पुरानी डायरी की पुरानी कहानियाँ
पुरानी डायरी- मनमोहन भाटिया
किंडल पर मनमोहन भाटिया जी का कहानी संग्रह 'पुरानी डायरी' पढा। जैसा की शीर्षक से विदित होता है यह एक डायरी है और इसमें कुछ पुरानी यादें समेटी गयी हैं।
हालांकि यह कहानी संग्रह एक काल्पनिक डायरी के रूप में दर्ज है, लेकिन कहानी कोई भी हो वह कुछ न कुछ तो वास्तविकता के नजदीक होती है। यह एक लेखक पर निर्भर करता है कि वह कहानी को कितना वास्तविकता के नजदीक रखता है, कितना काल्पनिकता के और कितना कहानी को जीवंत रूप प्रदान करता है।
कहानी संग्रह को एक डायरी के रूप में उपस्थित करना वास्तव में एक चुनौती होता है, कारण डायरी व्यष्टि होती है और उसे समष्टि का रूप प्रदान करने में बहुत मुश्किल होती है।
अब कुछ चर्चा 'पुरानी डायरी' कहानी संग्रह पर डालते हैं और देखते हैं लेखक महोदय कहां तक सफल हुये हैं।
इस संग्रह में कुल ग्यारह कहानियाँ हैं। जो विभिन्न परिवेश से संबंधित है।
प्रथम कहानी है 'दस वर्ष बाद' लालच-स्वार्थ के लिए घर त्यागने और उसके दुष्परिणामों पर लिखी गयी एक हल्की सी कहानी है।
वहीं द्वितीय कहानी 'पुरानी दिल्ली' कहानी कम और दिल्ली का वृतांत ज्यादा है। अनावश्यक विस्तार इसे और भी नीरस बना देता है।
'पुराने दिन' कहानी बीत गये सुनहरे समय को रेखांकित करती एक दम्पति की स्मृति है। हां इस संग्रह की कुछ कहानियों बीते दिनों की स्मृति मात्र है।
'पूर्वाभास' भी कोई कहानी न होकर एक स्वप्न की चर्चा मात्र है।
'ब्लु टरबन' - टीवी पर न्यूज देखते हुए अचानक बचपन की यादें ताजा हो गीं।
'ब्लु टरबन' विस्थापित लोगों का दर्द व्यक्त करती कहानी है, लेकिन इसमें कोई तारतम्य नहीं है। यह भी अन्य कहानियों की तरह स्मृति चित्र है।
बाकी कहानियों पर यहाँ कोई चर्चा नहीं क्योंकि अधिकांश कहानियों स्मृति मात्र है। एक पात्र और उसकी कुछ यादें, बस ये यादें घटनाभर है, कोई कहानी नहीं ।
वैसे कहानी कोई भी हो वह अपनी अपनी पसंद पर निर्भर होती है। प्रस्तुत संग्रह मुझे तो खैर अच्छा नहीं लगा हो सकता है आपको अच्छा लग जाये।
जैसा का पहले उपर चर्चा हो चुकी है कि लेखक इस काल्पनिक डायरी को व्यष्टि से समष्टि बनाने में कहां तक सफल होता है तो मेरे विचार से लेखक यहाँ अधिकांश कहानियों में असफल रहा है। कोई भी व्यक्तिगत डायरी हो उसमें संवेदनाएं विशेष महत्व रखती है, लेकिन यहाँ वर्णन तो बहुत है लेकिन संवेदनाएं नहीं है, अगर है तो वह उचित शब्द न मिलने के कारण व्यक्त होने में सक्षम नहीं।
यह कहानी संग्रह/डायरी मुझे नीरस लगी।
कहानी संग्रह- पुरानी डायरी
लेखक- मनमोहन भाटिया
प्रकाशक- flydreams publication
पृष्ठ-
फॉर्मेट- ebook on kindle
पुरानी डायरी- मनमोहन भाटिया
किंडल पर मनमोहन भाटिया जी का कहानी संग्रह 'पुरानी डायरी' पढा। जैसा की शीर्षक से विदित होता है यह एक डायरी है और इसमें कुछ पुरानी यादें समेटी गयी हैं।
हालांकि यह कहानी संग्रह एक काल्पनिक डायरी के रूप में दर्ज है, लेकिन कहानी कोई भी हो वह कुछ न कुछ तो वास्तविकता के नजदीक होती है। यह एक लेखक पर निर्भर करता है कि वह कहानी को कितना वास्तविकता के नजदीक रखता है, कितना काल्पनिकता के और कितना कहानी को जीवंत रूप प्रदान करता है।
कहानी संग्रह को एक डायरी के रूप में उपस्थित करना वास्तव में एक चुनौती होता है, कारण डायरी व्यष्टि होती है और उसे समष्टि का रूप प्रदान करने में बहुत मुश्किल होती है।
अब कुछ चर्चा 'पुरानी डायरी' कहानी संग्रह पर डालते हैं और देखते हैं लेखक महोदय कहां तक सफल हुये हैं।
इस संग्रह में कुल ग्यारह कहानियाँ हैं। जो विभिन्न परिवेश से संबंधित है।
प्रथम कहानी है 'दस वर्ष बाद' लालच-स्वार्थ के लिए घर त्यागने और उसके दुष्परिणामों पर लिखी गयी एक हल्की सी कहानी है।
वहीं द्वितीय कहानी 'पुरानी दिल्ली' कहानी कम और दिल्ली का वृतांत ज्यादा है। अनावश्यक विस्तार इसे और भी नीरस बना देता है।
'पुराने दिन' कहानी बीत गये सुनहरे समय को रेखांकित करती एक दम्पति की स्मृति है। हां इस संग्रह की कुछ कहानियों बीते दिनों की स्मृति मात्र है।
'पूर्वाभास' भी कोई कहानी न होकर एक स्वप्न की चर्चा मात्र है।
'ब्लु टरबन' - टीवी पर न्यूज देखते हुए अचानक बचपन की यादें ताजा हो गीं।
'ब्लु टरबन' विस्थापित लोगों का दर्द व्यक्त करती कहानी है, लेकिन इसमें कोई तारतम्य नहीं है। यह भी अन्य कहानियों की तरह स्मृति चित्र है।
बाकी कहानियों पर यहाँ कोई चर्चा नहीं क्योंकि अधिकांश कहानियों स्मृति मात्र है। एक पात्र और उसकी कुछ यादें, बस ये यादें घटनाभर है, कोई कहानी नहीं ।
वैसे कहानी कोई भी हो वह अपनी अपनी पसंद पर निर्भर होती है। प्रस्तुत संग्रह मुझे तो खैर अच्छा नहीं लगा हो सकता है आपको अच्छा लग जाये।
जैसा का पहले उपर चर्चा हो चुकी है कि लेखक इस काल्पनिक डायरी को व्यष्टि से समष्टि बनाने में कहां तक सफल होता है तो मेरे विचार से लेखक यहाँ अधिकांश कहानियों में असफल रहा है। कोई भी व्यक्तिगत डायरी हो उसमें संवेदनाएं विशेष महत्व रखती है, लेकिन यहाँ वर्णन तो बहुत है लेकिन संवेदनाएं नहीं है, अगर है तो वह उचित शब्द न मिलने के कारण व्यक्त होने में सक्षम नहीं।
यह कहानी संग्रह/डायरी मुझे नीरस लगी।
कहानी संग्रह- पुरानी डायरी
लेखक- मनमोहन भाटिया
प्रकाशक- flydreams publication
पृष्ठ-
फॉर्मेट- ebook on kindle
यें लेखक बहुत ही धीमा और व्यर्थ की आदर्शवाद लिखते हैं.
ReplyDelete