Sunday, 3 May 2020

306. CATCH ME IF YOU CAN- संतोष पाठक

विशाल सक्सेना का द्वितीय अविस्मरणीय कारनामा
CATCH ME IF YOU CAN- संतोष पाठक


       कैच मी इफ यू कैन! एक ऐसा गेम, जो एक सनकी कातिल के दिमाग की उपज था। एक कत्ल वह पहले ही कर चुका था, आगे चार और लोग उसके निशाने पर थे। गेम के रूल्स के मुताबिक हर बार कत्ल सेे पहले वह इंस्पेक्टर सतपाल सिंह को एक ऐसी पहेली बताता था जिसमें उसके उस रात के शिकार की जानकारी छिपी होती थी। पहेली को वक्त रहते ना सुलझा सकने का मतलब था एक और लाश! फिर क्या हुआ? क्या हत्यारा अपने चैलेंज पर खरा उतर सका? या पनौती की जुगलबंदी में सतपाल ने उसे सींखचों के पीछे पहुंचा दिया?
       यह पंक्तियाँ है संतोष पाठक जी के विशाल सक्सेना उर्फ पनौती के द्वितीय उपन्यास 'CATCH ME IF YOU CAN: PANAUTI IS ON THE WAY' की हैं जो उपन्यास के टीजर रूप में दी गयी थी। हालांकि इन पंक्तियाँ में एक अल्प सी गलती है। 
       यह कहानी है एक ऐसे सिरफरे कातिल की जो पुलिस को चुनौती देकर कत्ल करता है। चुनौती वह भी एक पहेली के साथ। एक दिन यही कातिल इंस्पेक्टर सतपाल को फोन करके एक चुनौती देता है।
......बताया तो था, मैं आपके साथ एक गेम खेलना चाहता हूं, ऐसा गेम जिसमें मैं पुलिस को बताऊंगा कि अगला कत्ल किसका होने वाला है। मगर उस बारे में मेरी एक खास शर्त है।‘‘...............
.....................मेरे पास एक हिट लिस्ट है जिसमें दर्ज नामों में से अभी चार लोग जिंदा हैं। अब मैं आपके साथ या यूं समझ लीजिए कि पुलिस डिपार्टमेंट के साथ एक गेम खेलना चाहता हूं। गेम का नाम है ‘कैच मी इफ यू कैन‘। हर बार कत्ल करने से पहले मैं आपको अपने शिकार के बारे में एक क्लू दूंगा। जिसके जरिए आपने उसे बचाने की कोशिश करनी है। अगर आपने उनमें से एक को भी मरने से बचा लिया तो मैं वादा करता हूं कि फौरन आपके सामने सरेंडर कर दूंगा।‘‘

    सिरफिरे कातिल की एक विशेष शर्त है और वह है इस कत्ल की इन्वेस्टिगेशन में विशाल सक्सेना उर्फ पनौती को शामिल करने की।

- वह कत्ल क्यों कर रहा था?
- उसने पुलिस को चुनौती क्यों दी?
- उसने विशाल सक्सेना को शामिल करने की बात क्यों कही?
- आखिर क्या थी उसकी पहेलियाँ?
- क्या कातिल पकड़ा गया?



संतोष पाठक की कलम से निकला एक यादगार कथानक है। अगर आपने विशाल सक्सेना का पहला उपन्यास 'दस जून की रात' नहीं पढा तो पहले उसे पढे और फिर इस उपन्यास को पढें। अन्य थ्रिलर-मर्डर मिस्ट्री उपन्यासों से कुछ अलग हटकर कहानी पढने को मिलेगी।

  
उपन्यास में बहुत कुछ रोचक है। सबसे पहले बात करे तो एक ऐसा कातिल है जो पुलिस को चुनौती देकर कत्ल करता है, वह बकायदा एक पहली देता है पुलिस को अब निर्धारित समय में पुलिस को उस पहेली को हल कर अज्ञात व्यक्ति को बचाना है।
      दूसरी विशेष रोचकता है विशाल सक्सेना। एक सिविलियन और उसे अपने सिविलियन होने पर विशेष गर्व भी है। एक अलग तरह का पात्र है यह।
इंस्पेक्टर सतपाल का किरदार भी काफी प्रभावी है।
उपन्यास में कुछ पुराने पात्रों का जिक्र भी आया है जो विशेष रोचकता पैदा करता है जैसे एम. एल. ए. महावीर सिंह।
पूरे उपन्यास में उपन्यासों के पात्रों के साथ-साथ पाठक का दिमाग भी तेज चलता है कि आखिर वह भी कातिल का पता लगाना चाहता है वह भी पहेली हल करना चाहता है।

    अब बात कर लेते हैं विशाल सक्सेना की। अगर आपने विशाल सक्सेना का प्रथम उपन्यास नहीं पढा तो आप जान लीजिएगा यह शख्स कैसा है- उसका पूरा नाम विशाल सक्सेना था, छह फीट से उभरते कद वाला वो खूब हट्टा-कट्टा कड़ियल नौजवान था। जो इत्तेफाक से कभी सेव कर लेता था तो सहज ही किसी बड़ी कम्पनी का इग्जेक्युटिव दिखाई देने लगता था। मगर ऐसा सिर्फ होली-दिवाली ही होता था, वरना तो साल के तीन सौ पैंसठ दिन वो अपने सदाबहार परिधान और अलमस्त रूप में ही नजर आता था। बनाने वाले ने उसके सभी कल-पुर्जे यथा स्थान फिट किये थे। लंबा चेहरा, सुतवां नाक, बड़ी-बड़ी आंखें और कान के नीचे तक पहुंचती कलमें! कुल मिलाकर वो बड़ा ही हैंडसम युवक था जो किसी खूबसूरत युवती के सपनों का शहजादा हो सकता था। या सोलह सोमवार का व्रत रखने वाली किसी युवती को उसमें अपने भावी पति की छबि दिखाई दे सकती थी।
यह तो है उसकी विशेषताएँ, इसके साथ-साथ इस में कुछ ऐसी और विशेषताएँ भी हैं जो अन्य लोगों पर भारी पड़ जाती हैं।- जहां भी उसके कदम पड़ते, बने बनाये काम बिगड़ जाते। जिस काम में हाथ डालता मुसीबतें गले पड़ जातीं। किसी दोस्त की गर्लफ्रैंड से मिलता तो अगले ही दिन वो उसकी एक्स गर्लफ्रैंड बन जाती। किसी शादीशुदा दोस्त के घर में आना-जाना करता तो मियां-बीवी में लड़ाई-झगड़े शुरू हो जाते। किसी की रूठकर मायके गई बीवी को मनाने पहुंचता तो नौबत तलाक तक जा पहुंचती थी।


       उपन्यास में अगर कमियां देखे तो आपको काफी‌ नजर आयेगी। संतोष पाठक जी जैसे सुलझे हुये लेखक के उपन्यास में इतनी गलतियों का होना अजीब सा लगता है।
- उपन्यास में जगह-जगह PCO दिखा दिये, जबकि उपन्यास का कथानक मार्च 2020 का है।
- सबसे बड़ी बात ये है की कातिल द्वारा दी गयी प्रथम 'पहेली' गलत है। यहा मुद्रण गलती है या कुछ और कहना संभव नहीं ।
- कुछ तथ्य स्पष्ट नहीं है, उनका स्पष्टीकरण उपन्यास के अंतें होना आवश्यक था।
- विशाल सक्सेना को कानून का सम्मान न करने वालों पर गुस्सा आता है लेकिन कभी-कभी वह स्वयं कानून तोड़ देता है और वह भी एक हद से आगे जाकर।
मेरे विचार से, जहां-जहां विशाल सक्सेना कानून तोड़ता है,उन परिस्थितियों को कुछ अलग तरह से दर्शाना था। अगर आपने वेदप्रकाश शर्मा जी का केशव पण्डित पढा है तो याद होगा वह कानून के दायरे में रहकर कानून तोड़ता है। यहाँ विशाल सक्सेना दूसरों को कानून का पाठ पढाता है और स्वयं अपराध कर देता है। यह एक बड़ा विरोधाभास है।

चाय सा तेज कथानक

उपन्यास की कहानी तेज पती की चाय की तरह है। एक घूँट (दृश्य) आपके दिमाग पर वह असर छोड़ देगा की आप चाय का पूरा कप (उपन्यास) खत्म किये बिना चैन से नहीं बैठ पाओगे।
अच्छी कहानी के लिए धन्यवाद।

उपन्यास- CATCH ME IF YOU CAN: PANAUTI IS ON THE WAY'
लेखक- संतोष पाठक
प्रकाशन तिथि - अप्रैल, 2020
प्रकाशन- थ्रिल वर्ल्ड
फॉर्मेट- ebook on kindle
Page- 348
लिंक-    CATCH ME IF YOU CAN

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