Tuesday 5 April 2022

512. दिमागी कसरत - अमित खान

रीटा सान्याल का प्रथम मुकदमा
दिमागी कसरत - अमित खान

रीटा सान्याल एक बड़ी लॉयर थी। बड़े-बड़े मुकदमें लड़ती थी। लेकिन एक बार उसकी ज़िन्दगी में एक बड़ा चौंका देने वाला केस आया। रीटा सान्याल से एक कविता नाम की लड़की आकर मिली। कविता बेहद दौलतमंद थी । उसके पास ऐशो-आराम की हर चीज़ थी। कविता की ज़िन्दगी अच्छे से गुजर रही थी, लेकिन तभी उसकी ज़िन्दगी में एक ज़बरदस्त भूचाल आ गया। एक दिन कविता से एक अजनबी लड़का आकर मिला और उससे कहने लगा कि वह उसका सगा भाई है! चौंक गयी कविता! वह उसका सगा भाई कैसे हो सकता था? कविता ने चीख-चीखकर कहा, वह उसका सगा भाई नहीं है। नहीं है!! लेकिन हैरानी तब हुई, जब उस अजनबी लड़के ने अपने सगे भाई होने के बड़े फूलप्रूफ सबूत भी कविता के सामने पेश कर दिये।
चौंक गयी कविता! 

क्या चक्कर था? क्या मायाजाल उसके इर्द-गिर्द रचा जा रहा था।
जब रीटा सान्याल ने उस राज़ के ऊपर से पर्दा उठाया, तो एक बेहद चौंका देने वाला सच सामने आया।
अमित खान का एक बेहद शानदार उपन्यास। (किंडल से)
 
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में अमित खान जी का नाम विशेष तौर पर कमाण्डर करन सक्सेना और रोमांटिक थ्रिलर लेखक के रूप में लिया जाता है। लेकिन इसके अतिरिक्त भी अमित खान जी ने कुछ और सीरीज के भी उपन्यास लिखे हैं जिनमें से एक है रीटा सान्याल।
    किंडल पर रीटा सान्याल सीरीज का प्रथम उपन्यास पढने को मिला जिसका नाम है 'दिमागी कसरत'।
   यह कहानी है कविता नामक एक अमीर युवती की। जो धनाढ्य है, पर अकेली है। माँ- बाप के बाप निधन के बाद एक भाई था, वह भी एक दिन गायब हो गया।
समय बदला, कविता भाई की यादों से बाहर निकल कर अपने बिजनेस में खो गयी। धीरे-धीरे वक्त निकलता रहा और भाई को गायब हुए पांच साल हो गये।
एक दिन एक युवक ने कविता के घर आकर दावा किया की वह उसका खोया हुआ भाई है।
“कौन हो तुम? यहां किसलिए आए हो?”
“अरे अरे...!” उस नौजवान ने हैरत से कहा- “आपको क्या हो गया है दीदी? आप ठीक तो हैं ना? मैं इतना तो नहीं बदला गया कि आप मुझे पहचान ही न सकें।”

    और सचमुच में कविता ने उस पहचानने से इंकार कर दिया जबकि उस युवक का दावा था वह उसका सगा भाई है।
     जब विभिन्न कोशिश के पश्चात भी वह युवक अपनी बात से नहीं टला और अपनी जिद्द पर कायम रहा तो अनंतः कविता को प्रसिद्ध वकील रीटा सान्याल की शरण में जाना ही पड़ा।
  रीटा सान्याल एक प्रसिद्ध वकील है जिसका कहना है - मेरा यह मिशन जरूर रहा है कि कानून और इन्साफ का बोलबाला रहे और मैं हमेशा इसी उद्देश्य के लिए संघर्ष करती हूं और करती रहूंगी। वकालत के पेशे में आने से मेरा उद्देश्य पैसा कमाना नहीं था और ना है, और ना रहेगा। पैसे को तो मैं कम महत्व देती हूं। असल हैसियत इस बात की है कि कोई निर्दोष सजा का शिकार न हो जाए और कोई मुजरिम सजा से न बच सके। लेकिन मैं तमाम मुजरिमों को एक ही लाठी से नहीं हांकती हूँ।
   अब संर्घष है रीटा सान्याल और कविता के कथित भाई के मध्य। पठनीय यह है कि आखिरी इस कथित भाई के पीछे क्या रहस्य है।
वह क्यों कविता का भाई होने का दावा कर रहा है?
अगर वह कविता का भाई है तो क्यों कविता उसे स्वीकार नहीं कर रही?
इस दोनों प्रश्नों को हल करने के किए वकील रीटा सान्याल मैदान में आती है और एक सही निर्णय तक पहुँचती है। वह सही निर्णय क्या है? यह उपन्यास पढ कर जाना जा सकता है।
    उपन्यास का कथानक रोचक है, परंतु मध्य भाग के पश्चात कहानी में पात्रों के द्वारा आगे न बढाकर स्वयं लेखक ने अपनी तरफ सब कुछ स्पष्ट किया है‌, वहाँ 'मनोहर कहानियाँ' और 'सत्य कथा' की कहानियों की याद ताजा हो जाती है।
   अगर आपने ऋषि कपूर की फिल्म 'खोज' देखी है तो आपको पता चल जायेगा यह उपन्यास उसी फिल्म की पूर्णतः काॅपी है। जहाँ फिल्म में कहानी पत्नी-पत्नी की है तो वहीं उपन्यास नें भाई-बहन की‌। फिल्म में इंस्पेक्टर नसीरुद्दीन शाह है तो यहाँ वकील रीटा सान्याल है।
  इसी कथानक पर अमित श्रीवास्तव जी का उपन्यास 'फरेब' भी है, हालांकि की फरेब की कहानी में घुमाव काफी ज्यादा हैं जो उपन्यास को रोचक बनाते हैं और यह भी प्रतीत नहीं होता की 'फरेब' का कथानक फिल्म 'खोज' से प्रेरित है। लेकिन अमित खान जी का उपन्यास 'दिमागी कसरत' पढते वक्त स्पष्ट पता चलता है की यह फिल्म 'खोज' की काॅपी है।
    कथा के स्तर पर उपन्यास को लघु उपन्यास की श्रेणी में रखा जा सकता है। उपन्यास एक बार पढा जा सकता है।
उपन्यास - दिमागी कसरत
लेखक -   अमित खान
EBook on Kindle
सीरीज -रीटा सान्याल

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