन्यास के विषय वस्तु पर। सर्वप्रथम स्पष्ट कर दूं यह एक लघु उपन्यास है जिसके लेखक हरचरण सिंह बावा हैं। मेरे द्वारा पढा गया इनका यह प्रथम उपन्यास है।
यह कहानी आरम्भ होती है चार दोस्तों से। जो बदमाश प्रवृत्ति के हैं। 
माउंट आबू, सिरोही
       होटल के एक कमरे में चार बचपन के यार, जिनका काम चोरी चकारी करना है, आज इकट्ठे हुए हैं। इन सब में जो मास्टर माइंड कहलाता है, उस का नाम आनंद है। उसी के कहने पर यह मिटिंग रखी है। 

Thursday 23 July 2020

353. लाश का रहस्य - गुप्तदूत

किसकी थी वह लाश
लाश का रहस्य- गुप्तदूत

सब इन्सपेक्टर फिर लाश को ध्यानपूर्वक देखने लगा। लाश इतनी फूल चुकी थी कि न तो उसकी रंगत का अनुमान लगाया जा सकता था और न ही राष्ट्रीयता का। कपड़ों से कुछ अनुमान सम्भव था, लेकिन उसके शरीर पर तो बनियान और अंडर वियर ही थे, जो अब काफ़ी फट चुके थे और उनकी अब धज्जियां ही रह गई थीं। चेहरा तो पहचान योग्य था ही नहीं, बल्कि इतना भयानक हो गया था कि सिपाही तो उस पर नज़रें भी नहीं टिका सकते थे। - इसी उपन्यास में से
           लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में Ghost writing का एक विशेष दौर रहा है, और यह दौर काफी लम्बा चला है। इसी समय 'स्टार पब्लिकेशन' ने अपना एक छद्म लेखक 'गुप्तदूत' प्रस्तुत किया। गुप्तदूत के उपन्यास जासूसी और मनोरंजन से परिपूर्ण होते थे। गुप्तदूत नाम से किन-किन लेखकों ने लेखन किया है यह तो नहीं पता चला, लेकिन जो भी लिखा है वह पठनीय है।
   'गुप्तदूत' रचित उपन्यास 'लाश का रहस्य' पढने को मिला। यह एक मर्डर मिस्ट्री आधारित रचना है।

Wednesday 22 July 2020

352. हिमालयवासी गुरु के साये में- श्री एम

साधारण मनुष्य से असाधारण होने तक की आध्यात्मिक यात्रा
हिमालयवासी गुरु के साये में- श्री एम
    एक नवयुवक की भारत के दक्षिणी तट से हिमालय की रहस्यमयी ऊँचाईयों तक की रोमांचक यात्रा जहाँ से उसे अपने महान गुरु मिलते हैं- ज्ञानी, शक्तिवान् और स्नेहमय।

       आध्यात्मिक जीवन चरित पढने का यह मेरा प्रथम अवसर है। किसी के व्यक्तिगत जीवन‌ को पढना हमें तभी रूचिकर प्रतीत होता है, जब हम उस व्यक्ति के विषय में कुछ जानकारी रखते हैं या उस व्यक्ति से हमारा संबंध हो। इस दृष्टि से देखे तो उक्त जीवन चरित किसी भी दृष्टि से मेरे साथ संबंध नहीं रखता। मैंने तो 'श्री एम' का प्रथम बार नाम इस किताब से ही जाना है। 
       यह पुस्तक केरल के एक युवक की आध्यात्मिक 'रंक से राजा' होने की कहानी है कि कैसे वह अपने पूर्ण समर्पण, सच्ची लगन और एकनिष्ठा के आधार पर एक ओजस्वी योगी 'श्री एम' के रूप में विकसित हुआ। सरल भाषा में श्री एम अपनी मनमोहक हिमालयी यात्राओं और उनसे वापसी के वृतांत, औपनिषदिक दर्शन के गहरे ज्ञान और व्यक्तिगत अनुभवजन्य गहन आध्यात्मिक अन्तर्दृष्टि को मधुरता से पाठकों के साथ बांटते हैं- उन्हें एक अनूठी और विचारोत्तेजक यात्रा का अवसर प्रदान करते हैं। (फ्लैप कवर से) 

Thursday 16 July 2020

351. शाही शिकार- अभिषेक सिंघल

राजा की मौत प्रेम, रंजिश या हवस
शाही शिकार- अभिषेक सिंघल

समय बदला और समय के साथ बहुत कुछ बदल गया। परतंत्र भारत अब एक स्वतंत्र देश बन गया। राजतंत्र तो खैर कब का ही खत्म हो गया था लेकि स्वतंत्रता के पश्चात तो राजतंत्र के अवशेष भी खत्म होने पर थे।
        शाही शिकार एक ऐसे ही राजा की कहानी है जो राजतंत्र से लोकतंत्र का सफर देखता है। वह बदले वक्त के साथ बदलने की कोशिश करता है लेकिन अपनी आदतों से विमुक्त होना इतना आसान न था। 

      शाही शिकार कहानी है राजा विक्रम सिंह की। जो लोकतंत्र में स्वयं को उसी अनुरूप बना लेते हैं और जनता का प्रिय विधायक बन जाते हैं। लेकिन बदलते वक्त के साथ अपनी प्रेयसी को नहीं छोड़ पाते, सत्ता में स्वयं का बेटा चुनौती बनकर खड़ा है, दिखाने के चक्कर में आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है, महल होटल हो गया।
और एक दिन राजा विक्रमजीत सिंह अपने फार्म हाउस पर संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाये जाते हैं।
तब कथा में प्रवेश होता है थानेदार ऋषिपाल का। - थानेदार ऋषिपाल की यह पहली पोस्टिंग थी, सत्ताईस साल का नया जवान थानेदार जोश से भरा रहता था. जैसे ही उसने मुहर्रिर से विक्रमजीत को गोली लगने की खबर सुनी वैसे ही तुरंत वह जीप से सीधे विक्रमजीत के फार्म हाउस पहुंचता है।
- क्या विक्रमजीत सिंह ने आत्महत्या की थी?-
- क्या यह एक हत्या थी?
- विक्रमजीत सिंह को अपने पुत्र से राजनीति में चुनौती क्यों मिली?
      इस हत्या का कारण राजनीति था, हवस का परिणाम था या फिर कोई पुरानी रंजिश। यह तो खैर उपन्यास पढने पर ही पता चलता है।

Wednesday 15 July 2020

350. कानून का चैलेंज- सुरेन्द्र मोहन पाठक

बंद कमरे में कत्ल की पहेली
कानून का चैलेंज- सुरेन्द्र मोहन पाठक

कमरा अंदर से बंद था और पूर्णतः, अच्छी तरह से बंद था। उसमें मात्र दो शख्स थे जो अपनी मंत्रणा में व्यस्त थे। एक का कत्ल हो गया और दूसरा कातिल के तौर पर गिरफ्तार हो गया। लेकिन गिरफ्तार व्यक्ति का कहना है कि कत्ल के वक्त वह बेहोश था, उसे नहीं पता की कत्ल किसने किया लेकिन उसका यह भी मानना है की कमरा अंदर से बंद था। मात्र एक व्यक्ति को विश्वास था की गिरफ्तार व्यक्ति सच बोल रहा है और उसी ने 'कानून का चैलेंज' स्वीकार किया कि वह गिरफ्तार व्यक्ति को निर्दोष साबित करेगा?
- क्या यह संभव था?
- दो व्यक्ति कमरे में क्या मंत्रणा कर रहे थे?
- एक व्यक्ति बेहोश कैसे हुआ?
- दूसरे व्यक्ति का कत्ल कैसे हुआ?
- जब कमरा अंदर से बंद था तो कैसे संभव है बाहर से हत्यारा आया?
- आखिर बंद कमरे में हत्या कैसे हुयी?
- किसने संदिग्ध व्यक्ति को निर्दोष साबित करने की सोची?
       लोकप्रिय जासूसी उपन्यास साहित्य में आदरणीय सुरेन्द्र मोहन पाठज जी को मर्डर मिस्ट्री उपन्यास लेखन में सिद्धहस्त माना जाता है और प्रस्तुत उपन्यास 'कानून का चैलेंज' इस का उदाहरण है। 

Friday 10 July 2020

349. जगत की बेटी- कुमार कश्यप

जासूस मित्रो का कारनामा
जगत की बेटी- कुमार कश्यप

"सुन रहे हो पेरिस वासियो- मेरा नाम जिब्राल्टर हेंग है। मैं वैज्ञानिक अपराधी हूँ।........मिस्टर जगत तुम जहां भी हो, मैं तुम्हारा दुश्मन- शत्रु जिब्राल्टर हेंग तुम्हें चैलेंज करता हूँ कि तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते.....गुलनूर...तुम्हारी बेटी.....गुलनूर मेरे पास है। अगर ... उसे छुड़ा सके तो छुडा़ ले....।"
पता नहीं उपन्यास के आवरण पृष्ठ फिल्म सितारों और खिलाड़ियों की तस्वीरें क्यों हैं?
       लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में कुमार कश्यप के थ्रिलर उपन्यासों का एक समय था। यह वह दौर था जब उपन्यासों में कहानी में जासूस पात्रों के रोमांच कारनामे दर्शाये जाते थे। कभी- कभी तो उपन्यास में कहानी गौण और पात्र मुख्य हो जाये थे।
      प्रस्तुत उपन्यास 'जगत की बेटी' कुमार कश्यप का एक थ्रिलर उपन्यास है जो जासूस मित्रों के हैरत जनक कारनामों का दस्तावेज है।
आपने उक्त परिच्छेद पढा है यह 'जगत की बेटी' का एक दृश्य है और यही कहानी का मुख्य आधार है। भारत के प्रसिद्ध ठग/ जासूस जगत की बेटी का अपहरण कुख्यात अपराधी जिब्राल्टर हेंग कर लेता है और फिर जासूस मित्र मिलकर जिब्राल्टर से जा टकराते हैं।

Monday 6 July 2020

348. खौफनाक आवाजें- एस. एन. कंवल

भूतेश्वर लिंगम और शहजादी सौगानिया की खौफनाक दुनिया
खौफनाक आवाजें- एस. एन. कंवल

धम..धम...धम...मानो किसी ने नगाड़े पर चोट लगा दी हो।
चि...चि...चि...चूहे के बोलने की आवाज आने लगी।
छम...छम...छम...जैसे अनगिनत नर्तकियों की पायलें झनझना उठी हों।
म्याऊ..म्याऊं..म्याऊं...मानों‌ कई बिल्लियां बोल रही हों।
हा...हा...हा... जैसे कोई जोर से अट्टहास कर उठा हो।
उसके बाद भयावह स्वर से चीख पड़ा हो....फिर कराहटों की आवाज सुनाई देने लगी....तत्पश्चात् वातावरण सिसकियों से भर गया।
.....और इंस्पेक्टर कैलाश इन विभिन्न डरावनी आवाजों को सुनकर सहमा जा रहा था...आज पहला दिन था....पिछले पांच दिन से रात के ठीक बारह बजे उसके कमरे में इसी प्रकार के विभिन्न स्वर गूंजते थे।
(उपन्यास अंंश)
उक्त दृश्य है एस.एन. कंवल जी के जासूसी उपन्यास 'खौफनाक आवाजें' का।
- वह आवाजें क्यों गूंज रही थी?
- उन आवाजों का क्या रहस्य था?
- इंस्पेक्टर कैलाश का उन आवाजों से क्या संबंध था? 



Sunday 5 July 2020

347. पेशावर एक्सप्रेस- ओमप्रकाश शर्मा

एक थ्रिलर प्रेम कथा- अफगानिस्तान से पाकिस्तान
पेशावर एक्सप्रेस- जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा

जगत सीरीज       जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी का कोई उपन्यास लंबे समय पश्चात पढा। डायमण्ड पॉकेट बुक्स से प्रकाशित उपन्यास 'पेशावर एक्सप्रेस' जगत सीरिज का एक 'थ्रिलर प्रेम कथानक' है।
       उपन्यास का कथानक प्रेम पर आधारित होने के साथ-साथ इसमें रोमांच का अदभुत मिश्रण भी है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के तात्कालिक हालात का अच्छा चित्रण भी उपस्थित है। 

       कहानी है एक अफगान नौजवान की जो प्रेम के चलते पाकिस्तान में कैद हो जाता है। पाकिस्तान में 'मार्शल ला'( आपातकाल) है, अत्याचार है, भ्रष्टाचार है, बिना अपराध गोली मार दी जाती है। पाकिस्तान अफगानिस्तान को अपना दुश्मन मानता है और दुश्मन देश का एक लड़का उनकी कैद में है। वह प्रेम का पुजारी दुश्मन देश में जासूस साबित कर जेल में डाल दिया जाता है और जगत को इसी प्रेम कैदी को आजाद करवाना है और पाकिस्तान से बाहर निकालना है लेकिन प्रेम कैदी पाकिस्तान से बाहर निकलने को तैयार नहीं।

Saturday 4 July 2020

Friday 3 July 2020

345. सांपों‌ के शिकार- इब्ने सफी

 इमरान सीरीज का रोचक उपन्यास
सांपों‌ के शिकारी- इब्ने सफी
        हार्पर काॅलिंस ने इब्ने सफी के प्रसिद्ध पात्र 'इमरान' सीरिज के उपन्यास जे दो सैट प्रकाशित किये थे। जिसमें कुल सात उपन्यासों का संकलन था। यह प्रकाशन संस्थान का बहुत सराहनीय प्रयास था। उम्मीद है की अन्य प्रकाशन संस्थान इस कार्य को बढावा देंगे।
         दिल्ली के प्रसिद्ध 'रविवार पुस्तक बाजार' से ये सैट बहुत सस्ते में उपलब्ध हो गये थे। इस संकलन के उपन्यास समय-समय पढता रहा हूँ, दोनों में से एक-एक उपन्यास रह गया था जो 'मई-जून-2020'के ग्रीष्मकालीन अवकाश में पढे। दोनों उपन्यास रोचक हैं। वैसे भी इमरान सीरीज के हास्यप्रद उपन्यास काफी प्रसिद्ध रहे हैं।

          'सांपों के शिकारी' इमरान सीरीज का रहस्य-रोमांच से परिपूर्ण उपन्यास है। यह उपन्यास समाज में बैठे सफेदपोश लोग के काले धंधों से से समाज का विनाश कर रहे हैं। ये वो साँप आस्तिन के साँप हैं जो अपनों को ही खत्म कर देते हैं।
'कोबरा मैंशन' नामक साँपों की फर्म है जिसके पास हर तरह के साँप पाये जाते हैं। उपन्यास इसी फर्म और साँपों के इर्दगिर्द कुडली मार कर बैठा है। 

 

344. खौफ का सौदागर- इब्ने सफी

एक कहानी खौफ की
खौफ का सौदागर- इब्ने सफी

इब्ने सफी उपन्यास साहित्य में अपने जासूसी उपन्यासों के लिए लोकप्रिय साहित्य में हमेशा स्मरण रहेंगे। इनके छोटे कलेवर के परंतु रोचक उपन्यास पाठकों का भरपूर मनोरंजन करने में सक्षम होते थे।
        हालांकि ये उपन्यास मुख्यतः जासूस विशेष पर ही केन्द्रित होते थे, और खलनायक का प्रभाव ज्यादा होता था पर उपन्यास में प्रत्यक्ष भूमिका कम होती थी।  

       'खौफ का सौदागर' भी एक रहस्यम व्यक्ति की कहानी है जिसका एक क्षेत्र विशेष में 'खौफ' होता है और खौफ भी यहाँ तक की पुलिस को वहाँ एक बोर्ड तक लगवाना पड़ता है, कि यहाँ खतरा है।
रात के वक्त के वक्त वहाँ सन्नाटा छा जाता है और गलती से भी अगर कोई वहाँ चला गया तो वह रहस्यमयी शख्स कत्ल करने से भी नहीं चूकता।
"बाहर फैले हुए अंधेरे में एक खतरनाक आदमी की हुकूमत है और वह आदमी कभी-कभी यूं ही खेल-खेल में किसी न किसी को जरूर कत्ल कर देता है।"
- वह रहस्यमयी व्यक्ति कौन है?
- उसका खौफ क्यों है?
- वह कत्ल क्यों करता है? 

343. काली - नरेन्द्र नागपाल

जब विक्षिप्त खून बदला लेने निकला
काली- अर्जुन नागपाल
अर्जुन नागपाल सीरीज


- क्या कोई खून (रक्त, Blood) भी कोई दहशत मचा सकता है?
- क्या कोई खून भी बदला ले सकता है ?
- क्या कोई खून भी कातिल हो सकता है?
- मनुष्य के शरीर में दौड़ते रक्त की रक्तरंजित कहानी है -काली
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में बहुत कम उपन्यास हैं जो कुछ अलग हटकर लिखे गये हैं। अधिकांश उपन्यास एक निश्चित पैटर्न पर ही आधारित होते हैं, बस प्रस्तुतीकरण अलग हो जाता है। हालांकि ऐसी बात नहीं की कुछ नया और अलग हटकर लिखा नहीं गया, लिखा गया है लेकिन बस मेरी दृष्टि से चूक गया। (हां, अगर आपको कुछ अलग हटकर उपन्यास मिले तो कमेंट कर जरूर बतायें)
     नरेन्द्र नागपाल जी ने अपने उपन्यास 'काली' में कुछ अलग लिखने का प्रयास किया है और यह प्रयास सराहनीय है। यह कितना सफल रहा है यह पाठक के दृष्टिकोण पर निर्भर करता है, मुझे उपन्यास बहुत पसंद आया।  क्या आपने टाइगर का उपन्यास 'लाश की जिंदा आंखें' और 'करिश्मा आँखों का' का उपन्यास पढे हैं ?  इन दोनों उपन्यासों की थीम अलग थी ठीक उसी तरह 'काली' उपन्यास की थीम अलग है, अलग हटकर है।

'काली' उपन्यास की कहानी एक विक्षिप्त हत्यारे की है जो चुनौती देकर, तय समय देकर कत्ल करता है लेकिन मजे की बात यह है यह सब 'खून' करवाता है। जी हां, खून, वह खून जो किसी के अंदर है। यह मृत आदमी के जिंदा खून की कहानी है।
पर खून अभी भी जिंदा था और किसी के दिमाग में अभी भी गोलियों की आवाज बन कर दौड़ रहा था।
पर किसके दिमाग में? 

Thursday 2 July 2020

342. वह फिर नहीं आई- भगवती चरण वर्मा

वह जो फिर लौट कर नहीं आयी..
वह फिर नहीं आयी- भगवतीचरण वर्मा

341. काली करतूत- इब्ने सफी

दस कत्ल और बागोटा का रहस्य
काली करतूत- इब्ने सफी, जनवरी-1975

जासूस एक्स टू अली इमरान को जब होश आया तो वह एक अनजान औरत के साथ एक कार में था। और उस औरत का दावा था की वह अली इमरान की पत्नी है। और वह अली इमरान को उसके घर भी ले गयी।
    होटल का मालिक ठाकुर एक बदमाश व्यक्ति है। अली इमरान के घर से निकली वह औरत ठाकुर के होटल में आती है। और अली इमरान का एक शागिर्द सफदर जब उस औरत तक आशा नामक लड़की के माध्यम से पहुंच  बनाता है तो वह औरत अपने कमरे में मृत पायी जाती है।  और न तो होटल मालिक ठाकुर बचता है और न ही आशा।

Kali kartoot ibne safi

अली इमरान सोचता है-
एक व्यक्ति उससे लिफ्ट मांगता है। फिर वह व्यक्ति उसे धोखा देकर बेहोश कर देता है। होश आने पर एक लड़की उसके साथ होती है जो उसे अपना पति बताती है। जब वह अपने होटल में पहुंचती तो उसे मार डाला जाता है। फिर ठाकुर जैसे आदमी की हत्या ? ठाकुर के बारे में तो यह कहा जाता था कि उसका दूसरा नाम-मौत है ?
वह लड़की क्या चाहती थी ? 
 (उपन्यास अंश)
एक-एक कर सब मारे जाते हैं।
आखिर क्यों?

340. मौत के फरिश्ते- राज भारती

 भारतीय मिलट्री सीक्रेट सर्विस के जासूस सागर का अभियान

मौत के फरिश्ते- राज भारती
#सागर_सीरीज

लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में राज भारती जी ने बहुत सारे पात्रों पर लिखा है। बहुत सी शृंखला आरम्भ की थी। जैसे- अग्निपुत्र, विजय, कमलकांत, सागर आदि। इनमें से सागर सीरीज का एक उपन्यास 'मौत के फरिश्ते' पढने को मिला। यह एक साहसिक कारनामा है। सागर का दुश्मन देश में जाना, अभियान को सफल करना और फिर वहाँ से विकट परिस्थितियों में निकलना। यह सब घटनाएं काफी रोचक प्रतीत होती हैं।

    एक दिन जब सागर राजनगर के किसी होटल में बैठा रम का आस्वाद ले रहा था तो उसी समय जनरल त्रिमूर्ति ने सागर को याद किया।
बिना किसी भू‌मिका के सागर को सामने पा, जनरल त्रिमूर्ति ने कहा- "तुम्हें तिब्बत जाना होगा।"
सागर जानता था कुछ पूछने या बहस करने का मौका नहीं है। संक्षिप्त सा जवाब था- "यस सर। आई एम रैडी सर।"

आयुष्मान - आनंद चौधरी

अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...