Friday 18 September 2020

379. आसमानी आफत- वेदप्रकाश कांबोज

अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र की कहानी
आसमानी आफत- वेदप्रकाश काम्बोज

विजय सीरीज

वह काठमांडू घूमने गया था लेकिन वहाँ वह एक ऐसे खतरनाक आदमी से टकरा बैठा और फिर उसके लिए खतरा पैदा हो गया और उसे लगा वह की वह आसमानी आफत मोल ले बैठा।
   जब वह इस आसमानी आफत से बचने की कोशिश करने लगा तो उस पर और भी ज्यादा खतरा मंडराने लगा और अनंत: उसने ने उस आसमानी आफत से टकराने की ठान ली।
काठमांडू की धरती पर खेला गया एक खतरनाक खूनी खेल है- आसमानी आफत।  
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 यह कहानी है एक नौजवान व्यक्ति असीम चटर्जी जी की जो एक यात्रा के दौरान काठमांडू जाता है लेकिन वहाँ उसका सामना एक ऐसे व्यक्ति से होता है जो उसके पिता का कातिल है।
     "शायद आपसे पहचाने में कोई भूल हुई हो और आप किसी अन्य आदमी को अपने पिता का कातिल समझने की गलती कर बैठे हों।"
"जी नहीं"
"क्यों?"
"क्योंकि उस आदमी का चेहरा मेरे दिमाग पर अपनी एक ऐसी छाप छोड़ गया था जिसे मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकता।"

  हालांकि असीम चटर्जी से इंस्पेक्टर गोपी गुरुग संतुष्ट नहीं होता और वहीं दूसरी तरफ जोरावर भी यही सोचता है।
जोरावर ने अपने दिमाग पर काफी जोर दिया लेकिन उसे ऐसा कुछ याद नहीं पड़ा कि उसने उस आदमी को पहले कभी कहीं देखा हो‌।
    फिर भी जोरावर के मस्तिष्क में एक बात चल रही थी- कौन है वह जो किसी आसमानी आफत की तरह उस पर झपट कर टूट पड़ा।

     वहीं असीम चटर्जी भी जोरावर के पीछे हाथ धोकर पड़ गया, लेकिन एक शहर में उसके लिए मददगार कोई न था। एक सुनीता मूंदड़ा जिसका नाम वह लेना नहीं चाहता था-डॉक्टर सुनीता मूंदड़ा मनमोहन मूंदड़ा की इकलौती बेटी थी। और मनमोहन मूंदड़ा,मूंदड़ा इण्डस्ट्रीज नामक प्राइवेट लिमिटेड का चीफ डायरेक्टर और मालिक था।
     लेकिन असीम चटर्जी को जब यहाँ चारों तरफ मौत नजर आने लगी तो संयोग से उसे इंस्पेक्टर गोपी गुरुग के माध्यम से भारतीय जासूस विजय मिल गया।

"मैं वाकई बिलकुल निर्दोष हूँ मिस्टर विजय...आप जो कहेंगे मैं करने के लिए तैयार हूँ। बस आप मुझे किसी तरह इस आसमानी आफत से बचा लीजिए जो अचानक ही मुझ पर टूट पड़ी है।"

     जब विजय और असीम चटर्जी इस केस की छानबीन करने निकले तो इस के तार सुनीता मूंदड़ा से जा मिले जो आगे चलकर एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का संकेत करते थे।
        यह एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र पर आधारित थ्रिलर उपन्यास है। एक छोटे से घटनाक्रम से आरम्भ होती हुयी यह कहानी आगे एक बड़ा विस्तार लेती है। कहानी में रहस्य अच्छा है जो प्रभावित करता है। एक्शन दृश्य भी रोचक हैं।
उपन्यास का आरम्भ बहुत रोचक तरीके से होता है और समापन भी प्रभावित करने वाला है।
 
उपन्यास में एक विलेन का किरदार है जो नकली टांगों का इस्तेमाल करता है। इस विलेन पात्र और टांगों का इस्तेमाल बहुत अजीब सा प्रतीत होता है। इस पात्र को अगर सही टांगों के साथ दर्शाया जाता तो ज्यादा अच्छा रहता।
कुछ और किरदार-
जोरावर सिंह- एक खतरनाक सुपारी किलर, जिससे असीम चटर्जी से टकाराता है।
विजय- एक जासूस है, जो असीम चटर्जी की सहायता करता है।
गोपी गुरुग- काठमांडू का इंस्पेक्टर
सुनीता मूंदड़ा- असीम चटर्जी जी की मित्र
रमेश ग्रोवर- मूंदड़ा इण्डस्ट्रीज का  कर्मचारी
अंत में एक संवाद-.
मरते समय मुख्यार के दिमाग में यही आखिरी विचार आया था कि यहाँ आसमानी फरिश्तों ने नहीं बल्कि आसमानी आफत ने उसे भेजा था- मरने के लिए।
     आसमानी आफत एक तेज रफ्तार कथा वाला रोचक और पठनीय उपन्यास है।
उपन्यास- आसमानी आफत
लेखक-    वेदप्रकाश काम्बोज
प्रकाशक

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