Monday 20 September 2021

460. अपने हुये पराये- प्यारे लाल 'आवारा'

क्यों हुये अपने-पराये
अपने हुये पराए- प्यारे लाल आवारा

लम्बे समय से मैं घर नहीं आया था। विद्यालय में कोई अवकाश नहीं था। जुलाई से नया सत्र आरम्भ हुआ और  उसके बाद 16 सितंबर को घर के लिए रवाना हुआ। यात्रा के दौरान में अक्सर कोई न कोई किताब पढ लेता हूँ। लेकिन पहली बार ऐसा हुआ की आने-जाने के दौरान कोई किताब नहीं पढी और इस दौरान घर पर एक किताब पढी वह प्यारे लाल आवारा की 'अपने हुये पराये' हालांकि इस उपन्यास को पूर्व में पढ चुका था। बस समीक्षा की दृष्टि से पुनः पढ लिया।
      'अपने हुये पराये' एक सामाजिक उपन्यास है। हां, सामाजिक है पर पूर्णतः पारिवारिक नहीं।  

मित्र इंद्राज बरोड़ के साथ उपन्यास चर्चा
कहानी का आरम्भ पण्डित रामानंद से होता है।
-भोर हो रही थी और पण्डित रामानंद गंगा किनारे के अपने मनपसंद घाट पर पहुँच गये थे।
आसमान पर बादल थे, इसलिए भोर की रोशनी जमीन तक नहीं पहुँच पा रही थी।
.......
'माँ गंगे' कहते हुये उन्होंने गंगा जी के जल को अपने माथे और सफेद दाड़ी से लगाया ही था कि 'छपाक' की आवाज हुयी और वे चौंक कर उधर देखने लगे।

(प्रथम पृष्ठ) 

Saturday 11 September 2021

459. उनका आखिरी गाना- राॅइन रागा, रिझ्झम रागा

पेड़ों की दुनिया की यात्रा
उनका आखिरी गाना- राॅइन रागा, रिझ्झम रागा

'नई पीढी के फतांसी लेखकों में रागा बंधुओं का कोई सानी नहीं।- दीपक दुआ(प्रख्यात फिल्म निर्देशक)

    जब मैंने पहली बार रागा बंधुओं को फेसबुक पर उनके चर्चित उपन्यास 'पानी की दुनिया' के साथ देखा तो तभी से इनके उपन्यास पढने की इच्छा जागृत हो गयी। 'पानी की दुनिया' इनका एक चर्चित फतांसी उपन्यास है। 

उनका आखरी गाना- रागा बंधु
उनका आखिरी गाना- रागा बंधु
-   मैं अक्सर फेसबुक पर चर्चा सुनता रहता था कि जयपुर निवासी रागा बंधुओं (राॅइन रागा, रिझ्झम रागा) की कहानियाँ एक अलग दुनिया की यात्रा करवाती हैं। जयपुर एक दो चक्र भी लगे पर मेरी परिचित दुकानों पर संयोग से इनके उपन्यास नहीं मिले। एक दिन किंडल पर सर्च करते समय रागा बंधुओं का उपन्यास 'उनका आखिरी गाना' सामने आया तो उस पढ डाला। हालांकि इनके उपन्यास पहले किंडल पर उपलब्ध नहीं थे। और अब भी कुछ तकनीकी समस्या के साथ उपलब्ध हैं। 
  जैसा की सुना था रागा बंधुओं के उपन्यास फतांसी होते हैं, वहीं 'उनका आखिरी गाना' पढकर जाना यह फंतासी मात्र कोरी कल्पना ही नहीं मानवीय संवेदना का अनूठा चित्रण भी है।
      'उनका आखिरी गाना' मनुष्य के स्वार्थ, भौतिकता और वृक्षों पर आधारित एक रोचक लघु उपन्यास है। 

458. जहरीली- हादी हसन

मैं तेरे प्यार में‌ पागल
जहरीली- हादी हसन

     अपने प्यार को पाने का उसके पास एक ही रास्ता था सायनाइड। ऐसा तेज जहर जिसका स्वाद कोई नहीं जानता। क्योंकि उसे चखने वाला बताने के लिए जिंदा ही नहीं रहा। लेकिन उसे मालूम था कि ऐसा  करते ही वह कानून का मुजरिम बन जायेगा। फिर भी उसने वह रास्ता अपनाया। प्यार में अंधा जो हो चुका था। इसलिए अपने इंस्पेक्टर दोस्त की आड़ में उसने वह चाल चली जो थी बड़ी-जहरीली। 
जहरीली - हादी हसन
जहरीली - हादी हसन
    लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में हासी हसन जी का स्वयं के नाम से प्रकाशित होना वाला यह प्रथम मौलिक उपन्यास है। हासी हसन जी उपन्यास साहित्य में एक लंबे समय से सन् 1973 से सक्रिय हैं पर अपने वास्तविक नाम से प्रकाशित होना का यह उनका प्रथम अवसर है। एक बेहतरीन लेखनी छद्म लेखन की भेंट चढती रही, लेकिन Flydreams ने इसअनमोल मोती को पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत लाने का प्रशंसनीय कार्य किया है 'जहरीली' उपन्यास के माध्यम से।
    
     मीनाक्षी, रानी लक्ष्मी चौक और चूनाभट्टी के बीच कहीं रहती है। वह अपने बूढे माँ-बाप का एकमात्र सहारा है। एक प्राइवेट फर्म में टाइपिस्ट की नौकरी करती है। उस रात वह नौकरी के बाद माँ की दवा लेकर लौट रही थी, तभी एक हादसा हो हुआ जिसमें वह चाकू से घायल हो गयी। (पृष्ठ-18) 
      संयोग से वहाँ पहुंचे मिस्टर संजय और मिस्टर नरेश डोगरा दोनों मीनाक्षी के रक्षक साबित होते हैं। और यहीं से तीनों अच्छे मित्र बनते हैं। लेकिन यहीं मित्रता उनके जीवन का अभिशाप बन जाती है। क्योंकि परिस्थितियाँ इस कदर करवट लेती हैं कि किसी को कुछ समझ में ही नहीं आता कि आखिर हो क्या रहा है। 

Thursday 9 September 2021

457. हेरोइन- एस. सी. बेदी

एस.सी. बेदी का अंतिम उपन्यास
हेरोइन- एस.सी. बेदी
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में अगर किसी ने बाल साहित्य लिख कर ख्याति अर्जित की है तो वह एकमात्र न है -एस. सी. बेदी(सुभाषचन्द्र बेदी)
    ऐसा माना जाता है इन्होंने 1500 के लगभग बाल उपन्यास लिखे हैं। इनके प्रसिद्ध पात्र 'राजन-इकबाल' तो पाठक भूल नहीं सकते।
     बदलते दौर के साथ जब जासूसी उपन्यास साहित्य गर्द में चला गया तो एस.सी.बेदी जी भी लेखन से दूर हो गये। 
हेरोइन- एस.सी. बेदी, www.sahityadesh.blogspot.com
   एक लंबे समय पश्चात 'सूरज पॉकेट बुक्स' के संस्थापक शुभानंद जी ने 'राजन-इकबाल रिबोर्न सीरीज' आरम्भ की, जो पाठकों को एस. सी. बेदी की याद दिलाती थी। सूरज पॉकेट बुक्स के प्रयास से एक बार पुन: बेदी जी ने कलम उठाई और अपने प्रिय पात्रों पर लेखन आरम्भ किया। हालांकि इस द्वितीय पारी में वे कुल छह ही उपन्यास लिख पाये और दिनांक 31.10.2019 को इस दुनिया को अलविदा कह गये। इस समय उनका अंतिम उपन्यास 'हेरोइन' प्रकाशन की कतार में था।
'हेरोइन' वर्तमान समय में युवा वर्ग को अपनी चपेट में ले लेने वाले खतरनाक और जानलेवा नशे पर आधारित 'राजन-इकबाल' सीरीज का उपन्यास है। 

Wednesday 8 September 2021

456. अंतरिक्ष में विस्फोट- जयंत विष्णु लारळीकर

प्रकृति के एक रोचक रहस्य की कथा
अंतरिक्ष में विस्फोट- जयंत विष्णु नारळीकर, वैज्ञानिक उपन्यास

हमारे विद्यालय के 'सरस्वती पुस्तकालय' में एक रोचक वैज्ञानिक उपन्यास मुझे मिला। जो मुझे बहुत रोचक लगा।
कथा शुरु होती है सम्राट हर्षवर्धन के काल से। स्थानेश्वर के बौद्ध विहार के आचार्य भिक्खु सारिपुत्त की, तारों और नक्षत्रों से भरे आकाश के निरीक्षण में, गहरी रूचि है। एक रात, उनका प्रिय शिष्य रोहित उनके घर दौड़ा-दौडा़ आता है और आकाश में घटित एक अलौकिक दृश्य के साक्ष्य के बारे में बताता है।  भिक्खु सारिपुत इस घटना को विशेष महत्व देते हैं और उसकी सूचना राजा तक पहुँचा देते हैं। राजकीय संरक्षण और रोहित के सहयोग से सारिपुत्त इन अभिलेखों में सारे विवरण लिखकर, काल पात्र के रूप में जमीन में गड़वा देते हैं। अचानक, बीसवीं सदी में, तेरह सौ साल के बाद वही अभिलेख प्राच्यविद्या विशेषज्ञ तात्या  साहेब और नक्षत्रविज्ञानी अविनाश नेने को प्राप्त होते हैं। सारे विश्व और इसके  प्राणियों के अस्तित्व के लिए उनका बड़ा महत्व है। क्या सारिपुत्त ऐसे किसी संभावित संकट का पूर्वानुमान था?
उपन्यास का अंतिम भाग उन पूर्व घटनाओं से संबंधित है जो सदियों बाद घटित होती हैं।  

सृष्टि में कोई भी घटना घटित होती है उसका प्रभाव अवश्य परिलक्षित होता है। वह प्रभाव हो सकता है वर्तमान में दृष्टिगत न हो, पर भविष्य में उसका कहीं न कहीं कोई न कोई प्रभाव अवश्य होगा। अरबों किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में होने वाली घटना का प्रभाव भी पृथ्वी पर होता है पर उसका प्रभाव पृथ्वी पर पहुंचने में कितना समय लगेगा उसका आंकलन करना  संभव नहीं है।

Sunday 5 September 2021

455. सिटी आॅफ इविल - दिलशाद अली

जहाँ मुर्दे जिंदा होते है
सिटी आफ इविल- दिलशाद अली

Flydreams Publication ने प्रकाशन कर क्षेत्र में एक टैग लाइन 'किताबें कुछ हटके' के साथ कदम रखा। और इस प्रकाशन की कुछ किताबें पढकर यह अनुभूत होता है कि यह टैग लाइन कितनी सार्थक है। वास्तव में इस प्रकाशन से आयी कुछ  किताबें मेरे विचार से हिंदी में पहली बार प्रकाशित हुयी हैं। कुछ अलग विषयों पर आधारित रोचक किताबें।
इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के युवा लेखक दिलशाद अली का प्रथम उपन्यास 'सिटी आफ इविल' है। यह एक अलग तरह की कहानी है। मेरे विचार से यह हिंदी में प्रथम प्रयास है।  

गुरू शिखर- माउंट आबू
गुरू शिखर- माउंट आबू

 पर।अब चर्चा करते हैं उपन्यास की।
'बखुंदा' एक पहाड़ी इलाके से घिरा हुआ,चारों तरफ बियाबान जंगल ही जंगल, भारत के नक्शे में आखिर में‌ मौजूद और ज्यादातर भाग समुंदर से घिरा हुआ था। वहाँ के लोग बेहद शांत,बाहरी चमक से अनजान, अपनी घुन में ही खुश रहने वाले थे। (पृष्ठ 14)
     उपन्यास की कहानी इसी रहस्यमयी जगह से संबंध रखती है। क्योंकि सन् 2020 में यहाँ की एक रहस्यमयी जगह पर अथाह खजाना मिलता है।
पांच साल बाद....

आयुष्मान - आनंद चौधरी

अमर होने की चाह.... आयुष्मान- आनंद चौधरी ये अजीबोगरीब दास्तान मोर्चरी के पोस्टमार्टम रूम में पोस्टमार्टम टेबल पर रखी गई एक लाश से शुरू होती...