Saturday 9 July 2022

525. रोज खून करो- एस. सी. बेदी

यह क्या कहानी हुयी?
रोज खून करो- एस. सी. बेदी

नवाब सलीम साहब के साहबजादे नवाब नजाकत खाँ का विवाह था। राजन- इकबाल और इकबाल के पिता को उस विवाह में पहुंचना था।
   और जब तीनों उस विवाह स्थल पर पहुंचे तो वहाँ पुलिस खड़ी थी।
और तब....
       राजन- इकबाल इंस्पेक्टर बलवीर के साथ एक लाश के पास खड़े थे। लाश एक सफेद चादर से ढकी हुयी थी।
जासूसी बाल साहित्य में एस. सी. बेदी का नाम सबसे पहले लिया जाता है। एस. सी. बेदी ही वह लेखक रहे हैं जिन्होंने बाल साहित्य में जासूसी उपन्यासों को एक सही स्थान दिलाया है।
    'रोज खून करो' भी एक जासूसी बाल उपन्यास है, जिसके नायक 'राजन- इकबाल' नाम के दो बालक हैं।
  उपन्यास का आरम्भ एक शादी वाले घर से होता है, जहाँ मोमबत्ती के माध्यम से एक हत्या की जाती है।  मृतक के पास से एक लड़की की तस्वीर मिलती है और उसी तस्वीर को आधार बना कर राजन- इकबाल आगे की कार्यवाही करते हैं।
    लेकिन उस लड़की की पुलिस निगरानी में कर्नल विनोद के सामने हत्या हो जाती है। लेकिन वह लड़की जाते-जाते एक और व्यक्ति के विषय में जानकारी दे जाती है जिसके हाथ पर मोमबती का निशान है।     इस दूसरे व्यक्ति की हत्या पुलिस प्रागंण में इंस्पेक्टर बलवीर के सामने एक नकाबपोश कर जाता है और इंस्पेक्टर बलवीर कुछ भी नहीं कर पाता।
  और फिर नम्बर आता होटल राॅस्की के मालिक राॅक का, जिस पर राजन-इकबाल को शक है की सारे गुनाह इस के इशारे पर ही हो रहे हैं‌। और राजन-इकबाल की उपस्थिति में राॅक भी कत्ल हो जाता है। मतलब हर रोज खून होता है और वह भी उन लोगों के समक्ष जो अपराध को रोकने का काम करते हैं। लेकिन राजन-इकबाल हार नहीं मानते और मोमबत्ती के रहस्य को जानने की कोशिश करते हैं।
    और फिर एक दिन एक व्यक्ति इकबाल को को समझाता है- "मैं तुम्हें एक राय देने आया हूँ।"- वह व्यक्ति संजीदगी से बोला- ''और वह यह कि अभी तुम्हारे खेल कूद के दिन हैं। अत: जासूसी का चक्कर छोड़कर अपने घर रहो।''
   और फिर घटनाक्रम कुछ यू घूमता है की वह व्यक्ति इकबाल का अपहरण कर लेता है। और उपन्यास के समापन वाले पृष्ठ के आधे पृष्ठ पर घटनाक्रम एक बार भी घूमता है और पुलिस अपराधी को गिरफ्तार कर लेती है।
- विवाह में मोमबत्ती द्वारा की गयी हत्या का क्या रहस्य था?
- विवाह वाले घर में हत्या क्यों की गयी?
- रोज खून क्यों किया जा रहा था?
- असली अपराधी कौन था?
- वह अपराध क्यों कर रहा था?
आपके दिमाग में यह प्रश्न घूम रहे होंगे और आपको लगता होगा की मैं आगे यह लिखूंगा की इन प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए उपन्यास पढें। जी नहीं, मैं ऐसा नहीं कहूंगा क्योंकि उपन्यास ऐसे किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं देता।
    पता नहीं लेखक ने ऐसे क्यों किया है। उपन्यास में एक घटनाक्रम है लेकिन घटनाक्रम क्यों घटित होता है कुछ भी पता नहीं चलता। किसी भी प्रश्न का उपन्यास में कोई भी उत्तर नहीं मिलता।
   उपन्यास में दो पात्र हैं हवलदार लट्ठा सिंह और खुदाराम , हालांकि दोनों की भूमिका बहुत कम है लेकि‌न रोचक है। अगर इन दोनों पात्रों की भूमिका विस्तृत होती तो उपन्यास कुछ हद तक रोचक बन जाता। 
  उपन्यास में कुछ बातें पहली बार पता चली।
जैसे
- इकबाल के पिता की छोटी  भूमिका उपन्यास में है।
- राजन के पिता कर्नल विनोद है, जो पुलिस विभाग में हैं।
- उपन्यास में 'राजन- इकबाल' को बार-बार 'बच्चा' कहा गया है पर उनकी उम्र का कहीं वर्णन नहीं है।
- उपन्यास में एक लेखक रविन्द्र रवि का वर्णन भी है। रविन्द्र रवि भी बाल उपन्यास और काॅमिक्स लेखक रहे हैं।
    और अब इस बाल उपन्यास के विषय में लिखने को कुछ बाकी नहीं है। बस अंत में इतना ही 'यह क्या कहानी हुयी?'
उपन्यास - रोज खून करो
लेखक -    एस. सी. बेदी
प्रकाशक- दुर्गा पाकेट बुक्स
पृष्ठ-         56

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