Friday 24 December 2021

491. लहू का पुजारी - दिनेश ठाकुर

क्राइम किंग और रीमा भारती की टक्कर
लहू का पुजारी - दिनेश ठाकुर
  लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में दिनेश ठाकुर और रीमा भारती दो सर्वाधिक चर्चित नाम रहे हैं। दिनेश ठाकुर की कलम ने उपन्यास साहित्य की धारा को एक अलग ही दिशा प्रदान कर दी थी। जहाँ कहानी के नाम पर एक्शन और इरोटिक साहित्य ही पाठकों को दिया जाता था‌।  एक समय था जब रीमा भारती की डिमांड खूब थी।
  समय बदला, मनोरंजन के साधन बदले और लोकप्रिय साहित्य लोगों की दृष्टि से गायब हो गया। उस समय के उपन्यासों में से एक उपन्यास है 'लहू का पुजारी' और लेखक हैं -दिनेश ठाकुर।
      रीमा भारती के उपन्यास 'प्रथम पुरूष' में लिखे जाते रहे हैं। रीमा भारती अपने मिशन‌ की जानकारी स्वयं के माध्यम से प्रस्तुत करती है। हालांकि प्रथम पुरुष में लिखे उपन्यासों में जो कुछ भी कहा जायेगा एक व्यक्ति के माध्यम से कहा जायेगा इसलिए बहुत कुछ कहना छूट जाता है। 
लहू का पुजारी - दिनेश ठाकुर
  अब बात करते हैं उपन्यास की....
मैं रीमा....
रीमा भारती आई.एस. सी. अर्थात् इण्डियन सीक्रेट कोर नामक भारत की सबसे महत्वपूर्ण जासूसी संस्था की नम्बर वन एजेंट। माँ भारती की शरारती, उदण्ड, किंतु लाडली बेटी। वो बला, किससे मौत भी पनाह मांगे। दोस्तों की दोस्त और दुश्मनों‌ के लिए साक्षात मौत। (पृष्ठ-) 
       आई.एस.सी. के प्रमुख 'खुराना' एक मिशन के लिए रीमा भारती को बुलाते हैं। खुराना रीमा को एक खतरनाक अपराधी क्राइम किंग के विषय में बताते हैं।
  - हमारे मुल्क में एक खतरनाक अपराधी संगठन सिर उठा रहा है। उस गिरोह में एक से एक खतरनाक मुजरिम मौजूद हैं।  आजकल वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहा है। पता चला है उस संगठन की पीठ पर माफिया का हाथ है और वह परदे के पीछे रहकर उसकी हर संभावित मदद कर रहा है। उस संगठन का सरगना क्राइम किंग है। वह कत्ल और खून खराबे जैसी  वारदात करके भारत की जनता के दिलो-दिमाग में खौफ भर देना चाहता है। इसके अलावा सबसे अहम् बात तो ये है कि वो संगठन भारत सरकार तख्ता पलटने के फिराक में है। क्राईम किंग एक बडा ही जालिम और खतरनाक किस्म का इंसान है।
     माँ भारती की लाड़ली किंतु उदण्ड बेटी रीमा भारती इस मिशन पर निकल पड़ती है। जिसका एक ही उद्देश्य है क्राइम किंग को खत्म करना।
      अपने मिशन पर निकली रीमा को एक युवक मिलता है। जो रीमा को क्राइम किंग के विषय में कुछ जानकारी देता है-"मुझे क्राइम किंग के बारे में सिर्फ एक जानकारी है कि उसे लहू का पुजारी कहा जाता है।"
       वऔर फिर उस युवक के माध्यम से एक के बाद एक क्राइम किंग के सदस्य क्रमवार रीमा से टकराते जाते हैं। और रीमा एक एक सीढी को पार करती हुयी जा टकराती है क्राइम किंग से।
और जब क्राइम किंग और रीमा का टकराव हुआ तो परिणाम तो जो तय था वही होना था क्योंकि रीमा भारती का कथन है-  वो पट्ठा क्या जानता था कि वह मुझसे पंगा ले बैठा है, जिस किसी ने मुझस पंगा लिया है, वो जिंदा नहीं बचा।
      थ्रिलर उपन्यास और विशेष कर रीमा भारती के उपन्यासों का अंत सभी को पता होता है। इन उपन्यासों का प्रस्तुतीकरण महत्व रखता है। वैसे तो रीमा भारती के अधिकांश उपन्यास आतंकवाद से ही संबंधित होते हैं।
   मैंने रीमा भारती के आज तक जितने उपन्यास पढे हैं यह उनमें से कुछ हद तक अलग था। एक तो यह उपन्यास 289 पृष्ठ का होते हुये भी तेज रफ्तार वाला है। उपन्यास में कहीं नीरसता नहीं है। इसी वजह से कथानक तीव्र लगता है।
     उपन्यास में कहीं से भी इरोटिक नहीं है। जैसे की रीमा भारती के उपन्यासों में Honey trap का प्रयोग होता है इस उपन्यास में ऐसा कुछ भी नहीं है‌, इसलिए रीमा भारती के फैन्स इस उपन्यास से रुष्ट हो सकते हैं। रीमा भारती चाहे Honey trap का प्रयोग करती है पर वह एक प्रशिक्षित जासूस है। उसका जासूसों के विषय में एक कथन पठनीय है। वह अपने साथी अविनाश से कहती है- "हम लोग जासूस हैं मिस्टर अविनाश। मैं तो अपनी परछाई पर भी शक करती हूँ और फिर मैं तो हद से ज्यादा सतर्क रहने वाली युवती हूँ। न जाने कौनसा दुश्मन सामने आकर खड़ा हो जाये। हम लोग हर वक्त खतरों से घिरे रहते हैं। इसलिए एतिहात बरतनी बेहद जरूरी है।"
     उपन्यास में एक्शन भरपूर है। क्योंकि क्राइम किंग एक खतरनाक व्यक्ति है और उसके सदस्य भी जान देने के लिए तैयार बैठे हैं‌। उपन्यास एक तय रस्ते पर ही चलता है। रीमा भारती को संयोग से एक व्यक्ति मिलता है और रीमा उसके पीछे लग जाती है।
उस व्यक्ति के माध्यम से दूसरे तक पहुँचती है और यह क्रम निरंतर आगे चलता रहता है।
   उपन्यास में संयोग बहुत है, वैसे भी रीमा के उपन्यासों में संयोग बहुत होता है।
यहाँ भी रीमा को क्राइम किंग के सदस्य संयोग से ही‌ मिल जाते हैं। पूरे उपन्यास में क्राइम किंग का नाम और उसका खौफ चलता है, पर स्वयं क्राइम किंग कहीं नजर नही आता। पूरे उपन्यास में क्राइम किंग का एक ही दृश्य है और वही उपन्यास के अंतिम अध्याय में।
          अगर आप दिनेश ठाकुर और रीमा भारती के एक्शन उपन्यास पसंद करते हैं तो यह उपन्यास आपको निराश नहीं करेगा। हां, कथानक के स्तर पर उपन्यास सामान्य है।
उपन्यास - लहू का पुजारी
लेखक -    दिनेश ठाकुर
प्रकाशक - धीरज पॉकेट बुक्स, मेरठ
पृष्ठ-          289

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1 comment:

  1. उपन्यास के प्रति उत्सुकता जगाता आलेख।

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