Wednesday 6 May 2020

309. मित्रो मरजानी- कृष्णा सोबती

एक औरत की कहानी
मित्रो मरजानी- कृष्णा सोबती

मित्रो मरजानी' एक मध्यमवर्गीय पारिवारिक उपन्यास है। और परिवार में भी मुख्यतः महिलावर्ग पर आधारित है। औरतों की स्थिति, अधिकार और परस्पर होने वाले झगड़े आदि का चित्रण उपन्यास में मिलता है।
         उपन्यास की मुख्य पात्र मित्रो जो कि एक दमदार पात्र है और उपन्यास इसी के इर्दगिर्द घूमता नजर आता है।
मित्रो दिल की साफ और मुँह फट है, वह अपने पति से संतुष्ट नहीं है और यही वजह है की वह उदण्ड होती नजर आती है।
वह अपने पति के व्यवहार पर कहती है- फिर पड़छती पर रखे आईने में अपना मुखड़ा देख हँस पड़ी-मेरा यह बेअकल मर्द-जना यही नहीं जानता कि मुझ-सी दरियाई नार किस गुर से काबू आती है ! मैं निगोड़ी बन-ठनके बैठती हूँ तो गबरू सौदा-सुल्फ लेने उठ जाता है । अरे, जिसने नार-मुटियार को सधाने की पढ़ाई नहीं पढ़ी, वह इस बालो की बलूगड़ी को क्या सधाएगा ?  

       और कहने से तो वह किसी से भी बाज नहीं आती- अपनी देवरानी को कहती है- मँझली तमाशबीन बनी बारी-बारी से सास-बहू की ओर देख हँस दी-फूलाँरानी, मैं बुरों-की-बुरी मशहूर थी, पर, लाडो, तू भी चोखा नाम कमाएगी।
लेकिन उसकी बात चाहे चुभती हो लेकिन उसके पीछे जो दर्द है वह असहनीय है। जब बड़ी बहू गर्भवती होती है तो मित्रो अपने दर्द को भी मजाक में कह जाती है-
         धनवन्ती को सुहाग पर ढेरों लाड उमड़ आया-जीती रहे, सतपुत्री हो समित्रावन्ती ! शुक्र है उस दाते का जिसकी दरगाह में देर है, अन्धेर नहीं ! मित्रो ने सास से मसखरी की-अम्मा, जिस दाते का नाम लेती हो, उसे आँख से किसने देखा है ? असल पैगम्बर तो तुम्हारे बेटे ठहरे, जब चाहे पौदे रोप दें।
मूलत: यह उपन्यास की कथा है, हालांकि इसके साथ-साथ परिवार की अन्य कहानियाँ भी चलती रहती हैं। जैसे औरतों का गहनों के लिए लड़ना, औरतों का अपने पीहर चले जाना, पुत्र द्वारा घर जवाई बन जाना आदि।

उपन्यास के मुख्य पात्र
गुरुदास- परिवार का मुखिया
धनवंती- गुरुदास की पत्नी
बनवारी- गुरुदास का ज्येष्ठ पुत्र
सुहागवन्ती- बनवारी की पत्नी
सरदारी लाल- गुरुदास का मध्यम पुत्र
मित्रो - सरदारी लाल की पत्नी
गुलजारी - गुरुदास का छोटा पुत्र
फुलावंती - गुलजारी की पत्नी
मायावन्ती- फूला की माँ

उपन्यास में मुझे विरोधाभास सा नजर आता है। क्या मित्रो का चरित्र गलत था, या सरदारी लाल असक्षम था। न मित्रो स्वयं को गलत स्वीकार करती है और न ही सरदारी लाल। हाँ, उन में यह वर्णित जरूर है की मित्रो का चरित्र सही नहीं लेकिन वहीं उसे बाॅल्ड चित्रण माना गया है।
एक औरत के हृदय और शारीरिक आवश्यकताओं को लेकर लिखी गयी यह कृति अपने समय की एक यादगार रचना है।
उपन्यास एक बार पढा जा सकता है।

उपन्यास- मित्रो मरजानी
लेखिका- कृष्णा सोबती
पृष्ठ-
फॉर्मेट- ebook on kindle
लिंक-  मित्रो मरजानी- कृष्णा सोबती

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