Saturday 27 June 2020

338. लाल रेखा- कुशवाहा कांत

प्रेम, कर्तव्य और स्वतंत्रता संग्राम की कहानी
लाल रेखा- कुशवाहा कांत

     लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में कुशवाहा कांत को रोमांस, जासूसी और क्रांतिकारी लेखक के रूप में जाना जाता है। इनके प्रेमपूरक उपन्यासों में भी क्रांति की ध्वनि गूंजती है और क्रांति पर लिखे गये उपन्यासों में भी प्रेम की महक आती है।
लाल रेखा तो क्रांति और प्रेम दोनों पर आधारित एक अविस्मरणीय रचना है। इस उपन्यास ने कुशवाहा कांत को अमर लेखकों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया।  

     वह हृदय से प्रेम कर सकता है और शरीर से कर्त्तव्य का पालन। कर्त्तव्य का पालन उसे पहले करना है और हृदय की पीड़ा बाद में देखनी है। (पृष्ठ-119)
        मनुष्य कर्तव्य और प्रेम दोनों रास्ते एक साथ तय करता है। लेकिन कभी-कभी परिस्थितियाँ इतनी विकट हो जाती हैं कि उसे प्रेम और कर्तव्य दोनों में से एक का चयन करना है। तब मनुष्य असमंजस की स्थिति में आजा है, वह किंकर्तव्यविमूढ हो जाता है। इसी स्थिति को परिभाषित करती है -लाल रेखा। 
       लाल रेखा एक ऐसे नवयुवक की कहानी है जो अपने देश के लिए सर्वस्व समर्पित करने को तैयार है। जिसके लिए देश से बढकर कुछ भी नहीं।
      लालरेखा कुशवाहा कांत जी द्वारा सन् 1947 के पश्चात, स्वतंत्र भारत में रची गयी एक अमर कृति है। जो परतंत्र काल की पृष्ठभूमि पर आधारित है।
        कहानी है लाल नामक एक शिक्षित युवक की जो मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध है। उसके लिए इसके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं। लाल पुलिस सुपरिडेंट शर्मा के पड़ोस में रहता है और उनकी पुत्री रेखा से उसका घनिष्ठ आत्मिक संबंध है।
       मिस्टर शर्मा कर्तव्य को प्रमुख मानते हैं - वफादार नौकर के लिए काम पहले और खाना बाद में...(43) मिस्टर शर्मा अंग्रेज सरकार उनके साहसिक कार्यों के लिए सम्मानित कर चुकी है।
लाल जिस संगठन का सदस्य उसका सरदार एक रहस्यमयी शख्स है‌। वह हर बार एक छद्म वेश में आता है। उसे लाल और रेखा की निकटता को देखकर लगता है की लाल पथभ्रष्ट हो रहा है वह कहता है- "मैं तुम्हें रेखा से दूर ले जाने की कोशिश करुँगा"- सरदार उठ खड़ा हुआ-" तुम अपना सामान तैयार रखो।
 (पृष्ठ-224)

लेकिन यह रेखा के लिए असह्य है।- लाल रेखा से अगर रेखा अलग कर दी जाये तो लाल क्या लाल रह जायेगा। (69)
        वहीं लाल अभियान के दौरान नयना नामक युवती के संपर्क में आता है जो लाल को हृदय से अपना स्वीकार कर लेती है।
लाल के लिए परिस्थितियाँ अत्यंत विकट हैं।
लाल के एक तरफ प्रेम है और दूसरी ओर मातृभूमि का कर्तव्य।
- लाल को एक तरफ मिस्टर शर्मा से पुत्रवत स्नेह प्राप्त होता है दूसरी ओर जान से खतरा भी।
- लाल के एक ओर रेखा है और दूसरी ओर नयना।
- लाल के एक ओर संगठन का सरदार और दूसरी ओर पारिवारिक संबंध।


       कहानी स्वतंत्रता संग्राम के लिए जूझते एक युवा की है जिसके चारों तरफ विकट स्थितियां है।  कहानी एक प्रेरणा भी है, एक आर्दश भी है और कर्तव्य का अनुभव भी करवाती है।
जहाँ एक तरफ स्वतंत्रा संघर्ष की कथा है तो वहीं दूसरी तरफ नारी के मनस्थिति का मार्मिक चित्रण मिलता है।
       नारी तो पुरूष की आवश्यकता होती है। पुरूष के लिए भी तो नारी का साहचर्य अनिवार्य है। अकेला पुरूष अधूरा है। वह कुछ भी नहीं कर सकता, पुरूष शक्ति है तो नारी प्रेरणा है, बिना प्रेरणा के शक्ति का मार्ग अंधकारपूर्ण है। (पृष्ठ-16)
‌         ‌जहाँ नयना का प्रेम लाल के प्रति एकनिष्ठ है तो वहीं रेखा का प्रेम उसे कर्त्तव्य पथ आगे बढने के लिए प्रेरित करता है।
       लाल को रेखा असाधारण लगी है और नयना अत्यंत साधारण। त्यागमयी दोनों हैं मगर एक का त्याग नि:स्वार्थ है और दूसरी का सस्वार्थ। नयना लाल के प्रेम के लिए त्याग करती है तो रेखा त्याग करने के लिए ही लाल से प्रेम करती है। दोनों में कितना महान अंतर है। (पृष्ठ- 75)
       भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर लोकप्रिय साहित्य में सार्थक उपन्यासों की बहु कमी है। लेकिन कुशवाहा कांत जी द्वारा रचित 'लाल रेखा' एक यादगार रचना है।

उपन्यास में कुछ संवाद/पंक्तियाँ जो मन को छू गयी। यहाँ प्रस्तुत है।
इंसान पर अगर कानून की बंदिश न हो तो हर आदमी मुजरिम बन जाये..।(पृष्ठ-22)
- आशा का संबल जब जब टूट जाता है तो निराशा ही हाथ लगती है। (पृष्ठ-110)

लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में कुशवाहा कांत जी द्वारा रचित 'लाल रेखा' एक मील पत्थर की तरह है। राष्ट्रप्रेम, कर्तव्य और सामाजिक संबंध आदि को केन्द्र बनाकर लिखा गया यह उपन्यास पाठकवर्ग में क्रांति की ज्वाला पैदा करता है।
एक आँख में आँसू और एक आँख में विद्रोह यही विशेषता है लाल रेखा की।
उपन्यास- लाल रेखा
लेखक-   कुशवाहा कांत
प्रकाशक- भारत पॉकेट बुक्स, चिनगारी प्रकाशन
पृष्ठ-        169


अमेजन लिंक - लाल रेखा- कुशवाहा कांत
लाल रेखा के तीन अलग-अलग आवरण चित्र

5 comments:

  1. कहानी बहुत अच्छी लगा रही हैं। पर दिक्कत यह है कि मेरे पास नहीं है । अगर कभी मिली तो जरूर पढूंगा ।

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  2. मै पढ़ चुकी हूं बचपन मै। पापा मेरे पढ़ते the। Dobara पढ़ने की ख्वाहिश है।

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    1. अब लालरेखा 'अमेजन' पर उपलब्ध है।

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  3. वाह बहुत ही सुन्दर समीक्षा है
    और नॉवेल भी बहुत अच्छा है मेने भी पढ़ा है
    किसी को चाहिए तो कांटेक्ट कर सकते है
    9634037165
    Flipkart पे भी अवेलेबल है

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