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Tuesday, 3 April 2018

103. फरेब- अमित श्रीवास्तव

प्यार, दोस्ती और फरेब
फरेब- अमित श्रीवास्तव, मर्डर मिस्ट्री, रोचक, पठनीय
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राजस्थान के आबू रोङ शहर के युवा लेखक अमित श्रीवास्तव का उपन्यास फरेब बहुत रोचक और पठनीय है।
   इनका यह प्रथम उपन्यास है लेकिन लेखन और कहानी की दृष्टि से कहीं भी ऐसा महसूस नहीं होता की यह लेखक की प्रथम कृति है।  उपन्यास जितना उलझा हुआ है उतना ही रोचक है। पाठक पृष्ठ दर पृष्ठ रहस्य की झील में तैरता रहता है। उपन्यास का आरम्भ जितना रोचक है उतना ही जबरदस्त इसका क्लाइमैक्स है।
उपन्यास की पृष्ठभूमि राजस्थान के हिल स्टेशन माउंट आबू पर आधारित है। माउंट आबू की प्रसिद्ध झील नक्की के बाॅट कांट्रेक्टर चन्द्रेश मल्होत्रा की पत्नी गायब हो जाती है। एक दिन जब चन्द्रेश मल्होत्रा अपने घर पहुंचा तो एक खूबसूरत युवती को पाया।
चन्द्रेश ने खङे-खङे महिला से कहा, -"कौन हैं आप?"
"आप मुझे नहीं जानते?"- महिला ने आश्चर्य से पूछा।
" मैं आपको कैसे पहचानूँगा ? मैं तो आपको पहली बार देख रहा हूँ ।"- चन्द्रेश के स्वर में हैरानी‌ के भाव थे।
"क्या पीकर घर आये हैं, जो अपनी वंशिका को नहीं पहचान पा रहे हैं।"- वंशिका के स्वर में चंचलता थी।
" तुम मेरी पत्नी ? कोई मजाक है क्या?"- चन्द्रेश के स्वर में हैरानी की जगह गुस्से ने ले ली। (पृष्ठ-)

    
कहानी में दूसरा प्रकरण है स्वास्थ्य मंत्री सुंदर लाल अवस्थी के पुत्र सुमित अवस्थी की हत्या का। माउंट आबू से आबू रोङ के पहाङी रास्ते के मध्य आने वाले सात घूम पाॅइंट स्थल पर सुमित अवस्थी की लाश मिलती है लेकिन पुलिस कातिल तक पहुँचने में सफल नहीं हो पाती।
  माउंट आबू पुलिस चौकी का थाना प्रभारी किशोर सिंह भाटी खतरनाक पुलिसिया था।(पृष्ठ- 10) वह सब इंस्पेक्टर निरंजन के साथ मिलकर जब वंशिका की पहचान और सुमित अवस्थी की हत्या की पहेली हल करता है तो दोनों केस एक-दूसरे से संबंधित निकल आते हैं।
फिर तो कई चेहरे बेनकाब होते हैं। प्यार, नफरत और फरेब के सागर में डूबी एक रोमांचकारी दास्तान ।
माउंट आबू का खूबसूरत वर्णन-
                                जहाँ अधिकांश उपन्यास किसी न किसी काल्पनिक शहर को आधार बना कर लिखे जाते हैं वहीं अमित श्रीवास्तव जी का उपन्यास फरेब राजस्थान के खूबसूरत हिल स्टेशन माउंट आबू पर आधारित है। यहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ साथ यहाँ के अन्य स्थलों का भी उपन्यास में वर्णन है।
     लेखक अगर थोङा सा प्रयास और करता तो कुछ पर्यटन स्थलों का वर्णन थोङा विस्तार से भी कर सकता था।
    फेसबुक पर #फरेब_अमितश्रीवास्तव हैज टैग के साथ उपन्यास में वर्णित माउंट आबू के  सौन्दर्य की झलक देखी जा सकती।
अमित श्रीवास्तव जी का यह प्रथम उपन्यास है। यह उपन्यास उन्होंने स्वर्गीय वेदप्रकाश शर्मा जी को समर्पित किया है।
       जैसा जादू वेदप्रकाश शर्मा जी के उपन्यासों में था वैसा ही प्रयास अमित जी के उपन्यास फरेब में‌ पढने को मिलता है। जहाँ पाठक को लगता है की वह अब इस फरेब को बेनकाब कर देगा ठीक वहीं कहानी दूसरा मोङ ले लेती है। अंत तक जाकर पाठक को‌ लगता है की वह असली अपराधी तक पहुंच गया लेकिन यहाँ भी पाठक लेखक की सोच से दूर होता है।
           उपन्यास के क्लाइमैक्स में तो ऐसे चौंकाने वाले कई झटके पाठक को लगते हैं, ठीक वेदप्रकाश शर्मा जी के उपन्यासों की तरह।
         उपन्यास में बहुत सी अच्छी बाते भी हैं जो पाठक को प्रभावित करती हैं‌। जैसे माउंट आबू का सौन्दर्य, इसी तरह उपन्यास में नोटबंदी का ज़िक्र है और मेरे विचार से अमित श्रीवास्तव जी एकमात्र ऐसे लोकप्रिय उपन्यासकार हैं जिन्होनें इस विषय को उपन्यास में स्थान दिया। इससे उपन्यास की विश्वसनीयता भी बनी और उपन्यास को सही समय भी मिला 8 नवंबर 2016.
आजकल के फैशन पर भी अच्छा प्रहार किया गया है।
अब आजकल के फैशन में कहां मालूम पङता साहब, कौन लङकी है और शादी शुदा है? -(पृष्ठ-158)
      उपन्यास के दो प्रभावी और रोचक पात्र है रंगा और बिल्ला, लेकिन उपन्यास में दोनों को पर्याप्त स्थान नहीं मिला। दोनों का जितना जबरदस्त आगमन था उतना जल्दी ही दोनों पात्र चले गये।
उपन्यास में एक दो जगह अगर गलतियों को नजर अंदाज कर दें तो उपन्यास बहुत रोचक है।
- इस समय मैच पर सट्टो की पकङ मजबूत थी। (पृष्ठ-119)
यहाँ सट्टो की जगह सट्टे शब्द आना था। यह शब्द एकवचन में ही प्रयुक्त होता है।
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- इंस्पेक्टर भाटी और निरंजन उपन्यास के अंत में होटल में लगे CCTV कैमरे को चेक करते हैं, यह काम सबसे पहले होना चाहिए था।
मैनेजर साहब, आपके यहाँ सी.सी. टीवी कैमरे लगे हैं तो उस दिन की फूटेज भी हमें मिल जायेगी, जिस दिन सुमित अवस्थी का मर्डर हुआ।(पृष्ठ-161)
निष्कर्ष-
    अमित श्रीवास्तव जी का उपन्यास फरेब इनका प्रथम उपन्यास है। यह मर्डर मिस्ट्री और थ्रिलर है। सस्पेंश में डूबा यह उपन्यास आरम्भ से अंत तक पाठकों को अपने में समाये रखता है। कहानी पृष्ठ दर पृष्ठ नये रोमांचक मोङ लेती है जो पाठक को अपने साथ बहा ले जाती है।
      उपन्यास वर्तमान दोस्ती और प्यार पर गहरा प्रहार करती है। वर्तमान में पैसे की खनक के आगे सब रिश्ते कैसे बिखर जाते हैं। दोस्ती कब दुश्मनी में बदल जाती है और प्यार कब गद्दार हो जाता है कहना मुश्किल है। लेकिन लेखन अमित श्रीवास्तव जी वर्तमान के रिश्तों को बहुत अच्छी तरह से प्रस्तुत किया है।
         उपन्यास पाठकों की उम्मीद पर खरा उतरेगा। भरपूर मनोरंजन करेगा।  एक बार अवश्य पढकर देखें
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उपन्यास-   फरेब
ISBN-     978-81-935845-2-1
लेखक-     अमित श्रीवास्तव
प्रकाशक-   सूरज पॉकेट बुक्स
वर्ष-          जनवरी, 2018( प्रथम संस्करण)
पृष्ठ-          191
मूल्य-        150
लेखक संपर्क- shaping.amit2014@gmail.com
ब्लॉग- shapingamit.blogspot.com

1 comment:

  1. बहुत शानदार समीक्षा. इ
    स उपन्यास को पढ़ने की रूचि जाग गई. स्वयं भी पढ़ूंगा एवं दोस्तों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करूंगा. इस उपन्यास का और अमित श्रीवास्तव जी का बहुत नाम सुना है.

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