Thursday 2 July 2020

340. मौत के फरिश्ते- राज भारती

 भारतीय मिलट्री सीक्रेट सर्विस के जासूस सागर का अभियान

मौत के फरिश्ते- राज भारती
#सागर_सीरीज

लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में राज भारती जी ने बहुत सारे पात्रों पर लिखा है। बहुत सी शृंखला आरम्भ की थी। जैसे- अग्निपुत्र, विजय, कमलकांत, सागर आदि। इनमें से सागर सीरीज का एक उपन्यास 'मौत के फरिश्ते' पढने को मिला। यह एक साहसिक कारनामा है। सागर का दुश्मन देश में जाना, अभियान को सफल करना और फिर वहाँ से विकट परिस्थितियों में निकलना। यह सब घटनाएं काफी रोचक प्रतीत होती हैं।

    एक दिन जब सागर राजनगर के किसी होटल में बैठा रम का आस्वाद ले रहा था तो उसी समय जनरल त्रिमूर्ति ने सागर को याद किया।
बिना किसी भू‌मिका के सागर को सामने पा, जनरल त्रिमूर्ति ने कहा- "तुम्हें तिब्बत जाना होगा।"
सागर जानता था कुछ पूछने या बहस करने का मौका नहीं है। संक्षिप्त सा जवाब था- "यस सर। आई एम रैडी सर।"
तिब्बत जो उस समय चीन के अधीन था। लेकिन कहानी तिब्बत की आजादी की नहीं है। कहानी तो कुछ और ही है। जो जनरल त्रिमूर्ति ने सागर को समझायी।
"पिछले दिनों रूस- अमेरिका - फ्रांस आदि देशों के कई उपग्रह उस समय एकाएक ही नष्ट हो गये, जब वह तिब्बत के निकट से आकाश में अपने निर्धारित रूट से गुजर रहे।  स्वयं भारत का भी एक उपग्रह इसी प्रकार नष्ट हो गया है।   सभी देशों के अक्षंरिक्ष विशेषज्ञों के अनुसार तिब्बत में ही किसी स्थान से ऐसी प्रकाश किरणें छोड़ी जाती हैं जो अपनी शक्तिशाली मारक शक्ति से उपग्रहों को नष्ट कर देती है या उनके प्रमुख यन्त्रों को बेकार कर देती हैं उस संदिग्ध स्थान का आभास भी वैज्ञानिकों को हो गया है-जहां से वह मृत्यु किरणें छोड़ी।"

    और फिर आरम्भ हुआ सागर का तिब्बत अभियान।
           हिमालय की पहाडी श्रृंखला के बीच उड़ान भरते उस सैनिक विमान में केवल दो ही यात्री थे। एक था भारतीय मिलट्री सीक्रेट सर्विस का दिलफेंक मगर खतरनाक एजेंट सागर व दूसरा कुमार कुमार। वह यान का पायलेट था, मगर इस समय यान सागर के ही नियंत्रण में था।
           बर्फ से ढकी, श्वेत ऊची ऊंची पहाड़ियों के बीच यह यान किसी अकेले परेशान विशाल पक्षी की भांति मंडरा रहा था।

   सागर का कार्य था उस मृत्यु किरण को खोजना लेकिन यह इतना आसान कार्य न था। और भारतीय मिलट्री सीक्रेट सर्विस का प्रशिक्षित गुप्तचर चीनी सैनिकों का कैदी बन गया।
   इस कैद में सागर की‌ मुलाकात कुछ और कैदियों से होती है। जिनमें एक तो 'मृत्यु किरण' का जन्मदाता भी है। सागर को इस कैद से निकलना था और तीन साथियों के साथ निकलना था।
उपन्यास का वास्तविक रोमांच यहीं से आरम्भ होता है।  तिब्बत की खतरनाक, बर्फीली पहाड़ियों के मध्य सफर और पीछे हैं जान के दुश्मन चीनी सैनिक।

उपन्यास को हम‌ दो भागों में विभक्त कर सकते हैं। एक तो मृत्य किरण को नष्ट करने तक और द्वितीय चीनी सैनिकों के के गढ से भागकर भारत पहुंचने तक। देखा जाये तो उपन्यास का प्रथम खण्ड इस कथानक की भूमिका है वास्तविक कथानक, रोमांच और सागर की क्षमता परिचय खतरनाक रास्तों पर मिलता है, जहाँ से वह स्वयं और अपने साथियों के साथ चीनी सैनिकों से बचता हुआ निकलता है।
     राज भारती द्वारा रचित 'मौत के फरिश्ते' एक अर्द्ध रोचक उपन्यास है। कहानी में ज्यादा ट्विस्ट नहीं है, बस सागर और साथियों द्वारा तिब्बत से बच के भारत पहुँचने की कथा है।
  उपन्यास में चीन द्वारा तिब्बत पर किये जा रहे अत्याचार का वर्णन एक परिच्छेद में है, जो तात्कालिक परिस्थितियों पर अच्छा प्रकाश डालता है।
उपन्यास का समापन काफी भावुक है।
 उपन्यास के मुख्य पात्र-
सागर- भारतीय मिलट्री सीक्रेट सर्विस का जासूस
शेरपा- सागर का साथी
करुगर- एक चीनी कैदी
बिल- एक वैज्ञानिक
क्यू- करुगर की बेटी
लियू- चीनी सैन्य अधिकारी

'मौत के फरिश्ते' सागर शृंखला का एक साहसिक अभियान है। सागर का दुश्मन देश चीन के सैनिकों के साथ संघर्ष और वहाँ से भागने की रोचक कहानी है।
उपन्यास - मौत के फरिश्ते
लेखक -   राज भारती
पृष्ठ  -       152

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