Monday 12 October 2020

390. भूतनाथ की संसार यात्रा- ओमप्रकाश शर्मा जनप्रिय

भूतनाथ प्रेमिका की तलाश में...
भूतनाथ की संसार यात्रा- जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा
आप भूतनाथ को जानते है?
  वही भूतनाथ जिसने उपन्यास साहित्य में अप्रतिम प्रसिद्धि प्राप्त की है। प्रसिद्ध उपन्यासकार देवकीनंदन खत्री जी का एक पात्र है-भूतनाथ। जिसके कारनामें 'चन्द्रकांता संतति' और 'भूतनाथ' जैसे चर्चित उपन्यासों में मिलते हैं। भूतनाथ एक ऐयार(जासूस) है। यह सब तो देवकीनंदन खत्री जी के उपन्यासों में है। हम यहाँ चर्चा कर रहे हैं जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी के पात्र भूतनाथ की।
    ध्यान रहे यह पात्र देवकीनंदन खत्री जी का ही है जिसे आगे जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी ने अपने विशेष ढंग से आगे बढाया है। खत्री जी के उपन्यासों में जहाँ भूतनाथ एक ऐयार है वहीं ओमप्रकाश शर्मा जी के उपन्यासों में भूतनाथ एक भूत है।
      यह ओमप्रकाश शर्मा जी की प्रतिभा है की उन्होंने कोई हाॅरर पात्र न बना कर भी मृत्यु भूतनाथ को एक हास्य व्यंग्य के रूप में 'भूतनाथ की संसार यात्रा' उपन्यास में प्रस्तुत किया है।
       'भूतनाथ की संसार यात्रा' में भूतनाथ और जासूस राजेश की जोड़ी को प्रस्तुत किया गया है।
अब चर्चा करते हैं प्रस्तुत उपन्यास की।
राजेश को भूतनाथ का निमंत्रण मिला तो राजेश भी उनके साथ जाने को तैयार हो गया।
जाना ही होगा।
जीवन का यह संयोग भी देखना होगा।
भूतनाथ के साथ संसार यात्रा। (पृष्ठ-07)
और यह यात्रा कैसी रही यह तो उपन्यास पढने पर पता चलेगा पर भूतनाथ ने यह यात्रा क्यों की यह जानना हमारे लिए आवश्यक है, यह भी आप भूतनाथ से ही सुने, जो उसने राजेश को कहा... दिल्ली में थी एक कटारो धोबन। उससे फिर इश्क हो गया, इसे भी छोड़ो। उस कमबख्त का एक पालतू गधा था हीरामन, जिसे वो जान से भी जान से भी ज्यादा प्यार करती थी।  कटारो मर मिट गयी। मैं भूत बनकर भटकर रहा हूँ। लेकिन भई किस्मत निकली गधे हीरामन की। सुना है उसने फिर जन्म लिया है और आजकल कहीं फिल्ड मार्शल यानी बड़ा सेनापति है। सो भाई उसी से मिलने के लिए मैं एक बार फिर शरीर धारण करना चाहता हूँ। लेकिन जरूरत है तुम्हारे सहयोग की। (पृष्ठ-04)
   तो यहाँ से आरम्भ होती है भूतनाथ की संसार यात्रा।
जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी ने विविध विषयों पर उपन्यास लिखे हैं,जासूसी, सामाजिक, हास्य व्यंग्य इत्यादि। प्रस्तुत उपन्यास हास्य व्यंग्य श्रेणी का उपन्यास है। इसमें एक तरफ जहाँ भूतनाथ फील्ड मार्शल गावदी को ढूंढता हैं वहीं उसे अपनी पुरानी प्रेमिका भी मिल जाती है। लेकिन वह किसी और की पत्नी और किसी और की प्रेमिका भी है। यह भूतनाथ के लिए विकट परिस्थिति है। 
   जहाँ उसे एक तरफ अपने प्यार का इजहार करना है, अपनी प्रेमिका को पाना है और वहीं उसे फिल्ड मार्शल गावदी से अपना हिसाब भी चुकता करना है।
   तो यह कहानी है भूतनाथ और फिल्ड मार्शल गावदी के टकराव की लेकिन कहानी में इसके अलावा बहुत से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विषयों पर रोचक व्यंग्य भी पढने को मिलता है। 
    ओमप्रकाश शर्मा जी के लेखक की यह विशेषता है की वह किसी भी बात को धीर-गंभीर न बनाकर बहुत सहजता से पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं जिसे सामान्य पाठक भी समझ सकता है।
   उपन्यास में  रेड़ियों पर आने वाले विज्ञापनों पर चुटकी ली गयी है। यह तब की समस्या आज उससे भी ज्यादा विकराल रूप धारण कर चुकी है।
   अमेरिका का दूसरे देशों पर आधिपत्य जमाना और अपने वहाँ के कूड़े कचरे का गरीब देशों में निस्तारण करने पर चर्चा है। शायद ओमप्रकाश शर्मा जी प्रथम और अंतिम लेखक हैं जिन्होंने इस विषय को उठाया है।
अमरिका दुनिया में अपने ढंग का एक ही चौधरी देश है। इसकी तुलना एक ऐसी फूहड़ औरत से की जा सकती है जो अपने घर का कूड़ा बुहार कर दूसरे के घरों में फेंक देती है। (पृष्ठ-60)
    यहाँ व्यंग्य अमरिका तक ही नहीं उससे भी आगे तक है-
'आजकल यू.एन. ओ. का अध्यक्ष उस नकीब की तरह होता है जिसका काम सिर्फ आवाज लगाकर बाअदब बामुलाहिजा होशियार कहना होता है। बिना तनख्वाह का दरोगा है।'(पृष्ठ-62)
सब कुछ व्यंग्य ही नहीं हास्य रस भी उपस्थित है।
अर्थ भरी दृष्टि से भूतनाथ ने पूछा-"यह संयुक्त राष्ट्र संघ क्या बला है?"
"ताजुब है आप इसके बारे में नहीं जानते।"
"मैं संसार की छोटी चीजों में दिलचस्पी नहीं लेता।" (पृष्ठ-)
   अगर आप पूर्णतः जासूसी उपन्यासों के पाठक हैं तो यह उपन्यास आपको पसंद नहीं आयेगा। क्योंकि यह जासूसी उपन्यास है भी नहीं, दूसरा उपन्यास धीमा और मूल कथानक से कभी कभी अतिरिक्त भटकाव लिए भी नजर आता है। 
    अगर आप जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी के उपन्यास पसंद करते हैं तो यह उपन्यास आपको पसंद आयेगा।
उपन्यास- भूतनाथ की संसार यात्रा
लेखक-    ओमप्रकाश शर्मा- जनप्रिय लेखक
प्रकाशक-  भगवती पॉकेट बुक्स, आगरा
सन्- 
पृष्ठ-   110 
भूतनाथ की संसार यात्रा

 

5 comments:

  1. किताब रोचक लग रही है। हाँ, मैंने जनप्रिय जी के कुछ उपन्यास पढ़ें हैंऔर उन्हें भी धीमा ही पाया है लेकिन उनका अपना मज़ा है।

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    1. ओमप्रकाश शर्मा जी का कहानी कहने का तरीका अन्य उपन्यासकारों से अलग है। धीमा नशा है।

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  2. मेरे सबसे पसंद के उपन्यासों में से एक. हास्य व्यंग से भरपूर. इतना की हमेशा सहज और शांत रहने वाले राजेश भी आखिरी में जलेबी मांग रहे भूतों पर भड़क उठते हैं. इस शानदार समीक्षा के लिए बधाई गुरप्रीत भाई.

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    1. प्लीज़ आपके पास अगर अभी available हो तो share करे प्लीज़

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