Wednesday 6 July 2022

523. तेरा खंजर मेरी लाश - एस. सी. बेदी

लाशों का जंगल
तेरा खंजर मेरी लाश - एस. सी. बेदी

प्रथम दृश्य
"कहिये, क्या बात है?"- हरमेश तिवारी ने पूछा।
" हरपालपुर के जंगल में मैं एक युवती की लाश देखकर आ रहा हूँ।"

दृश्य द्वितीय
हवलदार चौंकता हुआ बोला-"यह तो उसी नौजवान की लाश है, जो कल थाने आया था।"
दृश्य तृतीय
तभी फोन की घण्टी बज उठी। रिसीवर उठाकर वह बोला -"हैल्लो, मैं राजन बोल रहा हूँ।"
"मैं‌ इंस्पेक्टर हरमेश हूँ। जंगल में फिर एक कत्ल हो गया है। जल्दी पहुंचो।"
 उक्त तीनों दृश्य एस.सी. बेदी द्वारा रचित उपन्यास 'तेरा खंजर मेरी लाश' के हैं। यह बाल सीक्रेट एजेंट 999 राजन इकबाल सीरीज का उपन्यास है।
उपन्यास का प्रथम पृष्ठ पढते ही पता चल जाता है की यह एक प्रसिद्ध लेखक के उपन्यास की पूर्णतः नकल है।
   बाल जासूसी साहित्य में एस. सी. बेदी सर्वश्रेष्ठ कथाकार माने जाते हैं।  हालांकि और भी कुछ लेखकों ने बाल साहित्य लेखन किया है लेकिन आज उन लेखकों और उनकी रचनाओं का कहीं कुछ पता नहीं चलता। एक लेखक थे रविन्द्र रवि उनकी कुछ रचनाएँ अवश्य उपलब्ध हैं, बाकी बाल साहित्य में अधिकांश Ghostलेखन ही हुआ है।     तेरा खंजर मेरी लाश - एस. सी. बेदी
चौकी इन्चार्ज इंस्पेक्टर हरमेश उस समय सो रहा था जब हवलदार ने उसे आकर जगाया। गर्मी के दिन थे— शीतल हवा में बड़ी मीठी नींद आ रही थी। जब चौकी इन्चार्ज इंस्पेक्टर हरमेश को हवलदार ने आकर जगाया।
''क्या है ?''- उसने झल्लाए स्वर में पूछा।
''कत्ल हो गया है ?''
‘'चौकी में ?''
'नहीं। हरपालपुर के जंगल में। एक व्यक्ति रिपोर्ट लिखवाने आया है। उसने लाश भी देखी है।''
कत्ल और लाश के नाम से ही हरमेश की पूरी नींद खुल गई। उसने कमरे में जाकर वर्दी पहनी और काउन्टर पर आ गया, जहां एक सिपाहो रिपोर्ट लिखने के लिए बैठा था। उसके सामने ही सभ्य सा दिखने वाला एक नौजवान खड़ा था, जिसने बहुमूल्य कपड़े पहने हुए थे।
''कहिये, क्या बात है ?" हरमेश तिवारी ने पूछा।
''हरपालपुर के जंगल में में एक युवती की लाश देखकर आ रहा हूं।''
''लेकिन इतनी रात को आप जंगल में क्या कर रहे थे ?''
''मैं बीनार से शहर आ रहा था।''

   इंस्पेक्टर हरमेश जब पुलिस बल के साथ वहाँ पहुंचा तो लाश गायब थी और स्वयं पुलिस को वहाँ से जान बचाकर भागना पड़ा और इसी भागदौड़ में वह युवक गायब हो गया।
  
- आखिर वह अज्ञात नौजवान कौन था?
- क्या वह सच में लाश देखकर आ रहा था?
- फिर वह लाश कहां गायब हो गयी?
- वह युवक जंगल में कहां चला गया?

पुलिस के लिए यह केस एक रहस्य बन गया।
और इस रहस्यमयी केस को हल करने के लिए पुलिस बाल सीक्रेट एजेंट 999 राजन-इकबाल की मदद से हल करने का निर्णय लेती है।
   आई० जी० साहब ने राजन- इकबाल को चाय पर बुलाया था।
चाय पीते हुए राजन ने पूछा-  "अंकल, आप आज काफी परेशान नजर आ रहे है ?''
"हाँ, कल रात चमनगंज चौकी में अजीब वारदात घटित हुई है। अपराधी का न तो मकसद समझ आया है और ना ही अभी तक अपराधी पकड़ा गया है।'' - आई. जी. ने कहा, फिर कल रात की सारी घटना विस्तार से बता दी। सुनने के बाद राजन बोला- ''नौजवान के बारे में कुछ मालूम हुआ ?''
''नहीं, पुलिस सर पटककर हार गई है, लेकिन कोई भी सूत्र हाथ नहीं लगा।''
"अगर आप इजाजत दें तो हम इस केस को हल कर सकते हैं।''
'‘इसीलिये तो मैंने तुम लोगों को बुलाया था, ताकि तुम लोग इस अनोखे केस को देखो।''

    
और इस तरह यह अनोखा केस राजन‌-इकबाल के हाथ आता है। हरपालपुर के जंगल में उनके सामने कुछ रहस्यमय घटनाएं घटित होती हैं। जैसे लाश के गड्ढे का मिट्टी से भर जाना, सियार का खेल, हाथी के पैरों के निशान और राजन का हास्य से बेहोश होना।
   खोजबीन के दौरान राजन का एक और केस से सामना होता है।
" मुझे श्रीमती सरला कहते हैं।"
" आपकी सहेली आशा कब गायब हुयी थी?"
"परसों।"

    ठाकुर प्रताप सिंह के छोटे भाई ठाकुर मोहन सिंह की पत्नी सरला की सहेली आशा गायब है। और सरला चाहती है की राजन- इकबाल उसकी सहेली आशा को तलाश करें।
  एक तरफ जंगल में लाशों का किस्सा है तो दूसरी तरफ आशा को खोजना है। वहीं ठाकुर प्रताप सिंह नहीं चाहते की पुलिस उनकी बहू से कुछ पूछताछ करे, उन्हें खानदान की इज्जत का डर है।
     अब दो मामलों को देखते हुये राजन-इकबाल आखिर अपने चातुर्य से अपराधी‌ को खोज निकालते हैं।
   उपन्यास का आरम्भ अज्ञात व्यक्ति की सूचना से होता हुआ कत्ल के मामले से संबंधित हो जाता है और फिर एक औरत के गुम होने का मामला भी साथ जुड़ जाता है।
    छोटे से उपन्यास में ट्विस्ट काफी हैं और कहानी भी तेज रफ्तार है।
एस. सी. बेदी द्वारा लिखित 'तेरा खंजर मेरी लाश' उपन्यास मूलतः इब्ने सफी के उपन्यास 'जंगल में लाश' की पूर्णतः नकल है, बस पात्रों के नाम परिवर्तन हैं।
   उपन्यास का शीर्षक 'तेरा खंजर मेरी लाश' किसी भी दृष्टि से सार्थक प्रतीत नहीं होता।
उपन्यास में इकबाल कई बार राजन से कुछ प्रश्न पूछता है लेकिन राजन हर बार यही कहता है आगे पता चल जायेगा और उपन्यास के अंत में राजन एक कहानी जो की सभी प्रश्नों के उत्तर देती है, सुना देता है लेकिन यह कहीं नहीं पता चलता की राजन को उन प्रश्नों के उत्तर कैसे पता चले।
    छोटा सा उपन्यास पढने में रोचक है।
उपन्यास- तेरा खंजर मेरी लाश
लेखक -   एस. सी. बेदी

इब्ने सफी के उपन्यास की समीक्षा- जंगल में लाश

1 comment:

  1. रोचक। ऐसा कई बार मैंने देखा है कि राजन को कुछ ऐसी चीजें मालूम होती हैं जिन्हें वो आखिर में बताकर मामला सुलझा देता है। पर यह कहीं नहीं पता लगता कि उसे इस जानकारी का पता कैसे चला।

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